धर्म-अध्यात्म प्रभातवेला में ईश्वर से किस प्रकार व क्या प्रार्थना करें? May 7, 2015 / May 7, 2015 by मनमोहन आर्य | 2 Comments on प्रभातवेला में ईश्वर से किस प्रकार व क्या प्रार्थना करें? –मनमोहन कुमार आर्य– -वैदिक जीवन का एक नित्य कर्तव्य- वेद ईश्वरीय ज्ञान है। सृष्टि के आरम्भ में संसार के सभी मनुष्य वेदों के अनुसार ही जीवन व्यतीत करते आयें हैं। रात्रि को मनुष्यों को कब सोना चाहिये, प्रातः काल कब जागना चाहिये और प्रथम क्या कर्तव्य हैं, इसका उल्लेख वेदों के आधार पर महर्षि दयानन्द […] Read more » Featured ईश्वर दयानंद सरस्वती प्रभातवेला में ईश्वर से किस प्रकार व क्या प्रार्थना करें ? वेद
धर्म-अध्यात्म आर्यसमाज का सार्वभौमिक कल्याणकारी लक्ष्य एवं उसकी पूर्ति में बाधायें May 6, 2015 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment –मनमोहन कुमार आर्य– आर्य समाज का उद्देश्य संसार में ईश्वर प्रदत्त वेदों के ज्ञान का प्रचार व प्रसार है। यह इस कारण कि संसार में वेद ज्ञान की भांति ऐसा कोई ज्ञान व शिक्षा नहीं है जो वेदों के समान मनुष्यों के लिए उपयोगी व कल्याणप्रद हो। वेद ईश्वर के सत्य ज्ञान का भण्डार हैं […] Read more » Featured आर्य समाज आर्यसमाज का सार्वभौमिक कल्याणकारी लक्ष्य एवं उसकी पूर्ति में बाधायें दयानंद सरस्वती वेद
धर्म-अध्यात्म विविधा जीव कर्म करने में स्वतन्त्र और फल भोगने में ईश्वराधीन है May 5, 2015 / May 5, 2015 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment –मनमोहन कुमार आर्य– यदि वेद न होते तो संसार के मनुष्यों को यह कदापि ज्ञान न होता कि मनुष्य कौन व क्या है? यह संसार क्यों, कब व किससे बना, मनुष्य जीवन का उद्देश्य क्या है और उस उद्देश्य की प्राप्ति के साधन क्या-क्या हैं? वेद एक प्रकार से कर्तव्य शास्त्र के ग्रन्थ हैं जो […] Read more » Featured जीव कर्म करने में स्वतन्त्र और फल भोगने में ईश्वराधीन है जीवन कर्म वेद
धर्म-अध्यात्म महर्षि दयानन्द, आर्य समाज और गुरूकुलीय शिक्षा May 5, 2015 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment –मनमोहन कुमार आर्य- महर्षि दयानन्द ने मुख्यतः वेद प्रचार के लिए ही आर्यसमाज की स्थापना की थी। यह बातें गौण हैं कि यह स्थापना कहां की गई या कब की गई थी। किसी संस्था के गठन का उद्देश्य ही महत्वपूर्ण होता है। इसका उत्तर महर्षि दयानन्द ने स्वयं आर्यसमाज के 10 नियमों में से तीसरे […] Read more » Featured आर्य समाज गुरूकुलीय शिक्षा महर्षि दयानन्द वेद
धर्म-अध्यात्म महात्मा बुद्ध ईश्वर में विश्वास रखने वाले आस्तिक थे ? May 4, 2015 by मनमोहन आर्य | 9 Comments on महात्मा बुद्ध ईश्वर में विश्वास रखने वाले आस्तिक थे ? महात्मा बुद्ध को उनके अनुयायी ईश्वर में विश्वास न रखने वाला नास्तिक मानते हैं। इस सम्बन्ध में आर्यजगत के एक महान विद्वान पं. धर्मदेव विद्यामार्तण्ड अपनी प्रसिद्ध पुस्तक “बौद्धमत एवं वैदिक धर्म” में लिखते हैं कि आजकल जो लोग अपने को बौद्धमत का अनुयायी कहते हैं उनमें बहुसंख्या ऐसे लोगों की है जो ईश्वर […] Read more » Featured महात्मा बुद्ध
धर्म-अध्यात्म दक्षिण भारत के संत (7) कनक दास May 2, 2015 / May 2, 2015 by बी एन गोयल | Leave a Comment बी एन गोयल आरिगारील्ल आपत्काल दौलगे – वारिजाशन नाम नेने कंडया मन वे। … … विपत्ति के समय कोई किसी का नहीं होता, हे मूर्ख मना, तू भगवान के नाम का स्मरण कर – जब तू भूख से तड़प रहा हो, जब बैरी तुझे चारों ओर से घेर लें जब बीमार होने पर शरीर […] Read more » Featured कनक दास दक्षिण भारत के संत
