कविता आर्यभट्ट हिन्दू अरबी अंक पद्धति हिंदसा के जनक थे March 9, 2022 / March 9, 2022 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment —विनय कुमार विनायकआर्यभट्ट खगोलविद; मगध कुसुमपुर पटना के,तारेगना गांव खगोल में,तारे की गणना में लगे,चार सौ छिहत्तर से पांच सौ पचास ई. मध्य मेंविश्व के प्रथम खगोलवेत्ता नक्षत्र शास्त्री ब्राह्मण,वे हिन्दू-अरबी अंक पद्धति हिंदसा के जनक थे! आर्यभट्ट ने ‘आर्यभट्टीयम’ ग्रन्थ की रचना की,जिसमें दशगीतिका व आर्याष्टाशत विवेचना थी,प्रथम गीति मंगलाचार द्वितीय अक्षरांक पद्धति‘वर्गाक्षराणि वर्गाऽवर्गेऽवर्गाक्षराणि […] Read more » Aryabhata was the father of Hindu Arabic numeral system Hindsa आर्यभट्ट हिन्दू अरबी अंक पद्धति हिंदसा के जनक थे
कविता दुनिया की पहचान है औरत March 8, 2022 / March 8, 2022 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment दुनिया की पहचान है औरत,दुनिया पर एहसान है औरत।मत समझो इसको कमजोर,पुरुष से बलवान है औरत।। हर घर की शान है औरत,हर घर की जान है औरत।इसको तुम कम न समझना,हर रिश्ते की डोर है औरत।। मर्यादा की देवी है औरत,सम्मान की देवी है औरत।इसका सदा सम्मान करना,पूजा योग्य है सब औरत।। सबसे आगे आज […] Read more » Woman is the identity of the world
कविता स्त्री जीवन March 7, 2022 / March 7, 2022 by अजय एहसास | Leave a Comment दया प्रेम ममता की मूरततेरी अजब कहानी हैत्याग करें और कष्ट में रहेफिर भी मधुरी बानी है । वात्सल्य से ओतप्रोतहै करुण ह्रृदय और निश्चल मनहंसी सदा रहती होठों पर,पर आंखों में पानी है। मां ,पत्नी, बेटी बनकरअपना कर्तव्य निभाया हैभाई के आंसू पोछे परअपना नीर बहाया है । कभी प्रेयसी बन कदमों कोकिसी के […] Read more » स्त्री जीवन
कविता बुद्ध का कहना स्व में स्थित होना ही स्वस्थ होना है March 7, 2022 / March 7, 2022 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment —विनय कुमार विनायकस्व में स्थित होना ही स्वस्थ होना हैस्व में स्थित हो जाना स्वास्थ्य पाना हैस्वस्थ नहीं होना है अस्वस्थ रुग्णउद्विग्न मतिछिन्न उदासीन दुःखी होना! बुद्ध ने चार आर्य सत्य कहापहला आर्य सत्य हैजीवन में दुःख हैदुःख है जन्म जरा व्याधि मृत्युरोग शोक गम गरीबी बर्बादी! दूसरा आर्य सत्य हैदुःख का कारणअगर जीवन में […] Read more » Buddha says to be in self is to be healthy
कविता मै ज्ञान का सौदागर हूं March 7, 2022 / March 7, 2022 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment मै ज्ञान का सौदागर हूंकरता हूं ज्ञान का व्यापार।इसके रोजाना करने से,मेरा हो जाता है बेड़ा पार।। मै छोटा सा कलमकार हूंकरता हूं कलम की पूजा।कागज स्याही है मेरी पूंजी,और काम करता नहीं दूजा।। मै पुस्तको का बड़ा प्रेमी हूं,पुस्तके ही मेरी परम मित्र हैं।इनसे ही मै मित्रता रखता हूं,ये ही मेरी मस्तिष्क के चित्र […] Read more » मै ज्ञान का सौदागर हूं
कविता महिला-जगत लैंगिक समानता बनाम सामाजिक संतुलन March 7, 2022 / March 7, 2022 by डॉ शंकर सुवन सिंह | Leave a Comment डॉ. शंकर सुवन सिंह महिला’ शब्द नारी को गरिमामयी बनाता है। महिला शब्द नारी के आदर भाव को प्रकट करता है। ‘स्त्री’ शब्द नारी के सामान्य पक्ष को प्रदर्शित करता है। नर का स्त्रीलिंग ही नारी कहलाता है। नारी शब्द का प्रयोग मुख्यत: वयस्क स्त्रियों के लिए किया जाता है। नारी शब्द का प्रयोग संपूर्ण […] Read more » gender equality International Women Day Social Equilibrium लैंगिक समानता सामाजिक संतुलन
