धर्म-अध्यात्म मूक पशु की हत्या रोकने पर महर्षि दयानन्द और उदयपुर नरेश … October 28, 2015 / October 28, 2015 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मूक पशु भैंसों की हत्या रोकने पर महर्षि दयानन्द और उदयपुर नरेश महाराणा सज्जन सिंह के बीच वार्तालाप और उसका शुभ परिणाम स्वामी दयानन्द जी सितम्बर, 1882 में मेवाड़ उदयपुर के महाराजा महाराणा सज्जन सिंह के अतिथि थे। नवरात्र के अवसर पर वहां भैंसों का वध रोकने की एक घटना घटी। इसका वर्णन महर्षि […] Read more » भैंसों की हत्या
धर्म-अध्यात्म धर्म विषयक सत्य व यथार्थ ज्ञान को ग्रहण करना व कराना कठिन कार्य है October 27, 2015 / October 28, 2015 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment महर्षि दयानन्द ने आर्य समाज का चतुर्थ नियम यह बनाया है कि ‘सत्य के ग्रहण करने और असत्य के छोड़ने में सर्वदा उद्यत रहना चाहिये।’ इस नियम को सभी मनुष्य चाहे वह किसी भी धर्म के अनुयायी क्यों न हों, सत्य मानते व स्वीकार करते हैं परन्तु व्यवहार में वह ऐसा करते हुए अर्थात् असत्य […] Read more » Featured धर्म विषयक सत्य व यथार्थ ज्ञान को ग्रहण करना
धर्म-अध्यात्म मनुस्मृति का आर्थिक दर्शन October 26, 2015 by अशोक “प्रवृद्ध” | Leave a Comment जो अर्थ की दृष्टि से शुद्ध है, वही शुद्ध है मनुस्मृति का आर्थिक दर्शन -अशोक “प्रवृद्ध” भारतीय परम्परा में धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष- इन चार पुरुषार्थों को मानव जीवन के लिये अपरिहार्य माना गया है। पुरुषार्थ शब्द से अभिप्राय है- पुरुष का प्रयोजन अर्थात् मानव जीवन का लक्ष्य। साधारण मनुष्य अपने जीवन का […] Read more » Featured मनुस्मृति का आर्थिक दर्शन
धर्म-अध्यात्म यज्ञ : कुष्माण्ड बलिदान और बलि वैश्व देव October 25, 2015 by मयंक चतुर्वेदी | Leave a Comment डॉ. मयंक चतुर्वेदी अक्सर हिन्दू संस्कृति की कर्मकाण्ड पद्धति को लेकर बिना जाने स्वयं अधिकांश हिन्दू ही समय-समय पर प्रश्न खड़े करते रहते हैं। हाल ही में शारदीय नवरात्र के समापन पर जगह-जगह हुए यज्ञ के दौरान कुष्माण्ड बलिदान और बलिवैश्व देव का प्रथानुसार प्रयोग किया गया। इसे लेकर सोशल मीडिया में यत्र-तत्र यह बहस […] Read more » Featured कुष्माण्ड बलिदान बलि वैश्व देव यज्ञ
धर्म-अध्यात्म संसार के सभी मनुष्यों का धर्म क्या एक नहीं है? October 24, 2015 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment संसार में सम्प्रति अनेक मत-मतान्तर फैले हुए हैं जिनकी अनेक मान्यतायें समान, कुछ भिन्न व कुछ एक दूसरे के विपरीत भी हैं। यह सभी मत किसी एक ऐतिहासिक पुरुष द्वारा चलाये गये हैं। यही भी सत्य है कि मनुष्य अल्पज्ञ होता है। यह भी तथ्य है कि सभी मतों के प्रवर्तक वेद ज्ञान से शून्य […] Read more » Featured संसार के सभी मनुष्यों का धर्म क्या एक नहीं है?
