लेख शराब के ठेके: नशा मुक्त भारत के सुनहरे अवसर का चूकना May 17, 2020 / May 17, 2020 by अफसाना | Leave a Comment आज पूरी दुनिया कोरोने नामक महामारी से जूझ रही हैं, और इसी की वजह से पूरी दुनिया में मौतों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है.। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद, 2020 वह वर्ष है, जब दुनिया ने इतनी ज्यादा मौतें देखीं। चाहे वह विकसित देश हों या विकासशील देश, मौत का […] Read more » Liquor thekas missed opportunities for drug-free India sharab thekas नशा मुक्त भारत
लेख विधि-कानून समाज अधिकार से पहले कर्तव्य , अध्याय — 3 , माता पिता के प्रति हम क्यों बने सेवाभावी ? May 17, 2020 / May 17, 2020 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment माँ का हमारे जीवन में अति महत्वपूर्ण स्थान है । माँ के बिना हमारे जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती । माँ है तो यह संसार चल रहा है और यदि संसार में मातृशक्ति नहीं है तो संसार का विनाश निश्चित है । यही कारण रहा है कि संसार में मातृशक्ति का सम्मान […] Read more » Duty before authority Why should we be effective towards our parents अधिकार से पहले कर्तव्य
लेख सार्थक पहल सकारात्मकता का नया सवेरा May 16, 2020 / May 16, 2020 by सुरेश जैन | Leave a Comment – सुरेश जैन पूरी दुनिया में कोरोना वायरस मानव जीवन में मौत के सौदागर के रुप में सामने आया है तो लॉकडाउन ने जिंदगी को दोबारा से पढ़ने, सुनने और गुनने का स्वर्णिम मौका दिया है। बदले हालात ने जीवन में और वैकल्पिक सुनहरे पन्ने खोल दिए हैं। हमारी सोच में आमूल-चूल परिवर्तन ला दिया […] Read more » the new dawn of positivity amid corona lockdown कोरोना वायरस सकारात्मकता का नया सवेरा
लेख देश की सुख-समृद्धि एवं सुरक्षा के लिये गोवध पर पूर्ण प्रतिबन्ध अनिवार्य है May 15, 2020 / May 15, 2020 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment –मनमोहन कुमार आर्य मनुष्य तथा पशु-पक्षी आदि सभी प्राणियों की उत्पत्ति अपने पूर्वजन्मों के कर्मों का सुख व दुःख रूपी फल भोगने के लिये हुई है। मनुष्य योनि उभय योनि है जिसमें मनुष्य पूर्वजन्मों के कर्मों का फल भोगता है तथा नये कर्मों को भी करता है। यह नये कर्म मनुष्य के बन्धन व […] Read more » गोवध पर पूर्ण प्रतिबन्ध गोहत्या राष्ट्र हत्या
लेख साहित्य देहत्याग के समय भीष्म पितामह के पास क्या अकेले पांडव ही थे ? May 15, 2020 / May 15, 2020 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment अभी टी0वी0 चैनल पर महाभारत धारावाहिक समाप्त हुआ है । जिसमें दिखाया गया है कि अंतिम समय में भीष्म पितामह के पास पांचों पांडव और श्रीकृष्ण जी गए थे । उनके अतिरिक्त वहाँ पर अन्य कोई व्यक्ति उपस्थित नहीं था । यहाँ पर प्रश्न यह खड़ा होता है कि भीष्म पितामह जैसे महामानव का जिस […] Read more » Was Bhishma Pitamah the only Pandava देहत्याग के समय भीष्म पितामह के पास क्या अकेले पांडव ही थे
लेख संजय के पास कोई दिव्य दृष्टि नहीं थी — क्या कहती है महाभारत ? May 15, 2020 / May 15, 2020 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment महाभारत के बारे में जिस प्रकार अनेकों भ्रान्तियों को समाज में फैलाया गया है , उनमें से एक यह भी है कि संजय को वेदव्यासजी के द्वारा दिव्य दृष्टि प्राप्त हो गई थी । जिसके माध्यम से वह महाभारत के युद्ध का आंखों देखा हाल हस्तिनापुर के राजभवन में बैठा हुआ, धृतराष्ट्र को सुनाया करता […] Read more » Sanjay had no divine vision what does Mahabharata say? क्या कहती है महाभारत संजय के पास कोई दिव्य दृष्टि नहीं थी
