आलोचना पुस्तक समीक्षा ‘हैलो बस्तर’ की एकांगी समीक्षा की है राजीव रंजन प्रसाद ने July 28, 2011 / December 8, 2011 by प्रवक्ता ब्यूरो | 2 Comments on ‘हैलो बस्तर’ की एकांगी समीक्षा की है राजीव रंजन प्रसाद ने ए.के. पंकज हाल ही में बस्तर के आदिवासियों की समस्याओं और यहां चल रहे माओवादी आंदोलन पर राहुल पंडिता की पुस्तक ‘हेलो बस्तर’ प्रकाशित हुई है। राजीव रंजन प्रसाद ने इसकी समीक्षा लिखी और यह सर्वप्रथम प्रवक्ता डॉट कॉम पर प्रकाशित हुई। इस समीक्षा पर ए. के. पंकज ने टिप्पणी लिखकर इसे एकांगी करार दिया है। हम […] Read more » hello bastar हैलो बस्तर
पुस्तक समीक्षा राजनीति “हेलो बस्तर” [राहुल पंडिता की पुस्तक पर एक विमर्श] – राजीव रंजन प्रसाद July 24, 2011 / December 8, 2011 by राजीव रंजन प्रसाद | 15 Comments on “हेलो बस्तर” [राहुल पंडिता की पुस्तक पर एक विमर्श] – राजीव रंजन प्रसाद माओवादियों ने बस्तर को आग के हवाले कर दिया है, जिसकी तपिश में भोले-भाले आदिवासी झुलस रहे हैं। माओवादी भले ही इन क्षेत्रों के विकास की बात करते हों लेकिन उनके पास विकास का वैकल्पिक मॉडल नहीं है, उलटे वे शिक्षण संस्थानों और सड़कों को बम से उड़ाकर बस्तर के विकास मार्ग को अवरूद्ध करते […] Read more » hello bastar आदिवासी बस्तर माओवाद राहुल पंडिता हेलो बस्तर
पुस्तक समीक्षा पुस्तक चर्चा : स्त्रीत्व धारणाएँ एवं यथार्थ, लेखिका-कुसुमलता केडिया July 2, 2011 / December 9, 2011 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment पृष्ठ : 180 मूल्य : $13.95 प्रकाशक : विश्वविद्यालय प्रकाशन आईएसबीएन : 978-81-7124-680 प्रकाशित : जनवरी ०१, २००९ पुस्तक क्रं : 7584 मुखपृष्ठ : सजिल्द प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश विश्व की ‘एकेडमिक्स’ यूरोईसाई सिद्धान्तों, अवधारणाओं एवं विचार-प्रयत्नों से संचालित है। आधुनिक स्त्री-विमर्श पूरी तरह पापमय, हिंसक और सेक्स के विचित्र आतंक से पीड़ित […] Read more » स्त्रीत्व धारणाएँ एवं यथार्थ
पुस्तक समीक्षा समकालीनता की दास्तान ‘मुक्त होती औरत’ June 23, 2011 / December 11, 2011 by प्रवक्ता ब्यूरो | 1 Comment on समकालीनता की दास्तान ‘मुक्त होती औरत’ समीक्षा-कथा संग्रह-मुक्त होती औरत शीना एन. बी. स्वस्थ सामाजिक जीवन के निर्माण के लिए सुदृढ़ राष्ट्रीय एवं आर्थिक परिस्थितियों की तरह स्वस्थ भावनात्मक तत्वों की भी अह्म भूमिका है। दूसरे शब्दों में कह सकते हैं कि भावनात्मक अंशों में प्रतिबंध लगाना स्वस्थ सामाजिकता के खिलाफ है। ऐसी ही एक भावनात्मकता है प्रणय। प्रणय हर एक […] Read more » Pramod Bhargav प्रमोद भार्गव मुक्त होती औरत
पुस्तक समीक्षा जाति- ब्रिटिश कुचेष्टा की शिकार May 20, 2011 / December 13, 2011 by डॉ. मधुसूदन | 11 Comments on जाति- ब्रिटिश कुचेष्टा की शिकार डॉ. मधुसूदन पुस्तक समीक्षा का अनुवाद: एक पुस्तक अकस्मात हाथ लगी, लेखक हैं निकॉलस डर्क। बस, खरीद लीजिए उसे, आप यदि ले सकते हैं तो। नाम है, , ”Castes of Mind: Colonialism and Making of British India” अर्थात ”मानसिक जातियां : उपनिवेशवाद और ब्रिटिश राज का भारत में गठन” और लिखी गयी है, एक इतिहास […] Read more » Castes of Mind
पुस्तक समीक्षा दुनिया में सबसे सहनशील धर्मपंथ -हिंदुत्व May 18, 2011 / December 13, 2011 by विजय सोनी | 21 Comments on दुनिया में सबसे सहनशील धर्मपंथ -हिंदुत्व विजय सोनी भारत में तथाकथित धर्मनिरपेक्षतावादी लोगों ने जहाँ हिन्दुओं को और हिंदुत्व को हिन्दू आतंकवाद तक का नाम दे दिया है वहीँ ये जानना भी आवश्यक है की “व्हाट इस इंडिया ” मुझे बड़ी प्रसन्नता हुई की भारतीय दर्शन से दुनिया कितनी प्रभावित है ,इस किताब ने दुनिया भर के महान फिलासफर से लेकर […] Read more » What is India?
