धर्म-अध्यात्म लेख मेरे मानस के राम अध्याय 2 July 2, 2024 / July 3, 2024 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment विश्वामित्र जी और श्री राम प्रत्येक काल में राक्षस प्रवृत्ति के लोग साधुजनों का अपमान और तिरस्कार करते आए हैं। इसका कारण केवल एक होता है कि ऐसे राक्षस गण साधु जनों के स्वभाव से ईर्ष्या रखते हैं। लोग साधुजनों को सम्मान देते हैं और राक्षसों का तिरस्कार करते हैं, यह बात राक्षसों को कभी […] Read more »
लेख भारत में शारीरिक निष्क्रियता का बढ़ना चिन्ताजनक July 1, 2024 / July 1, 2024 by ललित गर्ग | Leave a Comment – ललित गर्ग – भारत में बढ़ती शारीरिक अकर्मण्यता एवं आलसीपन एक समस्या के रूप में सामने आ रहा है, लोगों की सक्रियता एवं क्रियाशीलता में कमी आना एवं वयस्कों में शारीरिक निष्क्रियता का बढ़ना चिन्ता का सबब है। इस दृष्टि से प्रतिष्ठित लैंसेट ग्लोबल हेल्थ जर्नल की वह हालिया रिपोर्ट आईना दिखाने वाली है […] Read more » Increase in physical inactivity in India is worrying
महिला-जगत लेख समाज शिक्षा के लिए संघर्ष करती किशोरियां July 1, 2024 / July 1, 2024 by चरखा फिचर्स | Leave a Comment निरमाअजमेर, राजस्थान हमारे देश में महिलाओं और किशोरियों को आज भी जीवन के किसी भी क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए पितृसत्तात्मक समाज से संघर्ष करनी पड़ती है. कभी आधुनिकता और कभी संस्कृति एवं परंपरा के नाम पर उसके पैरों में बेड़ियां डालने का काम किया जाता रहा है. शिक्षा, हर रुकावट को दूर करने […] Read more » Girls struggling for education
लेख समाज शिक्षा के लिए संघर्ष करती किशोरियां June 28, 2024 / June 28, 2024 by चरखा फिचर्स | Leave a Comment निरमाअजमेर, राजस्थान हमारे देश में महिलाओं और किशोरियों को आज भी जीवन के किसी भी क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए पितृसत्तात्मक समाज से संघर्ष करनी पड़ती है. कभी आधुनिकता और कभी संस्कृति एवं परंपरा के नाम पर उसके पैरों में बेड़ियां डालने का काम किया जाता रहा है. शिक्षा, हर रुकावट को दूर करने […] Read more » Girls struggling for education शिक्षा के लिए संघर्ष करती किशोरियां
लेख समाज क्यों नहीं रुक रहा दहेज मांगने का सिलसिला? June 26, 2024 / June 26, 2024 by चरखा फिचर्स | Leave a Comment गायत्री रावलगनीगांव, उत्तराखंड वर्ष 2023 के अंतिम माह में केंद्र सरकार ने राज्यसभा को एक लिखित उत्तर में बताया था कि साल 2017 से 2021 के बीच देश भर में दहेज के नाम पर करीब 35,493 हत्या के मामले दर्ज किए गए थे, यानी प्रतिदिन लगभग 20 मामले दहेज के नाम पर होने वाली हत्या के दर्ज किए […] Read more » Why is the process of demanding dowry not stopping?
लेख स्वास्थ्य-योग योग दिवस पर एक ही दिन में बने कई विश्व रिकॉर्ड June 26, 2024 / June 26, 2024 by योगेश कुमार गोयल | Leave a Comment – योगेश कुमार गोयलयोग का भारत में संस्कृति के साथ सदियों पुराना जुड़ाव है बल्कि यूं भी कह सकते हैं कि भारत में योग की शुरूआत भारतीय संस्कृति के साथ ही जुड़ी है। भारत ने पूरी दुनिया को योग करना सिखाया है और भारत के कारण ही दुनिया के तमाम देश अब योग की महत्ता […] Read more »
पर्यावरण लेख पार्टिकुलेट मैटर से आगे की है बढ़ते शहरी वायु प्रदूषण की कहानी June 26, 2024 / June 26, 2024 by निशान्त | Leave a Comment एक नए विश्लेषण में शहरी वायु प्रदूषण से निपटने के लिए पार्टिकुलेट मैटर (पीएम) से आगे देखने की महत्वपूर्ण आवश्यकता पर प्रकाश डाला गया है। जबकि बातचीत में अक्सर पीएम स्तर हावी रहते हैं, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (NO2), सल्फर डाइऑक्साइड (SO2), कार्बन मोनोऑक्साइड (CO) और ओज़ोन जैसे प्रदूषक प्रमुख भारतीय शहरों में वायु गुणवत्ता चुनौतियों में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। […] Read more » The story of increasing urban air pollution goes beyond particulate matter.
