धर्म-अध्यात्म एक विस्मृत वैदिक ऋषि-भक्त शास्त्रार्थ महारथीः पं. गणपति शर्मा August 18, 2016 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य प्राचीनकाल में धर्मिक विषयों में भ्रान्ति दूर करने वा सत्यासत्य के निर्णयार्थ शास्त्रार्थ किया जाता था। सृष्टि के आरम्भ से यह मान्यता चली आ रही प्रतीत होती है कि वेद ईश्वरीय ज्ञान होने के कारण सम्पूर्णतया सत्य विचारों, मान्यताओं एवं सिद्धान्तों के ग्रन्थ हैं और वेदानुकूल सभी शास्त्रों की बातें भी स्वीकार्य, […] Read more » पं. गणपति शर्मा
धर्म-अध्यात्म वेदस्रोत से मानवीयमूल्य August 14, 2016 by शिवदेव आर्य | Leave a Comment शिवदेव आर्य सुख शान्तिमय जीवन यात्रा तथा परमानन्द के लिए परमपिता परमेश्वर ने सृष्टि के प्रारम्भ में वेदज्ञान की ज्योति प्रदान की, जिसके आलोक में जीवन श्रेय एवं प्रेयमार्ग पर सुचारूतया संचारित होता है। वेद प्रतिपादित जीवनपद्धति ही नैतिकता का सर्वोच्च आदर्श है। इन उच्चतम जीवनमूल्यों का वैदिक वाङ्मय एवं परवत्र्ती भारतीय साहित्य में […] Read more » human values from vedas मानवीयमूल्य वेदस्रोत वेदस्रोत से मानवीयमूल्य
धर्म-अध्यात्म आर्यसमाज का सदस्य बनने से जीवन की उन्नति व अनेकानेक लाभ August 10, 2016 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य ईश्वर इस सृष्टि का रचयिता व पालक है। मनुष्य व अन्य सभी प्राणियों को जन्म देने वाला भी वह ईश्वर ही है। मनुष्य का जन्म माता-पिता से एक शिशु के रूप में होता है। जन्म व उसके बाद लम्बी अवधि तक यह नवजात शिशु न बोल पाता है, न चल-फिर पाता है […] Read more » आर्यसमाज का सदस्य जीवन की उन्नति
धर्म-अध्यात्म आघुनिक काल में सभी मतों का अन्धविश्वास-ग्रस्त होना और उन्हें दूर करने में उदासीन होना महान आश्चर्य August 5, 2016 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य मनुष्यों की समस्त जनसंख्या इस भूगोल के प्रायः सभी व अनेक भागों में बस्ती है। सारी जनसंख्या आस्तिक व नास्तिक दो मतों व विचारधाराओं में बटी हैं। बहुत से लोग ऐसे हैं जो ईश्वर व जीवात्मा के अस्तित्व को न तो जानते हैं और मानते हैं। वह खुल कर कहते हैं कि […] Read more » सभी मतों का अन्धविश्वास-ग्रस्त
धर्म-अध्यात्म भारत में नागपूजन की परम्परा August 5, 2016 by अशोक “प्रवृद्ध” | Leave a Comment -अशोक “प्रवृद्ध” वैदिक ग्रन्थों के अनुसार आदि सनातन काल में एकेश्वरवाद अर्थात एकमात्र परमात्मा के अस्तित्व पर मनुष्यों का पूर्णतः विश्वास था , परन्तु बाद में मनुष्यों का वेद और वैदिक ग्रन्थों से दुराव के कारण संसार में अनेक देवी- देवताओं का पूजन- अर्चना किये जाने अर्थात बहुदेववाद की परिपाटी प्रचलन में आ गई । […] Read more » Featured नागपूजन की परम्परा भारत भारत में नागपूजन
धर्म-अध्यात्म ऋषि दयानन्द की दो मुख्य देन सत्यार्थ प्रकाश और आर्यसमाज August 5, 2016 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर् ऋषि दयानन्द महाभारतकाल के बाद उत्पन्न महापुरुषों में सत्यज्ञान व उसके प्रचार व प्रसार के कार्यों को करने वाले विश्व के सर्वोत्तम महापुरुष हैं। उनसे पूर्व इन कार्यों को करने वाला अन्य महापुरुष विश्व इतिहास में दृष्टिगोचर नहीं होता। महाभारत काल से पूर्व विश्व में सर्वत्र वेदों का प्रचार व प्रसार था, […] Read more » आर्यसमाज ऋषि दयानन्द की देन सत्यार्थ-प्रकाश
