धर्म-अध्यात्म विविधा ‘पत्नी घर का खजाना और पतिकुल की रक्षिका है’ April 25, 2015 / April 25, 2015 by मनमोहन आर्य | 1 Comment on ‘पत्नी घर का खजाना और पतिकुल की रक्षिका है’ –मनमोहन कुमार आर्य- वेद सब सत्य विद्याओं का पुस्तक है और वेदों को स्वयं पढ़ना व दूसरों को पढ़ाना सब श्रेष्ठ मनुष्यों का परम धर्म है। यह घोषणा महाभारत काल के बाद वेदों के अपूर्व विद्वान महर्षि दयानन्द सरस्वती ने सप्रमाण की है। वेदों का अध्ययन करने पर इसमें सर्वत्र जीवनोपयगी बहुमूल्य ज्ञान व प्रेरक […] Read more » Featured अथर्ववेद ऋग्वेद पत्नी घर का खजाना और पतिकुल की रक्षिका है यजुर्वेद वेद
धर्म-अध्यात्म विविधा यशोदानंदन-५३ April 25, 2015 by विपिन किशोर सिन्हा | Leave a Comment -विपिन किशोर सिन्हा- श्रीकृष्ण ने एक संक्षिप्त उत्तर दिया और उसके बलिष्ठ हाथों को ऐसा जोरदार झटका दिया कि वह सीढ़ियों से लुढ़कता हुआ सीधे धरती पर पीठ के बल जा गिरा। उसका स्वर्ण-मुकुट ठन-ठन आवाज करता हुआ लुढ़कते-लुढ़कते जनसमूह में विलीन हो गया। उसके रूखे घने केश अस्त-व्यस्त होकर बिखर गए। बड़े-बड़े और शक्तिशाली […] Read more » Featured कृष्ण गीता गोपियां यशोदा यशोदानंदन-५३ श्रीकृष्ण
धर्म-अध्यात्म ‘हे प्रभु ! मेरी पुकार सुनो’ April 24, 2015 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment सृष्टि के आरम्भ में परमात्मा ने मनुष्यों को अमैथुनी सृष्टि में उत्पन्न किया था। परमात्मा ने हमें पांच ज्ञानेन्द्रियों व पांच कर्मेन्द्रियों के साथ मन, बुद्धि, चित्त व अहंकार भी प्रदान किये हैं जो अपना-अपना कार्य करते हैं। ईश्वर के द्वारा हमें बुद्धि दिया जाना तभी सार्थक कहला सकता है कि यदि वह बुद्धि […] Read more »
धर्म-अध्यात्म यशोदानंदन-५२ April 24, 2015 by विपिन किशोर सिन्हा | Leave a Comment चाणूर और मुष्टिक के गतप्राण होने के उपरान्त कूट, शल और तोषल नामक भीमकाय राजमल्लों ने श्रीकृष्ण-बलराम पर एकसाथ आक्रमण कर दिया। कूट बलराम के एक घूंसे का भी प्रहार नहीं सह सका। वह वही ढ़ेर हो गया। शल तेजी से यशोदानंदन श्रीकृष्ण की ओर बढ़ा। मुस्कुराते हुए श्रीकृष्ण ने कौतुक करते हुए कंदुक की […] Read more » Featured यशोदानंदन-५२
धर्म-अध्यात्म विविधा यशोदानंदन-५१ April 23, 2015 by विपिन किशोर सिन्हा | Leave a Comment -विपिन किशोर सिन्हा- “हे नन्दलाल! हे श्रीकृष्ण-बलराम! तुम दोनों आदरणीय वीर हो। हमें महाराज द्वारा ज्ञात हुआ है कि तुम दोनों मल्ल-उद्ध में निपुण हो। तुम्हारा कौशल देखने के लिए ही तुम्हें यहां आमंत्रित किया गया है। नीति वचन है कि जो प्रजा मन, वचन और कर्म से राजा का प्रिय कार्य करती है, उसका […] Read more » Featured कृष्ण गोपियां यशोदा यशोदानंदन-५१ श्रीकृष्ण
चिंतन धर्म-अध्यात्म क्या ईश्वर है ? April 23, 2015 / April 23, 2015 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment –मन मोहन आर्य– क्या ईश्वर है, है या नहीं? इस युक्ति व तर्क से देखते हैं कि यथार्थ स्थिति क्या है? इससे पूर्व कि ईश्वर की चर्चा करें हम पहले मनुष्य जीवन की चर्चा करते हैं। लोग हमसे पूछते कि आप कौन हैं? हम उत्तर हैं कि मैं मनमोहन हूं। यहां मैं स्वयं अर्थात् अपने […] Read more » Featured ईश्वर क्या ईश्वर है ? दयानंद सरस्वती
