कला-संस्कृति वर्त-त्यौहार रंगहीन होली स्वादहीन होली: होली और विवाद March 12, 2025 / March 12, 2025 by सचित्र मिश्र | Leave a Comment आजकल त्यौहारों के साथ विवाद मुफ़्त मिलता है। यह एक फैशन सा हो गया है। एक धर्म के त्यौहार पर दूसरे धर्म का व्यक्ति ज्ञान देता है। प्राइम टाइम पर टीवी में डिबेट आयोजित करके परस्पर विरोधी मत रखने वाले लोगों को जानबूझकर भिड़ाया जाता है, एक दो जन प्रतिनिधियों के विवादित बयान चलाकर माहौल गर्म […] Read more » Colourless Holi Tasteless Holi Holi and Controversy होली और विवाद
कला-संस्कृति होली पर सच्चाई के रंग भरे और सब एक हो जायें March 11, 2025 / March 11, 2025 by ललित गर्ग | Leave a Comment – ललित गर्ग – होली एक ऐसा त्योहार है, जिसका धार्मिक ही नहीं बल्कि सांस्कृतिक-आध्यात्मिक दृष्टि से विशेष महत्व है। पौराणिक मान्यताओं की रोशनी में होली के त्योहार का विराट् समायोजन बदलते परिवेश में विविधताओं का संगम बन गया है, दुनिया को जोड़ने का माध्यम बन गया है। हमारी संस्कृति की सबसे बड़ी विशेषता है […] Read more » होली
कला-संस्कृति भगवान विष्णु ने नरसिंह अवतार लेकर हिरण्यकश्यप का किया था वध March 11, 2025 / March 11, 2025 by संजय कुमार | Leave a Comment पूर्णिया से हुई थी होली की शुरुआत नरसिंह अवतार का खम्बा आज भी मौजूद है संजय कुमार सुमन होलिका दहन को लेकर मान्यता है कि इसकी शुरुआत सबसे पहले बिहार के पूर्णिया जिले में हुई थी। जिले के बनमनखी के धरहरा गांव में पहली होली खेली गई थी। ऐसा कहा जाता हैं कि भक्त […] Read more » Holi पूर्णिया से हुई थी होली की शुरुआत
कला-संस्कृति जीवन के लिये प्रकृति-वन्यजीवों का संरक्षण जरूरी March 3, 2025 / March 3, 2025 by ललित गर्ग | Leave a Comment विश्व वन्यजीव दिवस- 3 मार्च, 2025-ललित गर्ग-वर्तमान परिप्रेक्ष्य में कई प्रजाति के जीव-जंतु, प्राकृतिक स्रोत एवं वनस्पति विलुप्त हो रहे हैं, जिससे पृथ्वी असंतुलित हो रही है। विलुप्त होते जीव-जंतु और वनस्पति की रक्षा के लिये विश्व-समुदाय को जागरूक करने के लिये ही विश्व वन्यजीव दिवस को मनाया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य दुनिया के […] Read more » विश्व वन्यजीव दिवस- 3 मार्च
कला-संस्कृति यूपी में 5 आध्यात्मिक कॉरिडोर से पर्यटन को मिलेगी और रफ्तार March 3, 2025 / March 3, 2025 by रामस्वरूप रावतसरे | Leave a Comment रामस्वरूप रावतसरे प्रयागराज महाकुंभ 2025 ने उत्तर प्रदेश में आध्यात्मिक एवं धार्मिक पर्यटन की नई संभावनाओं के द्वार खोल दिए हैं। इस महाकुंभ के दौरान उत्तर प्रदेश सरकार ने पाँच प्रमुख आध्यात्मिक गलियारे विकसित किए हैं। इसके बारे में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने धर्मनगरी कहलाने वाले प्रयागराज में बहुत प्रमुखता के साथ किया […] Read more » यूपी में 5 आध्यात्मिक कॉरिडोर
