कला-संस्कृति महर्षि दयानन्द की यथार्थ जन्मतिथि और इससे जुड़े कुछ प्रकरण August 27, 2014 by मनमोहन आर्य | 2 Comments on महर्षि दयानन्द की यथार्थ जन्मतिथि और इससे जुड़े कुछ प्रकरण -मनमोहन कुमार आर्य- महर्षि दयानन्द की यथार्थ जन्मतिथि 12 फरवरी सन् 1825 है। इस दिन शनिवार था। हिन्दी तिथि के अनुसार इस दिन फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की दशमी थी। इस तिथि के निर्धारण में ऋषि भक्त डॉ. ज्वलन्त कुमार शास्त्री का प्रमुख योगदान है। यद्यपि पूर्व तिथियों में पं. भीमसेन जी शास्त्री द्वारा […] Read more » दयानंद सरस्वती महर्षि दयानन्द
कला-संस्कृति पूर्व मध्य काल का विस्मृति महानायक: सम्राट मिहिर भोज August 16, 2014 by वीरेंदर परिहार | 51 Comments on पूर्व मध्य काल का विस्मृति महानायक: सम्राट मिहिर भोज -वीरेन्द्र सिंह परिहार- सम्राट मिहिर भोज प्रतिहार अथवा परिहार वंश के क्षत्रिय थे। मनुस्मृति में प्रतिहार, प्रतीहार, परिहार तीनों शब्दों का प्रयोग हुआ हैं। परिहार एक तरह से क्षत्रिय शब्द का पर्यायवाची है। क्षत्रिय वंश की इस शाखा के मूल पुरूष भगवान राम के भाई लक्ष्मण माने जाते हैं। लक्ष्मण का उपनाम, प्रतिहार, होने के […] Read more » पूर्व मध्य काल का विस्मृति महानायक: सम्राट मिहिर भोज सम्राट मिहिर भोज
कला-संस्कृति वर्त-त्यौहार ‘श्रावणी पर्व और हमारा समाज’ August 10, 2014 / August 11, 2014 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य श्रावणी पूर्णिमा 10 अगस्त, 2014 को है और यह दिवस श्रावणी पर्व के रूप में आज पूरे देश में मनाया जा रहा है। इस दिन को भाई व बहिन के परस्पर अटूट पवित्र प्रेम बन्धन के रूप में रक्षा बन्धन के नाम सें भी मनाया जाता है। इस दिन पुराने यज्ञोपवीत […] Read more » श्रावणी पर्व और हमारा समाज’
कला-संस्कृति क्या भारत में विधवा को सती करने की प्रथा थी ? August 2, 2014 / August 2, 2014 by शिवेश प्रताप सिंह | 2 Comments on क्या भारत में विधवा को सती करने की प्रथा थी ? -शिवेश प्रताप- भारत सदा से एक वीरता प्रधान देश रहा है | सिकंदर की सेना के रक्त से झेलम के पानी को लाल करने वाली हिदू राजपुताना की वीरता के बारे में यूनान के इतिहासकारों ने लिखा की फारस और अरब को अपने अश्व टापों से रौंदती हुई सिकंदर सेना को जब युद्ध मे राजपूतों से भिड़ना पड़ा […] Read more » भारत विधवा सती प्रथा
कला-संस्कृति कब शुरू होगी अंगकोर मंदिर की तीर्थ यात्रा August 1, 2014 / August 1, 2014 by डॉ. कुलदीप चन्द अग्निहोत्री | Leave a Comment -डॉ. कुलदीप चन्द अग्निहोत्री- भारतीय संस्कृति में तीर्थ यात्राओं का अत्यन्त महत्व है । साधु सन्त तो निरन्तर देश भ्रमण करते ही रहते है लेकिन सामान्य जन भी समय समय पर तीर्थ यात्राओं के माध्यम से देशाटन करते हैं। भारत पर इस्लामी सेनाओं के आक्रमण से पहले ये तीर्थ यात्राएं देश के भीतर ही सीमित […] Read more » अंगकोर मंदिर की तीर्थ यात्रा
कला-संस्कृति ‘ढाई गज वस्त्र और अंजुली भर भिक्षा’ से अमर हो गए स्वामी करपात्री July 29, 2014 / July 29, 2014 by रमेश पांडेय | 6 Comments on ‘ढाई गज वस्त्र और अंजुली भर भिक्षा’ से अमर हो गए स्वामी करपात्री -रमेश पाण्डेय- धर्म के क्षेत्र में प्रतापगढ़ को जिसने पहचान दी। जिस शख्सियत ने धर्म की जय हो, अधर्म का नाश हो का नारा दिया। उस महान संत स्वामी करपात्री जी के जन्मदिवस पर हम श्रद्धा के साथ उनका नमन करते हैं। स्वामी जी अपने समय के अद्वितीय सन्यासी थे। वे केवल आध्यात्मिक ही नहीं, […] Read more » स्वामी करपात्री
