धर्म-अध्यात्म गंगा की महिमा और महर्षि दयानन्द April 9, 2015 / April 11, 2015 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment महर्षि दयानन्द महाभारत काल के बाद भारत ही नहीं विश्व में उत्पन्न हुए वेदों के अपूर्व विद्वान थे। उन्होंने अपनी कठोरतम तपस्या व साधना व ब्रह्मचर्य से यह जाना था कि वेद सृष्टि की आदि में ईश्वर के द्वारा चार ऋषियों को दिया गया वह ज्ञान है जो मनुष्य के जीवन भर के कर्तव्यकर्मों-धर्मकार्यों आदि […] Read more » Featured गंगा की महिमा गंगा की महिमा और महर्षि दयानन्द मनमोहन कुमार आर्य महर्षि दयानन्द महाभारत काल
धर्म-अध्यात्म यशोदानंदन-38 April 8, 2015 / April 11, 2015 by विपिन किशोर सिन्हा | Leave a Comment वह शरद-पूर्णिमा की रात थी। बेला, चमेली, गुलाब, रातरानी की सुगंध से समस्त वातावरण मह-मह कर रहा था। चन्द्रदेव ने प्राची के मुखमंडल पर उस रात विशेष रूप से अपने करकमलों से रोरी-केशर मल दी थी। उस रात मंडल अखंड था। वे नूतन केशर की भांति लाल हो रहे थे, मानो संकोचमिश्रित अभिलाषा से युक्त […] Read more » Featured Krishna बिपिन किशोर सिन्हा यशोदानंदन
धर्म-अध्यात्म स्वामी दयानन्द : दलितों के सच्चे स्नेही एवं विकासवाद को चुनौती देने वाले विश्व के प्रथम विचारक’ April 7, 2015 / April 11, 2015 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment महर्षि दयानन्द सरस्वती (1825-1883) के जीवन काल में हमारा देश भारत अनेक अन्धविश्वासों एवं कुरीतियों में जकड़ा हुआ था। देश भर में जन्म पर अधारित जाति प्रथा ‘जन्मना जातिप्रथा’ प्रचलित थी जिसमें समाज के विभिन्न वर्गों व जातियों द्वारा एक-दूसरे व परस्पर छुआछूत व अस्पर्शयता का व्यवहार किया जाता था। ऐसा लगता है कि यह […] Read more » Featured मनमोहन कुमार आर्य शूद्रों स्वामी दयानन्द : दलितों के सच्चे स्नेही एवं विकासवाद को चुनौती देने वाले विश्व के प्रथम विचारक’ स्त्री
धर्म-अध्यात्म यशोदानंदन-36 April 7, 2015 / April 11, 2015 by विपिन किशोर सिन्हा | Leave a Comment आश्चर्य! घोर आश्चर्य!! सात वर्ष का बालक गोवर्धन जैसे महापर्वत को अपनी ऊंगली पर सात दिनों तक धारण किए रहा। विस्मय से सबके नेत्र विस्फारित थे। सभी एक-दूसरे को प्रश्नवाचक दृष्टि से देख रहे थे, पर थे सभी अनुत्तरित। जिज्ञासा चैन से बैठने कहां दे रही थी। नन्द बाबा के अतिरिक्त किसमें सामर्थ्य थी जो […] Read more » Featured यशोदानंदन
धर्म-अध्यात्म यशोदानंदन-३५ April 6, 2015 / April 11, 2015 by विपिन किशोर सिन्हा | Leave a Comment देवराज इन्द्र का आदेश पाते ही समस्त घातक बादल वृन्दावन के उपर प्रकट हुए। वहां निरन्तर बिजली की चमक, बादलों की गर्जना तथा प्रबल झंझा के साथ अनवरत वर्षा होने लगी। मोटे-मोटे स्तंभों के समान अविराम वर्षा करते हुए बादलों ने धीरे-धीरे वृन्दावन के संपूर्ण क्षेत्र को जलमग्न कर दिया। वर्षा के साथ तीव्र गति […] Read more » Featured Krishna बिपिन किशोर सिन्हा यशोदानंदन यशोदानंदन-३५
धर्म-अध्यात्म काशी शास्त्रार्थ और इसके दो शीर्ष विद्वानों का सौहार्द्र April 6, 2015 / April 7, 2015 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment महर्षि दयानन्द का मंगलवार 16 नवम्बर, 1869 को काशी के आनन्दबाग में अपरान्ह 3 बजे से सायं 7 बजे तक लगभग पांच हजार दर्शकों की उपस्थिति में विद्यानगरी काशी के शीर्षस्थ 30 पण्डितों से अकेले मूर्तिपूजा पर शास्त्रार्थ हुआ था। इस शास्त्रार्थ में सनातन धर्म वा पौराणिक मत के दो शीर्ष पण्डित स्वामी विशुद्धानन्द तथा […] Read more » Featured काशी काशी शास्त्रार्थ काशी शास्त्रार्थ और इसके दो शीर्ष विद्वानों का सौहार्द्र मनमोहन कुमार आर्य महर्षि दयानन्द
