कला-संस्कृति धर्म-अध्यात्म लेख विद्यादायिनी मोक्षप्रदायनी मॉ शारदा का शरीर है मातृकाओं से निर्मित January 29, 2024 / January 29, 2024 by आत्माराम यादव पीव | Leave a Comment आत्माराम यादव मॉ शारदा का शरीर ’’अवर्ग’’ आदि सात वर्गो में विभक्त 51 मातृकाओं से निर्मित है। स्वच्छन्दोद्योत .पटल 10 पटल के अनुसार-’’अवर्गे तू महालक्ष्मीः कवर्गे कमलोद्भवा।।34।। चवर्गे तू महेशानी, टवर्गे तु कुमारिका।। नारायणी तवर्गे तु, वाराही तु पवर्गिका।।35।। ऐन्दी चैव यवर्गस्था, चामुण्डा तु शवर्गिका।। एता सप्तमहामातृ, सप्तलोकव्यवस्थिः।।36।। अर्थात 16 […] Read more » Vidyadayini Mokshapradayani Maa Sharda's body is made up of matrikas.
लेख गुरुकुल और राष्ट्रीय शिक्षा नीति में श्रीराम January 29, 2024 / January 29, 2024 by सुरेश जैन | Leave a Comment सुरेश जैन श्रीराम मर्यादा पुरुषोत्तम हैं। श्रीराम का जीवन समाज के लिए आदर्श है। उनकी शिक्षा गुरुकुल में होती है। बाबा तुलसी के शब्दों में गुरु गृह पढ़न गए रघुराई, अल्पकाल विद्या सब पाई। श्रीराम चक्रवर्ती सम्राट के बेटे हैं। किन्तु वे शिक्षा ग्रहण करने के लिए गुरु वशिष्ठ के गुरुकुल में जाते हैं। यह […] Read more » Shri Ram in Gurukul and National Education Policy
लेख संसार के पदार्थों में जो सुख होता है वह स्थाई व भविष्य में हर समय रहने वाला नहीं होता : आचार्य अनुज शास्त्री January 29, 2024 / January 29, 2024 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment -मनमोहन कुमार आर्य आचार्य अनुज शास्त्री जी ने कहा कि मनुष्य को मोक्ष, सुख व आनन्द की प्राप्ति के लिए कुछ विशेष कर्म करने होते हैं। नचिकेता का एक वर यह था कि मनुष्य की आत्मा का जन्म व मृत्यु एवं पुनर्जन्म होता है अथवा नहीं। इस ज्ञान-विज्ञान को नचिकेता ने यमाचार्य जी से […] Read more » संसार के पदार्थों में जो सुख
लेख कैकेयी की मंत्रणा/चाल January 29, 2024 / January 29, 2024 by डॉ० शिबन कृष्ण रैणा | Leave a Comment कश्मीरी रामयण ‘रामावतारचरित’ में कैकेयी-दशरथ प्रसंग अपनी पूर्ण संवेदनशीलता के साथ वर्णित हुआ है।बचनबद्धता के प्रश्न को लेकर दशरथ और कैकेयी के बीच जो परिसंवाद होता है, उसमें एक पिता हृदय की शोकाकुल/वात्सल्य युक्त भाव अभिव्यक्तियों को मूर्त्तता प्राप्त हुई है– युथुय बूज़िथ राज़ु बुथकिन्य पथर प्यव त्युथुय पुथ साहिब ज़ोनुख सपुन शव, अमा करुम ख्यमा सोज़न नु […] Read more » Kaikeyi's advice/trick कैकेयी की मंत्रणा
लेख हमारा संविधान ही हमें अभिव्यक्ति की आजादी देता है January 25, 2024 / January 25, 2024 by ब्रह्मानंद राजपूत | Leave a Comment (75वें गणतंत्र दिवस पर विशेष आलेख) गणतंत्र दिवस हर वर्ष जनवरी महीने की 26 तारीख को पूरे देश में देश प्रेम की भावना से ओत-प्रोत होकर मनाया जाता है। भारत के लोग हर साल 26 जनवरी का बेसब्री से इंतजार करते हैं, क्योंकि 26 जनवरी को ही 1950 में भारतीय संविधान को एक लोकतांत्रिक प्रणाली के साथ भारत देश में लागू किया गया था। कहा