कला-संस्कृति धर्म-अध्यात्म चैत्र नवरात्रि और हिंदू नववर्ष: एक नई शुरुआत का संकल्प March 25, 2025 / March 25, 2025 by उमेश कुमार साहू | Leave a Comment उमेश कुमार साहू साल की हर शुरुआत अपने भीतर नई आशाओं, नए संकल्पों और नई ऊर्जा को समेटे होती है। हिंदू पंचांग के अनुसार, चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से नववर्ष का आरंभ होता है जिसे हम विक्रम संवत् के रूप में जानते हैं। यह वही समय है जब प्रकृति नवजीवन का उत्सव मनाती है, वसंत अपने यौवन पर […] Read more » Chaitra Navratri and Hindu New Year चैत्र नवरात्रि और हिंदू नववर्ष
धर्म-अध्यात्म ऋषभ हैं सभ्यता और संस्कृति के पुरोधा पुरुष March 21, 2025 / March 21, 2025 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment भगवान ऋषभदेव जन्म जयन्ती 22 मार्च, 2025 पर विशेष-ललित गर्ग-जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर आदिनाथ यानी भगवान ऋषभदेव विश्व संस्कृति के आदि पुरुष, आदि संस्कृति निर्माता थे। वे प्रथम सम्राट और प्रथम धर्मतीर्थ के आद्य प्रणेता थे। उनकी निर्मल जीवनगाथा हजारों वर्षों से जनजीवन को प्रेरणा प्रदान करती रही है। जैन, बौद्ध और वैदिक परम्परा में ही […] Read more » Lord Rishabhdev birth anniversary 22 March
कला-संस्कृति धर्म-अध्यात्म वेदों ने गौ माता को अवध्या कहकर पूजनीया माना है March 15, 2025 / March 18, 2025 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment डॉ राकेश कुमार आर्य वैदिक संस्कृति संसार की सर्वोत्तम संस्कृति है। इस संस्कृति ने अहिंसा को धर्म के दस लक्षणों में जीवन को उन्नतिशील बनाने वाले दस यम नियमों में प्रमुख स्थान दिया है। इसने दुष्ट की दुष्टता के दमन के लिए मन्यु की अर्थात सात्विक क्रोध की तो कामना की है, परंतु अक्रोध को […] Read more » Vedas have considered mother cow as worshipable by calling her Avdhya गौ माता को अवध्या कहकर पूजनीया माना है
टेक्नोलॉजी धर्म-अध्यात्म मस्तिष्क की परिसंरचना में AI का प्रवेश। March 5, 2025 / March 5, 2025 by शिवानंद मिश्रा | Leave a Comment शिवानंद मिश्रा क्या आपको लगता है कि आपके मस्तिष्क में क्या चल रहा है, इसे कोई टेक कंपनी नहीं जान सकती? अगर ऐसा सोचते हैं तो आप भारी गलतफहमी में हैं। आप जो सोचते हैं, जो महसूस करते हैं, और यहां तक कि जो सपने देखते हैं—सब कुछ टेक कंपनियों के रडार पर है। आपको […] Read more » Entry of AI into the brain ecosystem. मस्तिष्क की परिसंरचना में AI का प्रवेश
धर्म-अध्यात्म राजनीति महाकुंभ की सफलता ने दुनिया को चौंकाया February 28, 2025 / February 28, 2025 by ललित गर्ग | Leave a Comment -ः ललित गर्ग:-समुद्र मंथन के दौरान निकले कलश से छलकीं अमृत की चंद बूंदों से युगों पहले शुरू शुरू हुई कुंभ स्नान की परंपरा का तीर्थराज प्रयागराज की धरती पर बीते 13 जनवरी से आयोजित हुए दिव्य-भव्य और सांस्कृतिक-धार्मिक समागम महाकुम्भ ने बुधवार को महाशिवरात्रि के अंतिम स्नान पर्व पर 66 करोड़ का आंकड़ा पारकर […] Read more » The success of Maha Kumbh surprised the world महाकुंभ की सफलता महाकुंभ की सफलता ने दुनिया को चौंकाया
