चिंतन धर्म-अध्यात्म सन्ध्या व अग्निहोत्र यज्ञ का महत्व व लाभ October 9, 2017 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment सन्ध्या एक शास्त्रीय विधान है जिसका अनुष्ठान प्रत्येक स्त्री व पुरुष का कर्तव्य है। शैशव काल से माता-पिता के सान्निध्य से इसका आरम्भ हो जाता है। गुरुकुल व विद्यालयों में बच्चे अपने आचार्य के सान्निध्य में इसे करते हैं और गृहस्थ व अन्य आश्रमों में रहते हुए इसे प्रातः व सायं दोनों समय बिना […] Read more » Featured अग्निहोत्र यज्ञ अग्निहोत्र यज्ञ का महत्व सन्ध्या सन्ध्या का महत्व सन्ध्या का लाभ सन्ध्या लाभ
चिंतन धर्म-अध्यात्म आज का मनुष्य मनुष्योचित गुणों से हीन उसकी आकृति मात्र है July 15, 2017 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य संसार के अनेक प्राणियों में मनुष्य नाम व आकृति वाला भी एक प्राणी है। संसार के प्राणी दो व चार पैर वाले हैं जिनमें मनुष्य ही सम्भवतः दो हाथ व दो पैरों वाला प्रमुख व विशेष प्राणी है। मनुष्य की विशेषता इसकी विशेष आकृति व आकृति के अतिरिक्त इसमें विशेष बुद्धि तत्व […] Read more » मनुष्य
चिंतन धर्म-अध्यात्म ऋषि दयानन्द जीवन के प्रमुख महान कार्य June 19, 2017 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment ऋषि दयानन्द का पहला प्रमुख कार्य तो उनका गुरु विरजानन्द जी से आर्ष शिक्षा को प्राप्त करना था जिससे वह वेदों के यथार्थ स्वरूप सहित वेद मन्त्रों के यथार्थ अर्थ जान सके। यदि यह न हुआ होता तो फिर ऋषि दयानन्द, दयानन्द व स्वामी दयानन्द ही रहते जैसे कि आज अनेकानेक साधु संन्यासी व विद्वान हैं। कोई उनको जानता भी न। गुरु विरजानन्द जी की शिक्षा ने उन्हें संसार के सभी विद्वानों से अलग किया जिसका कारण उनकी प्रत्येक मान्यता का आधार वेद सहित सत्य व तर्क पर आधारित होने के साथ उनका सृष्टि क्रम के अनुकूल होना भी है। Read more » Featured ऋषि दयानन्द जीवन के प्रमुख महान कार्य
चिंतन धर्म-अध्यात्म जानिए वास्तु अनुसार आदर्श घर कैसा होना चाहिए? June 14, 2017 by पंडित दयानंद शास्त्री | 17 Comments on जानिए वास्तु अनुसार आदर्श घर कैसा होना चाहिए? वास्तु कुछ नियमों का पालन का विकास करने,इमारतों और हमारे आसपास के प्राकृतिक सकारात्मक ऊर्जा को बनाए रखने के लिए एक बहुत पुरानी प्रथा है। भारतीय सभ्यता की यह सदियों पुरानी प्रथा अद्भुत परिणाम देती है और इसके चिकित्सकों का जीवन सफल, समृद्ध और शांतिपूर्ण बनाती है |बढ़ती हुई आबादी और जगह की कमी की […] Read more » Featured वास्तु अनुसार आदर्श घर
चिंतन धर्म-अध्यात्म ईश्वर से विज्ञान एवं राज्यादि ऐश्वर्य की प्रार्थना होने से वेद संसार के सर्वोत्तम धर्मग्रन्थ January 30, 2017 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य महर्षि दयानन्द महाभारत काल के पहले व्यक्ति हैं जिन्होंने संसार को ईश्वर, जीव व प्रकृति, इन तीन सत्ताओं का सिद्धान्त दिया जिसे त्रैतवाद के नाम से जाना जाता है। यह सिद्धान्त युक्ति, तर्क तथा प्रत्यक्षादि प्रमाणों से भी सिद्ध होता है। इस कारण इसके विपरीत अन्य सभी सिद्धान्त अपूर्ण व दोषपूर्ण होने […] Read more » ईश्वर राज्यादि ऐश्वर्य की प्रार्थना विज्ञान वेद संसार के सर्वोत्तम धर्मग्रन्थ
चिंतन धर्म-अध्यात्म सभी मनुष्यों के करणीय पाचं सार्वभौमिक कर्तव्य November 15, 2016 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनुष्य का जन्म माता-पिता व सृष्टिकर्ता ईश्वर के द्वारा होता है। ईश्वर द्वारा ही सृष्टि की रचना सहित माता-पिता व सन्तान का जन्म दिये जाने से ईश्वर प्रथम स्थान पर व माता-पिता उसके बाद आते हैं। आचार्य बालक व मनुष्य को संस्कारित कर विद्या व ज्ञान से आलोकित करते हैं। अतः अपने आचार्यों के प्रति भी मनुष्यों का कर्तव्य है कि वह अपने सभी आचार्यों के प्रति श्रद्धा का भाव रखंे और उनकी अधिक से अधिक सेवा व सहायता करें। Read more » पाचं सार्वभौमिक कर्तव्य सभी मनुष्यों के करणीय पाचं सार्वभौमिक कर्तव्य
