कविता कृष्ण के जीवन में ना कोई राधा थी June 21, 2021 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment —विनय कुमार विनायककृष्ण के जीवन में ना कोई राधा थी,औ न सोलह हजार एक सौ रानी थी!हां ये सही है कि कृष्ण राम के जैसे,एकपत्नीव्रती नहीं,अष्टरानी युक्त थे! सोलह हजार एक सौ नारियां कैद थी,असम राजा नरकासुर के रनिवास में!जिन्हें श्री कृष्ण ने मुक्ति दिलाई थी,उनके आग्रह से दिया रानी का दर्जा! कृष्ण का अवतार […] Read more » There was no Radha in Krishna's life कृष्ण के जीवन में ना कोई राधा थी
कविता योग की जीवन में महत्ता June 21, 2021 / June 21, 2021 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment शरीर को अगर रोग मुक्त तुम्हे रखना है।योग को जीवन में सदा तुम्हे रखना है।। पहला सुख निरोगी हो काया,दूसरा सुख घर में हो माया।तीसरा सुख संत्वंती हो नारी,चौथा सुख पुत्र हो आज्ञाकारी।अगर इन सुखों को तुम्हे पाना है,योग को जीवन में तुम्हे अपनाना है।। योग की परम्परा है बहुत ही पुरानी,इसको अपनाने मे करो […] Read more »
कविता कल तक जो हिन्दू थे आज विधर्मी हो गए June 18, 2021 / June 18, 2021 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment —विनय कुमार विनायकपरिस्थितिजैसे बना देती है,वैसा ही, हो जाता है आदमी,कलतक जोहिन्दूधर्मीथे,आजविधर्मीहो गए आदमी! जिनके पूर्वजों ने ढेर दुख सहे,मूल धर्मकोत्यागनेके पहले,आतंकऔरअत्याचार भी सहे,परसबकैसे भूलगए आदमी? कितने लोग बलिदान हो गए,स्वधर्म व वंशको बचाने में,गर्दन कट गई, उफनहीं कहे,उनकेवंशज कैसेहुएआदमी? कल तकजोक्रूर आक्रांता था,वर्तमान मेंवही आदर्श हो गए,अपनीपूर्वजा माता, बहन, बेटी,कैसे भूल गए आज के […] Read more »
कविता बच्चों का पन्ना वीर बहादुर बनाना June 16, 2021 / June 16, 2021 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | Leave a Comment साँझ समय उस दिन बाजार में,हुआ अचानक हमला |इस हमले को देख सहम गए ,राजू विमला कमला | मुँह ढांके काले कपड़े से ,दिखे कई आतंकी |दाग रहे थे तड़ -तड़ गोली ,ये पागल से सनकी | भगदड़ मची लोग थे घायल ,इधर -उधर को भागे |कुछ ने जान बचा ली अपनी ,कुछ मर गए […] Read more » वीर बहादुर बनाना
कविता मानव की मौलिक प्रवृत्ति है June 16, 2021 / June 16, 2021 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment —विनय कुमार विनायकमानवकी मौलिक प्रवृत्ति हैअपनीगुनाहव सजा के लिएदूसरे को कसूरवारठहराना! जबकि हरेकशख्सपाता है, अपनी कृतगुनाह की सजा! मानव की मौलिकप्रवृत्ति है,गलत तरीके से प्राप्त लाभकोनिरंतर बरकरार रखना! औरगलत लाभपरअंकुशजोलगाएउसेगलत कहना! मानव कीमौलिक प्रवृत्ति हैप्रशंसा के नाकाबिल होनेपर भीअपनी प्रशंसा से खुश होना! यथा स्थिति जो बयान करे,उससेतुरंतही नाराज़ होना! मानव की मौलिक प्रवृत्ति हैजो […] Read more » मानव की मौलिक प्रवृत्ति है