जाए तो 26 जनवरी को ही हमारे गणतंत्र का जन्म हुआ। और भारत देश एक गणतांत्रिक देश बना। हमारे देश को आजादी तो 15 अगस्त 1947 को ही मिल गयी थी, लेकिन 26 जनवरी 1950 को भारत एक स्वतंत्र गणराज्य बना और भारत देश में नए संविधान के जरिए कानून का राज स्थापित हुआ। यह दिन उन स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को भी याद करने का दिन है, जिन्होंने अंग्रेजों से भारत को आजादी दिलाने के लिए वीरतापूर्ण संघर्ष किया। आज के दिन ही भारत ने विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र की स्थापना के लिए उपनिवेशवाद पर विजय प्राप्त की। गणतंत्र दिवस हमारे संविधान में संस्थापित स्वतंत्रता, समानता, एकता, भाईचारा और सभी भारत के नागरिकों के लिए न्याय के सिद्धांतों को स्मरण और उनको मजबूत करने का एक उचित अवसर है। क्योंकि हमारा संविधान ही हमें अभिव्यक्ति की आजादी देता है। अगर देश के नागरिक संविधान में प्रतिष्ठापित बातों को अनुसरण करेंगे तो इससे देश में अधिक लोकतांत्रिक मूल्यों का उदय होगा। भारत का संविधान सबको समान अधिकार देता है, भारतीय संविधान किसी से भी जाति, धर्म, ऊंच-नीच और अमीरी-गरीबी के आधार पर कभी भी भेदभाव नहीं करता है। आज बेशक भारत विश्व की उभरती हुई शक्ति है। लेकिन आज भी देश काफी पिछड़ा हुआ है। देश में आज भी कन्या जन्म को दुर्भाग्य माना जाता है, और आज भी भारत के रूढ़िवादी समाज में हजारों कन्याओं की भ्रूण में हत्या की जाती है। सड़कों पर महिलाओं पर अत्याचार होते हैं। सरेआम महिलाओं से छेड़छाड़ और बलात्कार के किस्से भारत देश में आम बात हैं। कई युवा (जिनमें भारी तादात में लड़कियां भी शामिल हैं) एक तरफ जहां हमारे देश का नाम ऊंचा कर रहे हैं। वहीं कई ऐसे युवा भी हैं जो देश को शर्मसार कर रहे हैं। दिनदहाड़े युवतियों का अपहरण, छेड़छाड़, यौन उत्पीड़न कर देश का सिर नीचा कर रहे हैं। हमें पैदा होते ही महिलाओं का सम्मान करना सिखाया जाता है पर आज भी विकृत मानसिकता के कई युवा घर से बाहर निकलते ही महिलाओं की इज्जत को तार-तार करने से नहीं चूकते। इस सबके लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार शिक्षा का अभाव है। शिक्षा का अधिकार हमें भारतीय संविधान में मौलिक अधिकारों के रूप में अनुच्छेद 29-30 के अन्तर्गत दिया गया है। लेकिन आज भी देश के कई हिस्सों में में नारी शिक्षा को सही नहीं माना जाता है। नारी शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार के साथ भारतीय समाज को भी आगे आना होगा। तभी देश में अशिक्षा जैसे अँधेरे में शिक्षा रुपी दीपक को जलाकर उजाला किया जा सकता हैे। देश में आज अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर देश विरोधी ताकतें बढ़ रही हैं, यही देश विरोधी ताकतें संविधान की गलत तरीके से व्याख्या करती हैं। यही देश विरोधी ताकतें देश में अराजकता फैलाने में अहम् भूमिका निभाती है। आज देश में देश विरोधी ताकतें संविधान प्रदत्त मौलिक अधिकारों का गलत तरीके से उपयोग कर रही हैं। अभिव्यक्ति की आजादी का दुरूपयोग करना