धर्म-अध्यात्म ‘गुजरात के सोमनाथ मन्दिर की लूट पर महर्षि दयानन्द का शिक्षाप्रद व्याख्यान’ October 3, 2015 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment महर्षि दयानंद सरस्वती मूर्तिपूजा का वेदविरुद्ध व अकरणीय मानते थे। उनका यह भी निष्कर्ष था कि देश के पतन में मूर्तिपूजा, फलित ज्योतिष, ब्रह्मचर्य का सेवन न करना, बाल विवाह, विधवाओं की दुर्दशा, पुरूषों के चारित्रिक ह्रास, सामाजिक कुव्यवस्था, असमानता व विषमता तथा स्त्री व शूद्रों की अशिक्षा आदि कारण प्रमुख थे। विचार करने पर […] Read more » गुजरात के सोमनाथ मन्दिर की लूट महर्षि दयानन्द का शिक्षाप्रद व्याख्यान सोमनाथ मन्दिर की लूट
धर्म-अध्यात्म मनुष्य की समस्त समस्याओं का समाधान वैदिक शिक्षा October 3, 2015 by अशोक “प्रवृद्ध” | Leave a Comment अशोक “प्रवृद्ध” वर्तमान भूमण्डलीकरण के युग ने जहाँ स्थान और समय की दूरी को कम कर दिया है, वहीं महाद्वीपों, देशों और प्रान्तों के अवरोधों को दूर करने में भी काफी सफलता अर्जित की है। यद्यपि यह नाम कुछ ऐसा आभास देता है, मानो इसमें समस्त मानवता का हित समाहित हो, परन्तु वास्तविकता इससे सर्वथा […] Read more » Featured मनुष्य की समस्त समस्याओं का समाधान वैदिक शिक्षा
धर्म-अध्यात्म श्रीमद्भगवद्गीता व सत्यार्थप्रकाश के अनुसार जीवात्मा का यथार्थ स्वरूप October 1, 2015 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment जीवात्मा के विषय में वैदिक सिद्धान्त है कि यह अनादि, अनुत्पन्न, अजर, अमर, नित्य, चेतन तत्व वा पदार्थ है। जीवात्मा जन्ममरण धर्मा है, इस कारण यह अपने पूर्व जन्मों के कर्मानुसार जन्म लेता है, नये कर्म करता व पूर्व कर्मों सहित नये कर्मों के फलों को भोक्ता है और आयु पूरी होने पर मृत्यु को […] Read more » Featured जीवात्मा का यथार्थ स्वरूप श्रीमद्भगवद्गीता सत्यार्थप्रकाश
धर्म-अध्यात्म सृष्टि के समान वेदों की प्राचीनता ईश्वरीय ज्ञान होने का प्रमाण September 29, 2015 / September 30, 2015 by मनमोहन आर्य | 2 Comments on सृष्टि के समान वेदों की प्राचीनता ईश्वरीय ज्ञान होने का प्रमाण वेदाध्ययन करते हुए विचार आया है कि संसार की भाषा में समयानुसार परिवर्तन होते रहते हैं। एक भाषा का प्रत्यक्ष व परोक्ष प्रभाव दूसरी भाषा पर, दूसरी का तीसरी व अन्यों पर पड़ता देखा जाता है। हिन्दी में आजकल लोग अंग्रेजी शब्दों की भरमार कर रहे हैं। फिर क्या कारण है कि वेद सृष्टि के […] Read more » Featured
कला-संस्कृति धर्म-अध्यात्म श्रद्धा से करें श्राद्ध September 29, 2015 by डॉ. दीपक आचार्य | Leave a Comment डॉ. दीपक आचार्य हमारे कत्र्तव्य कर्म उन सभी लोगों के लिए हैं जो वर्तमान में हैं, अतीत में रहे हैं तथा भविष्य में आने वाले हैं। इस दृष्टि से दैवीय गुणों, धर्म-संस्कृति एवं समाज की सनातन परंपराओं से जुड़े व्यक्तियों का सीधा सा संबंध भूत, भविष्य और वर्तमान तीनों कालों से जुड़ा रहता है। आत्मा […] Read more » Featured श्रद्धा से करें श्राद्ध
धर्म-अध्यात्म वैदिक ग्रंथों के अनुसार विश्वशान्ति व मानव कल्याण September 27, 2015 by अशोक “प्रवृद्ध” | Leave a Comment अशोक “प्रवृद्ध” यह परम सत्य है कि मनुष्य को जन्म से लेकर मृत्युपर्यन्त समस्याओं से मुक्ति नहीं मिलती । आदिकाल से लेकर आज तक के इतिहास और मानव प्रवृति का अध्ययन करने से इस सत्य का सत्यापन होता है कि मानव के साथ समस्याओं का चोली-दामन का साथ रहा है। जीवन की पहेली आज […] Read more » Featured मानव कल्याण विश्वशान्ति वैदिक ग्रंथों के अनुसार मानव कल्याण वैदिक ग्रंथों के अनुसार विश्वशान्ति