कला-संस्कृति भारत July 28, 2014 / September 18, 2014 by राम सिंह यादव | 1 Comment on भारत -राम सिंह यादव- आज जब सारी मानवता पर विश्व युद्ध का खतरा मंडरा रहा है तब चिर युवा भारत एक नए जोश के साथ अंगड़ाई ले रहा है। शताब्दियों की परतंत्रता के बाद एक साधु ने राजनीति की कमान संभाली है। अद्भुत ब्रह्मांड की सजीव संरचना पृथ्वी के ठीक मध्य में स्थित भारत की पारलौकिकता […] Read more » भारत भारतीय संस्कृति
कला-संस्कृति विवाह और इसकी कुछ विकृतियां June 14, 2014 by मनमोहन आर्य | 1 Comment on विवाह और इसकी कुछ विकृतियां -मनमोहन कुमार आर्य- वैदिक व्यवस्था में मनुष्य के जीवन को चार आश्रमों में समयोजित किया गया है। यह आश्रम हैं, ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ एवं संन्यास हैं जिनमें प्रत्येक आश्रम की अवधि सामान्यतः 25 वर्ष निर्धारित है। पहले आश्रम ब्रह्मचर्य में 8-12 वर्ष की अवस्था तक, अथवा कुछ पहले अपने बालक व बालिकाओं को माता-पिता को […] Read more » विवाह विवाह विकृति
कला-संस्कृति फादर्स-डे : माता-पिता को अपने नहीं, उन्हीं के नजरिये से समझें June 14, 2014 by डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश' | Leave a Comment -डॉ. पुरुषोत्तम मीणा ‘निरंकुश’- 15 जून को आधुनिक पीढ़ी का फादर्स-डे अर्थात् पितृ दिवस है। बहुत सारी दुकानें पिताओं को दिये जाने वाले रंग-बिरंगे सुन्दर तथा आकर्षक कार्ड्स से सजी हुई हैं। दुकानों पर पिता की पसीने की कमाई से खरीदे गये ब्राण्डेड चमचमाते कपड़ों में सजे-धजे युवक-युवतियां अपने पिता को एक कागज का रंगीन […] Read more » पिता को समझें पितृ दिवस फादर्स-डे
कला-संस्कृति वर्तमान में भारतीय संस्कृति पर हिन्दी फिल्मों का बुरा प्रभाव June 12, 2014 by विकास कुमार | 1 Comment on वर्तमान में भारतीय संस्कृति पर हिन्दी फिल्मों का बुरा प्रभाव -विकास कुमार- भारतीय संस्कृति पर वर्तमान समय में हिन्दी फिल्मों का बुरा प्रभाव पढ़ रहा हैं| आजकल आने वाली लगभग सभी फिल्मों में हिन्दी फिल्मों में अश्लीलता, चरित्रहीनता आदि बातो को दर्शाया जा रहा है| जिसका हमारे देश के युवाओं पर बुरा प्रभाव पढ़ रहा है| फ़िल्म निर्माता अपने लाभ के लिये फिल्मो में अश्लीलता […] Read more » फिल्म का प्रभाव भारतीय संस्कृति संस्कृति प्रभाव हिन्दी फिल्म
कला-संस्कृति ‘क्या हम मनुष्य हैं?’ June 4, 2014 / June 4, 2014 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment -मनमोहन कुमार आर्य- मनुष्य कौन है, कौन नहीं? मनुष्य किसे कहते हैं व मनुष्य की परिभाषा क्या हैं? हम समझते हैं कि यदि सभी मत-मतान्तरों के व्यक्तियों से इसकी परिभाषा बताने को कहा जाये तो सब अपनी-अपनी अलग परिभाषा करेंगे। वह सब ठीक भी हो सकती हैं परन्तु हम अनुभव करते हैं कि सर्वांगपूर्ण परिभाषा […] Read more » ‘क्या हम मनुष्य हैं?’ मनुष्य मनुष्य जीवन
कला-संस्कृति यदि आर्य समाज स्थापित न होता तो क्या होता? May 13, 2014 by मनमोहन आर्य | 1 Comment on यदि आर्य समाज स्थापित न होता तो क्या होता? -मनमोहन कुमार आर्य- इस समय वेद व सृष्टि सम्वत् 1,96,08,53,115 आरम्भ हो रहा है। द्वापर युग की समाप्ति पर लगभग 5,000 वर्ष पूर्व महाभारत का प्रसिद्ध युद्ध हुआ था। इस प्रकार लगभग 1,96,08,48,00 वर्ष पूर्व महाभारत युद्ध तक सारे भूमण्डल पर एक ही वैदिक धर्म व संस्कृति विद्यमान थी। महाभारत युद्ध से धर्म व संस्कृति […] Read more » आर्य आर्य समाज आर्य समाज का महत्व