कविता सबका खून होता एक समान June 16, 2021 / June 16, 2021 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment —विनय कुमार विनायकऐसाथापैगम्बरकाकहना,मानवमात्रसभीभाईहैंसबभाई-भाईबनकररहना! राजारंकफकीरऔरमुल्ला,सबसेउपरएकहीअल्लाह‘लाइलाहइल्लल्लाह—‘या‘एकोब्रह्मदूजानास्ति—‘ उस एकईश्वर अल्लाह के सिवाइबादतकोऔरनहींकोईदूजा! फिरअबकौनयहांकठमुल्ला,इंसान-इंसानमेंभेदकरानेकीसाजिशकरताखुल्लम-खुल्ला? क्याहिन्दू! क्यामुसलमान!सबकाखूनहोताएकसमान! चाहेहोउनकानिवास स्थान,इंडोनेशिया,मेसोपोटामियाइराक,ईरान,पाक,बांगलाऔरअफगानिस्तान,सारेआर्यावर्तकेहिस्सेविशालभारत/बृहत्तरहिन्दुस्तान! इराक-आर्याक-मेसोपोटामिया थाआर्यों काअपनाउपनिवेशस्थल, ईरान-आर्यानयाकिपर्सियाथाआर्य जाति कामूल निवासस्थानपारसी-ईरानीथेअग्नि केपूजकगायत्रीमंत्रोच्चारकचंद्रवंशीसंतान! यहींदेव भूमि,ऋग्वेदकीप्रसवस्थली,यहींस्वर्गथा/यहींदेवोंकाइन्द्रासन,यहींचन्द्रवंशीनृप ययातिनेलड़ा थाप्रसिद्धहोलीवारआफखोरासान! आजवेस्ताएजिन्द/वेदकेछंदकेपाठकभलेपढ़नेलगेकुरान,किन्तुचन्द्रदेव वविष्णुवाहनगरुड़कावेकरतेहैंसम्मान! इंडोनेशियाईमुसलमानकरतेपूर्वजों का सम्मान,आजभीरखतेअपने आर्य पूर्वजों सा नाम!संस्कृतशब्दसुकर्णो,सुहार्तो,मेघावतीजैसे! मस्जिदमेंरामायणकीचौपाईकेसाथखुदेहोतेशरा-ए-कुरान! बांग्लादेशऔरपाकिस्तान,कलकेहिन्दुस्तान!कलकेहिन्दूकेबच्चे,आजबनगएखान!सिवानापाकइरादोंकेउनकीनहीं कोईपहचान? मजहबबदलजातातोक्यारक्तरिश्तेदारीभीबदलजाती?आजकाअफगानिस्तानक्याआर्यावर्तकागांधारप्रांतनहींथा? गांधारकीबेटी गांधारीकारक्तक्याकौरववीरोंमेंनहींबहाथा?फिरक्योंनकारतेहोपूर्वजोंको! जुड़केदेखोभारतमां कीमिट्टीसेराम-कृष्ण-गौतम-नानकसबकेसाझे,सिर्फहमारानहींतुम्हाराभीअपना! Read more » सबका खून होता एक समान
कविता मैं देह नहीं हूंमैं देह से परे हूं June 15, 2021 / June 15, 2021 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment —विनय कुमार विनायकमैं देह नहीं हूं, मैं देह से परेहूं,मैं अंगनहीं,मैंअंगको धरे हूं,मैं नेह,मैं स्नेह,मैं विशेषण हूं,मैं देह काअंग,कदापिनहीं हूं, मैं दिल नहीं हूं, मैं दिलवर हूं!मैं ह्रदय नहींहूं,मैंसुह्रदवर हूं! मैंहाथ नहींहूं,किन्तुहाथ मेरा,मैंकाननहीहूं,किन्तुकान मेरा,मैंआंखनहीं हूं,पर आंखमेरा! मैं पैर नहीं हूं,मैंवैर नहीं हूं,मैं वैर,सुलह,सफाई से परे हूं!ये सबकुछ दैहिक धर्म होते हैं! मैं देह से हटकर,देह […] Read more » मैं देह नहीं हूंमैं देह से परे हूं
कविता प्रभु पुत्र ईसा मसीह June 13, 2021 / June 13, 2021 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment —विनय कुमार विनायकगौतम की आत्मा भटकती रहीईसा-तीर्थंकर-गुरु नानक बनकर,दशमेश गुरु गोविन्द सिंह सोढ़ीऔर बापू महात्मा गांधी बनकर! पर क्या वे सफल हुए थे,अपने लक्ष्य को पाने में? ईश्वर के पुत्र ईसा मसीह कोजिसने माना खुद ईसाई होकरकिन्तु क्या वे ईसा सा बन पाते?ईसा की अपनी जाति यहूदी कोक्या ईसाई बनकर अपनाते? वर्गभेद और नश्लवाद कीअमानवीय […] Read more » lord son jesus christ प्रभु पुत्र ईसा मसीह