धर्म-अध्यात्म विष्णु के पंचम व त्रेता युग के पहले अवतार वामन September 23, 2015 by अशोक “प्रवृद्ध” | 1 Comment on विष्णु के पंचम व त्रेता युग के पहले अवतार वामन अशोक “प्रवृद्ध” पौराणिक मान्यतानुसार सृष्टि पालक भगवान विष्णु अब तक अधर्म के नाश के लिए नौ बार यथा मत्स्य, कुर्म (कच्छप), वाराह, नृसिंह (नरसिम्हा), वामन, परशुराम, राम, कृष्ण, बुद्ध के रूप में धरती पर अवतरित हो चुके हैं और दसवीं बार भविष्य में कलियुग की समाप्ति पर कल्कि अवतार के रूप में अवतरित होंगे। इन […] Read more » Featured
धर्म-अध्यात्म ईश्वर न्यायकारी व दयालु अवश्य है परन्तु वह कभी किसी का कोई पाप क्षमा नहीं करता September 22, 2015 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment ईश्वर कैसा है? इसका सरलतम् व तथ्यपूर्ण उत्तर वेदों व वैदिक शास्त्रों सहित धर्म के यथार्थ रूप के द्रष्टा व प्रचारक महर्षि दयानन्द सरस्वती ने अपने ग्रन्थों में अनेक स्थानों में प्रस्तुत किया है जहां उनके द्वारा प्रस्तुत ईश्वर विषयक गुण, विशेषण व सभी नाम तथ्यपूर्ण एवं परस्पर पूरक हैं, विरोधी नहीं। सत्यार्थ प्रकाश के […] Read more » ‘ईश्वर न्यायकारी व दयालु अवश्य है Featured ईश्वर किसी का कोई पाप क्षमा नहीं करता
धर्म-अध्यात्म सृष्टि में मनुष्यों का प्रथम उत्पत्ति स्थान और आर्यों का मूल निवास September 20, 2015 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment हमारा यह संसार वैदिक मान्यता के अनुसार आज से 1 अरब 96 करोड़ 08 लाख 53 हजार 115 वर्ष पूर्व बनकर आरम्भ है। इस समय मानव सृष्टि संवत् 1,96,08,53,116 हवां चल रहा है। यह वर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से आरम्भ हुआ है। इस सृष्टि सम्वत् के प्रथम दिन ईश्वर ने मनुष्यों को किस स्थान पर […] Read more » Featured आर्यों का मूल निवास मनुष्यों का प्रथम उत्पत्ति स्थान सृष्टि
धर्म-अध्यात्म मूर्ति पूजा विमर्श September 19, 2015 / September 19, 2015 by कृष्ण कान्त वैदिक शास्त्री | 3 Comments on मूर्ति पूजा विमर्श कृष्ण कान्त वैदिक शास्त्री संसार में मूर्ति पूजा का इतिहास ज्ञात करने पर पता चलता है कि जैन-बौद्ध-काल से पूर्व इसका आरम्भ नहीं हुआ था। चीन के प्रसिद्ध इतिहास वेत्ता और यात्री फाहियान ने सन् 400 ई0 में भारत की यात्रा की थी। उसने देखा था कि पटना में प्रतिवर्ष दूसरे मास के आठवें दिन […] Read more » Featured मूर्ति पूजा मूर्ति पूजा विमर्श
धर्म-अध्यात्म मनुष्य जीवन, स्वास्थ्य रक्षा और चिकित्सा September 18, 2015 / September 18, 2015 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनुष्य योनि सभी प्राणियों में श्रेष्ठ है। कहा गया है कि ‘सुर दुर्लभ मानुष तन पावा’ अर्थात् देवताओं को भी दुर्लभ है यह मनुष्य शरीर ईश्वर की अहैतुकी कृपा से हम मनुष्यों को प्राप्त हुआ है। प्रायः भद्र पुरुषों का ऐसा नियम है कि जो भी वस्तु हमें उपहार में मिले उसे बहुत सम्भाल कर […] Read more » मनुष्य जीवन स्वास्थ्य रक्षा और चिकित्सा
धर्म-अध्यात्म मैत्री का विराट् दर्शन है क्षमापना दिवस September 18, 2015 by ललित गर्ग | Leave a Comment गणि राजेन्द्र विजय भारतीय संस्कृति में पर्वों का अत्यधिक महत्व एवं प्रभाव रहा है। समय-समय पर सर्वत्र-दीवाली, होली, रक्षाबंधन, दशहरा आदि अनेक भौतिक पर्व मनाये जाते हैं। किन्तु जैनधर्म त्याग प्रधान धर्म है। इसके पर्व भी त्याग-तप की प्रभावना के पर्व हैं। जैनधर्म में तीन पर्वों को विशेष महत्व दिया जाता है। 1. अक्षय तृतीया, […] Read more » Featured क्षमापना दिवस मैत्री का विराट् दर्शन है