धर्म-अध्यात्म वेद और सत्यार्थप्रकाश के स्वाध्याय को जीवन का अंग बनायें April 13, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य मनुष्य का जीवात्मा अल्पज्ञ होता है। अल्पज्ञ होने के कारण इसे ज्ञान अर्जित करना होता है। ज्ञान माता-पिता व आचार्यों सहित पुस्तकों वा ग्रन्थों से प्राप्त होता है। माता-पिता का ज्ञान तो सीमित होता है अतः उनसे जितना सम्भव हो वह ज्ञान तो लेना ही चाहिये। इसके अतिरिक्त विद्यालय जाकर आचार्यों से […] Read more » Featured ईश्वर उपनिषद उपासना चरक ज्योतिष धर्म व अधर्म बन्धन व मोक्ष मनुस्मृति विद्या व अविद्या सत्य ज्ञान सुश्रुत सृष्टि
धर्म-अध्यात्म गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-90 April 13, 2018 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य    गीता का अठारहवां अध्याय अठारहवें अध्याय में गीता समाप्त हो जाती है। इसे एक प्रकार से ‘गीता’ का उपसंहार कहा जा सकता है। जिन-जिन गूढ़ बातों पर या ज्ञान की गहरी बातों पर पूर्व अध्याय में प्रकाश डाला गया है, उन सबका निचोड़ इस अध्याय में दिया गया है। […] Read more » Featured अठारहवें अध्याय अर्जुन गीता गृहस्थियों धर्मग्रंथों महाभारत ब्रह्मचारियों वानप्रस्थियों श्रीकृष्णजी समन्वयात्मक दृष्टि
धर्म-अध्यात्म गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-89 April 13, 2018 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य   गीता का सत्रहवां अध्याय अपनी चर्चा को निरंतर आगे बढ़ाते हुए श्रीकृष्णजी कहने लगे कि जो दान, ‘देना उचित है’-ऐसा समझकर अपने ऊपर प्रत्युपकार न करने वाले को, देश, काल तथा पात्र का विचार करके दिया जाता है उस दान को सात्विक दान माना गया है। इस प्रकार का दान […] Read more » Featured असत् क्या है ग्रन्थों परमपिता परमेश्वर मानवता श्रीकृष्णजी सृष्टि
धर्म-अध्यात्म तीन चेतन देवता माता, पिता और आचार्य April 13, 2018 / May 19, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य वेदों में देव और देवता शब्द का प्रयोग हुआ है। देव दिव्य गुणों से युक्त मनुष्यों व जड़ पदार्थों को कहते हैं। परमात्मा अर्थात् ईश्वर परमदेव कहलाता है। देव शब्द से ही देवता शब्द बना है। देवता का अर्थ होता है जिसके पास कोई दिव्य गुण हो और वह उसे दूसरों को […] Read more » Featured आचरण आदरणीय गुरुकुलों पिता भाषा मनुष्य माता वैदिक साहित्य शब्द सम्मानीय सामाजिक व राजनैतिक
धर्म-अध्यात्म जीवात्मा के बन्धन और मोक्ष पर ऋषि दयानन्द के तर्क व युक्तिसंगत विचार April 11, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment -मनमोहन कुमार आर्य संसार में हम एक सामान्य नियम देखते हैं कि यहां अच्छे काम करने वाले को सम्मानित किया जाता है और बुरे काम करने वालों को दण्डित किया जाता है। मनुष्य जीवन में आत्मा यदि अच्छे काम करती है तो परमात्मा की ओर से उसको उसके अच्छे कर्मों के फल के रूप में […] Read more » Featured आकर्षण इच्छा उत्साह क्रिया गति गन्धग्रहण दर्शन द्वेष निश्चय पराक्रम प्रेम प्रेरणा बल भीषण विभाग विभाजक विवेचन श्रवण संयोग...!! संयोजक संसार स्पर्शन स्मरण स्वादन
धर्म-अध्यात्म गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-88 April 11, 2018 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य  गीता का सत्रहवां अध्याय अन्त में श्रीकृष्णजी तामसिक यज्ञ पर आते हैं। वे कहने लगे हैं कि जो यज्ञ विधिहीन है, जिसमें अन्नदान नहीं किया जाता, जिसमें मंत्र का विधिवत और सम्यक पाठ भी नहीं होता और ना ही कोई दक्षिणा दी जाती है, वह तामस यज्ञ कहलाता है। इस प्रकार […] Read more » Featured आत्मसंयम गुरूओं तामसिक यज्ञ देवताओं ब्राह्मणों मौन यज्ञ श्रीकृष्णजी साम्यता
