लेख बाबर व अकबर के शासन काल में हिंदू दमन February 6, 2025 / February 6, 2025 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment डॉ राकेश कुमार आर्य अकबर के हरम में हिन्दू महिलाओं की स्थिति जिसका उल्लेख आर०सी० मजूमदार ने ‘दी मुगल एंपायर’ खंड 7 में किया है। वह लिखते हैं – सन् 1564 में अकबर ने अपनी हवस की शान्ति के लिए रानी दुर्गावती पर आक्रमण कर दिया, किन्तु एक वीरतापूर्ण संघर्ष के बाद अपनी हार निश्चित […] Read more » Hindu oppression during the rule of Babar and Akbar बाबर व अकबर के शासन काल में हिंदू दमन
लेख हिंदी महत्व February 6, 2025 / February 6, 2025 by नन्द किशोर पौरुष | Leave a Comment हिंदी है मेरी मात्र भाषा, जो हिंदुस्तान की पहचान कराती हैदेव नागरी रसमय हो कर, नव रास यह बरसाती हैहिंदी है मेरी मात्र भाषा…………………… आलोकिक श्रृंगार है इसका, समास और अलंकारों सेमुहावरों और कहावतों से, सबका मन बहलाती हैहिंदी है मेरी मात्र भाषा…………………… हर्षित करके तन मन सबका, विश्व स्तर पर अपना रंग जमातीसंस्कृत भाषा […] Read more »
लेख हर घर नल जल योजना: लक्ष्य तक पहुंचने की चुनौती February 6, 2025 / February 6, 2025 by चरखा फिचर्स | Leave a Comment प्रिया रानीपटना, बिहार केंद्र सरकार की हर घर नल जल योजना ने शहरों से लेकर गांवों तक लोगों के जीवन को सरल बना दिया है। इस योजना का उद्देश्य हर घर तक स्वच्छ जल की आपूर्ति सुनिश्चित करना है, जिससे लोगों का जीवन सुगम हो और जल जनित बीमारियों में कमी आए। देश के कई […] Read more » Har Ghar Nal Jal Yojana हर घर नल जल योजना
लेख सुप्रीम कोर्ट – शव के साथ सेक्स करना रेप की श्रेणी में नहीं आता February 6, 2025 / February 6, 2025 by रामस्वरूप रावतसरे | Leave a Comment रामस्वरूप रावतसरे सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में 4 फरवरी 2025 को नेक्रोफिलिया (महिला के मृत शरीर से यौन क्रिया) को बलात्कार मानने से इनकार कर दिया। अदालत ने कहा कि यह भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 375 के तहत बलात्कार […] Read more » शव के साथ सेक्स
लेख समाज बढ़ता तनाव: हर शख्स परेशां सा क्यों है? February 6, 2025 / February 6, 2025 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment अमरपाल सिंह वर्मा रोजमर्रा की भागमभाग और आपाधापी में लोगों का मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित हो रहा है। बढ़ता मानसिक तनाव एवं अवसाद लोगों के जीवन में ऐसा खलल डाल रहा है, जिससे वह बाहर नहीं निकल पा रहे हैं। टेंशन एवं डिप्रेशन से जूझने वाले लोग ऐसे निराशाजनक दौर से गुजर रहे हैं जो न उन्हें दिन में चैन लेने दे रहा है और न रात को आराम। यह समस्या न केवल युवाओं बल्कि हर उम्र के लोगों को प्रभावित कर रही है। अब तो बच्चे भी तनाव से अछूते नहीं रहे हैं। यह ऐसी विश्वव्यापी समस्या है, जिसके शिकार लोग रहते भले ही अलग-अलग देशों में हों पर उनका दर्द एक जैसा है। हमारे देश में तनाव ने लोगों की जीवनचर्या को अस्त व्यस्त कर दिया है। एक ओर जहां बढ़ती महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने का दबाव तनाव की वजह है, वहीं परिस्थितियों के साथ सामंजस्य न बैठाने से भी मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित हो रहा है। बढ़ती महंगाई, बेरोजगारी और आर्थिक असमानता भी तनाव का कारण बन रही है। आर्थिक