धर्म-अध्यात्म श्राद्ध कर्म September 16, 2019 / September 16, 2019 by पंडित दयानंद शास्त्री | Leave a Comment श्राद्ध एक पवित्र कर्म है । जिसे निभाने से हमारे पूर्वजों के आशीष हमें प्राप्त होते हैं । भारतीय संस्कृति की एक बड़ी विशेषता है कि जीते-जी तो विभिन्न संस्कारों के द्वारा, धर्मपालन के द्वारा मानव को समुन्नत करने के उपाय बताती ही है लेकिन मरने के बाद भी, अंत्येष्टि संस्कार के बाद भी जीव […] Read more »
धर्म-अध्यात्म श्राद्ध पक्ष(महालय/कनागत/पितृपक्ष) में ब्राह्मण भोजन क्यों हैं आवश्यक ?? September 14, 2019 / September 14, 2019 by पंडित दयानंद शास्त्री | Leave a Comment धर्म ग्रंथों के अनुसार, ब्राह्मणों के साथ वायु रूप में पितृ भी भोजन करते हैं। ऐसी मान्यता है कि ब्राह्मणों द्वारा किया गया भोजन सीधे पितरों तक पहुंचता है। श्राद्ध में ब्राह्मणों को भोजन करवाना एक जरूरी परंपरा है। पितृ पक्ष में श्राद्ध कर्म के बाद ब्राह्मण भोज कराने का विधान बताया गया है। हिंदू […] Read more » brahman bhojan in mahalaya brahman bhojan in pitripaksha ब्राह्मण भोजन
धर्म-अध्यात्म जानिए पितृपक्ष में पितरों के लिए पिण्डदान और श्राद्ध कैसे करें?? September 13, 2019 / September 13, 2019 by पंडित दयानंद शास्त्री | Leave a Comment शास्त्रों में मनुष्य के लिए तीन ऋण कहे गये हैं- देव ऋण, ऋषि ऋण व पितृ ऋण। इनमें से पितृ ऋण को श्राद्ध करके उतारना आवश्यक है। क्योंकि जिन माता-पिता ने हमारी आयु, आरोग्यता तथा सुख सौभाग्य की अभिवृद्धि के लिए अनेक प्रयास किये, उनके ऋण से मुक्त न होने पर हमारा जन्म लेना निरर्थक […] Read more » pinddan Pitripaksha पितरों के लिए पिण्डदान और श्राद्ध पितृपक्ष
धर्म-अध्यात्म शारदीय नवरात्रि 2019 September 12, 2019 / September 12, 2019 by पंडित दयानंद शास्त्री | Leave a Comment इस वर्ष शारदीय नवरात्रि 29 सितंबर 2019 से शुरु होने जा रहे हैं। हिंदू धर्म के लोगों के लिए ये पूजा अर्चना के विशेष दिन होते हैं। इन दिनों मां दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों की उपासना की जाती है। नवरात्रि के इन में 9 दिनों तक माता दुर्गा के 9 स्वरूपों की आराधना करने से […] Read more »
धर्म-अध्यात्म भारतीय संस्कृति के ध्वजवाहक स्वामी विवेकानन्द September 11, 2019 / September 11, 2019 by अरविंद जयतिलक | Leave a Comment अरविंद जयतिलक 1893 में शिकागो में धर्म सम्मेलन (पार्लियामेंट आफॅ रिलीजन) में स्वामी विवेकानंद ने अपने ओजस्वी विचारों से अतीत के अधिष्ठान पर वर्तमान और वर्तमान के अधिष्ठान पर भविष्य का बीजारोपण कर विश्व की आत्मा को चैतन्यता से भर दिया था। उन्होंने पश्चिमी विचारधारा पर प्रहार करते हुए स्पष्ट कहा था कि ‘मेरी धारणा […] Read more » 1893 में शिकागो में धर्म सम्मेलन Swami Vivekanand in Chicago dharam sammelan
धर्म-अध्यात्म मनुष्य और पशु में अन्तर September 7, 2019 / September 7, 2019 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment -मनमोहन कुमार आर्य मनुष्य और पशुओं में अनेक समानतायें हैं। मनुष्य भोजन करते हैं और पशु भी घास आदि चारा खाकर अपना पेट भरते हैं। मनुष्य श्रम करने के बाद थक जाते हैं और विश्राम करने सहित निद्रा आने पर सो जाते हैं। इसी प्रकार पशु भी श्रम करते और निद्रा लेते है। मनुष्य […] Read more »