कला-संस्कृति धर्म-अध्यात्म प्रयागकुम्भ की उत्पत्ति तथा इतिहास February 27, 2025 / February 27, 2025 by आत्माराम यादव पीव | Leave a Comment आत्माराम यादव पीव पृथिव्यां कुम्भयोगस्य चतुर्धा भेट उच्यते। चतुस्थले च पतनात् सुधाकुम्मस्य भूतले ।। विष्णुद्वारे तीर्थराजेऽपन्त्यां गोदावरी तटे। सुधाबिन्दुविनिक्षेपात् कुम्मपर्वेति विश्रुतम्।।” अर्थात अमृतकुम्भ के छलकने पर पृथ्वीतल में चार स्थानों-हरिद्वार, प्रयाग, उज्जैन तथा गोदावरी तट अर्थात् नासिक में अमृतकण गिरने से कुंभपर्व शुरू हुआ। दूसरे श्लीक में प्रयाग में होने वाले कुम्भपर्व की ग्रहस्थिति और महिमा के बारे में उद्धृत किया हैं- मकरे च दिवाकरे यूपगे […] Read more » प्रयागकुम्भ की उत्पत्ति
कला-संस्कृति धर्म-अध्यात्म ‘महाशिवरात्रि’ के आध्यात्मिक और वैज्ञानिक रहस्यों को ऐसे समझिए, जनकल्याणक है February 27, 2025 / February 27, 2025 by कमलेश पांडेय | Leave a Comment कमलेश पांडेय शिव पूजा का तातपर्य हमेशा लोककल्याणकारी-जनकल्याणकारी कार्यों से है। इसलिए ‘महाशिवरात्रि’ के आध्यात्मिक और वैज्ञानिक रहस्यों को अवश्य समझना चाहिए। यथासम्भव दूसरों को बतलाना चाहिए। शिवकथा का उद्देश्य यही है जो जन कल्याणक और लोकमंगलकारी है। शिवरात्रि अर्थात् भगवान शिवजी की रात्रि। पौराणिक कथाओं के अनुसार इसी तिथि की रात्रि को भगवान शिवजी का विवाह पार्वती जी से हुआ था। लिहाजा, यह भगवान शिवजी की आराधना की रात्रि है जो फाल्गुन कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी (चौदस) को मनायी जाती है। क्या आपको पता है कि जब अन्य देवताओं का पूजन-यजन दिन में होता है तो फिर शिवजी का पूजन रात्रि में ही क्यों, अक्सर यह विचार आपके मन में उत्पन्न हो सकता है। इसलिए आपको बता दें कि भगवान शिव तमोगुण प्रधान संहार के देवता हैं। अत: तमोमयी रात्रि से उनका ज्यादा स्नेह है। चूंकि रात्रि संहारकाल का प्रतिनिधित्व करती है। कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी में रात्रिकालीन प्रकाश का स्रोत चन्द्रमा भी पूर्ण रूप से क्षीण होता है। लिहाजा जीवों के अन्दर भी तामसी प्रवृत्तियाँ कृष्ण पक्ष की रात में बढ़ जाती हैं। यही वजह है कि जैसे पानी आने से पहले पुल बाँधा जाता है, उसी प्रकार चन्द्र क्षय तीज आने से पहले उन तामसी प्रवृत्तियों के शमन (निवारण) हेतु भगवान आशुतोष (शिव) की आराधना का विधान शास्त्रकारों ने बनाया। यही रहस्य है जो लोककल्याणक है। मंगलकारी है। दरअसल, संहार के पश्चात् नई सृष्टि अनिवार्य है अर्थात् संहार के बाद पुन: सृष्टि होती है। इसलिए आप देखते हैं कि फाल्गुन मास में सभी पेड़-पौधों (लगभग सभी) के पत्ते झड़ जाते हैं उसके बाद ही नई पत्तियाँ निकलती हैं। इसे सृष्टि का नया स्वरूप जानो। समझो। महाशिवरात्रि इसके निखरने की पावन बेला है। सवाल है कि महाशिवरात्रि पर लोग उपवास और रात्रि जागरण क्यों करते हैं? इसकी धार्मिक विधि क्या है? से स्पष्ट करें? क्या इसका कोई वैज्ञानिक कारण है? यहां पर आपकी जिज्ञासा शांति के लिए बता दें कि जिस प्रकार शराब, भाँग, गाँजा, अफीम आदि पदार्थों में मादकता (नशा) होती है उसी प्रकार अन्न में भी मादकता होती है। शायद कुछ लोग इस बात को न जानते हों किन्तु यह सत्य है कि अन्न में मादकता होती है। आप भोजन करने के बाद शरीर