धर्म-अध्यात्म ‘वैदिक धर्म बनाम् आधुनिक जीवन’ April 20, 2015 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment –मनमोहन कुमार आर्य– वैदिक धर्म एक जीवन पद्धति है जो कि आघुनिक जीवन पद्धति से कुछ समानता रखने के साथ कुछ व कई बातों में इसके विपरीत भी है। अतः इन दोनों जीवन पद्धतियों में कौन सी पद्धति मनुष्यों के लिए श्रेयस्कर और श्रेष्ठ है और कौन सी नहीं है, इस पर विचार करना इस […] Read more » ‘वैदिक धर्म बनाम् आधुनिक जीवन’ Featured आधुनिक जीवन वैदिक धर्म
धर्म-अध्यात्म दक्षिण भारत के संत (6 ) संत पुरन्दर दास April 20, 2015 by बी एन गोयल | 1 Comment on दक्षिण भारत के संत (6 ) संत पुरन्दर दास बी एन गोयल युवावस्था में मैं अज्ञानी और अभिमानी था। मेरी इच्छाओं की कोई सीमा नहीं हैं, स्त्रियों के प्रति मेरी इच्छाएं अतृप्त हैं। मेरे प्रभु, मैंने एक बार भी तुम्हें याद नहीं किया मुझे अपना अनुचर बना ले, प्रभु। मुझे मानसिक शांति प्रदान करें मेरे पापों को उसी प्रकार क्षमा करें जैसे […] Read more » दक्षिण भारत के संत संत पुरन्दर दास
धर्म-अध्यात्म यशोदानंदन-४७ April 20, 2015 by विपिन किशोर सिन्हा | Leave a Comment श्रीकृष्ण, बलराम और मित्रों के साथ मंद स्मित बिखेरते हुए मंथर गति से राजपथ पर अग्रसर हो रहे थे। वे गजराज की भांति चल रहे थे। मथुरावासियों ने श्रीकृष्ण के अद्भुत लक्षणों की ढेर सारी चर्चायें सुन रखी थीं। जब प्रत्यक्ष रूप से राजपथ पर आगे बढ़ते हुए भ्राताद्वय के दर्शन प्राप्त हुए, तो भावातिरेक […] Read more » यशोदानंदन
चिंतन पंचायत जगाने निकले कुछ कदमों का संदेश April 19, 2015 / April 19, 2015 by अरुण तिवारी | Leave a Comment -अरुण तिवारी- इलाहाबाद से वाराणसी जाते समय सड़क किनारे एक जगह है – राजा के तालाब। बीते तीन अप्रैल को राजा के तालाब से एक यात्रा चली – तीसरी सरकार संवाद एवम् सम्पर्क यात्रा। राजतंत्र में राजा, पहली सत्ता होता है, प्रजा अंतिम। लोकतंत्र में संसद तीसरी सरकार होती है, विधानसभा दूसरी और ग्रामसभा पहली […] Read more » Featured पंचायत पंचायत जगाने निकले कुछ कदमों का संदेश
धर्म-अध्यात्म यशोदानंदन-४६ April 18, 2015 by विपिन किशोर सिन्हा | Leave a Comment अतीत कि स्मृतियों को याद करते-करते रथ कब मथुरा के राजपथ पर दौड़ने लगा, कुछ पता ही नहीं चला। शीघ्र ही यादवों की राजधानी मथुरा दृष्टिपथ में आ गई। अयोध्या के सूर्यवंशी सम्राट श्री रामचन्द्र के भ्राता शत्रुघ्न ने इसे बसाया था और नाम दिया था – मधुपुरी। चन्द्रवंशी यादवों ने इसे जीतकर इसका नाम […] Read more » यशोदानंद यशोदानंदन-४६
धर्म-अध्यात्म दक्षिण भारत के सन्त (4) तिरुज्ञान संभदार April 17, 2015 by बी एन गोयल | Leave a Comment बी एन गोयल दक्षिण भारत के शैवमताचार्यों में इनका नाम प्रमुख है। आदि शंकराचार्य ने ३२ वर्ष की आयु में ही देश को अध्यात्म की एक नई दिशा दी, उसी कार्य को संभदार ने अपनी १६ वर्ष की अल्पायु में आगे बढ़ाया। इनका जन्म तमिलनाडु में चिदम्बरम के पास सिरकाज़ी नाम के स्थान पर हुआ […] Read more » तिरुज्ञान संभदार दक्षिण भारत के सन्त संभदार