धर्म-अध्यात्म आर्य सुधारक थे महात्मा बुद्ध May 2, 2015 / May 2, 2015 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment बौद्ध मत के प्रवर्तक महात्मा बुद्ध के बारे में यह माना जाता है कि वह आर्य मत वा वैदिक धर्म के आलोचक थे एवं बौद्ध मत के प्रवर्तक थे। उन्हें वेद विरोधी और नास्तिक भी चित्रित किया जाता है। हमारा अध्ययन यह कहता है कि वह वेदों को मानते थे तथा ईश्वर व जीवात्मा के […] Read more » buddhबौद्ध मत के प्रवर्तक महात्मा बुद्ध Featured आर्य सुधारक बौद्ध मत के प्रवर्तक महात्मा बुद्ध वैदिक धर्म के आलोचक थे
धर्म-अध्यात्म हिन्दू-बौद्ध संयुक्त रूप में आज भी विश्वगुरु हैं हम May 2, 2015 by प्रवीण गुगनानी | Leave a Comment बुद्ध जयंती अर्थात बुद्ध पूर्णिमा या वेसाक या हनमतसूरी बौद्ध धर्मावलम्बियों के साथ साथ सम्पूर्ण भारत वर्ष के लिए एक महत्वपूर्ण, आस्था जन्य और उल्लासपूर्वक मनाया जानें वाला पर्व है. भगवान् बुद्ध के अवतरण का यह पर्व वैशाख पूर्णिमा के दिन पड़ता है. विश्व के अनेक भागों में फैले हुए बौद्ध मतावलंबी इस पर्व को […] Read more » Featured अष्टांग मार्ग बुद्ध जयंती बुद्ध पूर्णिमा बौद्ध बौद्ध धर्म हिन्दू-बौद्ध हिन्दू-बौद्ध संयुक्त
आर्थिकी जरूर पढ़ें धर्म-अध्यात्म घातिनी अर्थवृत्ति May 1, 2015 by राम सिंह यादव | Leave a Comment शनै: शनै: करके वक्त बीत चला है। 2014 की ईस्वी भी डूब चुकी है। चंद सफ़ेद पन्ने हैं जिन पर इतिहास छप चुका है. कुछ पन्ने फड़फड़ा कर चहक रहे हैं तो कुछ भीगे हुये दर्द और स्याह की खामोश दास्तानों से लिपटे हुये खामोश से पड़े हैं। हजारों सालों से सभ्यताओं की जो टूटी […] Read more » Featured
धर्म-अध्यात्म जन्मना जाति व्यवस्था, वर्ण व्यवस्था और स्वामी श्रद्धानन्द May 1, 2015 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment स्वामी श्रद्धानन्द महर्षि दयानन्द के अनुयायी, आर्य समाज के नेता, प्राचीन वैदिक शिक्षा गुरूकुल प्रणाली के पुनरुद्धारक, स्वतन्त्रता संग्राम के अजेय सेनानी, अखिल भारतीय हिन्दू शुद्धि सभा के प्रधान थे। हिन्दू जाति को संगठित एवं शक्तिशाली बनाने के लिए आपने एक पुस्तक ‘हिन्दू संगठन – क्यों और कैसे?’ का प्रणयन किया था। यह पुस्तक प्रथववार […] Read more » Featured जन्मना जाति व्यवस्था वर्ण व्यवस्था स्वामी श्रद्धानन्द
धर्म-अध्यात्म यशोदानंदन-५९ (अंतिम कड़ी) May 1, 2015 by विपिन किशोर सिन्हा | 1 Comment on यशोदानंदन-५९ (अंतिम कड़ी) उद्धव को अब प्रतीत हुआ – राधा की ऊंचाई तो आकाश से भी ऊंची है। “इधर देखो, उद्धव! राधा ने अचानक उद्धव का ध्यान खींचा। एक अश्वत्थ वृक्ष के नीचे, कालिन्दी के प्रवाह के कारण चिकनी हुई एक शिला पड़ी थी। “जिस दिन सभी ग्वाल-बाल श्रीकृष्ण के साथ मथुरा गए थे, उस दिन की पिछली […] Read more » Featured यशोदानंदन-५९
धर्म-अध्यात्म यशोदानंदन-५८ April 30, 2015 by विपिन किशोर सिन्हा | Leave a Comment -विपिन किशोर सिन्हा- “राधा!” उद्धव के कंठ से अस्फुट स्वर निकला। “कौन, उद्धव?” राधा का प्रतिप्रश्न उद्धव जी ने सुना। गोपियों से बात करते-करते, उन्हें समझाते-बुझाते सूरज कब पश्चिम के क्षितिज पर पहुंच गया उद्धव जी को पता ही नहीं चला। राधा ने उद्धव जी के पास आने की आहट भी नहीं सुनी। उद्धव जी […] Read more » Featured कृष्ण गोपियां यशोदा यशोदानंदन-५८ श्रीकृष्ण