धर्म-अध्यात्म योगेश्वर श्री कृष्ण जन्म दिवस पर्व और शिक्षक दिवस September 7, 2015 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment महत्व और उपादेयता मनमोहन कुमार आर्य, भारतीय धर्म व संस्कृति के गौरव योगेश्वर श्रीकृष्ण का आज जन्म दिवस है। हमें और हमारे देश को इस बात का गौरव है कि योगेश्वर श्रीकृष्ण, मर्यादा पुरूषोत्तम श्रीराम और वेद, वैदिक धर्म और संस्कृति के पुनरुद्धारक महर्षि दयानन्द आदि अनेक महापुरूषों के समान विश्व में ऐसे गौरवमय जीवन […] Read more » कृष्ण जन्म कृष्ण जन्म दिवस पर्व शिक्षक दिवस
धर्म-अध्यात्म महर्षि दयानन्द की प्रमाणित जन्म तिथि September 7, 2015 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment महर्षि दयानन्द ने पहले पूना प्रवचन और बाद में थ्योसोफिकल सोसायटी के लिए अपना संक्षिप्त आत्मकथन लिखते हुए, इन दो अवसरों पर न तो अपने जन्म स्थान को ही पूरी तरह से सूचित किया और न हि जन्म के मास व तिथि का उल्लेख किया। अतः उनके सुविज्ञ अनुयायियों पर यह दायित्व आ गया कि […] Read more » महर्षि दयानन्द की प्रमाणित जन्म तिथि
धर्म-अध्यात्म आत्मकथा नहीं परमात्मकथा है यह September 7, 2015 by अविनाश वाचस्पति | Leave a Comment अविनाश वाचस्पति जिसे हम आत्मकथा कहते हैं दरअसल वह परमात्मकथा है। अंत में मा आता है यानी मां। अपने कंट्रोल में कुछ भी तो नहीं है। सब कुछ या तो मां के गर्भ में है अथवा परमात्मा के कंट्रोल में। इस कंट्रोल में रोल जरूर मां का है पर वह भी परमात्मा की मर्जी पर […] Read more » Featured
कला-संस्कृति धर्म-अध्यात्म वर्त-त्यौहार शोषणकारी व्यवस्था के विरुद्ध थे श्रीकृष्ण September 4, 2015 by प्रमोद भार्गव | Leave a Comment संदर्भः-5 सितंबर श्रीकृष्ण जन्माश्टमी के अवसर पर विषेश प्रमोद भार्गव कृष्ण बाल जीवन से ही जीवनपर्यंत समााजिक न्याय की स्थापना और असमानता को दूर करने की लड़ाई देव व राजसत्ता से लड़ते रहे। वे गरीब की चिंता करते हुए खेतीहर संस्कृति और दुग्ध क्रांति के माध्यम से ठेठ देशज अर्थ व्यवस्था की स्थापना और […] Read more » श्रीकृष्ण जन्माश्टमी
धर्म-अध्यात्म महर्षि दयानन्द ने देश व धर्म के लिए माता-पिता-बन्धु-गृह व अपने सभी सुखों का स्वेच्छा से त्याग किया September 3, 2015 by मनमोहन आर्य | 1 Comment on महर्षि दयानन्द ने देश व धर्म के लिए माता-पिता-बन्धु-गृह व अपने सभी सुखों का स्वेच्छा से त्याग किया -विश्व इतिहास की अन्यतम् घटना- भारत संसार में महापुरूषों को उत्पन्न करने वाली भूमि रहा है। यहां प्राचीन काल में ही अनेक ऋषि मुनि उत्पन्न हुए जिन्होंने वेदानुसार आदर्श जीवन व्यतीत किया। इन ऋषियों में से कुछ के नाम ही विदित हैं। अनेक ऋषि मुनियों ने महान कार्यों को किया परन्तु उन्होंने न तो अपना […] Read more » Featured महर्षि दयानन्द
धर्म-अध्यात्म अंधविश्वासों का खण्डन समाज की उन्नति के लिए परम आवश्यक August 31, 2015 by मनमोहन आर्य | 2 Comments on अंधविश्वासों का खण्डन समाज की उन्नति के लिए परम आवश्यक जिस प्रकार से मनुष्य शरीर में कुपथ्य के कारण समय-समय पर रोगादि हो जाया करते हैं, इसी प्रकार समाज में भी ज्ञान प्राप्ति की समुचित व्यवस्था न होने के कारण सामाजिक रोग मुख्यतः अन्धविश्वास, अपसंस्कृति एवं किंकर्तव्यविमूढ़ता आदि हो जाया करते हैं। अज्ञान, असत्य व अन्धविश्वास का पर्याय है। जहां अज्ञान होगा वहां अन्धविश्वास वर्षा […] Read more » Featured अंधविश्वासों का खण्डन