बच्चों का पन्ना लेख बच्चों के समग्र विकास में सहायक है समर कैम्प June 25, 2024 / June 25, 2024 by ऋचा सिंह | Leave a Comment ऋचा सिंह श्री रामचरित मानस के बाल काण्ड में उल्लेख है कि गुरु गृह गए पढ़न रघुराई अल्पकाल विद्या सब पाई। अर्थात् गुरू के सानिध्य में व्यक्तित्व निर्माण। गुरुकुल परम्परा में बच्चों को भारतीय ज्ञान परंपरा से परिचित कराते हुए उनके अंदर सामाजिक और सांस्कृतिक चेतना जागृत की जाती है । भारतीय ज्ञान परम्परा में […] Read more » Summer camp is helpful in the overall development of children
लेख पहाड़, अब सौंदर्य नहीं विनाश के प्रतीक June 25, 2024 / June 25, 2024 by तनवीर जाफरी | Leave a Comment तनवीर जाफ़री गर्मियों से परेशान होकर प्रायः लोग पहाड़ों का रुख़ करते हैं। पहाड़ों पर जहां कम तापमान के […] Read more » पहाड़ पहाड़ अब सौंदर्य नहीं विनाश के प्रतीक
लेख वायु प्रदूषण से होती लाखों मौतों के लिये कौन जिम्मेदार? June 25, 2024 / June 25, 2024 by ललित गर्ग | Leave a Comment -ललित गर्ग-कहते हैं जान है तो जहान है, लेकिन भारत में बढ़ते प्रदूषण के कारण जान और जहान दोनों ही खतरे में हैं। देश की हवा में घुलते प्रदूषण का ‘जहर’ अनेक बार खतरनाक स्थिति में पहुंच जाना चिन्ता का बड़ा कारण हैं। प्रदूषण की अनेक बंदिशों एवं हिदायतों के बावजूद प्रदूषण नियंत्रण की बात […] Read more » Who is responsible for millions of deaths due to air pollution?
आर्थिकी लेख पूंजीवादी व्यवस्था में उत्पन्न होने वाले खतरों को डॉहेडगेवार ने पहिचान लिया था June 24, 2024 / June 24, 2024 by प्रह्लाद सबनानी | Leave a Comment आज पूरे विश्व में पूंजीवाद की तूती बोल रही है। लगभग समस्त देश अपनी अर्थव्यवस्थाओं को पूंजीवाद के सिद्धांत के आधार पर चला रहे हैं। मुक्त बाजार अथवा मुक्त उद्यम प्रणाली पूंजीवाद का दूसरा नाम है, जो उत्पादक संसाधनों पर निजी स्वामित्व के हक को मानते हुए देश में आर्थिक विकास को गति देने की नीति को अपनाती है। पूंजीवादी सिद्धांत के जनक कहे जाने वाले एडम स्मिथ का कहना था कि अर्थव्यवस्था में अधिक से अधिक धनकुबेर पैदा होने चाहिए, इससे अंततः वह देश विकसित देश की श्रेणी में शामिल हो सकता है। अतः देश में धनकुबेर पैदा करने में शासन द्वारा आर्थिक नीतियों को उद्योगपतियों के हित में बनाया जाना चाहिए। इस सम्बंध में एडम स्मिथ ने “वेल्थ आफ नेशन” नामक सिद्धांत भी प्रतिपादित किया था, जिसमें यह कहा गया था कि बाजार को चलाने में किसी अदृश्य शक्ति की भूमिका होती है। इस अदृश्य शक्ति में शासन की नीतियों को भी शामिल किया जा सकता है। पूंजीवादी सिद्धांत पर आधारित आर्थिक नीतियों को अमेरिका में बहुत उत्साहपूर्वक लागू किया गया था। 