धर्म-अध्यात्म आधुनिक संसार शिक्षित होकर भी कर्म-फल विधान से अपरिचित है February 27, 2025 / February 27, 2025 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment -मनमोहन कुमार आर्य वर्तमान युग में ज्ञान व विज्ञान विकास एवं उन्नति के शिखर पर कहे जाते हैं। यह बात भौतिक विद्याओं पर ही लागू कही जा सकती है। विज्ञान की इस उन्नति में मनुष्य को आध्यात्मिक ज्ञान से विमुख व दूर किया है। मनुष्य संसार में उत्पन्न होते हैं व अपनी अपनी बड़ी […] Read more » कर्म-फल विधान
कला-संस्कृति धर्म-अध्यात्म प्रयागकुम्भ की उत्पत्ति तथा इतिहास February 27, 2025 / February 27, 2025 by आत्माराम यादव पीव | Leave a Comment आत्माराम यादव पीव पृथिव्यां कुम्भयोगस्य चतुर्धा भेट उच्यते। चतुस्थले च पतनात् सुधाकुम्मस्य भूतले ।। विष्णुद्वारे तीर्थराजेऽपन्त्यां गोदावरी तटे। सुधाबिन्दुविनिक्षेपात् कुम्मपर्वेति विश्रुतम्।।” अर्थात अमृतकुम्भ के छलकने पर पृथ्वीतल में चार स्थानों-हरिद्वार, प्रयाग, उज्जैन तथा गोदावरी तट अर्थात् नासिक में अमृतकण गिरने से कुंभपर्व शुरू हुआ। दूसरे श्लीक में प्रयाग में होने वाले कुम्भपर्व की ग्रहस्थिति और महिमा के बारे में उद्धृत किया हैं- मकरे च दिवाकरे यूपगे […] Read more » प्रयागकुम्भ की उत्पत्ति
कला-संस्कृति धर्म-अध्यात्म ‘महाशिवरात्रि’ के आध्यात्मिक और वैज्ञानिक रहस्यों को ऐसे समझिए, जनकल्याणक है February 27, 2025 / February 27, 2025 by कमलेश पांडेय | Leave a Comment कमलेश पांडेय शिव पूजा का तातपर्य हमेशा लोककल्याणकारी-जनकल्याणकारी कार्यों से है। इसलिए ‘महाशिवरात्रि’ के आध्यात्मिक और वैज्ञानिक रहस्यों को अवश्य समझना चाहिए। यथासम्भव दूसरों को बतलाना चाहिए। शिवकथा का उद्देश्य यही है जो जन कल्याणक और लोकमंगलकारी है। शिवरात्रि अर्थात् भगवान शिवजी की रात्रि। पौराणिक कथाओं के अनुसार इसी तिथि की रात्रि को भगवान शिवजी का विवाह पार्वती जी से हुआ था। लिहाजा, यह भगवान शिवजी की आराधना की रात्रि है जो फाल्गुन कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी (चौदस) को मनायी जाती है। क्या आपको पता है कि जब अन्य देवताओं का पूजन-यजन दिन में होता है तो फिर शिवजी का पूजन रात्रि में ही क्यों, अक्सर यह विचार आपके मन में उत्पन्न हो सकता है। इसलिए आपको बता दें कि भगवान शिव तमोगुण प्रधान संहार के देवता हैं। अत: तमोमयी रात्रि से उनका ज्यादा स्नेह है। चूंकि रात्रि संहारकाल का प्रतिनिधित्व करती है। कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी में रात्रिकालीन प्रकाश का स्रोत चन्द्रमा भी पूर्ण रूप से क्षीण होता है। लिहाजा जीवों के अन्दर भी तामसी प्रवृत्तियाँ कृष्ण पक्ष की रात में बढ़ जाती हैं। यही वजह है कि जैसे पानी आने से पहले पुल बाँधा जाता है, उसी प्रकार चन्द्र क्षय तीज आने से पहले उन तामसी प्रवृत्तियों के शमन (निवारण) हेतु भगवान आशुतोष (शिव) की आराधना का विधान शास्त्रकारों ने बनाया। यही रहस्य है जो लोककल्याणक है। मंगलकारी है। दरअसल, संहार के पश्चात् नई सृष्टि अनिवार्य है अर्थात् संहार के बाद पुन: सृष्टि होती है। इसलिए आप देखते हैं कि फाल्गुन मास में सभी पेड़-पौधों (लगभग सभी) के पत्ते झड़ जाते हैं उसके बाद ही नई पत्तियाँ निकलती हैं। इसे सृष्टि का नया स्वरूप जानो। समझो। महाशिवरात्रि इसके निखरने की पावन बेला है। सवाल है कि महाशिवरात्रि पर लोग उपवास और रात्रि जागरण क्यों करते हैं? इसकी धार्मिक विधि क्या है? से स्पष्ट करें? क्या इसका कोई वैज्ञानिक कारण है? यहां पर आपकी जिज्ञासा शांति के लिए बता दें कि जिस प्रकार शराब, भाँग, गाँजा, अफीम आदि पदार्थों में मादकता (नशा) होती है उसी प्रकार अन्न में भी मादकता होती है। शायद कुछ लोग इस बात को न जानते हों किन्तु यह सत्य है कि अन्न में मादकता होती है। आप भोजन करने के बाद शरीर में शिथिलता और आलस्य महसूस करते होंगे जबकि सिर्फ फलाहार या मात्र दूध का सेवन करने से आलस्य नहीं महसूस होता है। लिहाजा, अन्न की मादकता कम करने के लिए ही पूर्वकाल के मनीषियों ने उपवास/व्रत को प्राथमिकता दी। क्योंकि उपवास करने से शरीर की मादकता कम होती है जिससे शुद्धता आती है और मन धार्मिक कार्यों में लगता है। वहीं, रात्रि जागरण का अर्थ निद्रा और आलस्य को त्यागने से है। प्राचीनकाल के ऋषि-महर्षियों ने अपनी कठिन तपस्याओं के पश्चात् यह निष्कर्ष निकाला कि निद्राकाल को ‘काल’ का स्वरूप जानो, क्योंकि इन्सान की आयु श्वाँसों पर निर्धारित है। प्रत्येक इन्सान को परमात्मा की ओर से एक निश्चित श्वाँसें ही मिली हैं और जागृत (जागते हुए) अवस्था से ज्यादा श्वाँसें सुप्तावस्था (सोये हुए) में नष्ट होती हैं। अतएव जितनी श्वाँसें आप बचायेंगे, आपकी आयु उसी हिसाब में बढ़ती चली जायेगी। मसलन, आपने प्रमाण भी देखा होगा कि कुछ ऋषि-मुनि एक सौ पचास वर्षों तक या उससे ज्यादा जीवित रहे। क्या आपने कभी जानने का प्रयास किया कि ऐसा क्यों? आखिर हम और आप क्यों नहीं जीवित रह सकते? इसका एक मात्र कारण है योगासन! इस प्रकार उनकी आयु बढ़ती चली जाती थी। आप भी योगासन करके लम्बी आयु प्राप्त कर सकते हैं। आजकल वैज्ञानिक और डॉक्टर भी योगासन को महत्व देते हैं। कभी-कभी उपवास भी करने को कहते हैं। जिससे शरीर की पाचन प्रक्रिया सही बनी रहे। वहीं, एक सवाल यह भी है कि शिवलिंग की पूजा क्यों करते हैं? क्या इसमें कोई वैज्ञानिक रहस्य भी छिपा हुआ है? तो यह जान लीजिए कि शिव और शिवलिंग की पूजा किसी-न-किसी रूप में सम्पूर्ण विश्व में अनादि काल से होती चली आ रही है। इस समाज के कुछ आलोचक ऐसे हैं जो ‘लिंग’ शब्द का अर्थ अश्लीलता से जोड़कर सभ्य और धार्मिक विचार वाले व्यक्तियों को दिग्भ्रमित करने का प्रयास करते हैं। यह मूर्खतापूर्ण प्रयास है क्योंकि शिवलिंग का स्वरूप आकार विशेष से रहित है अर्थात् निराकार ब्रह्म के उपासक जिस प्रकार हाथ-पैर, शरीर रहित, रूप-रंग रहित ब्रह्म की उपासना करते हैं। ऐसा ही शिवलिंग का स्वरूप है। आपको पता होना चाहिए कि जब संसार में कुछ नहीं था, सर्वत्र शून्य (०) या अण्डे के आकार का, जिसे वेदों पुराणों की भाषा में ‘अण्ड’ कहा जाता है, वैसा ही स्वरूप शिवलिंग का है जिससे सिद्ध होता है कि शिव और शिवलिंग अनादि काल से हैं। जिस प्रकार से यह ० (शून्य) किसी अंक के दाहिनी ओर होने पर उस अंक के महत्व को दस गुणा बढ़ा देता है, उसी प्रकार से शिव भी दाहिने होकर अर्थात् अनुकूल होकर मनुष्य को सुख-समृद्धि और मान-सम्मान प्रदान करते हैं। इसलिए जनकल्याणक, लोककल्याण कारी बने रहिए। चूंकि ग्यारह रुद्रों में भगवान शिव की गणना होती है और एकादश (ग्यारह) संख्यात्मक होने के कारण भी यह पर्व हिन्दी (वर्ष) के ग्यारहवें महीने में ही सम्पन्न होता है। इसलिए श्रद्धा एवं उत्साह पूर्वक शिवरात्रि मनाइए। कमलेश पांडेय Read more » Understand the spiritual and scientific secrets of 'Mahashivratri' in this way महाशिवरात्रि