धर्म-अध्यात्म मनुष्य के लिए अनुचित एवं हानिकर है मांसाहार ” September 7, 2019 / September 7, 2019 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment -मनमोहन कुमार आर्य मनुष्य की उत्पत्ति अपनी आत्मा तथा परमात्मा सहित इस सृष्टि को जानने तथा सद्कर्म करने के लिये हुई है। क्या हम अपनी आत्मा, ईश्वर और इस सृष्टि को यथार्थरूप में जानते हैं? इसका उत्तर हमें यह मिलता है कि हम व संसार के प्रायः सभी लोग जिनमें सभी मतों के आचार्य […] Read more » मांसाहार
धर्म-अध्यात्म हम कहां से आये हैं और हमें कहां जाना है September 4, 2019 / September 4, 2019 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment –मनमोहन कुमार आर्य हम सब मनुष्यों का कुछ वर्ष पूर्व इस संसार में जन्म हुआ है और तब से हम इस शरीर में रहते हुए अपना समय अध्ययन-अध्यापन अथवा कोई व्यवसाय करते हुए अपने सांसारिक कर्तव्यों का निर्वाह कर रहे हैं। जब हमारा जन्म हुआ था तो हम अपने माता के शरीर से इस […] Read more »
धर्म-अध्यात्म ईश्वर के साथ हमारा पिता-पुत्र संबंध होने के कारण हमें उसके सभी श्रेष्ठ गुणों को धारण करना है. September 2, 2019 / September 2, 2019 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment –मनमोहन कुमार आर्य मनुष्य सत्य व चेतन स्वभाव से युक्त प्राणी है। सत्य का अर्थ है कि मनुष्य की सत्ता यथार्थ है। आत्मा की सत्ता काल्पनिक सत्ता नहीं है। चेतन का अर्थ है कि ज्ञान प्राप्ति व कर्म करने की सामथ्र्य से युक्त अल्पज्ञ सत्ता है। आत्मा सुख व दुःख का अनुभव करता है। […] Read more » ईश्वर पिता-पुत्र संबंध
धर्म-अध्यात्म पर्व - त्यौहार हिन्दू संस्कृति में आदिदेव हैं गणेश August 30, 2019 / August 30, 2019 by ललित गर्ग | Leave a Comment –ललित गर्ग विघ्नहर्ता, प्रथमपूज्य, एकदन्त भगवान श्री गणेश को ऐसे कईं नामों से जाना जाता है। किसी भी शुभ काम की शुरूआत करनी हो या फिर किसी विघ्न को दूर करने की प्रार्थना करनी हो, गजानन सबसे पहले याद आते हैं। कोई भी सिद्धि हो या साधना, विघ्नहर्ता गणेशजी के बिना सम्पूर्ण नहीं मानी जाती। […] Read more » hindu sanskriti lord ganesha
धर्म-अध्यात्म स्वास्थ्य-योग “अग्निहोत्र यज्ञ एक आध्यात्मिक एवं पूर्ण कल्याणप्रद कर्म है” August 28, 2019 / August 28, 2019 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment -मनमोहन कुमार आर्य, देहरादून। वैदिक धर्म का आरम्भ ईश्वर प्रदत्त वेदज्ञान से सृष्टि के आरम्भ में अमैथुनी सृष्टि में उत्पन्न ऋषियों व मनुष्यों से हुआ। ईश्वर सर्वज्ञ, सर्वव्यापक, सर्वशक्तिमान तथा सर्वानन्दयुक्त सत्ता है। उसका दिया हुआ वेद ज्ञान इस सृष्टि का सत्य ज्ञान है। ईश्वर ने सृष्टि क्यों बनाई है और मनुष्यों को क्या कर्तव्य […] Read more » Agnihotra Yajna spiritual and complete
चिंतन “गोरक्षा व गोपालन मानवीय कार्य होने से वैदिक धर्म का अंग है” August 27, 2019 / August 27, 2019 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment -मनमोहन कुमार आर्य, देहरादून। मनुष्य का कर्तव्य ‘जियो और जीने दो’ सिद्धान्त का पालन करना है। कोई मनुष्य यह नहीं चाहता दूसरा कोई मनुष्य उसके प्रति हिंसा का व्यवहार करे। अतः उसका भी यह कर्तव्य बनता है कि वह भी किसी मनुष्य या इतर प्राणी के प्रति हिंसा का व्यवहार न करे। हिंसा से मनुष्य […] Read more » are part of Vedic religion Cow protection due to humanitarian work