धर्म-अध्यात्म राम के आदर्श जीवन के अनुरूप स्वयं को बनाने का व्रत लें October 23, 2015 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment विजयादशमी पर्व पर मर्यादा पुरुषोत्तम राम के आदर्श जीवन के अनुरूप स्वयं को बनाने का व्रत लें विजयादशमी पर्व से हमारे पूर्वजों व देशवासियों ने मर्यादा पुरूषोत्तम श्री रामचन्द्र जी के आदर्श जीवन व उनके कृतित्व को जोड़ा है। यद्यपि आश्विन शुक्ला दशमी को मनाई जाने वाली विजयादशमी का श्री रामचन्द्र जी की लंकेश रावण […] Read more » Featured राम
धर्म-अध्यात्म अज्ञान और अंधविश्वास आध्यात्मिक उन्नति में बाधक October 21, 2015 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य मनुष्य के जीवन का उद्देश्य सांसारिक एवं आध्यात्मिक उन्नति करना है। यदि कोई मनुष्य आध्यात्मिक उन्नति की उपेक्षा कर केवल सांसारिक उन्नति में प्रयत्नशील रहता है तो यह उसके लिए एकांगी होने से घातक ही कही जा सकती है। आध्यात्मिक उन्नति से मनुष्य सुख व शान्ति के साथ आत्मा की जन्म जन्मान्तरों […] Read more » Featured अज्ञान अंधविश्वास आध्यात्मिक उन्नति में बाधक
कला-संस्कृति धर्म-अध्यात्म विविधा शख्सियत रक्ष संस्कृति का नायक था रावण October 21, 2015 by प्रमोद भार्गव | Leave a Comment प्रमोद भार्गव राम प्रत्येक भारतीय के आराध्य देव हैं और वे भारत के कण-कण में रमें हैं। वे आदर्श पुरूष हैं, मर्यादा पुरूषोत्तम हैं। उनकी तुलना में रावण को राक्षस, कुरूप, अत्याचारी, अतिकाई, आतताई आदि विकृति के विभिन्न प्रतीक रूपों में प्रस्तुत किया जाता है। लेकिन क्या यह संभव है कि समृद्ध, वैभवपूर्ण विशाल राष्ट्र […] Read more » Featured रक्ष संस्कृति का नायक रक्ष संस्कृति का नायक था रावण रावण
धर्म-अध्यात्म महर्षि दयानन्द, सत्यार्थ प्रकाश और आर्यसमाज मुझे क्यों प्रिय हैं? October 20, 2015 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment सृष्टि के आरम्भ से लेकर अद्यावधि संसार में अनेक महापुरूष हुए हैं। उनमें से अनेकों ने अनेक ग्रन्थ लिखे हैं या फिर उनके शिष्यों ने उनकी शिक्षाओं का संग्रह कर उसे ग्रन्थ के रूप में संकलित किया है। हम उत्तम महान पुरूष को प्राप्त करने के लिए निकले तो हमें आदर्श महापुरूष के रूप में […] Read more » Featured आर्यसमाज महर्षि दयानन्द सत्यार्थ-प्रकाश
धर्म-अध्यात्म न्यायकारी व दयालु ईश्वर कभी किसी का कोई पाप क्षमा नहीं करता। October 20, 2015 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य संसार में दो प्रकार के पदार्थ हैं, चेतन व जड़ पदार्थ। चेतन पदार्थ भी दो हैं एक ईश्वर व दूसरा जीवात्मा। ईश्वर संख्या में केवल एक हैं जबकि जीवात्मायें संख्या में अनन्त हैं। ईश्वर के ज्ञान में जीवात्माओं की संख्या सीमित है परन्तु अल्पज्ञ जीवात्माओं की अल्प शक्ति होने के कारण वह […] Read more » Featured
कला-संस्कृति धर्म-अध्यात्म वेदों में निषेध है मांसाहार व पशुबलि October 17, 2015 by अशोक “प्रवृद्ध” | Leave a Comment अशोक “प्रवृद्ध” राष्ट्रीय जनता दल सुप्रीमो लालू यादव के गो मांस को लेकर दिए गए बयान का समर्थन करते हुए पूर्व केन्द्रीय मंत्री और राजद के वरिष्ठ नेता रघुवंश प्रसाद सिंह के बीफ विवाद में कूद पड़ने से यह मुद्दा चुनाव के महत्वपूर्ण मामलों से भटककर बिहार विधानसभा चुनाव का मुख्य मुद्दा बन गया […] Read more » Featured पशुबलि मांसाहार वेदों में निषेध है वेदों में निषेध है मांसाहार व पशुबलि
धर्म-अध्यात्म असत्य धार्मिक मान्यताओं का खण्डन आवश्यक October 16, 2015 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment ‘माता-पिता, आचार्य, चिकित्सक व किसान आदि की तरह धर्म प्रचारक का असत्य धार्मिक मान्यताओं का खण्डन आवश्यक’ खण्डन किसी बात को स्वीकार न कर उसका दोष दर्शन कराने व तर्क व युक्तियों सहित मान्य प्रमाणों को उस मान्यता व विचार को खण्डित व अस्वीकार करने को कहते हैं। हम सब जानते हैं कि सत्य एक […] Read more » Featured असत्य धार्मिक मान्यताओं का खण्डन आवश्यक