धर्म-अध्यात्म महर्षि दयानन्द के जीवन के कुछ प्रेरक प्रसंग April 14, 2015 by मनमोहन आर्य | 2 Comments on महर्षि दयानन्द के जीवन के कुछ प्रेरक प्रसंग आर्य समाज के संस्थापक महर्षि दयानन्द सरस्वती इतिहास में हुए ज्ञात वैदिक विद्वानों में अपूर्व विद्वान हुए हैं। वेद ईश्वरीय ज्ञान है और सब सत्य विद्याओं का पुस्तक है। वेदों का आविर्भाव सृष्टि की उत्पत्ति के आरम्भ में 1.96 अरब वर्ष पहले हुआ था। हमारे पूर्वजों ने इस ग्रन्थ रत्न की प्राणपण से रक्षा की। […] Read more » aary samaj Featured आर्य समाज मनमोहन कुमार आर्य महर्षि दयानन्द महर्षि दयानन्द के जीवन के कुछ प्रेरक प्रसंग
धर्म-अध्यात्म दक्षिण भारत के संत (4 ) तिरुज्ञानसंभदार April 13, 2015 by बी एन गोयल | 2 Comments on दक्षिण भारत के संत (4 ) तिरुज्ञानसंभदार दक्षिण भारत के शैवमताचार्य संतों में इन का नाम प्रमुख है। आदि शंकराचार्य ने 32 वर्ष की आयु में ही देश के अध्यात्म को एक नयी दिशा दी। उसी कार्य को संत शिरोमणि संभदार ने अपनी 16 वर्ष की अल्पायु में ही आगे बढ़ाया। इन का जन्म तमिल नाडु में चिदंबरम के पास सिरकोज़ी नामक स्थान पर हुआ था। इन के […] Read more » Featured तिरुज्ञानसंभदार दक्षिण भारत के संत दक्षिण भारत के संत (4 ) तिरुज्ञानसंभदार बी.एन. गोयल
धर्म-अध्यात्म यशोदानंदन-४१ April 13, 2015 by विपिन किशोर सिन्हा | Leave a Comment अक्रूर जी ने कंस का कथन बड़े ध्यान से सुना। कुछ समय मौन रहकर विचार किया – यदि वह बालक देवकी की आठवीं सन्तान है, तो अवश्य ही इस दुराचारी का वध करने में समर्थ होगा। इसकी मृत्यु निकट आ गई है, तभी यह दुर्जेय, अति पराक्रमी और ईश्वरीय गुणों से भरे हुए दोनों बालकों […] Read more » Featured gopal krishn Krishna बिपिन किशोर सिन्हा यशोदानंदन-४१
धर्म-अध्यात्म महान विद्वान पं. शिवशंकर शर्मा काव्यतीर का प्ररेणादायक साहित्य April 13, 2015 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment महर्षि दयानन्द का स्वयं का जीवन स्वर्ण के समान प्रकाशमान व पवित्र था। वह सच्चे पारसमणि पत्थर भी सिद्ध हुए जिनको छूकर अनेक साधारण मनुष्य वेदों के बडें-बड़े विद्वान बन गये। ऐसे विद्वानों में हम पं. शिवशंकर शर्मा काव्यतीर्थ सहित पण्डित गुरूदत्त विद्याथी, स्वामी श्रद्धानन्द, पण्डित लेखराम, महात्मा हंसराज, दर्शनानन्द सरस्वती, स्वामी वेदानन्द, स्वामी विद्यानन्द […] Read more » मनमोहन कुमार आर्य महान विद्वान पं. शिवशंकर शर्मा काव्यतीर का प्ररेणादायक साहित्य’
धर्म-अध्यात्म यशोदानंदन-४० April 11, 2015 / April 11, 2015 by विपिन किशोर सिन्हा | Leave a Comment अपनी अद्भुत लीला समाप्त कर श्रीकृष्ण ने व्रज लौटने का निश्चय किया। व्रज में श्रीकृष्ण की अनुपस्थिति से प्रोत्साहित अरिष्टासुर ने व्रज को तहस-नहस करने के उद्देश्य से व्रज में प्रवेश किया। उसने वृषभ का रूप धारण कर रखा था। उसके कंधे के पुट्ठे तथा डील-डौल असामान्य रूप से विशाल थे। उसके खुरों के पटकने […] Read more » Featured बिपिन किशोर सिन्हा यशोदानंदन-४० श्रीकृष्ण
धर्म-अध्यात्म मूर्तिपूजा, तीर्थ हर की पैड़ी, एकसाथ खानपान और महर्षि दयानन्द April 11, 2015 / April 11, 2015 by मनमोहन आर्य | 1 Comment on मूर्तिपूजा, तीर्थ हर की पैड़ी, एकसाथ खानपान और महर्षि दयानन्द महर्षि दयानन्द अपने जीवनकाल में देश के विभिन्न भागों में वेद प्रचारार्थ जाते थे और लोगों को उपदेश करते थे। वह प्रायः सभी स्थानों पर अपने कार्यक्रमों के विज्ञापन कराते थे जिसमें उपदेशों के अतिरिक्त शंका समाधान, वार्तालाप और शास्त्रार्थ करने का आमंत्रण हुआ करता था। उनके इन कार्यक्रमों में हिन्दूओं सहित सभी मुस्लिम व […] Read more » Featured एकसाथ खानपान और महर्षि दयानन्द तीर्थ हर की पैड़ी मनमोहन कुमार आर्य मूर्तिपूजा मूर्तिपूजा तीर्थ हर की पैड़ी एकसाथ खानपान और महर्षि दयानन्द