लेख स्वास्थ्य-योग नर्सिंग :क्यों उपेक्षित है हैल्थ सिस्टम की रीढ़ May 12, 2020 / May 12, 2020 by डॉ अजय खेमरिया | Leave a Comment विश्व नर्सिंग डे 12 मई पर विशेष डॉ अजय खेमरिया कोरोना के कहर से कराहती दुनियां के दर्द को कम करने में चिकित्सकीय सेवा वर्ग के प्रति हम आज दण्डवत मुद्रा में खड़े है।उनके सम्मान, और उत्साहवर्धन के लिए उपकृत भाव से कभी करोडों लोग दीपक जलाते है कभी घण्टी थाली पीटते है तो कभी […] Read more » Nursing: नर्सिंग विश्व नर्सिंग डे 12 मई
जन-जागरण लेख समाज समझें, स्वाभिमान एवम आत्मसम्मान के सूक्ष्म अंतर को May 12, 2020 / May 12, 2020 by पंडित दयानंद शास्त्री | Leave a Comment स्वाभिमान क्या होता हैं ?? स्वाभिमान शब्द आत्मगौरव और आत्मसम्मान के लिए प्रयुक्त होता है। स्वाभिमान का सामान्य अर्थ पाठशाला में ही संधि विच्छेद में पढ़ा था कि स्व का अभिमान मतलब स्वाभिमान, स्व मतलब खुद, आप स्वयं.। यह ऐसा शब्द है जो हमें जाग्रत करता है, प्रेरित करता है और हमें कर्तव्य के प्रति […] Read more » subtle differences of swabhiman and self-respect स्वाभिमान एवम आत्मसम्मान
लेख लॉक डाउन में पानी का संकट May 11, 2020 / May 11, 2020 by चरखा फिचर्स | Leave a Comment दिलीप बीदावत कोरोना का कहर, बार-बार साबुन से हाथ धोने की हिदायत बाड़मेर जिले के पेयजल संकटग्रस्त गांवों व ढाणियों के लिए तो केवल कहावत ही बनी हुई है। तापमान बढ़ने के साथ ही पानी का संकट बढ़ गया है। आम समुदाय के लिए जहां पानी का संकट आफत के रूप में विद्यमान है, वहीं […] Read more » Water crisis in lock down
लेख समाज संसार में माँ के समान कोई छाया नहीं May 10, 2020 / May 11, 2020 by ब्रह्मानंद राजपूत | Leave a Comment (मातृ दिवस 10 मई 2020 पर विशेष आलेख) आज मातृ दिवस है, एक ऐसा दिन जिस दिन हमें संसार की समस्त माताओं का सम्मान और सलाम करना चाहिये। वैसे माँ किसी के सम्मान की मोहताज नहीं होती, माँ शब्द ही सम्मान के बराबर होता है, मातृ दिवस मनाने का उद्देश्य पुत्र के उत्थान में उनकी महान भूमिका को सलाम करना है। श्रीमद भागवत गीता में कहा गया है कि माँ की सेवा से मिला आशीर्वाद सात जन्म के पापों को नष्ट करता है। यही माँ शब्द की महिमा है। असल में कहा जाए तो माँ ही बच्चे की पहली गुरु होती है एक माँ आधे संस्कार तो बच्चे को अपने गर्भ में ही दे देती है यही माँ शब्द की शक्ति को दशार्ता है, वह माँ ही होती है पीडा सहकर अपने शिशु को जन्म देती है। और जन्म देने के बाद भी मॉं के चेहरे पर एक सन्तोषजनक मुस्कान होती है इसलिए माँ को सनातन धर्म में भगवान से भी ऊँचा दर्जा दिया गया है। ‘माँ’ शब्द एक ऐसा शब्द है जिसमे समस्त संसार का बोध होता है। जिसके उच्चारण मात्र से ही हर दुख दर्द का अंत हो जाता है। ‘माँ’ की ममता और उसके आँचल की महिमा को शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता है, उसे सिर्फ महसूस किया जा सकता है। रामायण में भगवान श्रीराम जी ने कहा है कि ‘‘जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गदपि गरीयसी।’’ अर्थात, जननी और जन्मभूमि स्वर्ग से भी बढ़कर है। कहा जाए तो जननी और जन्मभूमि के बिना स्वर्ग भी बेकार है क्योंकि माँ कि ममता कि छाया ही स्वर्ग का एहसास कराती है। जिस घर में माँ का सम्मान नहीं किया जाता है वो घर नरक से भी बदतर होता है, भगवान श्रीराम माँ शब्द को स्वर्ग से बढकर मानते थे क्योंकि संसार में माँ नहीं होगी तो संतान भी नहीं होगी और संसार भी आगे नहीं बढ पाएगा। संसार में माँ के समान कोई छाया नहीं है। संसार में माँ के समान कोई सहारा नहीं है। संसार में माँ के समान कोई रक्षक नहीं है और माँ के समान कोई प्रिय चीज नहीं है। एक माँ अपने पुत्र के लिए छाया, सहारा, रक्षक का काम करती है। माँ के रहते कोई भी बुरी शक्ति उसके जीवित रहते उसकी संतान को छू नहीं सकती। इसलिए एक माँ ही अपनी संतान की सबसे बडी रक्षक है। दुनिया में अगर कहीं स्वर्ग मिलता है तो वो माँ के चरणों में