Category: धर्म-अध्यात्म

धर्म-अध्यात्म

“सृष्टि रचना, उसका पालन एवं सृष्टि की अपौरुषेय रचनाएँ ईश्वर के अस्तित्व के प्रमाण”

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मनमोहन कुमार आर्य,  हम संसार में अनेक रचनायें देखते हैं। रचनायें दो प्रकार की होती हैं। एक पौरुषेय और दूसरी अपौरुषेय। पौरुषेय रचनायें वह होती हैं जिन्हें मनुष्य बना सकते हैं। हम भोजन में रोटी का सेवन करते हैं। यह रोटी आटे से बनती है। इसे मनुष्य अर्थात् स्त्री वा पुरुष बनाते हैं। मनुष्य द्वारा […]

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“वैदिक धर्म का समग्रता से ज्ञान व प्रचार गुरुकुलीय शिक्षा से ही सम्भव”

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मनमोहन कुमार आर्य, गुरुकुल एक लोकप्रिय शब्द है। यह वैदिक शिक्षा पद्धति का द्योतक शब्द है। वैदिक धर्म व संस्कृति का आधार ग्रन्थ वेद है। वेद चार हैं जिनके नाम ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद हैं। यह चार वेद सृष्टि के आरम्भ में सच्चिदानन्दस्वरूप, निराकार, सर्वव्यापक, सर्वशक्तिमान, सर्वज्ञ, अनादि, अनन्त, न्यायकारी, सृष्टिकर्ता और जीवों के […]

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‘ईश्वर का अवतार क्यों नहीं होता?’

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मनमोहन कुमार आर्य ईश्वर क्या है? ईश्वर एक सच्चिदानन्दस्वरुप, सर्वशक्तिमान, निराकार, सर्वज्ञ, सर्वव्यापक, सर्वान्तर्यामी, अनादि, अजर, अमर, अनन्त, नित्य एवं सृष्टिकर्ता आदि असंख्य गुण, कर्म व स्वभाव से युक्त दयालु व धर्म में स्थित सत्ता है। हमारे देश में पाषाण व धातुओं की मूर्ति बनाकर उसकी पूजा करने की परम्परा विगत दो या ढ़ाई हजार […]

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“ईश्वरीय ज्ञान वेद की मान्यतायें ही विज्ञान की भांति सार्वभौमिक व सार्वकालिक मनुष्यमात्र का धर्म”

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मनमोहन कुमार आर्य, हमारी इस सृष्टि की रचना सर्वव्यापक ईश्वर ने की है जो सच्चिदानन्दस्वरूप, अनादि, अमर, निराकार, सर्वशक्तिमान, सर्वज्ञ व सर्वव्यापक है। उसके गुण, कर्म, स्वभाव व अन्य सभी नियम सत्य हैं व सर्वव्यापक भी हैं। ऐसा नहीं है कि ईश्वर के नियम भारत में कुछ और हों और अमेरिका व किसी अन्य देश […]

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