1950 के दशक के बाद अमेरिका में इन सिद्धांतों के अनुपालन के पश्चात अमेरिकी अर्थव्यवस्था में विकास दर बहुत तेजी से आगे बढ़ी और शीघ्र ही अमेरिका विकसित देशों की श्रेणी में शामिल हो गया था। हालांकि, इस आर्थिक विकास के परिणामस्वरूप देश में आर्थिक असमानता भी उतनी ही तेज गति से बढ़ती है क्योंकि देश में आर्थिक नीतियों को एक वर्ग विशेष को आगे बढ़ाने की दृष्टि से विकसित किया जाता है, इससे अमीर और अधिक अमीर होते चले जाते हैं एवं गरीब और अधिक गरीब होते चले जाते हैं । विश्व में साम्राज्यवाद का सिद्धांत सबसे पुराना माना जाता है। शक्ति एवं प्रभुत्व बढ़ाने की राज्य की नीति मानी जाती रही है और इसकी समय समय पर वकालत भी की जाती रही है। कुछ क्षेत्रों पर प्रत्यक्ष रूप से अधिग्रहण करके एवं कुछ क्षेत्रों पर राजनैतिक एवं आर्थिक नियंत्रण करके कुछ राज्य अपने वर्चस्व को बढ़ाते रहे हैं। ब्रिटिश शासन ने भी इसी सिद्धांत का अनुसरण करते हुए दुनिया के कई देशों पर अपना राज्य कायम कर लिया था। इस सिद्धांत के अनुपालन से भी जिन राज्यों पर सत्ता स्थापित की जाती है उन राज्यों के नागरिकों को दोयम दर्जे का नागरिक बना लिया जाता है और उनका शोषण किया जाता है। इस शासन प्रणाली में भी गरीब और अधिक गरीब हो जाते हैं और राज्य करने वाले देश के नागरिक शोषित राज्यों के संसाधनों का अति शोषण करते हुए इन्हें अपने हित में उपयोग करते हैं और वे स्वयं अमीर से और अधिक अमीर बनते चले जाते हैं। पूंजीवाद के सिद्धांतों का अनुपालन करने वाले कुछ देशों, विशेष रूप से अमेरिका के विकसित देश हो जाने के पश्चात, ने भी बाद के समय में साम्राज्यवाद का चोला पहिन लिया था। इन पूंजीवादी देशों ने छोटे छोटे गरीब देशों के संसाधनों पर व्यापार के माध्यम से अपना हक जताना प्रारम्भ कर दिया था। शोषण करने वालों के केवल नाम बदल गए थे, क्योंकि राज्यों के स्थान पर अब पूंजीपति इन देशों के नागरिकों एवं संसाधनों का शोषण करने लगे थे। एक तरह से पूंजीवाद स्वयं ही राजा बन बैठा। वैसे भी पूंजीवाद के सिद्धांतों के आधार पर चलने वाली अर्थव्यवस्था में येन केन प्रकारेण लाभ कमाना ही मुख्य लक्ष्य होता है, चाहे इसके लिए किसी वर्ग अथवा देश का शोषण ही क्यों न करना पड़े। एक आर्थिक प्रणाली के रूप में पूंजीवाद की उत्पत्ति 16वीं शताब्दी में मानी जा सकती है। इंग्लैंड में 16वीं से 18वीं शताब्दी तक, कपड़ा उद्योग जैसे बड़े उद्यमों के औद्योगिकीकरण ने एक ऐसी प्रणाली को जन्म दिया जिसमें उत्पादकता बढ़ाने के लिए संचित पूंजी का निवेश किया गया और उद्योगपतियों ने मजदूरों का शोषण प्रारम्भ कर अधिक लाभ अर्जित करना प्रारम्भ किया। इस प्रकार किसी एक व्यक्ति को पूंजीवाद का आविष्कार करने वाला नहीं कहा जा सकता है, क्योंकि पूर्ववर्ती पूंजीवादी प्रणालियां प्राचीन काल से ही अस्तित्व में थीं। चूंकि पूंजीवादी सिद्धांतों के अनुपालन में कुछ देश तेजी से विकास कर रहे थे एवं कुछ अन्य देशों का अति शोषण हो रहा था और पूंजीवाद एक तरह से विश्व के कई देशों में फैल रहा था अतः पूंजीवाद के साम्राज्यवाद के पद चिन्हों पर आगे बढ़ने के कारण डॉक्टर केशव बलिराम हेडगेवार ने वर्ष 1920 में नागपुर में आहूत किए जाने वाले कांग्रेस के अधिवेशन में प्रस्ताव समिति के सामने एक प्रस्ताव रखने का प्रयास किया था। इस प्रस्ताव में दो विषयों का उल्लेख किया गया था। एक, कांग्रेस को यह वादा करना चाहिए कि वह अंग्रेजों से भारत की पूर्ण स्वतंत्रता के नीचे कुछ भी स्वीकार नहीं करेगी और दूसरे, पूरे विश्व को पूंजीवादी नीतियों से मुक्ति दिलायी