पुस्तक समीक्षा भारतीय राजनीतिक एवं न्याययिक व्यवस्था से ज्यादा पश्चिमी देशों पर भरोसा करता है चर्च April 13, 2011 / December 14, 2011 by प्रवक्ता ब्यूरो | 2 Comments on भारतीय राजनीतिक एवं न्याययिक व्यवस्था से ज्यादा पश्चिमी देशों पर भरोसा करता है चर्च नई दिल्ली – आजादी के बाद से भारतीय ईसाई एक धर्मनिरपेक्ष राज्य के नागरिक रहे है। धर्मनिरपेक्ष व्यवस्था चाहे कितनी ही दोषपूर्ण हो, लोकतांत्रिक व्यवस्था चाहे कितनी ही गैर प्रतिनिधिक हो, यहां के ईसाइयों (चर्च) को जो खास सहूलियतें हासिल है, वे बहूत से ईसाइयों को यूरोप व अमेरिका में भी हासिल नही है। जैसे […] Read more » Indian Political
पुस्तक समीक्षा राजनीति पत्रकारिता और दीनदयाल उपाध्याय February 27, 2011 / December 15, 2011 by डॉ. मनोज चतुर्वेदी | 2 Comments on पत्रकारिता और दीनदयाल उपाध्याय पुस्तक समीक्षक – डॉ. मनोज चतुर्वेदी दीनदयाल उपाध्याय एक विचारक, प्रचारक, विस्तारक, राष्ट्रषि, संपादक, पत्रकार अर्थशास्त्री, समाजसेवी, एक प्रखर वक्ता, शिक्षाविद तथा अपूर्व संगठनकर्ता थे। उन्होंने अहोरात्र भारत माता की सेवा करते-करते अपने जीवन को होम कर दिया। दीनदयाल जी ने लेखन तथा संपादन की शिक्षा, आज के महाविद्यालयों-विश्वविद्यालयों से नहीं लिया था। उन्होंने ‘आर्गेनाइजर’ […] Read more » Journalism पत्रकारिता और दीनदयाल उपाध्याय
पुस्तक समीक्षा ‘संगठन सर्वोपरि’ और नितिन गडकरी February 27, 2011 / December 15, 2011 by डॉ. मनोज चतुर्वेदी | 2 Comments on ‘संगठन सर्वोपरि’ और नितिन गडकरी पुस्तक समीक्षक : डॉ. मनोज चतुर्वेदी भाजपा के कई राष्ट्रीय अध्यक्ष हुए जैसे श्री अटल बिहारी वाजपेयी, श्री लालकृष्ण आडवाणी, श्री कुशाभाऊ ठाकरे, डॉ. मुरलीमनोहर जोशी, श्री वेंकया नायडू, श्री बंगारू लक्ष्मण, श्री के. जना. कृष्णूर्ति, श्री राजनाथ सिंह तथा श्री नितिन गडकरी। मुझे जहां तक लगता है। कुछ एक को छोड़कर ये सभी […] Read more » Nitin Gadkari नितिन गडकरी संगठन सर्वोपरि
पुस्तक समीक्षा कथा में नई दृष्टि और भाषा गढ़ती हैं रीता सिन्हा February 20, 2011 / December 15, 2011 by चंडीदत्त शुक्ल | Leave a Comment फिर सुनें स्त्री-मन और जीवन की कहानियां चण्डीदत्त शुक्ल चूल्हे पर रखी पतीली में धीरे-धीरे गर्म होता और फिर उफनकर गिर जाता दूध देखा है कभी? ऐसा ही तो है स्त्री-मन। संवेदनाओं की गर्माहट कितनी देर में और किस कदर कटाक्ष-उपेक्षा की तपन-जलन में तब्दील हो जाएगी, पहले से इसका अंदाज़ा लगाना संभव होता, तो […] Read more » Rita Sinha रीता सिन्हा
पुस्तक समीक्षा पुस्तक-समीक्षा/ भारतीय मीडिया की सच्ची पड़ताल December 29, 2010 / December 18, 2011 by डॉ. शाहिद अली | 2 Comments on पुस्तक-समीक्षा/ भारतीय मीडिया की सच्ची पड़ताल समीक्षकः डा. शाहिद अली पुस्तक का नामः मीडियाः नया दौर नई चुनौतियां लेखकः संजय द्विवेदी प्रकाशकः यश पब्लिकेशन्स, 1 / 10753 सुभाष पार्क, गली नंबर-3, नवीन शाहदरा, नीयर कीर्ति मंदिर, दिल्ली-110031, मूल्यः 150 रुपये मात्र नए दौर में मीडिया दो भागों में बंटा हुआ है, एक प्रिंट मीडिया और दूसरा इलेक्ट्रानिक मीडिया। भाषा और तेवर […] Read more » Book Review नया दौर नई चुनौतियां संजय द्विवेदी
पुस्तक समीक्षा कबीर की आंखें और आलोचना की रपटन October 5, 2010 / December 21, 2011 by जगदीश्वर चतुर्वेदी | 3 Comments on कबीर की आंखें और आलोचना की रपटन -जगदीश्वर चतुर्वेदी कबीर पर पुरूषोत्तम अग्रवाल की किताब ‘अकथ कहानी प्रेम कीः कबीर की कविता और उनका समय’ (2009)निस्संदेह सुंदर किताब है। इस किताब में कबीर की कविता की तरह ही आधुनिक विषयों का रहस्यात्मक वर्णन है। कबीर बड़े लेखक हैं और कबीर पर लिखना मुश्किल काम है। पुरूषोत्तम अग्रवाल ने यह काम बहुत ही […] Read more » Kabir कबीर पुरुषोत्तम अग्रवाल