कला-संस्कृति धर्म-अध्यात्म छत्तीसगढ़ में देवी उपासना के शक्तिपीठ October 13, 2015 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment अनामिका नवरात्रि का छत्तीसगढ़ में विशेष महत्व है। प्राचीन काल में देवी के मंदिरों में जवारा बोई जाती थी और अखंड ज्योति कलश प्रज्वलित की जाती थी। यह परम्परा आज भी अनवरत जारी है। ग्रामीणों द्वारा माता सेवा और ब्राह्मणों द्वारा दुर्गा सप्तमी का पाठ और भजन आदि की जाती है। छत्तीसगढ़ में अनादिकाल से […] Read more » Featured छत्तीसगढ़ में देवी उपासना देवी उपासना देवी उपासना के शक्तिपीठ
धर्म-अध्यात्म आद्याशक्ति दुर्गतिनाशिनी भगवती श्रीदुर्गा October 12, 2015 by अशोक “प्रवृद्ध” | Leave a Comment अशोक “प्रवृद्ध” नारी देवताओं में सर्वोपरि, शाक्तमत की आधारशिला आद्याशक्ति दुर्गतिनाशिनी भगवती श्रीदुर्गा की उपासना बड़े व्यापक रूप में भारतवर्ष के समस्त अंचलों में विभिन्न रूपों में की जाती है तथा घर-घर में शक्तिरूपिणी ब्रह्म भगवती श्रीदुर्गा की उपासना के अनेक स्त्रोत,ध्यान के मन्त्र, सहस्त्रनाम, चालीसादि, जो कि संस्कृत वाङ्मय के अनेकानेक साहित्यों में उपलब्ध […] Read more » Featured आद्याशक्ति दुर्गतिनाशिनी भगवती श्रीदुर्गा भगवती श्रीदुर्गा
धर्म-अध्यात्म “श्रद्धयां इदम् श्राद्धम्” October 6, 2015 by पंडित दयानंद शास्त्री | Leave a Comment शास्त्र का वचन है-“श्रद्धयां इदम् श्राद्धम्” अर्थात पितरों के निमित्त श्रद्धा से किया गया कर्म ही श्राद्ध है। मित्रों, आगामी 28 सितम्बर 2015 ( सोमवार) से महालय “श्राद्ध पक्ष” प्रारम्भ होने जा रहा है। इन सोलह (16) दिनों पितृगणों (पितरों) के निमित्त श्राद्ध व तर्पण किया जाता है। किन्तु जानकारी के अभाव में अधिकांश लोग […] Read more » "श्रद्धयां इदम् श्राद्धम्" Featured
धर्म-अध्यात्म श्रम करने वालों का मित्र बनता है भगवान् October 6, 2015 by अशोक “प्रवृद्ध” | Leave a Comment अशोक “प्रवृद्ध” अर्थ अर्थात धन की महता से कौन परिचित नहीं है । अर्थ जीवन की मूलभूत आवश्यकता है, और मनुष्यों के लिए धन का अभाव असह्य है। यद्यपि मानव जीवन का लक्ष्य निरन्तर उन्नति के पथ पर आरूढ़ होना है, और उसकी प्राप्ति का साधन ऐसा प्रयोगात्मक ज्ञान है, जिस पर चलकर मनुष्य मोक्ष […] Read more » श्रम करने वालों का मित्र बनता है भगवान्
धर्म-अध्यात्म ‘गुजरात के सोमनाथ मन्दिर की लूट पर महर्षि दयानन्द का शिक्षाप्रद व्याख्यान’ October 3, 2015 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment महर्षि दयानंद सरस्वती मूर्तिपूजा का वेदविरुद्ध व अकरणीय मानते थे। उनका यह भी निष्कर्ष था कि देश के पतन में मूर्तिपूजा, फलित ज्योतिष, ब्रह्मचर्य का सेवन न करना, बाल विवाह, विधवाओं की दुर्दशा, पुरूषों के चारित्रिक ह्रास, सामाजिक कुव्यवस्था, असमानता व विषमता तथा स्त्री व शूद्रों की अशिक्षा आदि कारण प्रमुख थे। विचार करने पर […] Read more » गुजरात के सोमनाथ मन्दिर की लूट महर्षि दयानन्द का शिक्षाप्रद व्याख्यान सोमनाथ मन्दिर की लूट
धर्म-अध्यात्म मनुष्य की समस्त समस्याओं का समाधान वैदिक शिक्षा October 3, 2015 by अशोक “प्रवृद्ध” | Leave a Comment अशोक “प्रवृद्ध” वर्तमान भूमण्डलीकरण के युग ने जहाँ स्थान और समय की दूरी को कम कर दिया है, वहीं महाद्वीपों, देशों और प्रान्तों के अवरोधों को दूर करने में भी काफी सफलता अर्जित की है। यद्यपि यह नाम कुछ ऐसा आभास देता है, मानो इसमें समस्त मानवता का हित समाहित हो, परन्तु वास्तविकता इससे सर्वथा […] Read more » Featured मनुष्य की समस्त समस्याओं का समाधान वैदिक शिक्षा
