लेख साहित्य महुवा डाबर : एक और जलियावालाबाग की अनकही कहानी November 17, 2015 / November 17, 2015 by डा. राधेश्याम द्विवेदी | Leave a Comment डा. राधेश्याम द्विवेदी 1857 के स्वतंत्रता आन्दोलन में बस्ती मण्डल का योगदान सामान्य ही रहा। जिस समय यह जिला बना था उस समय यह गोरखपुर का भाग था। इसका कोई नागरिक केन्द्र नहीं था। इसके इतिहास को गोरखपुर के इतिहास से अलग करके नहीं देखा जा सकता है साथ ही गोण्डा एवं फैजाबाद से भी […] Read more » Featured एक और जलियालाबाग एक और जलियालाबाग की अनकही कहानी महुवा डाबर
लेख साहित्य पुरस्कार वापसी – अंर्तराष्ट्रीय साजिश November 8, 2015 / November 8, 2015 by डा. अरविन्द कुमार सिंह | 3 Comments on पुरस्कार वापसी – अंर्तराष्ट्रीय साजिश डा. अरविन्द कुमार सिंह जरा सोचिए, यदि संपूर्ण प्रिंट एवं इलेक्ट्रानिक मीडिया का प्रकाशन एवं प्रसारण बंद कर दिया जाए तो हम राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य की घटनाओं तथा राजनेताओं के बारे में कितना जान पाते? राहुल गाॅधी, अरविन्द केजरीवाल तथा नरेन्द्र मोदी के बारे में कितना जानते? हमारी विचारधारायें सूचना के आभाव में कितनी धारदार हो […] Read more » Featured अंर्तराष्ट्रीय साजिश पुरस्कार वापसी
लेख साहित्य फुटपाथ पर सोया बालक और मेरा ममत्व November 4, 2015 / November 4, 2015 by अनुप्रिया अंशुमान | Leave a Comment मुझे ये लगता है कि माँ होना या माँ बनना, दोनो ही बातें, अपने में एक विशेषता लिए आती है । हमेशा ही मेरी आँखें माँ के नाम पर नम हो जाती है; और माँ बनने की अभिलाषाओं को त्वरित कर देती है । कहते है कि स्त्री तब तक माँ नहीं बनती जब तक […] Read more » फुटपाथ पर सोया बालक मेरा ममत्व
लेख साहित्य मुझे भी सम्मान की दरकार, क्या सम्भव है? November 2, 2015 by डॉ. भूपेंद्र सिंह गर्गवंशी | Leave a Comment डॉ. भूपेन्द्र सिंह गर्गवंशी/ पाठकों मैं वादा करता हूँ कि यदि मुझे कोई सम्मान मिला तो मैं उसे कभी भी किसी भी परिस्थिति में लौटाने की नहीं सोचूँगा। एक बात और बता दूँ वह यह कि मेरी कोई पहुँच नहीं और न ही मैंने राजनीति के शिखर पर बैठे लोगों, माननीयों का नवनीत लेपन ही […] Read more » मुझे भी सम्मान की दरकार सम्मान की दरकार
लेख साहित्य ‘साजिश के तहत सम्मान वापसी का सिलसिला’ October 30, 2015 by दीपक शर्मा 'आज़ाद' | 3 Comments on ‘साजिश के तहत सम्मान वापसी का सिलसिला’ पश्चिम के किनारों पर बैठ कर जो लोग अपने ही मुल्क की ईबारत लिखने की कोशिशों में जुटे हैं, वे एक दिन इस राष्ट्र का सर्वनाश कर बैठेंगे। वैसे अब कोई कसर तो बची नहीं, वाममार्गियों ने भारतीय इतिहास के साथ जो तोड़फोड़ की है उसका आभार। उनके हिसाब से भारतीय स्वात़ंत्र्य समर 1857 महज […] Read more » Featured सम्मान वापसी सम्मान वापसी का सिलसिला
कला-संस्कृति लेख विविधा शातिर मैकाले का मोहरा – हिन्दू धर्म का महान शत्रु “मैक्स मूलर” October 29, 2015 by हरिहर शर्मा | Leave a Comment फ्रेडरिक मैक्समूलर एक ऐसा नाम है जिसे ब्रिटिश शासनकाल में ब्रिटिश राजनीतिज्ञों, प्रशासकों और कूटनीतिज्ञों ने एक सदी (१८४६-१९४७) तक लगातार हिन्दुओं का एक अभिन्न मित्र और वेदों के महान विद्वान के रूप में प्रस्तुत किया ! परन्तु क्या यह सत्य है ? जी नहीं सत्य ऐसे बिलकुल विपरीत है ! वास्तव में मैक्स मूलर […] Read more » Featured मैक्स मूलर शातिर मैकाले का मोहरा हिन्दू धर्म का महान शत्रु
लेख विविधा सर्व प्रथम, यह पाखण्ड नहीं है. October 27, 2015 / October 28, 2015 by आर. सिंह | 16 Comments on सर्व प्रथम, यह पाखण्ड नहीं है. संगोष्ठी (सम्मान वापसी -प्रतिरोध या पाखंड?) सर्व प्रथम, यह पाखण्ड नहीं है. आज यह प्रश्न उठ रहा है या उठाया जा रहा है कि अवार्ड इस समय ही क्यों लौटाए जा रहे हैं,पहले क्यों नहीं?आम लोगों को यह प्रश्न स्वाभाविक लग रहा है,पर मेरे विचार से यह प्रश्न एक सिरे से अस्वाभाविक है.यह प्रश्न उन […] Read more » Featured यह पाखण्ड नहीं है.