संकट का सामना करने वाले व्यक्तियों को बुनियादी जरूरतों को पूरा करने में आ रही कठिनाई भी तनाव और अवसाद की वजह है। किसान, मजदूर, अधिकारी, कर्मचारी, इंजीनियर, अभिनेता, नेता, व्यापारी, दुकानदार, स्त्री, पुरुष सब इससे पीडि़त हैं। शायद ही कोई ऐसा वर्ग है जिसे तनाव ने छोड़ा हो। स्कूल-कॉलेज के बच्चों को शिक्षा और कॅरियर को लेकर बढ़ता दबाव परेशान किए हुए है। परीक्षा जनित तनाव, अच्छे अंक प्राप्त करने का प्रेशर और अच्छी नौकरी पाने का दबाव युवाओं को मौत को गले लगाने पर मजबूर कर रहा है। समाज में कुछ बनकर दिखाने की चाहत भी तनाव का प्रमुख कारण बन गई है। जब महत्वाकांक्षाएं पूरी नहीं होतीं तो दिमाग में केमिकल लोचा पैदा होने लगता है। बढ़ती नशावृत्ति और बिखरते परिवार भी टेंशन का सबब बन रहे हैं। परिवारों में संघर्ष और रिश्तों में खटास मानसिक बीमारियों को बढ़ावा रहा है। हाल के सालों में सोशल मीडिया का अत्यधिक उपयोग भी मानसिक अवसाद की नई वजह बनकर उभरा है। वर्चुअल दुनिया में व्यस्त लोग हकीकत में अकेले पड़ते जा रहे हैं। देश में मानसिक स्वास्थ्य पर मंडराता संकट गंभीर स्थिति बन चुका है। इसका खतरनाक परिणाम बढ़ती आत्महत्याओं के रूप में सामने आ रहा है। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के अनुसार देश में वर्ष 2021 में 1,64,033 लोगों ने आत्महत्या की जबकि 2022 में 1.70 लाख से ज्यादा लोगों ने मौत को गले लगा लिया। यह भयावह आंकड़े समाज के मानसिक स्वास्थ्य पर प्रश्नचिन्ह खड़ा कर रहे हैं। विशेषज्ञों के अनुसार अधिकांश लोग अवसाद, चिंता, मानसिक विकारों और अकेलेपन की वजह से आत्महत्या करते हैं। रिश्तों में तनाव, विवाह संबंधी समस्याएं और फेमिली स्पोर्ट का अभाव भी बड़ी वजह है। कर्ज का बोझ और वित्तीय समस्याएं भी इसके प्रमुख कारणों में हैं। कई बार शारीरिक- मानसिक उत्पीडऩ, विशेष रूप से यौन उत्पीडऩ के कारण भी लोग आत्महत्या करने पर मजबूर हो रहे हैं। देश में महिलाओं से ज्यादा शादीशुदा पुरुष आत्महत्या कर रहे हैं। छात्रों द्वारा सुसाइड की बढ़ती घटनाएं भी चिंता की वजह बन रही हैं।यूनिसेफ की एक रिपोर्ट के मुताबिक देश में मानसिक स्वास्थ्य की हालत खराब है। 15 से 24 साल के प्रत्येक 7 लोगों में से एक व्यक्ति खराब मेंटल हेल्थ से गुजर रहा है। एक सर्वे से पता चलता है कि खराब मेंटल हेल्थ से पीडि़त लोगों में से 41 फीसदी ही किसी काउंसलर या मनोचिकित्सक के पास जाना उचित समझते हैं। गांवों में तो मानसिक बीमारी को कोई बीमारी ही नहीं समझा जाता है। गांवों में मनो चिकित्सकों का अभाव भी एक समस्या है। लोगों में मानसिक स्वास्थ्य के बारे में जागरूकता बढ़ानी जरूरी है। लोगों को बताया जाना चाहिए कि मानसिक समस्याएं भी उतनी ही महत्वपूर्ण हैं जितनी शारीरिक बीमारियां होती हैं। गांवों में मानसिक रूप से बीमार व्यक्ति को ‘पागल’ करार देकर उसके हाल पर छोड़ दिया जाता है। जगह-जगह जंजीरों में बंधे मनोरोगी समाज में मानसिक स्वास्थ्य के प्रति उदासीनता का ज्वलंत उदारण हैं। मौजूदा दौर में यह समझना जरूरी है कि मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं कोई कमजोरी नहीं हैं बल्कि यह एक चुनौती है जिसका सामना परस्पर सहयोग, समझ और संवेदनशीलता से किया जाना चाहिए। अमरपाल सिंह वर्मा Read more » बढ़ता तनाव