में शिथिलता और आलस्य महसूस करते होंगे जबकि सिर्फ फलाहार या मात्र दूध का सेवन करने से आलस्य नहीं महसूस होता है। लिहाजा, अन्न की मादकता कम करने के लिए ही पूर्वकाल के मनीषियों ने उपवास/व्रत को प्राथमिकता दी। क्योंकि उपवास करने से शरीर की मादकता कम होती है जिससे शुद्धता आती है और मन धार्मिक कार्यों में लगता है। वहीं, रात्रि जागरण का अर्थ निद्रा और आलस्य को त्यागने से है। प्राचीनकाल के ऋषि-महर्षियों ने अपनी कठिन तपस्याओं के पश्चात् यह निष्कर्ष निकाला कि निद्राकाल को ‘काल’ का स्वरूप जानो, क्योंकि इन्सान की आयु श्वाँसों पर निर्धारित है। प्रत्येक इन्सान को परमात्मा की ओर से एक निश्चित श्वाँसें ही मिली हैं और जागृत (जागते हुए) अवस्था से ज्यादा श्वाँसें सुप्तावस्था (सोये हुए) में नष्ट होती हैं। अतएव जितनी श्वाँसें आप बचायेंगे, आपकी आयु उसी हिसाब में बढ़ती चली जायेगी। मसलन, आपने प्रमाण भी देखा होगा कि कुछ ऋषि-मुनि एक सौ पचास वर्षों तक या उससे ज्यादा जीवित रहे। क्या आपने कभी जानने का प्रयास किया कि ऐसा क्यों? आखिर हम और आप क्यों नहीं जीवित रह सकते? इसका एक मात्र कारण है योगासन! इस प्रकार उनकी आयु बढ़ती चली जाती थी। आप भी योगासन करके लम्बी आयु प्राप्त कर सकते हैं। आजकल वैज्ञानिक और डॉक्टर भी योगासन को महत्व देते हैं। कभी-कभी उपवास भी करने को कहते हैं। जिससे शरीर की पाचन प्रक्रिया सही बनी रहे। वहीं, एक सवाल यह भी है कि शिवलिंग की पूजा क्यों करते हैं? क्या इसमें कोई वैज्ञानिक रहस्य भी छिपा हुआ है? तो यह जान लीजिए कि शिव और शिवलिंग की पूजा किसी-न-किसी रूप में सम्पूर्ण विश्व में अनादि काल से होती चली आ रही है। इस समाज के कुछ आलोचक ऐसे हैं जो ‘लिंग’ शब्द का अर्थ अश्लीलता से जोड़कर सभ्य और धार्मिक विचार वाले व्यक्तियों को दिग्भ्रमित करने का प्रयास करते हैं। यह मूर्खतापूर्ण प्रयास है क्योंकि शिवलिंग का स्वरूप आकार विशेष से रहित है अर्थात् निराकार ब्रह्म के उपासक जिस प्रकार हाथ-पैर, शरीर रहित, रूप-रंग रहित ब्रह्म की उपासना करते हैं। ऐसा ही शिवलिंग का स्वरूप है। आपको पता होना चाहिए कि जब संसार में कुछ नहीं था, सर्वत्र शून्य (०) या अण्डे के आकार का, जिसे वेदों पुराणों की भाषा में ‘अण्ड’ कहा जाता है, वैसा ही स्वरूप शिवलिंग का है जिससे सिद्ध होता है कि शिव और शिवलिंग अनादि काल से हैं। जिस प्रकार से यह ० (शून्य) किसी अंक के दाहिनी ओर होने पर उस अंक के महत्व को दस गुणा बढ़ा देता है, उसी प्रकार से शिव भी दाहिने होकर अर्थात् अनुकूल होकर मनुष्य को सुख-समृद्धि और मान-सम्मान प्रदान करते हैं। इसलिए जनकल्याणक, लोककल्याण कारी बने रहिए। चूंकि ग्यारह रुद्रों में भगवान शिव की गणना होती है और एकादश (ग्यारह) संख्यात्मक होने के कारण भी यह पर्व हिन्दी (वर्ष) के ग्यारहवें महीने में ही सम्पन्न होता है। इसलिए श्रद्धा एवं उत्साह पूर्वक शिवरात्रि मनाइए। कमलेश पांडेय Read more » Understand the spiritual and scientific secrets of 'Mahashivratri' in this way महाशिवरात्रि