मिलता है। जिस घर में माँ का अनादर किया जाता है, वहाँ कभी देवता वास नहीं करते। एक माँ ही होती है जो बच्चे कि हर गलती को माफ कर गले से लगा लेती है। यदि नारी नहीं होती तो सृष्टि की रचना नहीं हो सकती थी। स्वयं ब्रह्मा, विष्णु और महेश तक सृष्टि की रचना करने में असमर्थ बैठे थे। जब ब्रह्मा जी ने नारी की रचना की तभी से सृष्टि की शुरूआत हुई। बच्चे की रक्षा के लिए बड़ी से बड़ी चुनौती का डटकर सामना करना और बड़े होने पर भी वही मासूमियत और कोमलता भरा व्यवहार ये सब ही तो हर ‘माँ’ की मूल पहचान है। दुनिया की हर नारी में मातृत्व वास करता है। बेशक उसने संतान को जन्म दिया हो या न दिया हो। नारी इस संसार और प्रकृति की ‘जननी’ है। नारी के बिना तो संसार की कल्पना भी नहीं की जा सकती। इस सृष्टि के हर जीव और जन्तु की मूल पहचान माँ होती है। अगर माँ न हो तो संतान भी नहीं होगी और न ही सृष्टि आगे बढ पाएगी। इस संसार में जितने भी पुत्रों की मां हैं, वह अत्यंत सरल रूप में हैं। कहने का मतलब कि मां एकदम से सहज रूप में होती हैं। वे अपनी संतानों पर शीघ्रता से प्रसन्न हो जाती हैं। वह अपनी समस्त खुशियां अपनी संतान के लिए त्याग देती हैं, क्योंकि पुत्र कुपुत्र हो सकता है, पुत्री कुपुत्री हो सकती है, लेकिन माता कुमाता नहीं हो सकती। एक संतान माँ को घर से निकाल सकती है लेकिन माँ हमेशा अपनी संतान को आश्रय देती है। एक माँ ही है जो अपनी संतान का पेट भरने के लिए खुद भूखी सो जाती है और उसका हर दुख दर्द खुद सहन करती है। लेकिन आज के समय में बहुत सारे ऐसे लोग हैं जो अपने मात-पिता को बोझ समझते हैं। और उन्हें वृध्दाआश्रम में रहने को मजबूर करते हैं। ऐसे लोगों को आज के दिन अपनी गलतियों का पश्चाताप कर अपने माता-पिताओं को जो वृध्द आश्रम में रह रहे हैं उनको घर लाने के लिए अपना कदम बढाना चाहिए। क्योंकि माता-पिता से बढकर दुनिया में कोई नहीं होता। माता के बारे में कहा जाए तो जिस घर में माँ नहीं होती या माँ का सम्मान नहीं किया जाता वहाँ दुर्गा, लक्ष्मी और सरस्वती का वास नहीं होता। हम नदियों और अपनी भाषा को माता का दर्जा दे सकते हैं तो अपनी माँ से वो हक क्यों छीन रहे हैं। और उन्हें वृध्दाआश्रम भेजने को मजबूर कर रहे है। यह सोचने वाली बात है। माता के सम्मान का एक दिन नहीं होता। माता का सम्मान हमें 365 दिन करना चाहिए। लेकिन क्यों न हम इस मातृ दिवस से अपनी गलतियों का पश्चाताप कर उनसे माफी मांगें। और माता की आज्ञा का पालन करने और अपने दुराचरण से माता को कष्ट न देने का संकल्प लेकर मातृ दिवस को सार्थक बनाएं. Read more » (मातृ दिवस 10 मई 2020 mothers day माँ मातृ दिवस
लेख समाज त्याग, समर्पण व ममता की प्रतिमूर्ति जीवनदायिनी माँ May 10, 2020 / May 10, 2020 by दीपक कुमार त्यागी | Leave a Comment दीपक कुमार त्यागीहमारे देश की प्राचीन गौरवशाली संस्कृति में वैसे तो माँ आदिकाल से ही पूज्यनीय रही है उसके लिए हमको मातृ-दिवस के एक दिन इंतजार करना आवश्यक नहीं है। लेकिन पश्चिमी संस्कृति से प्रभाव के चलते अब भारत में भी प्रत्येक वर्ष मातृ-दिवस मई महीने के दूसरे रविवार को जोरशोर से मनाया जाने लगा […] Read more » जीवनदायिनी माँ त्याग ममता की प्रतिमूर्ति
लेख समाज मां और भारतीय परिवार विज्ञान : विश्व की एक अद्भुत व्यवस्था जिसकी संचालिका होती है मां May 10, 2020 / May 10, 2020 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment आज मातृ दिवस है । सचमुच हम सब में वे लोग सौभाग्यशाली हैं जिनकी मां है । जिनकी नहीं है , उन्हें निश्चय ही आज अपनी मां की याद आ रही होगी । मुझे भी अपनी मां का प्यार और उसकी ममता की स्वाभाविक रूप से याद आ रही है ।अपनी उसी ममतामयी मां की […] Read more » Mother and Indian Family Science wonderful system of the world which is governed by the mother मां और भारतीय परिवार विज्ञान