बच्चों का पन्ना बच्चों के चेहरे चेहरे पर जगह जगह पर राम लिखा है October 5, 2012 / October 5, 2012 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | Leave a Comment बच्चों के चेहरे चेहरे पर जगह जगह पर राम लिखा है| कहीं कहीं पर कृष्ण लिखा है कहीं कहीं बलराम लिखा है| अल्लाह अल्लाह लिखा लिखा हुआ है,ईसा का भी नाम लिखा है| बच्चों के स्मित ओंठों पर निश्छल और निष्काम लिखा है| हाथ पैर अंगुली पंजों पर सच्चाई श्रमदान लिखा है| दिल […] Read more » poem for kids
बच्चों का पन्ना भेद भाव यह कैसा मम्मी October 3, 2012 / October 3, 2012 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | Leave a Comment भैया तो शाला जाता है, मुझे नहीं जाने देती माँ| भैया दूध मलाई खाता, मुझे नहीं खाने देती माँ|| मैं लड़की हूं शायद इससे, भेद भाव मुझसे होता है| सदा ध्यान मम्मी पापा का, हरदम भैया पर होता है| भैया कुछ भी गाता रहता, मुझे नहीं गाने देती मां|| भैया को तो हर […] Read more » भेद भाव यह कैसा मम्मी
बच्चों का पन्ना एक थे मुन्नालाल October 3, 2012 / October 2, 2012 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | Leave a Comment दुनियाँ में साहित्य और भाषा का बड़ा महत्व है|मुहावरे दार भाषा हो तो क्या कहने,सुनने वाले की तबियत बाग बाग हो जाती है|अब देखिये न एक मुहावरा है जैसे को तैसा|यह मुहावरा दैनिक जीवन में बड़े काम का है|कई लोग इस मुहावरे का प्रायोगिग रूप से उपयोग करते हैं|अंग्रेजी में भी टिट फार टेट की […] Read more » story for kids
बच्चों का पन्ना अम्मू भाई October 2, 2012 / October 2, 2012 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | 1 Comment on अम्मू भाई दादी हार गईं हैं लगा लगा कर टेरा| अम्मू भाई उठो हुई शाला की बेरा| मम्मी ने तो आलू डोसे पका दिये हैं| मन पसंद हैं तुम्हें ,समोसे बना दिये हैं| पापा खड़े हुये हैं लेकर बस्ता तेरा| अम्मू भाई उठो हुई शाला की बेरा| देखो उठकर भोर सुहानी धूप सुनहली| बैठी है […] Read more » poem for kids
बच्चों का पन्ना चलने वाले घर October 2, 2012 / October 2, 2012 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | Leave a Comment पता नहीं चलने वाले घर, अब क्यों नहीं बनाते लोग| बाँध के रस्सी खींच खींच कर, इधर उधर ले जाते लोग| कभी आगरा कभी बाम्बे, दिल्ली नहीं नहीं घुमाते लोग| एक जगह स्थिर घर क्यों हैं, पहिया नहीं लगाते लोग| पता नहीं क्यों कारों जैसे, सड़कों पर ले जाते लोग| अथवा मोटर रिक्शों […] Read more » poem for kids
बच्चों का पन्ना जंगल का प्रजातंत्र October 2, 2012 / October 2, 2012 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | 2 Comments on जंगल का प्रजातंत्र बहुत ही सुहावना मौसम था सुबह ही झमाझम बारिस हो चुकी थी और अब गुनगुनी धूप निकल आई थी|जंगल के सभी जानवर खुशी के मारे उछल कूद कर रहे थे|हत्थू हाथी को भी बहुत मज़ा आ रहा था| उसे ऐसा लग रहा था कि कोई जोरदार खेल हो जाये|अचानक सामने से लल्लू शेर आता दिखाई […] Read more » story for kids