कला-संस्कृति धर्म-अध्यात्म महाकुंभ की सफलता ने दुनिया को चौंकाया February 27, 2025 / February 27, 2025 by ललित गर्ग | Leave a Comment -ः ललित गर्ग:-समुद्र मंथन के दौरान निकले कलश से छलकीं अमृत की चंद बूंदों से युगों पहले शुरू शुरू हुई कुंभ स्नान की परंपरा का तीर्थराज प्रयागराज की धरती पर बीते 13 जनवरी से आयोजित हुए दिव्य-भव्य और सांस्कृतिक-धार्मिक समागम महाकुम्भ ने बुधवार को महाशिवरात्रि के अंतिम स्नान पर्व पर 66 करोड़ का आंकड़ा पारकर […] Read more » The success of Maha Kumbh surprised the world महाकुंभ की सफलता
कला-संस्कृति न्यायप्रिय और शौर्य की प्रतिमूर्ति महाराज विक्रमादित्य February 26, 2025 / February 26, 2025 by मनोज कुमार | Leave a Comment विक्रमोत्सव-2025 के अवसर पर विशेष लेखमनोज कुमारभारतवर्ष का इतिहास अनेक न्यायप्रिय और अदम्य साहस दिखाने वाले शासकों से पुष्पित-पल्लवित है। दुर्भाग्य से ऐसे शासकों के प्रति हमारी नवागत पीढ़ी अनजान सी है या उन्हें आधी-अधूरी जानकारी दी गई। मालवा के महाराज विक्रमादित्य से भला कौन परिचित नहीं है? लेकिन नवागत पीढ़ी को यह नहीं मालूम […] Read more » Maharaja Vikramaditya was an epitome of justice and bravery महाराज विक्रमादित्य शौर्य की प्रतिमूर्ति महाराज विक्रमादित्य
कला-संस्कृति राष्ट्रीय एकता और अखण्डता के प्रतीक हैं देवाधिदेव शिव February 26, 2025 / February 26, 2025 by योगेश कुमार गोयल | Leave a Comment महाशिवरात्रि (26 फरवरी) पर विशेष– योगेश कुमार गोयलभगवान शिव के प्रति श्रद्धा और भक्ति व्यक्त करने का विशेष अवसर है महाशिवरात्रि, जो भगवान शिव और माता पार्वती के मिलन का दिन माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव की पूजा करने से भक्तों की समस्त मनोकामनाएं पूरी होती हैं और महाशिवरात्रि का […] Read more » महाशिवरात्रि
कला-संस्कृति शिवरात्रि है शिव से साक्षात्कार का महापर्व February 26, 2025 / February 26, 2025 by ललित गर्ग | Leave a Comment महाशिवरात्रि- 26 फरवरी 2025 पर विशेष-ः ललित गर्ग:- आदि देव महादेव शिव सभी देवताओं में सर्वोच्च हैं, महानतम हैं, दुःखों को हरने एवं पापों का नाश करने वाले हैं। वे कल्याणकारी हैं तो संहारकर्ता भी हैं। वे आशुतोष है तो भोले शंकर भी है, एक ओर जन-जन के आदर्श है तो दूसरी ओर साधकों के […] Read more » shivaratri Shivaratri is the great festival of meeting Shiva शिवरात्रि
कला-संस्कृति धर्म-अध्यात्म महाकुंभ ने रचा इतिहास : योगी सरकार का अतुल्य प्रयास February 25, 2025 / March 25, 2025 by डॉ. सौरभ मालवीय | Leave a Comment -डॉ. सौरभ मालवीयउत्तर प्रदेश के प्रयाग में आयोजित महाकुंभ सफलतापूर्वक संपन्न हो गया। चूंकि उत्तर प्रदेश धार्मिक दृष्टि से अत्यंत समृद्ध राज्य है, इसलिए प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ धार्मिक एवं सांस्कृतिक गतिविधियों पर विशेष ध्यान दे रहे हैं। इसके अंतर्गत योगी सरकार ने महाकुंभ के भव्य आयोजन के लिए 6,990 करोड़ रुपये आवंटित किए […] Read more » Maha Kumbh created history: Incredible effort of Yogi government महाकुंभ