कला-संस्कृति धर्म-अध्यात्म महाकुंभ की सफलता ने दुनिया को चौंकाया February 27, 2025 / February 27, 2025 by ललित गर्ग | Leave a Comment -ः ललित गर्ग:-समुद्र मंथन के दौरान निकले कलश से छलकीं अमृत की चंद बूंदों से युगों पहले शुरू शुरू हुई कुंभ स्नान की परंपरा का तीर्थराज प्रयागराज की धरती पर बीते 13 जनवरी से आयोजित हुए दिव्य-भव्य और सांस्कृतिक-धार्मिक समागम महाकुम्भ ने बुधवार को महाशिवरात्रि के अंतिम स्नान पर्व पर 66 करोड़ का आंकड़ा पारकर […] Read more » The success of Maha Kumbh surprised the world महाकुंभ की सफलता
कला-संस्कृति धर्म-अध्यात्म महाकुंभ ने रचा इतिहास : योगी सरकार का अतुल्य प्रयास February 25, 2025 / March 25, 2025 by डॉ. सौरभ मालवीय | Leave a Comment -डॉ. सौरभ मालवीयउत्तर प्रदेश के प्रयाग में आयोजित महाकुंभ सफलतापूर्वक संपन्न हो गया। चूंकि उत्तर प्रदेश धार्मिक दृष्टि से अत्यंत समृद्ध राज्य है, इसलिए प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ धार्मिक एवं सांस्कृतिक गतिविधियों पर विशेष ध्यान दे रहे हैं। इसके अंतर्गत योगी सरकार ने महाकुंभ के भव्य आयोजन के लिए 6,990 करोड़ रुपये आवंटित किए […] Read more » Maha Kumbh created history: Incredible effort of Yogi government महाकुंभ
कला-संस्कृति धर्म-अध्यात्म प्रयागराज महाकुंभ को साम्प्रदायिक नहीं समावेशी सांस्कृतिक दृष्टि से देखिए February 13, 2025 / February 13, 2025 by गौतम चौधरी | Leave a Comment गौतम चौधरी विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक समागम, महाकुंभ मेला, आध्यात्मिकता, आस्था और सांस्कृतिक विरासत का शानदार उत्सव है। यह आयोजन, जो पवित्र गंगा यमुना और पौराणिक सरस्वती के मिलन स्थल, प्रयागराज के संगम पर प्रत्येक बारह वर्ष में एक बार आयोजित किया जाता है, भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और संगठनात्मक कौशल के प्रति […] Read more » Look at Prayagraj Mahakumbh from an inclusive cultural perspective प्रयागराज महाकुंभ
धर्म-अध्यात्म लेख किस विधान से बनते है महामंडलेश्वर, ममता कुलकर्णी की दीक्षा पर विवाद क्यों? January 28, 2025 / January 28, 2025 by रामस्वरूप रावतसरे | Leave a Comment रामस्वरूप रावतसरे उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में जारी महाकुंभ में बॉलीवुड अभिनेत्री ममता कुलकर्णी ने 24 जनवरी 2025 को गृहस्थ जीवन का त्याग करते हुए संन्यास ले लिया था। इसके बाद किन्नर अखाड़े में उन्हें महामंडलेश्वर बनाया गया है। संन्यास के बाद ममता कुलकर्णी ने अपना नया नाम श्री यमाई ममतानंद गिरि रखा लिया है। वहीं ममता कुलकर्णी के […] Read more » By which method Mahamandaleshwar is formed किस विधान से बनते है महामंडलेश्वर ममता कुलकर्णी की दीक्षा पर विवाद क्यों