गजल प्यार है लाज़िमी ज़िंदगी के लिये….. December 10, 2012 / December 10, 2012 by इक़बाल हिंदुस्तानी | Leave a Comment इक़बाल हिंदुस्तानी तुमने उनको चुना रहबरी के लिये, वो जो मशहूर हैं रहज़नी के लिये। सिर्फ जज़्बातो ताक़त ही काफी नहीं, हौंसला चाहिये दुश्मनी के लिये। शर्त यह है कि तक़सीम सबमें करंे, अपना खूं देंगे हम रोशनी के लिये। भूल लम्हों की सदियां सज़ा पायेंगी, ख़बरें ना छापिये सनसनी के लिये। […] Read more » gazal by iqbal hindustani प्यार है लाज़िमी ज़िंदगी के लिये.....
गजल दास्ताने – दर्द हम किसको सुनाते November 28, 2012 / November 28, 2012 by सत्येन्द्र गुप्ता | Leave a Comment दास्ताने – दर्द हम किसको सुनाते पत्थरों के शहर में किसको बसाते ! आबे – हयात नहीं है पास में मेरे दो घूँट पानी की किसको पिलाते ! शहर चले गये थे कमाने के वास्ते लौट आये, शक्ल किसको दिखाते ! हवा बेवफ़ाई की ही बह रही थी क़सम वफ़ा की किसको […] Read more » gazal by satyendra gupta
गजल हाथ पांव अपने हैं दिल दिमाग़ गिरवीं हैं….. November 24, 2012 / November 24, 2012 by इक़बाल हिंदुस्तानी | Leave a Comment इक़बाल हिंदुस्तानी कै़द में सता लो तुम पर मिटा नहीं सकते, है सदा ए हक़ मेरी तुम दबा नहीं सकते। ध्ूाप का मुसाफिर हूं मंज़िलें हैं सूरज की, मोम जैसे नाज़ुक तुम साथ जा नहीं सकते। हाथ पांव अपने हैं दिल दिमाग़ गिरवीं है, लोग अपनी मरज़ी से आगे जा नहीं सकते। […] Read more » हाथ पांव अपने हैं दिल दिमाग़ गिरवीं हैं.....
गजल हम ना फैलायेंगे हाथ मर जायेंगे….. November 12, 2012 by इक़बाल हिंदुस्तानी | Leave a Comment इक़बाल हिंदुस्तानी हल्फ़ लेकर भी क़ातिल मुकर जायेंगे, बेक़सूरों के सर फिर उतर जायेंगे। फिर ना चल पायेंगी उनकी मनमानियां, जब भी सड़कों पे हम लोग उतर जायेंगे। रहबरों की बजाये तू किरदार दे, देश के सारे मुजरिम सुधर जायेंगे। आपके इक इशारे की फ़रियाद है, जाने कितनों के जीवन संवर जायेंगे। […] Read more » हम ना फैलायेंगे हाथ मर जायेंगे.....
गजल देर तक रोता कोई बच्चा हंसाकर देखना….. November 3, 2012 / November 3, 2012 by इक़बाल हिंदुस्तानी | 4 Comments on देर तक रोता कोई बच्चा हंसाकर देखना….. इक़बाल हिंदुस्तानी बाद में जिसका भी चाहो घर जलाकर देखना, पहले तुम छोटा सा खुद का घर बनाकर देखना। ज़ेहन पायेगा सकूं और दिल भी खुश हो जायेगा, देर तक रोता कोई बच्चा हंसाकर देखना। बाप की दौलत से गुलछर्रे उड़ाना छोड़दो, जीना हो तो ख़र्च अपना खुद उठाकर देखना। तुम समझते […] Read more » देर तक रोता कोई बच्चा हंसाकर देखना
गजल खून ए दिल से तेरी तस्वीर बनाई जाये….. October 21, 2012 / October 21, 2012 by इक़बाल हिंदुस्तानी | 1 Comment on खून ए दिल से तेरी तस्वीर बनाई जाये….. इक़बाल हिंदुस्तानी जो भी कीमत हो उसकी वो चुकाई जाये, बात सच्ची हो तो बेख़ौफ़ उठाई जाये। हम अमन के हैं पुजारी कोई बुज़दिल तो नहीं, फ़ितनागर अफ़वाह उड़ा जितनी उड़ाई जाये। हरेक इंसान का दुखदर्द हो शामिल जिसमें, वक़्त कहता है ग़ज़ल ऐसी सुनाई जाये। ये अदब है जागीर नहीं है […] Read more » gazal by7 iqbal hindustani
गजल बाग़ी करोड़ों लोग हैं दो चार मत समझ….. October 18, 2012 / October 17, 2012 by इक़बाल हिंदुस्तानी | 1 Comment on बाग़ी करोड़ों लोग हैं दो चार मत समझ….. इक़बाल हिंदुस्तानी मजबूर हूं मगर मुझे लाचार मत समझ, बेरोज़गार हूं मगर बेकार मत समझ। मेरी तरह सभी को क़लम तो नहीं मिली, बाग़ी करोड़ों लोग हैं दो चार मत समझ। इल्ज़ाम का भी देंगे तेरे वक़्त पर जवाब, कुछ मस्हलत है चुप हैं ख़तावार मत समझ। क़ीमत अदा करोगे तो लिखदेंगे […] Read more » gazal by iqbal hindustani बाग़ी करोड़ों लोग हैं दो चार मत समझ.....
