धर्म-अध्यात्म ऋषि दयानन्द के दो मुख्य मन्तव्य और उनके अनुसार मनुष्य का कर्तव्य November 18, 2016 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य ऋषि दयानन्द ने अपने विश्व विख्यात ग्रन्थ ‘सत्यार्थप्रकाश’ के अन्त में ‘स्वमन्तव्यामन्तव्य प्रकाश’ के अन्तर्गत अपने निजी मन्तव्यों का प्रकाश किया है। अपना निजी मन्तव्य बताते हुए वह लिखते हैं कि ‘मैं अपना मन्तव्य उसी को जानता हूं कि जो तीन काल में सबको एक सा मानने योग्य है। मेरा कोई नवीन […] Read more » ऋषि दयानन्द ऋषि दयानन्द के अनुसार मनुष्य का कर्तव्य ऋषि दयानन्द के दो मुख्य मन्तव्य
धर्म-अध्यात्म ‘जाने चले जाते हैं कहां दुनियां से जाने वाले’ का वैदिक समाधान November 17, 2016 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment जाने चले जाते हैं कहां? दुनियां से जाने वाले’ प्रश्न का उत्तर केवल वैदिक साहित्य में ही सुलभ होता है। ऐसा ही एक प्रश्न यह भी हो सकता है ‘जाने चले आते हैं कहांसे दुनियां में आने वाले।’ इन दो प्रश्नों में से एक प्रश्न का उत्तर मिल जाये तो दूसरे का उत्तर स्वतः मिल जायेगा। Read more »
चिंतन धर्म-अध्यात्म सभी मनुष्यों के करणीय पाचं सार्वभौमिक कर्तव्य November 15, 2016 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनुष्य का जन्म माता-पिता व सृष्टिकर्ता ईश्वर के द्वारा होता है। ईश्वर द्वारा ही सृष्टि की रचना सहित माता-पिता व सन्तान का जन्म दिये जाने से ईश्वर प्रथम स्थान पर व माता-पिता उसके बाद आते हैं। आचार्य बालक व मनुष्य को संस्कारित कर विद्या व ज्ञान से आलोकित करते हैं। अतः अपने आचार्यों के प्रति भी मनुष्यों का कर्तव्य है कि वह अपने सभी आचार्यों के प्रति श्रद्धा का भाव रखंे और उनकी अधिक से अधिक सेवा व सहायता करें। Read more » पाचं सार्वभौमिक कर्तव्य सभी मनुष्यों के करणीय पाचं सार्वभौमिक कर्तव्य
चिंतन धर्म-अध्यात्म ऋषि दयानन्द के जीवन के अन्तिम प्रेरक शिक्षाप्रद क्षण November 15, 2016 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment स्वामी दयानन्द जी का जीवन आदर्श मनुष्य, महापुरुष व महात्मा का जीवन था। उन्होने अपने पुरुषार्थ से ऋषित्व प्राप्त किया और अपने अनुयायियों के ऋषित्व प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त किया। एक ऋषि का जीवन कैसा होता है और ऋषि की मृत्यु किस प्रकार होती है, ऋषि दयानन्द का जीवनचरित उसका प्रमाणिक दस्तावेज हैं जिसका अध्ययन व मनन कर सभी अपने जीवन व मृत्यु का तदनुकूल वरण व अनुकरण कर सकते हैं। हम आशा करते हैं कि पूर्व अध्ययन किये हुए ऋषि भक्तों को इसे पढ़कर मृत्यु वरण के संस्कार प्राप्त होंगे। इसी के साथ यह चर्चा समाप्त करते हैं। ओ३म् शम्। Read more » death of Swami dayanand Featured ऋषि दयानन्द ऋषि दयानन्द के भक्तों की प्रशंसा पुराणों की आलोचना पौराणिक छात्र को फटकार