धर्म-अध्यात्म यशोदानंदन-३३ April 4, 2015 / April 7, 2015 by विपिन किशोर सिन्हा | Leave a Comment पृथ्वी पर हेमन्त ऋतु का आगमन हो चुका था। कास के श्वेत पुष्पों से धरा आच्छादित थी। प्रभात होते ही हरसिंगार के श्वेत-पीले पुष्प धरती पर गिर जाते थे। ऐसा प्रतीत होता था कि वृन्दावन की धरती पर श्वेत-पीले गलीचे बीछ गए हों। ग्रीष्म की तेज धूप और शिशिर की लगातार वृष्टि के बाद हेमन्त […] Read more » यशोदानंदन विपिन किशोर सिन्हा
धर्म-अध्यात्म हनुमान जी के प्रेरणादायक जीवन के अनुरूप स्वयं का जीवन बनायें April 4, 2015 / April 7, 2015 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment हनुमान जयन्ती के आज के दिन हनुमान जी के जीवन पर दृष्टिपात कर तथा उसमें अपने जीवन को उन्नत व सफलता प्रदान करने वाली घटनाओं को जानकर उनको आचरण में लाने की आवश्यकता है। वेदज्ञ बालब्रह्मचारी हनुमान जी राजा सुग्रीव के मंत्री थे। राजा सुग्रीव महाबलि राजा बाली के छोटे भाई थे। दोनों में मतभेद […] Read more » 4 अप्रैल को हनुमान जयन्ती Featured hanuman hanuman jayanti मनमोहन कुमार आर्य हनुमान जी हनुमान जी के प्रेरणादायक जीवन के अनुरूप स्वयं का जीवन बनायें
धर्म-अध्यात्म यशोदानंदन-३२ April 3, 2015 / April 4, 2015 by विपिन किशोर सिन्हा | Leave a Comment राधा का गोरा मुखमंडल लज्जासे आरक्त हो उठा। मन में असमंजस के भाव उठ रहे थे – एक अपरिचित छोरे को अपना परिचय दें, या न दें। परन्तु वह भी समझ नहीं पा रही थी। उस अपरिचित छोरे का मुखमंडल और मधुर स्वर चिर परिचित जैसा क्यों लग रहा था? एक बार पुनः वह मुड़ी। […] Read more » Featured Krishna radha यशोदानंदन विपिन किशोर सिंहा
धर्म-अध्यात्म ईश्वरीय ज्ञान वेद के पुनरूद्धारक, रक्षक व प्रचारक महर्षि दयानन्द April 3, 2015 / April 4, 2015 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment भारत का इतिहास संसार में सबसे प्राचीन है। भारत के पास महाभारत नामक इतिहास ग्रन्थ है। इस ग्रन्थ में वर्णित महाभारत युद्ध की काल गणना करने पर यह पांच सहस्र वर्षों से कुछ अधिक पूर्व हुआ सिद्ध होता है। महाभारत से पुराना ग्रन्थ वाल्मिीकि रामायण व इसमें वर्णित इतिहास है जिसकी गणना लाखों व […] Read more » Featured ईश्वरीय ज्ञान महर्षि दयानन्द वेद
धर्म-अध्यात्म अहिंसक धर्म के उद्घोषक भगवान महावीर April 1, 2015 / April 4, 2015 by मृत्युंजय दीक्षित | Leave a Comment भगवान महावीर का प्रादुर्भाव छठी शताब्दी ईसा पूर्व में हुआ था । जैन धर्मग्रन्थों के अनुसार भगवान महावीर 24 वें तीर्थंकर हैं, किन्तु जैन धर्म का सर्वाधिक विस्तार भगवान महावीर के समय में ही हुआ। महावीर का जन्म वज्जि राज्य संघ के अन्तर्गत ज्ञातृक गण में हुआ था। ज्ञातृक वर्ग के राजा सिद्धार्थ के वे […] Read more » Featured अहिंसक धर्म अहिंसक धर्म के उद्घोषक भगवान महावीर भगवान महावीर महावीर जयंती मृत्युंजय दीक्षित
धर्म-अध्यात्म भगवान महावीर जैन धर्म के संस्थापक नहीं April 1, 2015 / April 4, 2015 by प्रोफेसर महावीर सरन जैन | Leave a Comment बहुत से इतिहासकारों एवं विद्वानों ने भगवान महावीर को जैन धर्म का संस्थापक माना है। भगवान महावीर जैन धर्म के प्रवर्तक नहीं हैं। वे प्रवर्तमान काल के चौबीसवें तीर्थंकर हैं। जैन धर्म की भगवान महावीर के पूर्व जो परम्परा प्राप्त है, उसके वाचक निगंठ धम्म (निर्ग्रन्थ धर्म), आर्हत् धर्म एवं श्रमण परम्परा आदि रहे […] Read more » Featured जैन धर्म जैन धर्म के संस्थापक भगवान महावीर भगवान महावीर जैन धर्म के संस्थापक नहीं