लेख सिकंदर की पराजय December 13, 2017 by डा. रवीन्द्र अग्निहोत्री | Leave a Comment डा. रवीन्द्र अग्निहोत्री आजकल टी वी के एक चैनल पर पोरस शीर्षक से दिखाए जा रहे सीरियल के बहाने एक बार फिर वही कहानी याद आ गई जिसमें वीर योद्धा पुरु (पोरस) को पराजित और आक्रमणकारी सिकंदर को विजयी बताया गया है । इतना ही नहीं, पुरु को क्षमा करके और केवल उसका राज्य नहीं, […] Read more » Featured सिकंदर सिकंदर की पराजय
लेख साहित्य गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-17 December 10, 2017 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य गीता के दूसरे अध्याय का सार और संसार योगेश्वर कृष्ण जी का कहना है कि हमें अपना मन ‘परब्रह्म’ से युक्त कर देना चाहिए, उसके साथ उसका योग स्थापित कर देना चाहिए। उससे मन का ऐसा तारतम्य स्थापित कर देना चाहिए कि उसे ब्रह्म से अलग करना ही कठिन हो जाए। भाव […] Read more » Featured गीता गीता का कर्मयोग विश्व
लेख गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-16 December 9, 2017 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य गीता के दूसरे अध्याय का सार और संसार गीता यह भी स्पष्ट करती है कि ”हे कौन्तेय! पुरूष चाहे कितना ही यत्न करे, कितना ही विवेकशील हो-ये मथ डालने वाली इन्द्रियां बल पूर्वक मन को विषयों की ओर खींच लेती हैं। मन विषयों के पीछे भागता है और इस प्रकार भागता हुआ […] Read more » Featured आज का विश्व कर्मयोग गीता गीता का कर्मयोग विश्व
लेख साहित्य गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-15 December 7, 2017 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य  गीता के दूसरे अध्याय का सार और संसार ‘गीता’ का कहना है कि योगस्थ होकर कर्मयोग का अभ्यासी बनकर मनुष्य को कर्म के फल की आसक्ति से स्वयं को मुक्त रखना चाहिए। कर्म की सिद्घि या असिद्घि दोनों में ही मनुष्य को समता का भाव अपनाने का अभ्यासी हो जाना चाहिए। […] Read more » Featured आज का विश्व गीता का कर्मयोग
लेख साहित्य गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-14 December 6, 2017 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर् गीता के दूसरे अध्याय का सार और संसार ‘गीता’ कहती है कि इस आत्मा को संसार का कोई शस्त्र छेद नहीं सकता। न इसको अग्नि जला सकती है, और न इसे पानी गला सकता है, इसे वायु सुखा नहीं सकती। अग्नि जला न पाएगा, शस्त्र करे नहीं छेद। पानी गला न पाएगा, […] Read more » Featured geeta karmayoga of geeta आज का विश्व गीता गीता का कर्मयोग
लेख साहित्य गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-13 December 6, 2017 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य गीता के दूसरे अध्याय का सार आत्मा को नहीं होत है, सुख, दु:ख का कभी भान। द्वन्द्व सताते देह को बात वेद की जान।। हमारे देश के भी बड़े-बड़े विद्वानों तक को ऐसी भ्रांति रही है। आज के संसार के लोगों की तो यह प्रमुख समस्या है कि वे आत्मा और शरीर […] Read more » Featured geeta karmayoga of geeta आज का विश्व गीता का कर्मयोग
लेख हिंदुस्तान के गद्दार जमींदार December 5, 2017 by डा. राधेश्याम द्विवेदी | 1 Comment on हिंदुस्तान के गद्दार जमींदार डा. राधेश्याम द्विवेदी हमारे भारत को प्राचीन काल से ही सोने की चिड़िया कहलाने का गौरव प्राप्त था, लेकिन जब सोने की चिड़िया कहे जाने वाले हमारे भारत पर अंग्रेजों ने कब्ज़ा किया उसके बाद भारत से वो गौरव छिन गया. हम सभी ने जब भी अपने इतिहास के बारे में पढ़ा या सुना है […] Read more » Featured गद्दार जमींदार जमींदार हिंदुस्तान
लेख साहित्य गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-12 December 2, 2017 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य   गीता के दूसरे अध्याय का सार और संसार गीता और शहादत अपनी मजहबी मान्यताओं को संसार पर बलात् थोपने वाले जिहादियों को लालच दिया गया है कि यदि ऐसा करते-करते तुम मृत्यु को प्राप्त हो जाते हो तो तुम शहीद कहे जाओगे। जबकि श्रीकृष्ण जी अर्जुन से इसके ठीक विपरीत […] Read more » Featured गीता गीता का कर्मयोग विश्व
लेख साहित्य गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-11 December 2, 2017 / December 2, 2017 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य  गीता के दूसरे अध्याय का सार और संसार आजकल पैसा कैसे कमाया जाए और कैसे बचाया जाए?-सारा ध्यान इसी पर केन्द्रित है। आय के सारे साधन चोरी के बना लिये गये हैं, जिससे व्यक्ति उन्हें किसी को बता नहीं सकता, इसलिए उनकी मार को चुप-चुप झेलता रहता है। जितना दिल साफ […] Read more » Featured geeta karmayoga of geeta गीता गीता का कर्मयोग गीता के दूसरे अध्याय का सार विश्व
लेख साहित्य कवि मुक्तिबोध की जन्मशती November 27, 2017 by मनोज कुमार | Leave a Comment मनोज कुमार साहित्य समाज में किसी कवि की जन्मशती मनाया जाना अपने आपमें महत्वपूर्ण है और जब बात मुक्तिबोध की हो तो वह और भी जरूरी हो जाता है। मनुष्य की अस्मिता, आत्मसंघर्ष और प्रखर राजनीतिक चेतना से समृद्ध स्वातंत्रोत्तर प्रगतिशील काव्यधारा के शीर्ष व्यक्तित्व के रूप में स्थापित मुक्तिबोध अपने समय के एक ऐसे […] Read more » गजानन माधव मुक्तिबोध मुक्तिबोध
लेख साहित्य चोर चोर मौसेरे भाई November 27, 2017 by बीनू भटनागर | Leave a Comment चोर चोर मौसेरे भाई मिले चुनावी वक़्त मोलभाव सीटों का करें इधर उधर भटकें। लोग जो आज इधर हैं कल मिल जायें उधर, आज जिन्हे अच्छा कहें, कल खोजेंगे नुक्स, जो कुर्सी की आस दे, उसके होंगे भक्त। ना कोई आदर्श है ना कोई सिद्धान्त झूठे दस्तावेज़ हैं, इनके घोषणापत्र, राजनीति बस हो रही, सत्ता […] Read more » चोर चोर मौसेरे भाई
लेख साहित्य गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-10 November 27, 2017 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment गीता के दूसरे अध्याय का सार और संसार हमारे देश में लोगों की मान्यता रही है कि शत्रु वह है जो समाज की और राष्ट्र की व्यवस्था को बाधित करता है। ऐसा व्यक्ति ही अधर्मी माना गया है। धर्म विरूद्घ आचरण करने वाला व्यक्ति समाज, राष्ट्र और जन-जन का शत्रु होता है। ऐसे व्यक्ति का […] Read more » Featured geeta karmayoga of geeta Shri Krishna गीता गीता का कर्मयोग विश्व