गजल आदमी की जान लेना भी तो कारोबार है….. October 13, 2012 by इक़बाल हिंदुस्तानी | 1 Comment on आदमी की जान लेना भी तो कारोबार है….. इक़बाल हिंदुस्तानी 0देश उनकी गोद में जाने को अब तैयार है, राजनीति जिनकी ख़ानाजंगी का आधार है। 0ताक़तों दौलत के बल पर छिन रही पतवार है, और कश्ती का असल मालिक यहां लाचार है। 0किसमें हिम्मत है कि पूछे उसका क्या किरदार है, ऐब चाहे हों हज़ारों आदमी ज़रदार है। 0देर से […] Read more »
गजल आप ही ले जाएगा । October 8, 2012 / October 8, 2012 by प्रवक्ता.कॉम ब्यूरो | Leave a Comment मैं अकेला दर्द इतना साथ लेकर क्या करूँ आधा तुम ले लो जहां हो आधा तो कट जाएगा । जब पड़ी लानत की नजरें चुप हुए कुछ सोच कर कुछ रहम का रूप है यह दिल बहल ही जाएगा । हम नहीं आँसू बहते और न पहरे रखे आँख को तकलीफ होगी तो छलक ही […] Read more »
गजल खून के कई रिश्ते खून के ही प्यासे हैं….. October 2, 2012 / October 2, 2012 by इक़बाल हिंदुस्तानी | Leave a Comment इक़बाल हिंदुस्तानी मुश्किलों में लोगों को खूब आज़माते हैं, जो खरे उतरते हैं दोस्त बन जाते हैं। जैसे छोटे बच्चे हैं कुछ भी जानते ही नहीं, यूं सफ़ाई देते हैं कि रहनुमा लड़ाते हैं। क्या क़लम की ताक़त है तानाशाहों से पूछो, आप बेवजह हमको तोप से डराते हैं । तुम हमारे […] Read more » gazal by iqbal hindustani खून के कई रिश्ते खून के ही प्यासे हैं.....
गजल बस उलझन की बात यही है September 28, 2012 / September 27, 2012 by श्यामल सुमन | Leave a Comment श्यामल सुमन किसकी गलती कौन सही है बस उलझन की बात यही है हंगामे की जड़ में पाया कारण तो बिलकुल सतही है सब आतुर हैं समझाने में सबसे मीठा मेरा दही है सीना तान खड़े हैं जुल्मी ऐसी उल्टी हवा बही है है इन्साफ हाथ में जिनके प्रायः मुजरिम आज […] Read more »
गजल नहीं पेड़ पे पैसा उगता September 27, 2012 / September 27, 2012 by श्यामल सुमन | Leave a Comment श्यामल सुमन बहुत सुना बचपन से भाई, नहीं पेड़ पे पैसा उगता अभी खबर दिल्ली से आई, नहीं पेड़ पे पैसा उगता अर्थशास्त्र के पण्डित होकर बोझ बढ़ाते लोगों पर अपने खाते रोज मलाई, नहीं पेड़ पे पैसा उगता प्रमुख देश का बोल रहे थे या कोई रोबोट वहाँ महिमा से मंडित मँहगाई, […] Read more »