धर्म-अध्यात्म यशोदानंदन-३९ April 10, 2015 / April 11, 2015 by विपिन किशोर सिन्हा | Leave a Comment अपनी अद्भुत लीला समाप्त कर श्रीकृष्ण ने व्रज लौटने का निश्चय किया। व्रज में श्रीकृष्ण की अनुपस्थिति से प्रोत्साहित अरिष्टासुर ने व्रज को तहस-नहस करने के उद्देश्य से व्रज में प्रवेश किया। उसने वृषभ का रूप धारण कर रखा था। उसके कंधे के पुट्ठे तथा डील-डौल असामान्य रूप से विशाल थे। उसके खुरों के पटकने […] Read more » Featured Krishna बिपिन किशोर सिन्हा यशोदानंदन
धर्म-अध्यात्म आर्यसमाज ‘न भूतो न भविष्यति’ एक वैश्विक धार्मिक सामाजिक संस्था April 10, 2015 / April 11, 2015 by मनमोहन आर्य | 1 Comment on आर्यसमाज ‘न भूतो न भविष्यति’ एक वैश्विक धार्मिक सामाजिक संस्था आर्य समाज की स्थापना आज से 140 वर्ष पूर्व 10 अप्रैल, 2015 को मुम्बई में महर्षि दयानन्द सरस्वती जी ने की थी। महर्षि दयानन्द महाभारत के बाद वेदों के प्रथम शीर्षस्थ ऐसे विद्वान थे जिनकों वेदों के सत्य अर्थ करने की योग्यता प्राप्त थी। महाभारत के पश्चात विगत 5,000 वर्षों में महर्षि दयानन्द जैसा दूसरा […] Read more » Featured आर्यसमाज आर्यसमाज ‘न भूतो न भविष्यति’ एक वैश्विक धार्मिक सामाजिक संस्था धार्मिक मनमोहन कुमार आर्य वैश्विक सामाजिक संस्था
धर्म-अध्यात्म गंगा की महिमा और महर्षि दयानन्द April 9, 2015 / April 11, 2015 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment महर्षि दयानन्द महाभारत काल के बाद भारत ही नहीं विश्व में उत्पन्न हुए वेदों के अपूर्व विद्वान थे। उन्होंने अपनी कठोरतम तपस्या व साधना व ब्रह्मचर्य से यह जाना था कि वेद सृष्टि की आदि में ईश्वर के द्वारा चार ऋषियों को दिया गया वह ज्ञान है जो मनुष्य के जीवन भर के कर्तव्यकर्मों-धर्मकार्यों आदि […] Read more » Featured गंगा की महिमा गंगा की महिमा और महर्षि दयानन्द मनमोहन कुमार आर्य महर्षि दयानन्द महाभारत काल
धर्म-अध्यात्म यशोदानंदन-38 April 8, 2015 / April 11, 2015 by विपिन किशोर सिन्हा | Leave a Comment वह शरद-पूर्णिमा की रात थी। बेला, चमेली, गुलाब, रातरानी की सुगंध से समस्त वातावरण मह-मह कर रहा था। चन्द्रदेव ने प्राची के मुखमंडल पर उस रात विशेष रूप से अपने करकमलों से रोरी-केशर मल दी थी। उस रात मंडल अखंड था। वे नूतन केशर की भांति लाल हो रहे थे, मानो संकोचमिश्रित अभिलाषा से युक्त […] Read more » Featured Krishna बिपिन किशोर सिन्हा यशोदानंदन
धर्म-अध्यात्म स्वामी दयानन्द : दलितों के सच्चे स्नेही एवं विकासवाद को चुनौती देने वाले विश्व के प्रथम विचारक’ April 7, 2015 / April 11, 2015 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment महर्षि दयानन्द सरस्वती (1825-1883) के जीवन काल में हमारा देश भारत अनेक अन्धविश्वासों एवं कुरीतियों में जकड़ा हुआ था। देश भर में जन्म पर अधारित जाति प्रथा ‘जन्मना जातिप्रथा’ प्रचलित थी जिसमें समाज के विभिन्न वर्गों व जातियों द्वारा एक-दूसरे व परस्पर छुआछूत व अस्पर्शयता का व्यवहार किया जाता था। ऐसा लगता है कि यह […] Read more » Featured मनमोहन कुमार आर्य शूद्रों स्वामी दयानन्द : दलितों के सच्चे स्नेही एवं विकासवाद को चुनौती देने वाले विश्व के प्रथम विचारक’ स्त्री
धर्म-अध्यात्म यशोदानंदन-36 April 7, 2015 / April 11, 2015 by विपिन किशोर सिन्हा | Leave a Comment आश्चर्य! घोर आश्चर्य!! सात वर्ष का बालक गोवर्धन जैसे महापर्वत को अपनी ऊंगली पर सात दिनों तक धारण किए रहा। विस्मय से सबके नेत्र विस्फारित थे। सभी एक-दूसरे को प्रश्नवाचक दृष्टि से देख रहे थे, पर थे सभी अनुत्तरित। जिज्ञासा चैन से बैठने कहां दे रही थी। नन्द बाबा के अतिरिक्त किसमें सामर्थ्य थी जो […] Read more » Featured यशोदानंदन