धर्म-अध्यात्म सच्चे तीर्थ माता-पिता-आचार्य व आप्त विद्वानों के सदुपदेश आदि हैं। August 31, 2015 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment आजकल कुछ स्थानों अथवा नदी व सरोवरों को तीर्थ कहा जाता है। किसी से कोई पूछे कि इन तीर्थ स्थानों से इतर देश के अन्य सभी स्थान सच्चे तीर्थ क्यों नहीं है, तो इसका उत्तर शायद कोई नहीं दे सकेगा। तीर्थ शब्द संस्कृत भाषा का है और इसका प्रयोग वेद व वैदिक साहित्य […] Read more » Featured
धर्म-अध्यात्म देश की परतन्त्रता में मूर्तिपूजा की भूमिका August 27, 2015 by मनमोहन आर्य | 1 Comment on देश की परतन्त्रता में मूर्तिपूजा की भूमिका ‘देश की परतन्त्रता में मूर्तिपूजा की भूमिका पर महर्षि दयानन्द का सन् 1874 में दिया एक हृदयग्राही ऐतिहासिक उपदेश’ हमने विगत तीन लेखों में महर्षि दयानन्द के सन् 1874 में लिखित आदिम सत्यार्थ प्रकाश से हमारे देश आर्यावर्त्त में महाभारत काल के बाद अज्ञान व अन्धविश्वासों में वृद्धि, मूर्तिपूजा के प्रचलन, मन्दिरों के विध्वंश व […] Read more » देश की परतन्त्रता में मूर्तिपूजा की भूमिका
धर्म-अध्यात्म दक्षिण भारत के संत (16) शैवाचार्य नयनार August 26, 2015 by बी एन गोयल | Leave a Comment बी एन गोयल करचरणकृतं, वाक्कायजं कर्मजं वा, श्रवण नयनजं, मानसमवापराधं| विहितमविहितं सर्वमेततक्षमस्व जय जय करुणाब्धे, श्री महादेव शम्भो|| हाथों से, पैरों से, वाणी से अथवा कर्मों से, कानों से, अथवा आँखों से, अथवा मन से, जाने अथवा अनजाने में यदि कभी कोई कहीं अपराध हो गया हो तो हे करुणा के सागर […] Read more »
धर्म-अध्यात्म मूर्तिपूजा के इतिहास पर महर्षि दयानन्द का उपदेश August 24, 2015 / August 24, 2015 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment महर्षि दयानन्द के इतिहास विषयक एक उपदेश जिसमें उन्होंने महाभारत काल व उसके बाद देश में धर्म व अध्ययन अध्यापन पर प्रकाश डाला है, को हमनें अपने पूर्व लेख में प्रस्तुत किया था। उसी क्रम में उसके बाद देश में वेदाध्ययन को छोड़कर मूर्तिपूजा के प्रचलन विषयक घटी घटनाओं के इतिहास पर उनके उपदेश […] Read more »
धर्म-अध्यात्म महर्षि दयानन्द का भारत के यथार्थ इतिहास पर महत्वपूर्ण उपदेश August 22, 2015 / August 22, 2015 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment -मनमोहन कुमार आर्य महर्षि दयानन्द (1825-1883) का सारा जीवन ईश्वर की खोज, मृत्यु पर विजय, योग, अध्ययन-अध्यापन, उपदेश, वेद-धर्म प्रचार, शास्त्रार्थ, समाज सुधार व अनुमानतः सन् 1857 के देश की आजादी के लिए संग्राम में गुप्त रूप से कार्य करने में व्यतीत हुआ था। महर्षि दयानन्द बाल ब्रह्मचारी थे। वह जन्म से ही […] Read more »
धर्म-अध्यात्म मैं और मेरा धर्म August 21, 2015 by मनमोहन आर्य | 2 Comments on मैं और मेरा धर्म मैं कौन हूं और मेरा धर्म क्या है? इस विषय पर विचार करने पर ज्ञात होता है कि मैं एक मुनष्य हूं और मनुष्यता ही मेरा धर्म है। मनुष्य और मनुष्यता पर विचार करें तो हम, मैं कौन हूं व मेरे धर्म मनुष्यता का परिचय जान सकते हैं। इसी पर आगे विचार करते हैं। […] Read more »