लेख पुस्तक-महाकुंभ से एक नये दौर का सूत्रपात February 4, 2025 / February 4, 2025 by ललित गर्ग | Leave a Comment -ललित गर्ग – देश में दो महाकुंभ चल रहे हैं, एएक प्रयागराज में सनातन धर्म का महाकुंभ तो दूसरा दिल्ली में पुस्तकों का महाकुंभ। 1 फरवरी से 9 फरवरी 2025 तक प्रगति मैदान के भारत मंडपम में पाठकों, लेखकों और प्रकाशकों एक भव्य महा-उत्सव जो पांच दशकों की समृद्ध विरासत के साथ, साहित्य, संस्कृति और […] Read more »
लेख गांव में विकास के लिए सड़क जरूरी है February 4, 2025 / February 4, 2025 by चरखा फिचर्स | Leave a Comment हेमा रावलसुराग, उत्तराखंड 01 फरवरी को प्रस्तुत केन्द्रीय बजट में ग्रामीण सड़कों के निर्माण के लिए प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (PMGSY) और अन्य ग्रामीण सड़क परियोजनाओं के तहत लगभग 70,000 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं. इस राशि का उपयोग देश के ग्रामीण क्षेत्रों में सड़क नेटवर्क को मजबूत करने और बुनियादी ढांचे के विकास […] Read more »
लेख स्वास्थ्य-योग कैंसर जोखिमों को परास्त करने में योग सहायक February 4, 2025 / February 4, 2025 by ललित गर्ग | Leave a Comment विश्व कैंसर दिवस- 4 फरवरी, 2025-ः ललित गर्ग:- कैंसर एक ऐसा रोग है जिसके बारे में सुनकर ही लोग डर जाते हैं। कैंसर, वैश्विक स्तर पर तेजी से बढ़ती गंभीर और जानलेवा स्वास्थ्य समस्याओं एवं बीमारियों में से एक है, जिसके कारण हर साल लाखों लोगों की मौत हो जाती है। विश्व कैंसर दिवस दुनिया […] Read more » विश्व कैंसर दिवस
लेख स्वास्थ्य-योग कैंसर नहीं है पूरी तरह लाइलाज, जागरूकता जरूरी February 4, 2025 / February 4, 2025 by योगेश कुमार गोयल | Leave a Comment विश्व कैंसर दिवस (4 फरवरी) पर विशेष– योगेश कुमार गोयलभारत में कैंसर के करीब दो तिहाई मामलों का बहुत देर से पता चलता है और कई बार तब तक बहुत देर हो चुकी होती है। लोगों को कैंसर होने के संभावित कारणों के प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से ही प्रतिवर्ष 4 फरवरी को ‘विश्व […] Read more » awareness is necessary for cancer Cancer is not completely incurable
बच्चों का पन्ना लेख चिंताजनक है बच्चों के साथ समय न बिताना February 3, 2025 / February 3, 2025 by प्रियंका सौरभ | Leave a Comment बात करना बहुत ज़रूरी है, साथ ही ज़रूरत पड़ने पर दयालु होना भी ज़रूरी है। जितना हो सके अपने बच्चे को अपने काम में शामिल करने की कोशिश करें। उन पर ध्यान दें और उनकी पसंदीदा गतिविधियों में शामिल हों; इससे आप दोनों के बीच नज़दीकियाँ बढ़ेंगी। बच्चे स्वाभाविक रूप से अपने माता-पिता का ध्यान […] Read more » चिंताजनक है बच्चों के साथ समय न बिताना
लेख मानव जनित वैश्विक त्रासदी है भगदड़ February 3, 2025 by तनवीर जाफरी | Leave a Comment तनवीर जाफ़री गत 28 जनवरी की देर रात 1:30 बजे के क़रीब संगम तट पर भगदड़ की घटनायें हुईं। इस दुर्भाग्यपूर्ण भगदड़ को लेकर […] Read more » Stampede is a human-caused global tragedy भगदड़
लेख भीड़ का नफा भी भगदड़ का कारण होता है February 3, 2025 by जयसिंह नारेङा | Leave a Comment जयसिंह रावत मौनी अमावस्या के महापर्व पर प्रयागराज महाकुम्भ में अखिर जो डर था, वही हुआ। इतने स्नानार्थियों की मौत और उससे कहीं अधिक लोगों का घायल हो जाना बहुत ही दुखद स्थिति है लेकिन इस बेशुमार और अनियंत्रित महारेले में और भी अधिक भयावह स्थिति पैदा हो सकती थी। इस हादसे के लिये मानवीय […] Read more » भगदड़