धर्म-अध्यात्म गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-87 April 11, 2018 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य   गीता का सत्रहवां अध्याय श्रीकृष्ण जी कह रहे हैं कि संसार में कई लोग ऐसे भी होते हैं जो कि दम्भी और अहंकारी होते हैं। ऐसे लोग अन्धश्रद्घा वाले होते हैं और शारीरिक कष्ट उठाने को ही मान लेते हैं कि इसी प्रकार भगवान की प्राप्ति हो जाएगी। यद्यपि ऐसे […] Read more » Featured अर्जुन ऐषणाओं यज्ञ वैभव-ऐश्वर्य शरीर श्रीकृष्णजी
धर्म-अध्यात्म ईश्वर की प्राप्ति के कुछ सरल साधन April 10, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment -मनमोहन कुमार आर्य ईश्वर क्या है? ईश्वर एक सच्चिदानन्दस्वरूप, सर्वज्ञ, सर्वव्यापक, सर्वशक्तिमान और निराकार सत्ता है जिसने इस सृष्टि को बनाकर धारण किया हुआ है। वह ईश्वर अनादि, सनातन व अविनाशी जीवात्माओं को अनादि काल से उनके जन्म-जन्मान्तर के कर्मों के अनुसार सुख व दुःख रूपी फल देने के लिए इस सृष्टि का निर्माण व […] Read more » Featured अज्ञानी ईश्वर ऋग्वेदादिभाष्यभूमिका ज्ञान धर्म मनुष्यों विज्ञान विद्वानों
चिंतन सड़क दुर्घटनाओं पर क़ाबू पाने की चुनौती April 10, 2018 by चरखा फिचर्स | Leave a Comment भारत डोगरा भारत में सड़क दुर्घटनाओं के बढ़ते आंकड़े एक भयानक सच्चाई की तरफ इशारा करते हैं। इसमें जान और माल दोनों की क्षति उठानी पड़ती है। सदी के पहले 15 वर्षों के दौरान विश्व स्तर पर इसमें कोई उल्लेखनीय वृद्धि नहीं हुई थी। लेकिन रोज़-ब-रोज़ आधुनिक तकनीक वाली मशीनों के ईजाद ने सड़कों पर जहाँ गाड़ियों की संख्या को […] Read more » Featured आकड़ें ड्राइवरों दुर्घटना भ्रष्टाचार मोबाइल फोन? मौत लाइसेंस सड़क
धर्म-अध्यात्म पूजा क्या, किसकी, कैसे व क्यों करें? April 9, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment -मनमोहन कुमार आर्य मनुष्य जानता है कि वह अपूर्ण हैं। उसे अपने कार्यों को पूरा करने में दूसरे मनुष्यों की सहायता लेनी पड़ती है। कुछ काम ऐसे भी होते हैं, जहां मनुष्यों की सहायता से काम नहीं चलता क्योंकि मनुष्य वह कार्य नहीं कर सकते जिसकी हमें अपेक्षा होती है। ऐसा देखा गया है कि […] Read more » Featured अजन्मा अजर अनन्त अनादि अनुपम अभय अमर आचार्य दयालु निराकार निर्विकार न्यायकारी परिवार व समाज पिता मनुष्य माता सर्वज्ञ सर्वव्यापक सर्वशक्तिमान सर्वाधार सर्वान्तर्यामी सर्वेश्वर सृष्टिकर्ता
धर्म-अध्यात्म महर्षि दयानन्द का जीवनोत्थान करने वाला एक महत्वपूर्ण ग्रन्थ व्यवहारभानुः April 7, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य महर्षि दयानन्द जी समग्र क्रान्ति के प्रणेता थे। वह अद्वितीय समाज सुधारक हुए हैं जिनका प्रभाव न केवल भारत में ही हुआ अपितु संसार के सभी मत-पन्थों व उनके धर्म के ग्रन्थों पर भी हुआ। एक उदाहरण यह है कि ‘रामचरितमानस’ में एक वाक्य मिलता था ‘ढोल गंवार शूद्र पशु नारी, ये […] Read more » Featured व्यवहारभानुः
धर्म-अध्यात्म “हमारा यह जन्म हमारे पूर्वजन्म का पुनर्जन्म है और मृत्यु के बाद हमारा पुनर्जन्म अवश्य होगा” April 4, 2018 by मनमोहन आर्य | 1 Comment on “हमारा यह जन्म हमारे पूर्वजन्म का पुनर्जन्म है और मृत्यु के बाद हमारा पुनर्जन्म अवश्य होगा” मनमोहन कुमार आर्य हम मनुष्य हैं और लगभग 7 दशक पूर्व हमारा जन्म हुआ था। प्रश्न है कि जन्म से पूर्व हमारा अस्तित्व था या नहीं? यदि नहीं था तो फिर यह अभाव से भाव अर्थात् अस्तित्व न होने से हुआ कैसे? विज्ञान का सिद्धान्त है कि किसी भी पदार्थ का रूपान्तर तो किया जा […] Read more » featuerd जन्म जन्मान्तरों पुनर्जन्म मनुष्य शरीर संस्कार