धर्म-अध्यात्म श्रीमद्भगवद्गीता व सत्यार्थप्रकाश के अनुसार जीवात्मा का यथार्थ स्वरूप October 1, 2015 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment जीवात्मा के विषय में वैदिक सिद्धान्त है कि यह अनादि, अनुत्पन्न, अजर, अमर, नित्य, चेतन तत्व वा पदार्थ है। जीवात्मा जन्ममरण धर्मा है, इस कारण यह अपने पूर्व जन्मों के कर्मानुसार जन्म लेता है, नये कर्म करता व पूर्व कर्मों सहित नये कर्मों के फलों को भोक्ता है और आयु पूरी होने पर मृत्यु को […] Read more » Featured जीवात्मा का यथार्थ स्वरूप श्रीमद्भगवद्गीता सत्यार्थप्रकाश
धर्म-अध्यात्म सृष्टि के समान वेदों की प्राचीनता ईश्वरीय ज्ञान होने का प्रमाण September 29, 2015 / September 30, 2015 by मनमोहन आर्य | 2 Comments on सृष्टि के समान वेदों की प्राचीनता ईश्वरीय ज्ञान होने का प्रमाण वेदाध्ययन करते हुए विचार आया है कि संसार की भाषा में समयानुसार परिवर्तन होते रहते हैं। एक भाषा का प्रत्यक्ष व परोक्ष प्रभाव दूसरी भाषा पर, दूसरी का तीसरी व अन्यों पर पड़ता देखा जाता है। हिन्दी में आजकल लोग अंग्रेजी शब्दों की भरमार कर रहे हैं। फिर क्या कारण है कि वेद सृष्टि के […] Read more » Featured
कला-संस्कृति धर्म-अध्यात्म श्रद्धा से करें श्राद्ध September 29, 2015 by डॉ. दीपक आचार्य | Leave a Comment डॉ. दीपक आचार्य हमारे कत्र्तव्य कर्म उन सभी लोगों के लिए हैं जो वर्तमान में हैं, अतीत में रहे हैं तथा भविष्य में आने वाले हैं। इस दृष्टि से दैवीय गुणों, धर्म-संस्कृति एवं समाज की सनातन परंपराओं से जुड़े व्यक्तियों का सीधा सा संबंध भूत, भविष्य और वर्तमान तीनों कालों से जुड़ा रहता है। आत्मा […] Read more » Featured श्रद्धा से करें श्राद्ध
धर्म-अध्यात्म वैदिक ग्रंथों के अनुसार विश्वशान्ति व मानव कल्याण September 27, 2015 by अशोक “प्रवृद्ध” | Leave a Comment अशोक “प्रवृद्ध” यह परम सत्य है कि मनुष्य को जन्म से लेकर मृत्युपर्यन्त समस्याओं से मुक्ति नहीं मिलती । आदिकाल से लेकर आज तक के इतिहास और मानव प्रवृति का अध्ययन करने से इस सत्य का सत्यापन होता है कि मानव के साथ समस्याओं का चोली-दामन का साथ रहा है। जीवन की पहेली आज […] Read more » Featured मानव कल्याण विश्वशान्ति वैदिक ग्रंथों के अनुसार मानव कल्याण वैदिक ग्रंथों के अनुसार विश्वशान्ति
धर्म-अध्यात्म विष्णु के पंचम व त्रेता युग के पहले अवतार वामन September 23, 2015 by अशोक “प्रवृद्ध” | 1 Comment on विष्णु के पंचम व त्रेता युग के पहले अवतार वामन अशोक “प्रवृद्ध” पौराणिक मान्यतानुसार सृष्टि पालक भगवान विष्णु अब तक अधर्म के नाश के लिए नौ बार यथा मत्स्य, कुर्म (कच्छप), वाराह, नृसिंह (नरसिम्हा), वामन, परशुराम, राम, कृष्ण, बुद्ध के रूप में धरती पर अवतरित हो चुके हैं और दसवीं बार भविष्य में कलियुग की समाप्ति पर कल्कि अवतार के रूप में अवतरित होंगे। इन […] Read more » Featured
धर्म-अध्यात्म ईश्वर न्यायकारी व दयालु अवश्य है परन्तु वह कभी किसी का कोई पाप क्षमा नहीं करता September 22, 2015 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment ईश्वर कैसा है? इसका सरलतम् व तथ्यपूर्ण उत्तर वेदों व वैदिक शास्त्रों सहित धर्म के यथार्थ रूप के द्रष्टा व प्रचारक महर्षि दयानन्द सरस्वती ने अपने ग्रन्थों में अनेक स्थानों में प्रस्तुत किया है जहां उनके द्वारा प्रस्तुत ईश्वर विषयक गुण, विशेषण व सभी नाम तथ्यपूर्ण एवं परस्पर पूरक हैं, विरोधी नहीं। सत्यार्थ प्रकाश के […] Read more » ‘ईश्वर न्यायकारी व दयालु अवश्य है Featured ईश्वर किसी का कोई पाप क्षमा नहीं करता