लेख विविधा लेखक के विरोध का तरीका केवल लेखन है October 27, 2015 / October 28, 2015 by राजीव रंजन प्रसाद | Leave a Comment राजीव रंजन प्रसाद व्यवस्था के विरुद्ध सभी लड़ाईयों में जो सर्वाधिक कारगर हथियार सिद्ध होता रहा है वह है – कलम। सामाजिक-सांस्कृतिक आन्दोलन हों अथवा साम्प्रदायिक असहिष्णुताओं को समरसताओं में कायांतरित किये जाने के प्रयास, यह अब तक लेखकों के कंधों का दायित्व रहा है। व्यवस्था कोई भी हो और सरकारें कैसी भी हों, लेखन […] Read more » Featured लेखक के विरोध का तरीका
लेख साहित्य साहित्यकार पुरस्कार वापसी के अलावा और क्या क्या कर सकते हैं October 26, 2015 by इक़बाल हिंदुस्तानी | Leave a Comment इक़बाल हिंदुस्तानी सबकी कट्टरता का विरोध व समाज की स्वस्थ मानसिकता बनायें ! देश में बढ़ रही असहिष्णुता कट्टरता और तीन साहित्यकारों की उनके विचारों के कारण एवं यूपी के दादरी में एक मुस्लिम की गोमांस खाने की अफवाह पर हत्या होने के बाद विरोध के तौर पर लगभग तीन दर्जन से अधिक साहित्यकार अपने […] Read more » Featured पुरस्कार वापसी साहित्यकार
लेख साहित्य ऐसी पुरस्कार वापसी से सवाल तो उठेंगे ही.. October 26, 2015 / October 26, 2015 by सिद्धार्थ शंकर गौतम | Leave a Comment इन दिनों देश में बढ़ती धार्मिक असहिष्णुता एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हो रहे हमले के खिलाफ विरोधस्वरूप साहित्यकारों द्वारा पुरस्कार वापसी का दौर सा चल पड़ा है। हालांकि जिस अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और असहिष्णुता की साहित्यकार दुहाई दे रहे हैं; उसमें एक ख़ास विचारधारा वाली पार्टी के खिलाफ षड़यंत्र की बू आती है। जनसामान्य […] Read more » Featured पुरस्कार वापसी
लेख साहित्य क्योंकि मैं नेता नहीं हूँ… October 11, 2015 / December 2, 2015 by अश्वनी कुमार, पटना | 1 Comment on क्योंकि मैं नेता नहीं हूँ… “(मेरी शिकायत न तो सिस्टम से है और न ही इस बनाने वालों से. शिकायत है तो सिर्फ इस चलानेवालों से। मैंने अबतक अपनी छोटी सी ज़िंदगी में नेता न होने की बहुत कमी महसूस की और मुझे उम्मीद है की आपने भी कभी न कभी महसूस की होगी)” सड़कों पर कचड़े को देखकर इसके […] Read more » क्योंकि मैं नेता नहीं हूँ…
लेख विविधा समाज साहित्य बंद समाज की जटिलता September 9, 2015 / September 9, 2015 by विजय कुमार | Leave a Comment पिछले सप्ताह श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व था। कई लोग इस दिन निर्जल उपवास रखते हैं और रात को बारह बजे श्रीकृष्ण जन्म के बाद ही प्रसाद ग्रहण करते हैं। विद्यालयों में छुट्टी रहती है। छोटे बच्चों को इस दिन बालकृष्ण और राधा के रूप में सजाया जाता है। कई जगह बच्चे झांकी भी बनाते […] Read more » Featured