धर्म-अध्यात्म सच्ची गुरुता के सर्वोच्च प्रतीक गुरु नानक November 25, 2015 by अशोक “प्रवृद्ध” | Leave a Comment अशोक “प्रवृद्ध” दार्शनिक, योगी, गृहस्थ, धर्मसुधारक, समाजसुधारक, कवि, देशभक्त और विश्वबंधु आदि गुणों के पर्याय युगांतकारी युगदृष्टा मानवतावादी गुरू नानक सिखों के प्रथम गुरु अर्थात आदि गुरु थे, जिन्हें उनके अनुयायियों द्वारा गुरु नानक, गुरु नानक देव जी, बाबा नानक और नानकशाह आदि नामों से स्मृत और संबोधित किया जाता है ।विभिन्न आध्यात्मिक दृष्टिकोणों के […] Read more » Featured गुरु नानक सच्ची गुरुता के सर्वोच्च प्रतीक
धर्म-अध्यात्म मुक्त दयानन्द मोक्ष में आर्यसमाज की दुर्दशा से दुःखी व संतप्त November 23, 2015 / November 23, 2015 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment महर्षि दयानन्द का अजमेर में दीपावली, सन् 1883 को देहावसान हुआ था। वेद एवं वैदिक साहित्य का अध्ययन करने के बाद हमें पूरी सम्भावना लगती है कि उन्हें ईश्वर की कृपा से मोक्ष प्राप्त हुआ होगा। यदि किसी विद्वान को इसमें संशय हो कि महर्षि दयानन्द जी को मोक्ष नहीं मिला होगा, तो हमें लगता […] Read more » Featured आर्यसमाज की दुर्दशा से दुःखी मुक्त दयानन्द मोक्ष
धर्म-अध्यात्म महर्षि दयानन्द प्रोक्त वेद सम्मत ब्राह्मण वर्ण के गुण-कर्म-स्वभाव November 22, 2015 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment वैदिक वर्ण व्यवस्था के सन्दर्भ में यह जड़-चेतन संसार ईश्वर से उत्पन्न हुआ है। ईश्वर, जीवात्मायें और प्रकृति, तीन नित्य सत्तायें हैं जिनमें ईश्वर व जीवात्मा चेतन एवं प्रकृति जड़ पदार्थ हैं। ईश्वर व जीवात्मा संवेदनाओं से युक्त व प्रकृति संवेदनारहित है। जीवात्माओं के पूर्व जन्म में अर्जित प्रारब्ध वा कर्मों के फलों एवं सुख-दुःख […] Read more » ब्राह्मण वर्ण के गुण-कर्म-स्वभाव महर्षि दयानन्द
धर्म-अध्यात्म ईश्वर प्रदत्त ज्ञान वेद सरल च सुबोध हैं November 22, 2015 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य सृष्टि के आदि में मनुष्यों को ज्ञानयुक्त करने के लिए सर्वव्यापक निराकार ईश्वर ने चार आदि ऋषियों अग्नि, वायु, आदित्य व अंगिरा को क्रमशः ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद एवं अथर्ववेद का ज्ञान दिया था। महर्षि दयानन्द की घोषणा है कि यह चार वेद सब सत्य विद्याओं की पुस्तकें हैं और इनका पढ़़ना, दूसरों […] Read more » Featured ईश्वर प्रदत्त ज्ञान वेद सरल च सुबोध हैं
कला-संस्कृति धर्म-अध्यात्म विविधा हिंद स्वराज कपिलवस्तु का एक प्रमुख बौद्ध महाविहार-स्तूप November 20, 2015 / November 20, 2015 by डा. राधेश्याम द्विवेदी | 2 Comments on कपिलवस्तु का एक प्रमुख बौद्ध महाविहार-स्तूप सालारगढ़ डा. राधेश्याम द्विवेदी भारतीय संस्कृति एवं इतिहास में अध्यात्मिक एवं ऐतिहासिक महापुरुषों का बहुत ही महत्वपूर्ण योगदान रहा है। महात्मा बुद्ध और तीर्थंकर महाबीर के प्रादुर्भाव से एक नये युग का सूत्रपात हुआ है।1 धर्म दर्शन तथा ललित कलाओ के क्षेत्र में व्यापक परिवर्तन दिखलाई पड़ने लगे हें। उत्तर प्रदेश के नेपाल की सीमा […] Read more » Featured कपिलवस्तु कपिलवस्तु का एक प्रमुख बौद्ध महाविहार-स्तूप प्रमुख बौद्ध महाविहार-स्तूप सा ला र ग ढ़
कला-संस्कृति धर्म-अध्यात्म विविधा ऋषि श्रृंगी की कहानी एवं उनका आश्रम November 18, 2015 / November 18, 2015 by डा. राधेश्याम द्विवेदी | 25 Comments on ऋषि श्रृंगी की कहानी एवं उनका आश्रम उन दिनों देवता व अप्सरायें पृथ्वी लोक में आते-जाते रहते थे। बस्ती मण्डल में हिमालय का जंगल दूर-दूर तक फैला हुआ करता था। जहां ऋषियों व मुनियों के आश्रम हुआ करते थे। आबादी बहुत ही कम थी। आश्रमों के आस-पास सभी हिंसक पशु-पक्षी हिंसक वृत्ति और वैर-भाव भूलकर एक साथ रहते थे। परम पिता ब्रहमा […] Read more » Featured story of shringi rishi ऋषि श्रृंगी की कहानी