चिंतन धर्म-अध्यात्म ऋषि दयानन्द के जीवन के अन्तिम प्रेरक शिक्षाप्रद क्षण November 15, 2016 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment स्वामी दयानन्द जी का जीवन आदर्श मनुष्य, महापुरुष व महात्मा का जीवन था। उन्होने अपने पुरुषार्थ से ऋषित्व प्राप्त किया और अपने अनुयायियों के ऋषित्व प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त किया। एक ऋषि का जीवन कैसा होता है और ऋषि की मृत्यु किस प्रकार होती है, ऋषि दयानन्द का जीवनचरित उसका प्रमाणिक दस्तावेज हैं जिसका अध्ययन व मनन कर सभी अपने जीवन व मृत्यु का तदनुकूल वरण व अनुकरण कर सकते हैं। हम आशा करते हैं कि पूर्व अध्ययन किये हुए ऋषि भक्तों को इसे पढ़कर मृत्यु वरण के संस्कार प्राप्त होंगे। इसी के साथ यह चर्चा समाप्त करते हैं। ओ३म् शम्। Read more » death of Swami dayanand Featured ऋषि दयानन्द ऋषि दयानन्द के भक्तों की प्रशंसा पुराणों की आलोचना पौराणिक छात्र को फटकार
चिंतन धर्म-अध्यात्म ईश्वर और जीवात्मा का परस्पर सम्बन्ध July 4, 2016 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य हम अनुभव करते हैं कि यह विषय मनुष्यों के विचार करने व जानने हेतु उत्तम विषय है। यह तो हम जानते ही हैं कि ईश्वर इस सृष्टि का कर्ता व रचयिता है व इसका तथा प्राणी जगत का पालन करता है। यह भी जानते हैं कि जब इस सृष्टि की अवधि पूरी […] Read more » ईश्वर और जीवात्मा ईश्वर और जीवात्मा का परस्पर सम्बन्ध
चिंतन धर्म-अध्यात्म नारियां शुभ, शोभा, शोभनीयता गुणों से सुशोभित हों : ऋग्वेद May 20, 2016 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य हम सन् 1970 व उसके कुछ माह बाद आर्यसमाज के सम्पर्क में आये थे। हमारे कक्षा 12 के एक पड़ोसी मित्र स्व. श्री धर्मपाल सिंह आर्यसमाजी थे। हम दोनों में धीरे धीरे निकटतायें बढ़ने लगी। सायं को जब भी अवकाश होता दोनों घूमने जाते और यदि कहीं किसी भी मत व संस्था […] Read more » नारियां शुभ नारियां शोभनीयता गुणों से सुशोभित हों शोभा
चिंतन धर्म-अध्यात्म पण्डित गुरुदत्त विद्यार्थी का पावन एवं प्रेरणाप्रद जीवन April 26, 2016 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment आज 26 अप्रैल जयन्ती पर मनमोहन कुमार आर्य महान कार्य करने वाले लोगों को महापुरुष कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि महापुरुष अमर होते हैं। भारत में महापुरुषों की एक लम्बी श्रृंखला वा परम्परा है। ऐसे ही एक महापुरुष पं. गुरुदत्त विद्यार्थी थे। आप उन्नीसवीं शताब्दी में तेजी से पतन को प्राप्त हो रहे […] Read more » पण्डित गुरुदत्त विद्यार्थी
चिंतन धर्म-अध्यात्म आत्मा का स्वराज्य April 25, 2016 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य डा. रामनाथ वेदालंकार जी वेदों के प्रसिद्ध विद्वान थे। अनेक विद्वानों के श्रीमुख से हमने उनके लिए वेदमूर्ति सम्बोधन द्वारा उनका यशोगान भी सुना है। उनकी मृत्यु पर मूर्धन्य विद्वानों ने विवेचना पूर्वक उन्हें मोक्षपद का उत्तराधिकारी भी कहा था। हमारा सौभाग्य है कि हमें उनके साथ जीवन का कुछ समय व्यतीत […] Read more » आत्मा का स्वराज्य
चिंतन धर्म-अध्यात्म जैन धर्म के चौबीसवें तीर्थंकर महावीर जैन April 18, 2016 by अशोक “प्रवृद्ध” | Leave a Comment -अशोक “प्रवृद्ध” सत्य और अहिंसा का पाठ पढाकर मानव समाज को अन्धकार से प्रकाश की ओर लाने वाले महापुरुष जैन धर्म के चौबीसवें तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी का जन्म ईसा से 599 वर्ष पूर्व चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को ईस्वी काल गणना के अनुसार सोमवार, दिनांक 27 मार्च, 598 ईसा […] Read more » Featured चौबीसवें तीर्थंकर महावीर जैन जैन धर्म महावीर जैन