कविता बच्चों का पन्ना ओले March 7, 2022 / March 7, 2022 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | Leave a Comment भागे छक्कू लाल छकोले,सिर पर गिरे पड़ा पड़ ओले। छक्कू दिल्ली भागे आए।पीछे ओले भी पछियाये। छक्कू जी अब हैं हैरान।बचे ओलों से कैसे जान। छक्कू ड्रायर एक ले आये।अब तो सब ओले घबराए। ओले जान छोड़कर भागे।पल में पानी हुए अभागे। Read more » ओले
कविता बच्चों का पन्ना चिड़िया पर एक बाल कविता March 5, 2022 / March 7, 2022 by आर के रस्तोगी | 1 Comment on चिड़िया पर एक बाल कविता मम्मी कुछ चिड़ियां छत पर आई है,भूखी प्यासी और सुकचाई सी हैं।मुझको तुम चावल के दाने दो,छत पर मुझको तुम जाने दो।उनको मै चावल के दाने खिलाऊंगा,साथ में उनको मैं पानी पिलाऊंगा।कुछ दाने तो वे चिड़िया खायेगी,कुछ अपने बच्चों को ले जायेगी।चोंच में उनके दाना वह डालेगीतभी तो अपने बच्चों को पालेगी।बच्चे जब उसके बड़े […] Read more » a children's poem on a bird चिड़िया पर एक बाल कविता
कविता सुख नहीं दुख बांटने के लिए होते जन्म के रिश्ते March 4, 2022 / March 4, 2022 by विनय कुमार'विनायक' | 1 Comment on सुख नहीं दुख बांटने के लिए होते जन्म के रिश्ते —विनय कुमार विनायककुछ रिश्ते बन कर आते हैंकुछ रिश्ते बनाए जातेबनकर आने वाले रिश्तों के प्रतिजिम्मेवारियां बहुत होतीतैयारियां कुछ नहीं होतीबस फर्ज वफादारियां निभाई जातीपिता भ्राता को देखकरअगर खिलखिलाने लगे बहन बेटियांतो सुकून मिलता हैसमझो निभ गई सारी जिम्मेदारियांजबतक ब्याही गई बहन बेटियांमुस्कुरा कर विदा होतीतो समझो मिट गई सभी दुश्वारियांजब ब्याही गई बहन बेटियांआंखें […] Read more »
कविता नागार्जुन का शून्यवाद; कुछ भी ध्रुव सत्य नहीं होता March 4, 2022 / March 4, 2022 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment —विनय कुमार विनायकनागार्जुन दक्षिण भारत के एक ब्राह्मण,एक सौ पचास से, ढाई सौ ई. मध्य में,माध्यमिक मतवादी बौद्ध दार्शनिक थे! आर्य नागार्जुन ने शून्यवाद दर्शन दिया,संसार में कुछ भी ध्रुव सत्य नहीं होता,सतत परिवर्तन को सत्य घोषित किया! नागार्जुन ने कहा था जिसे परम्परावादीवास्तविक ज्ञान कहते,वस्तुत:वे वस्तु केविषय में, निजी वक्तव्य होते किसी के! आमतौर […] Read more » ; nothing is true Nagarjuna's nihilism नागार्जुन का शून्यवाद
कविता बारूद के ढेर पर बैठी है आज ये दुनिया March 4, 2022 / March 4, 2022 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment बारूद के ढेर पर बैठी है आज ये दुनिया,पता नही किधर जायेगी आज ये दुनिया।जब से हुआ है युद्ध रसिया यूक्रेन का,भयभीत हो गई है अब सारी ये दुनिया।। विश्व युद्ध न हो जाए,इससे परेशान है ये दुनिया,अपने अपने बचाव में लगी है सारी ये दुनिया,स्वार्थी सभी हो गए कोई किसी को न पूछता,कौन किसी […] Read more »
कविता ज्ञान बांटने में नहीं कुछ खोने का डर February 25, 2022 / February 25, 2022 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment —विनय कुमार विनायकमैं शब्दों का हमसफरमैं शब्द की साधना करता हूंमैं स्वर की अराधना करता हूंअक्षर-अक्षर नाद ब्रह्म हैमैं अक्षर की उपासना करता हूं! मैं लेखनी का मसीधरमैं भावचित्र बनाता कागज परलेखनी से लिपि उकेरकरमन के उद्गार को देता स्वरमैं वाणी की वंदना करता हूं! मैं पुस्तकों का हूं सहचरपुस्तक के पन्नों को खोलकरबंद विचारों […] Read more » Fear of losing nothing in sharing knowledge ज्ञान बांटने में नहीं कुछ खोने का डर