कविता अमीर खुसरो खड़ी बोली हिन्दी का जन्मदाता June 13, 2021 / June 13, 2021 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment —विनय कुमार विनायकअमीर खुसरो खड़ी बोली हिन्दी के जन्मदाता,‘तूती ए हिन्द’ कहलाते थे उर्दू भाषा के पिता! जब हिन्दू डिंगल-अपभ्रंश में साहित्य रचते थे,मुसलमान फारसी भाषा की ओर मुखातिब थे!ऐसे में हिंदू-मुस्लिम दोनों दूर थे जनभाषा से, ऐसी घड़ी में भारत में एक मुस्लिम भारत भक्त;अमीर खुसरो ने जन्म लिया बारह सौ तिरेपन में,शैफुद्दीन व […] Read more » Amir Khusro is the originator of Khari Boli Hindi
कविता मैं कौन हूं? अथ अहं ब्रह्मास्मि (नौ) June 11, 2021 / June 11, 2021 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment —विनय कुमार विनायकमैं ‘यदु’ अधिकार वंचितब्राह्मण का दौहित्र,ओजस्वी क्षत्रिय का प्रथम रक्त बूंदज्येष्ठांशभागी युवराज था!किन्तु ब्राह्मणत्व अहंऔर क्षत्रियत्व दंभ के द्वन्द नेमुझको किया सत्ताविहीन भिखारी!मैं बना वणिक-वैश्य,मेरा भ्राता तुरु तुर्कद्रहयु द्रविड़/अनु भोज-म्लेच्छ आनवऔर लघु अनुज पुरु पौरवराज बना!चन्द्रवंश का गौरव,कौरव-पाण्डव का पुरखा,चक्रवर्ती पद का अधिकारी!देखा मैंने इन आंखों सेपितृजन की गद्दारीमैं छलित हुआ/मैं दलित हुआमैं […] Read more » अथ अहं ब्रह्मास्मि
कविता मैं कौन हूं? अथ अहं ब्रह्मास्मि (छः) June 10, 2021 / June 10, 2021 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment —विनय कुमार विनायकमैं इलापुत्र ऐल!सूर्यवंशी मनु का दौहित्र,उस द्वन्द की कड़ी मेंचन्द्रवंशी आर्य ‘पुरुरवा’ था!सप्तद्वीप नौ खण्ड का स्वामीउर्वशी का भोगी,आयु का जन्मदाता!(7)मैं ‘नहुष’आयु का आत्मज,अति शौर्यवश हुआइन्द्र पदाभिषिक्तमेरी मुट्ठी में कैद थीधरती-स्वर्ग-इन्द्रासन!क्या ब्राह्मणत्व!क्या देवत्व! क्या आर्यत्व!सबने किया मेरा नमन,किन्तु स्वअहंवशमैं हुआ पतनशीलब्राह्मणत्व से शापित होकर,देवत्व से क्षीण/आर्यत्व से मलीनमैं हुआ इन्द्रपद से च्युत,अकर्मण्य अजगर […] Read more » Atha Aham Brahmasmi अथ अहं ब्रह्मास्मि
कविता मैं कौन हूं? अथ अहं ब्रह्मास्मि (तीन) June 9, 2021 / June 9, 2021 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment —विनय कुमार विनायकमन्वन्तर-दर-मन्वन्तरमनु के बेटों कामनु की व्यवस्था सेपूछा गया सवाल,पूछता है फिर-फिरआज भी मनु का बेटा!यह जानकर भीकि जबाव नहीं देगा व्यवस्थाकारखामोश ही रहेगा सीधे सवाल परमानक बनाने वालामैं का/मैन का/मन का!अस्तु अवसर विशेष पर कहे गएब्रह्मवाक्य में हीहल ढूंढेगा मनु का बेटा यह जानकरकि ब्रह्मवाक्य मिथ्या नहीं होता!हे आदि सनातन धर्म के नियामकमेरे […] Read more » अथ अहं ब्रह्मास्मि