धर्म-अध्यात्म विविधा रेल यात्रा और स्वामी दयानन्द April 17, 2015 by मनमोहन आर्य | 2 Comments on रेल यात्रा और स्वामी दयानन्द महर्षि दयानन्द ने सन् 1863 में वैदिक धर्म के प्रचार प्रसार के क्षेत्र में कदम रखा था। इसके बाद उन्होने अक्तूबर, 1883 तक सारे देश का भ्रमण कर प्रचार किया। देश के एक स्थान से दूसरे स्थान तक जाने में वह सड़़क मार्ग के अतिरिक्त रेल यात्रा का भी प्रयोग करते थे। यात्रा में उनके […] Read more » Featured रेल यात्रा स्वामी दयानन्द
धर्म-अध्यात्म यशोदानंदन-४५ April 17, 2015 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment सूरज अपना गुण-धर्म कब भूलता है! प्राची के क्षितिज पर अरुणिमा ने अपनी उपस्थिति का आभास करा दिया। व्रज की सीमा में आकर पवन भी ठहर गया। पेड़-पौधे और अन्य वनस्पति ठगे से खड़े थे। पत्ता भी नहीं हिल रहा था। गौवों ने नाद से मुंह फेर लिया। दूध पीने के लिए मचलने वाले बछड़े […] Read more » यशोदानंदन
धर्म-अध्यात्म यशोदानंदन-४४ April 16, 2015 by विपिन किशोर सिन्हा | Leave a Comment माता अपने ही दिये गए आश्वासन के जाल में उलझ गई थी। देर तक श्रीकृष्ण का मुखमंडल एकटक निहारती रहीं। वहां दृढ़ निश्चय के भाव थे। अपनी भावनाओं पर काबू करते हुए माता ने स्वीकृति दे ही दी – “मेरे कन्हैया! मेरे श्यामसुन्दर! मेरे नटखट श्रीकृष्ण! मैं तुम्हें रोक नहीं सकती। जाओ, सत्पुरुषों के मार्ग […] Read more » यशोदानंदन-४४
धर्म-अध्यात्म दक्षिण भारत के संत (5) स्वामी राघवेन्द्र तीर्थ – April 16, 2015 by बी एन गोयल | Leave a Comment बी एन गोयल पूज्याय राघवेन्द्राय सत्यधर्मरताय च अजताम् कल्पवृक्षाय नमताम् कामधेनवे। . एक बार दक्षिण भारत के तंजावुर राज्य में भयंकर अकाल पड़ा। यहाँ तक की प्रजा के भूखों मरने की नौबत तक आ गयी। राजा ने प्रजा के कल्याण के लिए जितने भी संभव उपाय थे वे सभी कर लिए परन्तु […] Read more » Featured स्वामी राघवेन्द्र तीर्थ
धर्म-अध्यात्म जीव, ईश्वर तथा महर्षि दयानन्द April 15, 2015 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य संसार में दो प्रकार के पदार्थ हैं, एक चेतन पदार्थ है एवं दूसरे जड़ पदार्थ, जो चेतन पदार्थों के गुणों के सर्वथा विपरीत गुण वाले होते हैं। इन चेतन पदार्थों में जीव और ईश्वर दोनों ही चेतन पदार्थ हैं, दोनों का स्वभाव पवित्र है, दोनों अविनाशी हैं तथा धर्मिकता आदि गुणों से […] Read more » ईश्वर तथा महर्षि दयानन्द महर्षि दयानन्द
धर्म-अध्यात्म यशोदानंदन-४३ April 15, 2015 by विपिन किशोर सिन्हा | Leave a Comment नन्द बाबा ने ब्रह्मास्त्र चला ही दिया। सारे संसार को समझाना आसान था लेकिन मैया को? बाप रे बाप! वे तो अपनी सहमति कदापि नहीं देंगी। श्रीकृष्ण को बाबा ने धर्मसंकट में डाल ही दिया। परन्तु आज्ञा तो आज्ञा थी। अनुपालन तो होना ही था। दोनों भ्राता अन्तःपुर में पहुंचे। वहां माता यशोदा और रोहिणी […] Read more » Featured krisna tale यशोदानंदन