कला-संस्कृति धर्म-अध्यात्म लेख साहित्य स्वास्तिक शास्वत और विश्वव्यापी सनातन प्रतीक November 14, 2016 by डा. राधेश्याम द्विवेदी | Leave a Comment अत्यन्त प्राचीन काल से भारतीय संस्कृति में मंगल-प्रतीक माना जाता रहा है। इसीलिए किसी भी शुभ कार्य को करने से पहले स्वस्तिक चिह्न अंकित करके उसका पूजन किया जाता है। स्वस्तिक शब्द सु+अस+क से बना है। 'सु' का अर्थ अच्छा, 'अस' का अर्थ 'सत्ता' या 'अस्तित्व' और 'क' का अर्थ 'कर्त्ता' या करने वाले से है। इस प्रकार 'स्वस्तिक' शब्द का अर्थ हुआ 'अच्छा' या 'मंगल' करने वाला। 'अमरकोश' में भी 'स्वस्तिक' का अर्थ आशीर्वाद, मंगल या पुण्यकार्य करना लिखा है। अमरकोश के शब्द हैं - 'स्वस्तिक, सर्वतोऋद्ध' अर्थात् 'सभी दिशाओं में सबका कल्याण हो।' Read more » Featured अन्य देशों के लिए स्वास्तिक के चिन्ह का महत्व भारतीय संस्कृति में स्वस्तिक का पौराणिक महत्त्व विश्वव्यापी सनातन प्रतीक स्वस्तिक चिह्न :- स्वास्तिक के चिन्ह का महत्व स्वास्तिक शास्वत
कला-संस्कृति धर्म-अध्यात्म आपके लिए सोना धारण करना/पहनना कितना लाभकारी या नुकसानकारी होगा November 9, 2016 by पंडित दयानंद शास्त्री | 2 Comments on आपके लिए सोना धारण करना/पहनना कितना लाभकारी या नुकसानकारी होगा आइये आज सबसे पहले हम जानते है की सोना पहनना कितना शुभ है । वे जातक जिन्हें विवाह के अनेक वर्षों पश्चात् भी यदि संतान नहीं हो रही है तो उसे अनामिका ऊंगली में सोने की अंगूठी पहनने से लाभ होता है। एकाग्रता बढ़ाने के लिए तर्जनी यानि इंडैक्स फिंगर में सोने की अंगूठी पहनने […] Read more » सोना सोना धारण करना कितना नुकसानकारी सोना धारण करना कितना लाभकारी
कला-संस्कृति धर्म-अध्यात्म मंगलिक कार्य आरम्भ होने का दिन है ‘‘देवोत्थान एकादशी’’ November 8, 2016 / November 8, 2016 by ब्रह्मानंद राजपूत | Leave a Comment प्रबोधिनी एकादशी अथवा देवोत्थान एकादशी के दिन भीष्म पंचक व्रत भी शुरू होता है, जो कि देवोत्थान एकादशी से शुरू होकर पांचवें दिन पूर्णिमा तक चलता है। इसलिए इसे इसे भीष्म पंचक कहा जाता है। कार्तिक स्नान करने वाली स्त्रियाँ या पुरूष बिना आहार के रहकर यह व्रत पूरे विधि विधान से करते हैं। इस व्रत के पीछे मान्यता है कि युधिष्ठर के कहने पर भीष्म पितामह ने पाँच दिनो तक (देवोत्थान एकादशी से लेकर पांचवें दिन पूर्णिमा तक) राज धर्म, वर्णधर्म मोक्षधर्म आदि पर उपदेश दिया था। Read more » Featured देवोत्थान एकादशी’ मंगलिक कार्य आरम्भ होने का दिन
कला-संस्कृति धर्म-अध्यात्म शख्सियत गुरुनानक देव : भारतीय धर्म और संस्कृति के पुरोधा November 8, 2016 / November 8, 2016 by ललित गर्ग | Leave a Comment गुरुनानकजी का धर्म जड़ नहीं, सतत जागृति और चैतन्य की अभिक्रिया है। जागृत चेतना का निर्मल प्रवाह है। उनकी शिक्षाएं एवं धार्मिक उपदेश अनंत ऊर्जा के स्रोत हैं। शोषण, अन्याय, अलगाव और संवेदनशून्यता पर टिकी आज की समाज व्यवस्था को बदलने वाला शक्तिस्रोत वही है। धर्म के धनात्मक एवं गतिशील तत्व ही सभी धर्म क्रांतियों के नाभि केन्द्र रहे हैं। वे ही व्यक्ति और समाज के समन्वित विकास की रीढ़ है। Read more » Featured Guru Nanakdev Jayanti गुरुनानक देव भारतीय धर्म और संस्कृति के पुरोधा