चिंतन विविधा आओ चलें, जीवन के प्रश्नों का डटकर सामना करें April 22, 2015 / April 22, 2015 by ललित गर्ग | Leave a Comment -ललित गर्ग- एक सफल और सार्थक जिंदगी जीने के लिए मनुष्य के पास उन रास्तों का ज्ञान होना बहुत जरूरी है जो उसे अपने लक्ष्य तक पहुंचाते हैं। इन्हीं रास्तों पर आगे बढ़ते हुए हर मनुष्य की ‘सर्व भवन्तु सुखिनः’-सब सुखी हों- यह भावना होनी चाहिए। हम अपने कर्म और वाणी से ऐसा एक भी […] Read more » Featured आओ चलें जीवन जीवन के प्रश्नों का डटकर सामना करें जीवन प्रश्न जीवन संघर्ष
धर्म-अध्यात्म वर्ण और जन्मना जाति व्यवस्था तथा हमारा वर्तमान समाज April 22, 2015 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment –मनमोहन कुमार आर्य– उपलब्ध ज्ञान के आधार पर यह ज्ञात होता है कि अमैथुनी सृष्टि के प्रथम दिन ही जगत पिता ईश्वर ने अपनी शाश्वत् प्रजा मनुष्यों के कल्याणार्थ श्रेष्ठ पवित्र आत्माओं जो अग्नि, वायु, आदित्य व अंगिरा नामक चार ऋषि कहे जाते हैं, को क्रमशः चार वेदों ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद तथा अथर्ववेद का ज्ञान […] Read more » Featured महर्षि दयानंद वर्ण और जन्मना जाति व्यवस्था तथा हमारा वर्तमान समाज वर्तमान समाज वेद
धर्म-अध्यात्म यशोदानंदन-५० April 22, 2015 by विपिन किशोर सिन्हा | Leave a Comment -विपिन किशोर सिन्हा- ढोल-नगाड़ों की ध्वनि मथुरा नगर के बाहर भी पहुंच रही थी। स्नानादि प्रातःकर्मों से निवृत्त होने के पश्चात् श्रीकृष्ण तथा बलराम ने मल्लयुद्ध की रंगभूमि से आ रही नगाड़ों की ध्वनि सुनी। शीघ्र ही तैयार होकर उन्होंने रंगभूमि की ओर प्रस्थान किया। रंगभूमि के विशाल द्वार पर एक विशालकाय हाथी ने भयंकर […] Read more » Featured कृष्ण गोकुल यशोदानंदन-५० श्रीकृष्ण
धर्म-अध्यात्म महर्षि दयानन्द का सन् 1879 में देहरादून आगमन और आर्य समाज April 21, 2015 / April 21, 2015 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment -मनमोहन कुमार आर्य- स्वामी दयानन्द ने सन् 1863 में मथुरा में प्रज्ञाचक्षु दण्डी स्वामी गुरू विरजानन्द सरस्वती से विद्या प्राप्त कर गुरू की प्रेरणा व आज्ञा से सत्य के मण्डन व असत्य का खण्डन का कार्य चुना था। उन्होंने अपने अपूर्व ज्ञान व वैदुष्य के कारण वैदिक मान्यताओं को सत्य पाया और अन्य विचारधाराओं को […] Read more » Featured आर्य समाज महर्षि दयानन्द महर्षि दयानन्द का सन् 1879 में देहरादून आगमन और आर्य समाज
धर्म-अध्यात्म यशोदानंदन-49 April 21, 2015 by विपिन किशोर सिन्हा | Leave a Comment -बिपिन किशोर सिन्हा- श्रीकृष्ण अपने सभी बन्धु-बान्धवों और अनुचरों के साथ मथुरा आए थे। अपने साथ प्रचूर मात्रा में खाद्य-सामग्री भी लाना नहीं भूले थे। शिविर में पहुंचते ही अनुचर सेवा में तत्पर हो गए। उन्होंने दोनों भ्राताओं के पांव पखारे और उत्तम आसन दिए। दाउ के साथ अगले दिन के कार्यक्रम पर विस्तार से […] Read more » Featured कृष्ण यशोदानंदन-49 श्रीकृष्ण
धर्म-अध्यात्म अक्षय तृतीया का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व April 20, 2015 / April 21, 2015 by मृत्युंजय दीक्षित | Leave a Comment -मृत्युंजय दीक्षित- 21 अप्रैल पर विशेषः- हिंदू धर्मों में पर्वों की एक महान श्रृंखला है जिसके अंतर्गत वैषाख माह की षुक्ल पक्ष की तृतीया को अक्षय तृतीया का पर्व मनाया जाता है। अक्षय तृतीया का पर्वों में अद्वितीय स्थान है। पौराणिक ग्रंथों के अनुसार मान्यता है कि इसदिन जो भी कार्य मिलते हैं उनका अक्षय […] Read more » Featured अक्षय तृतीया अक्षय तृतीया का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व धार्मिक सांस्कृतिक महत्व