जाएगी। परंतु, दुःख का विषय है कि उस समय के कांग्रेस के नेताओं ने डॉक्टर हेडगेवार के उक्त प्रस्ताव को प्रस्ताव समिति से आगे बढ़ने ही नहीं दिया एवं यह प्रस्ताव कांग्रेस अधिवेशन में भी प्रस्तुत नहीं किया जा सका। इस प्रकार, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के परम पूजनीय प्रथम संघचालक डॉक्टर हेडगेवार ने वर्ष 1920 के पूर्व ही पूंजीवाद से उत्पन्न होने वाले खतरों को पहचान लिया था तथा वे पूंजीवाद की आड़ में विश्व में फैल रहे साम्राज्यवादी नीतियों के भी घोर विरोधी थे। साम्राज्यवादी नीतियों के अंतर्गत कुछ पूंजीवादी देश, विश्व के अन्य गरीब देशों पर अपना प्रभुत्व स्थापित करने का प्रयास कर रहे थे। ब्रिटेन ने भी भारत पर ईस्ट इंडिया कम्पनी के माध्यम से ही आधिपत्य स्थापित किया था। शुरुआती दौर में तो ब्रिटेन की ईस्ट इंडिया कम्पनी भी भारत में व्यापार करने के उद्देश्य से ही आई थी। परंतु, बाद का खंडकाल गवाह है कि किस प्रकार भारत के संसाधनों का ब्रिटेन के हित में उपयोग किया गया। अति तो तब हुई जब ब्रिटेन ने भारत के हथकरघा उद्योग को ही तबाह कर दिया। भारत में सस्ती दरों पर कपास खरीद कर वे ब्रिटेन ले जाने लगे एवं ब्रिटेन में कपड़ा मिलों की स्थापना की गई ताकि इस कच्चे माल (कपास) से कपड़ों का निर्माण किया जा सके एवं ब्रिटेन में रोजगार के अवसर निर्मित हो सकें। इस कपड़े को वापिस भारत में लाया जाकर भारतीय जनता को उच्च दरों पर बेचा जाने लगा। भारत से कच्चा माल (कपास) ले जाकर, भारत में ही ब्रिटेन में तैयार उत्पाद (कपड़ा) बेचा जाने लगा, अतः भारत को एक बाजार के रूप में इस्तेमाल किया जाने लगा था। पूंजीवाद के नाम पर इस प्रकार की व्यवस्था खड़ी की गई और ब्रिटेन ने स्पष्ट रूप से भारत को लूटा। एक अनुसंधान प्रतिवेदन में यह बताया गया है कि अंग्रेजों ने भारत पर अपने शासनकाल के दौरान लगभग 45 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर की खुली लूट की थी एवं यह धन वह ब्रिटेन में ले गए थे। उस खंडकाल में पूंजीवाद के नाम पर अपनी साम्राज्यवादी नीतियों को लागू कर विकसित देशों ने गरीब देशों पर न केवल अपना शासन स्थापित किया था बल्कि इन गरीब देशों को जमकर लूटा भी गया था। ब्रिटेन के बारे में तो यह भी कहा जाता है उन्होंने अपने साम्राज्य को विश्व के कई देशों में इस प्रकार फैला लिया था कि ब्रिटेन के साम्राज्य का 24 घंटे में कभी सूरज ही नहीं डूबता था। उक्त कारणों के चलते ही परम पूज्य डॉक्टर हेडगेवार ने विश्व के देशों को पूंजीवाद की जकड़ से बाहर निकालने का प्रयास वर्ष 1920 में किया था। प्रहलाद सबनानी Read more »
लेख विधि-कानून यह है क़ानून का राज : हम कब करेंगे आत्मावलोकन ? June 24, 2024 / June 24, 2024 by तनवीर जाफरी | Leave a Comment तनवीर जाफ़री स्विट्ज़रलैंड की एक अदालत ने ब्रिटेन के सबसे अमीर भारतीयों में गिने जाने वाले भारतीय मूल के हिंदुजा परिवार के चार सदस्यों को अपने नौकरों के शोषण के मामले में दोषी क़रार देते हुए उन्हें चार से साढ़े चार वर्ष तक की कारागार की सज़ा सुनाई है। स्विस प्रशासन इस परिवार द्वारा अपने नौकरों […] Read more » क़ानून का राज