कला-संस्कृति धर्म-अध्यात्म वर्त-त्यौहार छठ पर्व इतिहास और महत्व November 4, 2016 / November 4, 2016 by डा. राधेश्याम द्विवेदी | Leave a Comment छठ त्यौहार का धार्मिक ही नहीं बल्कि वैज्ञानिक दृष्टि से भी बहुत महत्व माना गया है। षष्ठी तिथि (छठ) एक विशेष खगौलीय अवसर होता है। इस समय सूर्य की पराबैगनी किरणें पृथ्वी की सतह पर सामान्य से अधिक मात्रा में एकत्र हो जाती हैं। उसके संभावित कुप्रभावों से रक्षा करने का सामर्थ्य इस परंपरा में रहा है। छठ व्रत नियम तथा निष्ठा से किया जाता है।भक्ति-भाव से किए गए इस व्रत द्वारा नि:संतान को संतान सुख प्राप्त होता है। Read more » Featured छठ पर्व
धर्म-अध्यात्म आर्यसमाज के प्रति आकर्षित करने का अभिनव सफल प्रयोग November 3, 2016 / November 3, 2016 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment स्वामी श्रद्धानन्द जी का जालन्धर की सडको पर भजन गाकर लोगों को आर्यसमाज के प्रति आकर्षित करने का अभिनव सफल प्रयोग मनमोहन कुमार आर्य यह प्रेरणादायक घटना हम स्वामी श्रद्धानन्द जी की आत्म कथा ‘कल्याण मार्ग का पथिक’ से दे रहे हैं जिसे वयोवृद्ध मूर्धन्य आर्य विद्वान डा. भवानीलाल भारतीय जी ने ‘बिखरे मोती’ नाम […] Read more » स्वामी श्रद्धानन्द
धर्म-अध्यात्म कुमारिल आचार्य द्वारा नास्तिक मतों के खण्डनार्थ स्वामी शंकाराचार्य जी के लिए सड़क बाधंना November 3, 2016 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment जो कार्य कुमारिल आचार्य और स्वामी शंकराचार्य जी ने अपने अपने समय में किया, लगभग वही और उससे भी कहीं अधिक कठिन व जटिल कार्य स्वामी दयानन्द सरस्वती ने आर्यसमाज बनाकर उन्नीसवीं शताब्दी में सफलतापूर्वक किया। संसार से अज्ञान व अविद्या हटा कर धर्म व संस्कृति को सत्य और विद्या की आधारशिला पर स्थापित करने का अपूर्व और महनीय कार्य उन्होंने किया है। Read more » कुमारिल आचार्य
धर्म-अध्यात्म मानवता का रक्षक व पोषक होने से गोवर्धन पर्व एक महान पर्व November 1, 2016 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment वर्तमान परिस्थितियों में गोरक्षकों, पशुप्रेमियों और मानवतावादियों को गोवर्धन पर्व के दिन गोरक्षा करने, गोहत्या न होने देने, गोपालन करने, गोदुग्ध का ही सेवन करने व गोहत्या के विरोध में प्राणपण से प्रचार करने का प्रण व संकल्प लेना चाहिये। इसी में इस पर्व की सार्थकता है और ऐसा करके ही विश्व में मनुष्यता स्थापित होगी और विश्व सुरक्षित रह सकेगा। हम यह भी अनुभव करते है कि गोरक्षा करना प्रत्येक गोभक्त का जन्म सिद्ध मौलिक अधिकार है। Read more » गोवर्धन पर्व