बच्चों का पन्ना तो आवश्यक बुद्धि विकास| October 1, 2012 / October 1, 2012 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | Leave a Comment जितना दूर समझते हो तुम, उतना दूर नहीं आकाश| दृढ़ विश्वास सबल शक्ति हो, तो पाओगे बिल्कुल पास| अगर नहीं छू पाये तो भी, मत होना तुम कभी उदास| सूरज लाखों मील दूर है, देने आता तुम्हें प्रकाश| ऊँचा रखना शीश हमेशा, कभी न होना शीघ्र उदास| तुम पर ही दुनियाँ निर्भर है, […] Read more » poem for kids
कविता बच्चों का पन्ना आधी रात बीत गई September 30, 2012 / October 2, 2012 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | Leave a Comment प्रभुदयाल श्रीवास्तव आठ लोरियां सुना चुकी हूँ, परियों वाली कथा सुनाई| आधी रात बीत गई बीत भैया, अब तक तुमको नींद न आई| थपकी दे दे हाथ थक गये, कंठ बोल बोल कर सूखा| अब तो सोजा राजा बेटा, तू है मेरा लाल अनोखा| चूर चूर मैं थकी हुई हूं, सचमुच लल्ला राम दुहाई| […] Read more » poem for kids
बच्चों का पन्ना अगर पेड़ में रुपये फलते-प्रभुदयाल श्रीवास्तव September 30, 2012 / September 30, 2012 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | Leave a Comment माननीय परमभट्टारक शहंशाहे आलिया प्रधान मंत्री जी की सेवा में पेश एक बाल गीत हम नादान बच्चों की तरफ से| अगर पेड़ में रुपये फलते [बाल गीत] टप् टप् टप् टप् रोज टपकते| अगर पेड़ में रुपये फलते| सुबह पेड़ के नीचे जाते ढ़ेर पड़े रुपये मिल जाते थैलों में भर भर कर रुपये […] Read more » poem for kids
कविता बच्चों का पन्ना बिना पन्हैंयां-प्रभुदयाल श्रीवास्तव September 30, 2012 / October 2, 2012 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | Leave a Comment बिना पन्हैंयां तपी धूप में, कैसे चल पायें| चलो नीम के नीचे बैठें ,थोड़ा सुस्तायें|| दौड़ भाग में टूटे जूते, कहीं छोड़ आये| हार गये पापा से कहकर, नये नहीं लाये|| अम्मा ने की नहीं सिफारिश ,दादाजी चुपचाप| जूते नहीं लायेंगे पापा ,बिना कहे ही आप|| चलो आज इसकी खातिर, दादी को […] Read more » poem for kids
बच्चों का पन्ना यहां कुत्ते रहते हैं September 29, 2012 / September 27, 2012 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | 2 Comments on यहां कुत्ते रहते हैं बहुत दिनों बाद इंदौर आना हुआ तो पुराने साथियों की याद आ गई|जय प्रकाश गुप्ता और मैं कई साला एक ही विभाग में काम करते रहे|नदी के उस पार ‘क्षिप्रा’ में मैं पदस्थ था और वह इस पार ‘बरलई’ में|वहीं रहते हुये उसने इंदौर में एक प्लाट खरीदकर मकान बनवा लिया था| एक बार में […] Read more » यहां कुत्ते रहते हैं
बच्चों का पन्ना व्यंग्य थोड़ा सा फर्क September 28, 2012 / September 27, 2012 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | 13 Comments on थोड़ा सा फर्क “दादाजी दादाजी ‘बनाना’ को हिंदी में क्या बोलते हैं?” “बेटे ‘बनाना’ को हिंदी में केला कहते हैं|” “और दादाजी वो जो राउंड ,राउंड, ऱेड, रेड एप्पिल होता है न उसको हिंदी में क्या बोलते हैं?” “बेटे उसको सेब बोलते हैं|” मेरा नाती मुझसे सवाल पूँछ रहा था और मैं जबाब दे रहा था| “आच्छा..आपको तो […] Read more » story for kids थोड़ा सा फर्क