धर्म-अध्यात्म मूर्तिपूजा और जन्मना जाति प्रथा ईश्वरीय ज्ञान वेद के विरुद्ध और हिन्दू समाज के लिए हानिकारक August 3, 2016 by मनमोहन आर्य | 1 Comment on मूर्तिपूजा और जन्मना जाति प्रथा ईश्वरीय ज्ञान वेद के विरुद्ध और हिन्दू समाज के लिए हानिकारक मनमोहन कुमार आर्य मूर्तिपूजा से तात्पर्य ईश्वर की वैदिक शास्त्रों के अनुसार पूजा, ध्यान व स्तुति-प्रार्थना-उपासना न कर एक कल्पित पाषाण व धातु आदि की मूर्ति बना कर उसमें रूढ़ किये गये वैदिक व कुछ संस्कृत श्लोकों से प्राण-प्रतिष्ठा की कल्पना कर उसके आगे माथा टेकना, शिर झुकाना, भजन-कीर्तन करना, मूर्ति को मिष्ठान्न आदि का […] Read more » जन्मना जाति प्रथा ईश्वरीय ज्ञान वेद के विरुद्ध मूर्तिपूजा हिन्दू समाज के लिए हानिकारक
धर्म-अध्यात्म मैं कर्म-बन्धन में फंसा एक चेतन अनादि व अविनाशी जीवात्मा हूं August 2, 2016 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य हम परस्पर जब किसी से मिलते हैं तो परिचय रूप में अपना नाम व अपनी शैक्षिक योग्यता सहित अपने कार्य व व्यवसाय आदि के बारे में अपरिचित व्यक्ति को बताते हैं। हमारा यह परिचय होता तो ठीक है परन्तु इसके अलावा भी हम जो हैं वह एक दूसरे को पता नहीं चल […] Read more » जीवात्मा
धर्म-अध्यात्म ईश्वर-जीवात्मा-प्रकृति विषयक अविद्या विश्व में अशान्ति का कारण July 31, 2016 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य संसार में लोग उचित व अनुचित कार्य करते हैं। अनुचित काम करने वालों को सामाजिक नियमों के अनुसार दण्ड दिया जाता है। न केवल सामान्य मनुष्य अपितु शिक्षित व उच्च पदस्थ राजकीय व अन्य मनुष्य भी अनेक बुरे कामों को करते हैं जिनसे देश व समाज कमजोर होता है और इसके परिणाम […] Read more » अविद्या ईश्वर जीवात्मा प्रकृति विश्व में अशान्ति का कारण
कला-संस्कृति धर्म-अध्यात्म साक्षात प्रकृति स्वरूपा शिव पत्नी पार्वती July 29, 2016 by अशोक “प्रवृद्ध” | Leave a Comment अशोक “प्रवृद्ध” पौराणिक ग्रन्थों के अनुसार कैलाशाधिपति शिव लय तथा प्रलय दोनों के देवता हैं और दोनों को ही अपने अधीन किये हुए हैं। इनकी पत्नी या शक्ति, स्वयं आद्या शक्ति काली के अवतार, पार्वती या सती हैं ।भगवान शंकर की पत्नी पार्वती हिमनरेश हिमावन तथा मैनावती की पुत्री हैं। मैना और हिमावन अर्थात हिमवान […] Read more » Featured पार्वती शिव साक्षात प्रकृति स्वरूपा
धर्म-अध्यात्म पं. लेखराम की ऋषि दयानन्द से भेंट का देश व समाज पर प्रभाव July 27, 2016 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment -मनमोहन कुमार आर्य पंडित लेखराम जी स्वामी दयानन्द जी के आरम्भिक प्रमुख शिष्यों में से एक थे जो वैदिक धर्म की रक्षा और प्रचार के अपने कार्यों के कारण इतिहास में अमर हैं। उन्होंने 17 मई, सन् 1881 को अजमेर से ऋषि दयानन्द से भेंट की थी और उनसे अपनी शंकाओं का समाधान प्राप्त किया […] Read more » ऋषि दयानन्द से भेंट देश व समाज पर प्रभाव लेखराम
धर्म-अध्यात्म ऋषि दयानन्द के अनुसार हवन से लाभ व न करने से पाप July 27, 2016 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य आर्यसमाज के संस्थापक और वेदों के महान विद्वान ऋषि दयानन्द सरस्वती हवन करने से लाभ व न करने में पाप मानते थे। इसका उल्लेख उन्होंने अपने ग्रन्थ सत्यार्थप्रकाश और ऋग्वेदादिभाष्य भूमिका के कुछ प्रसंगों ने किया है। आर्यजगत के उच्च चोटी के विद्वानों में से एक पं. राजवीर शास्त्री, पूर्व सम्पादक, दयानन्द […] Read more » हवन न करने से पाप हवन से लाभ