Category: धर्म-अध्यात्म

धर्म-अध्यात्म

“सृष्टिकर्ता ईश्वर प्रदत्त ज्ञान है वेद और संस्कृत भाषा”

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–मनमोहन कुमार आर्य, संसार में दो प्रकार की रचनायें देखने को मिलती है। एक अपौरूषेय और दूसरी पौरूषेय रचनायें। अपौरूषेय रचनायें वह होती हैं जो मनुष्यों के द्वारा असम्भव होने से नहीं की जा सकती। उदाहरण के लिए सूर्य, चन्द्र व पृथिवी सहित पृथिवी पर वायु, जल, अग्नि आदि की उत्पत्ति मनुष्य कदापि नहीं कर […]

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‘ईश्वर का ध्यान करने से दुःखों की निवृत्ति होती है’

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-मनमोहन कुमार आर्य, वेद और योग-दर्शन सभी मनुष्यों को ईश्वर का ज्ञान कराकर उन्हें ईश्वर की उपासना का सन्देश देते हैं। ईश्वर का ज्ञान व ध्यान करना क्यों आवश्यक है? इसका उत्तर है कि मनुष्य को सृष्टि में विद्यमान सभी सत्तावान पदार्थों का ज्ञान होने से हानि कुछ नहीं अपितु उनसे लाभ होता है। हम […]

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“चलो, स्वाध्याय करें”

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मनमोहन कुमार आर्य,  हमारा जहां तक ज्ञान है उसके अनुसार संसार में केवल वैदिक मत ही एकमात्र ऐसा धर्म वा मत है जहां प्रत्येक मनुष्य को वेद आदि सद्ग्रन्थों के स्वाध्याय को नित्य कर्तव्य कर्मों से जोड़ा गया है। वैदिक काल में प्रमुख ग्रन्थ ‘चार वेद’ थे और आज भी संसार के साहित्य में चार […]

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“श्रावणी पर्व एवं कृष्ण जन्माष्टमी”

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–मनमोहन कुमार आर्य,  श्रावण का महीना वर्षा ऋतु का सबसे अधिक वर्षा वाला महीना होता है। आजकल तो देश में बड़े-बड़े नगर बस गये हैं। सुविधाजनक सड़के हैं व सड़को पर विद्युत से मिलने वाले प्रकाश की व्यवस्था है। नगरों व ग्रामों में भी बसे एवं कारें चलती हैं। एक स्थान से दूसरे स्थान पर […]

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“मनुष्य जन्म का उद्देश्य व लक्ष्य विद्या प्राप्ति एवं ईश्वर-साक्षात्कार”

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–मनमोहन कुमार आर्य, संसार में ईश्वर, जीव व प्रकृति इन तीन अभौतिक व भौतिक पदार्थों का अस्तित्व है। ईश्वर व जीव चेतन हैं तथा प्रकृति जड़ जड़ सत्ता है। ईश्वर सच्चिदानन्दस्वरुप, निराकार, सर्वज्ञ, सर्वशक्तिमान, सर्वव्यापक, सर्वान्तर्यामी, न्यायकारी तथा जीवों के कर्मों के अनुसार उनके जन्म व मृत्यु की व्यवस्था करने वाला है। हमें अपने मनुष्य […]

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“धार्मिक व सामाजिक अंधविश्वास व पाखण्डों का कारण अविद्या है”

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–मनमोहन कुमार आर्य,  हमारे देश में अनेक प्रकार के धार्मिक व सामाजिक अन्धविश्वास एवं पाखण्ड प्रचलित हैं। इन अन्धविश्वास एवं पाखण्डों का कारण देश में प्रचलित सभी मत-मतान्तरों की अविद्या है। इस अविद्या के कारण अनेक प्रकार की कुरीतियां भी प्रचलित हैं और सामाजिक विद्वेष उत्पन्न होने सहित किन्हीं दो समुदायों में हिंसा भी होती […]

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“ईश्वर ही सृष्टिकर्ता है, क्यों व कैसे?”

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  मनमोहन कुमार आर्य,  हम पृथिवी पर रहते हैं जिसका एक चन्द्रमा है और सुदूर एक सूर्य है जिससे हमें प्रकाश व गर्मी मिलती है। विज्ञान से सिद्ध हो चुका है कि सूर्य अपनी धूरी पर गति करता है और अन्य सभी ग्रह व उपग्रहों को भी गति देता है। पृथिवी अपनी धूरी पर घूमती […]

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“ईश्वर हमें अन्धकार से हटाकर ज्ञानरूपी प्रकाश को प्राप्त कराये”

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–मनमोहन कुमार आर्य, जीवात्मा और परमात्मा का व्याप्य-व्यापक सम्बन्ध है। जीवात्मा में ईश्वर व्यापक है और जीवात्मा ईश्वर में व्याप्य है। सर्वव्यापक ईश्वर जीवात्मा से सूक्ष्म है और इसके भीतर भी व्यापक है। मनुष्य जीवन मिलने पर जीवात्मा अन्तःकरण चतुष्टय और ज्ञान व कर्मेन्द्रियों की सहायता से सत्य व असत्य, ज्ञान व अज्ञान, हित व […]

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“वैदिक एवं आंग्ल शिक्षा का केंद्र तपोवन विद्या निकेतन”

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मनमोहन कुमार आर्य,  वैदिक साधन आश्रम तपावेन, देहरादून की अनेक कार्यों में से एक महत्वपूर्ण कार्य एक आर्य शिक्षण संस्था ‘तपोवन विद्या निकेतन’ का संचालन है। यह संस्था 35 वर्ष पूर्व सन् 1983 में स्थापित की गई थी जिसके पहले प्रबन्ध श्री देवेन्द्र रहनुवाल थे। अब श्री रहनुवाल दिवंगत हो गये हैं। हमारा सौभाग्य है […]

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