धर्म-अध्यात्म प्रातः व सायं संन्ध्या करना सभी मनुष्यों का मुख्य धर्म November 17, 2015 by मनमोहन आर्य | 1 Comment on प्रातः व सायं संन्ध्या करना सभी मनुष्यों का मुख्य धर्म प्रतिदिन प्रातः व सायं सूर्योदय व सूर्यास्त होता हैं। यह किसके ज्ञान व शक्ति से होता है? उसे जानकर उसका ध्यान करना सभी प्राणियों मुख्यतः मनुष्यों का धर्म है। यह मनुष्य का धर्म क्यों है, इसलिए है कि सूर्याेदय व सूर्यास्त करने वाली सत्ता से सभी प्राणियों को लाभ पहुंच रहा है। जो हम सबको […] Read more » Featured प्रातः व सायं संन्ध्या
धर्म-अध्यात्म क्यों माने ईश्वर को? November 16, 2015 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment ईश्वर को क्यों माने? यह प्रश्न किसी भी मननशील मनुष्य के मस्तिष्क में आ सकता है। वह अपनी बुद्धि के अनुसार विचार करेगा और हो सकता है कि उसे कोई सन्तोषजनक उत्तर प्राप्त न हो। यदि वह अपने परिवार व मित्रों से इसकी चर्चा करेगा तो सबके उत्तर अलग-अलग होंगे। सभी मतों व सम्प्रदायों के […] Read more » Featured why should we own god क्यों माने ईश्वर को?
धर्म-अध्यात्म सब सत्य विद्याओं एवं उससे उत्पन्न किए व हुए संसार व पदार्थों का मूल कारण ईश्वर November 15, 2015 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment हम कोई भी काम करते हैं तो उसमें विद्या अथवा ज्ञान का प्रयोग करना अनिवार्य होता है। अज्ञानी व्यक्ति ज्ञान के अभाव व कमी के कारण किसी सरल कार्य को भी भली प्रकार से नहीं कर सकता। जब हम अपने शरीर का ध्यान व अवलोकन करते हैं तो हमें इसके आंख, नाक, कान, श्रोत्र, बुद्धि, […] Read more » Featured ईश्वर सत्य विद्याओं एवं उससे उत्पन्न किए व हुए संसार व पदार्थों का मूल कारण संसार व पदार्थों का मूल कारण ईश्वर
धर्म-अध्यात्म सृष्टि की उत्पत्ति किससे, कब व क्यों? November 15, 2015 / November 15, 2015 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment हम जिस संसार में रहते हैं वह हमें बना बनाया मिला है। हमारे जन्म से पूर्व इस संसार में हमारे माता-पिता व पूर्वज रहते आयें हैं। न तो हमें हमारे माता-पिता से और न हमें अपने अध्यापकों व विद्यालीय पुस्तकों में इस बात का सत्य ज्ञान प्राप्त हुआ कि यह संसार कब, किसने व क्यों […] Read more » Featured सृष्टि की उत्पत्ति कब सृष्टि की उत्पत्ति किससे सृष्टि की उत्पत्ति क्यों?
धर्म-अध्यात्म महर्षि दयानन्द बलिदान दिवस और दीपावली November 12, 2015 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment आज महर्षि दयानन्द बलिदान दिवस और दीपावली पर महर्षि दयानन्द ने मनुष्य को ईश्वर, जीवात्मा व संसार का यथार्थ परिचय कराने सहित कर्तव्य और अकर्तव्य रूपी मनुष्य धर्म का बोध कराया मनमोहन कुमार आर्य आज दीपावली का पर्व महर्षि दयानन्द जी का बलिदान पर्व भी है। कार्तिक मास की अमावस्या 30 अक्तूबर, 1883 को दीपावली […] Read more » दीपावली महर्षि दयानन्द बलिदान दिवस
धर्म-अध्यात्म गो-वध व मांसाहार का वेदों में कही भी नामोनिशान तक नहीं है November 10, 2015 by शिवदेव आर्य | 2 Comments on गो-वध व मांसाहार का वेदों में कही भी नामोनिशान तक नहीं है शिवदेव आर्य प्रायः लोग बिना कुछ सोचे समझे बात करते हैं कि वेदों में गो-वध तथा गो-मांस खाने का विधान है। ऐसे लोगों को ध्यान में रखकर कुछ लिखने का यत्न कर रहा हूं, आज तक जो भी ऐसी मानसिकता से घिरे हुऐ लोग हो वे जरुर इसको पढ़ कर समझने का प्रयास करें। क्षणिक […] Read more » गो वध मांसाहार मांसाहार का वेदों में मांसाहार का वेदों में कही भी नामोनिशान तक नहीं है