भारतीय संविधान का अपमान है। देश में आज कुछ ताकतें तुष्टिकरण का काम कर रही हैं और देश को धर्म के आधार पर बांटने का प्रयास कर रही हैं। देश में आज इन्ही देश विरोधी ताकतों की शह पर कोई पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाता है तो कोई भारत मुर्दाबाद के नारे लगाता है और कुछ राजनैतिक दल ऐसे लोगों की तरफदारी करके उनका साथ देकर उनको संरक्षण देते हैं। ऐसे देश विरोधी लोग इन्हीं राजनैतिक दलों कि शह पर देश का माहौल खराब करने की कोशिशें करते हैं। भारत देश बेशक एक स्वतंत्र गणराज्य सालों पहले बन गया हो। लेकिन इतने सालों बाद आज भी देश में धर्म, जाति और अमीरी गरीबी के आधार पर भेदभाव आम बात है। लोग आज भी जाति के आधार पर ऊंच-नीच की भावना रखते हैं। आज भी लोगों में सामंतवादी विचारधारा घर करी हुयी है और कुछ अमीर लोग आज भी समझते हैं कि अच्छे कपडे पहनना, अच्छे घर में रहना, अच्छी शिक्षा प्राप्त करना और आर्थिक विकास पर सिर्फ उनका ही जन्मसिद्ध अधिकार है। इसके लिए जरूरी है कि देश में संविधान द्वारा प्रदत्त शिक्षा के अधिकार के जरिए लोगों में जागरूकता लायी जाये। जिससे कि देश में धर्म, जाति, अमीरी-गरीबी और लिंग के आधार पर भेदभाव न हो सके। भारत में संविधान लागू हुए बेशक 74 साल के करीब होने आये, लेकिन अब भी भारत देश में बाल अधिकारों का हनन हो रहा है। छोटे-छोटे बच्चे स्कूल जाने की उम्र में काम करते दिख जाते हैं। आज बाल मजदूरी समाज पर कलंक है। इसके खात्मे के लिए सरकारों और समाज को मिलकर काम करना होगा। साथ ही साथ बाल मजदूरी पर पूर्णतया रोक लगनी चाहिए। बच्चों के उत्थान और उनके अधिकारों के लिए अनेक योजनाओं का प्रारंभ किया जाना चाहिए। जिससे बच्चों के जीवन पर सकारात्मक प्रभाव दिखे। और शिक्षा का अधिकार भी सभी बच्चों के लिए अनिवार्य कर दिया जाना चाहिए। गरीबी दूर करने वाले सभी व्यावहारिक उपाय उपयोग में लाए जाने चाहिए। बालश्रम की समस्या का समाधान तभी होगा जब हर बच्चे के पास उसका अधिकार पहुंच जाएगा। इसके लिए जो बच्चे अपने अधिकारों से वंचित हैं, उनके अधिकार उनको दिलाने के लिये समाज और देश को सामूहिक प्रयास करने होंगे। आज देष के प्रत्येक नागरिक को बाल मजदूरी का उन्मूलन करने की जरूरत है। और देश के किसी भी हिस्से में कोई भी बच्चा बाल श्रमिक दिखे, तो देश के प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है कि वह बाल मजदूरी का विरोध करे। और इस दिशा में उचित कार्यवाही करें साथ ही साथ उनके अधिकार दिलाने के प्रयास करें। भारत देश में कानून बनाने का अधिकार केवल भारतीय लोकतंत्र के मंदिर भारतीय संसद को दिया गया है। जब भी भारत में कोई नया कानून बनता है तो वो संसद के दोनों सदनों (लोकसभा और राज्यसभा) से पास होकर राष्ट्रपति के पास जाता है। जब राष्ट्रपति उस कानून पर बिना आपत्ति किये हुए हस्ताक्षर करता है तो वो देश का कानून बन जाता है। लेकिन आज देश के लिए कानून बनाने वाली भारतीय लोकतंत्र की सर्वोच्च संस्था भारतीय संसद की हालत दयनीय है। जो लोग संसद के दोनों सदनों में प्रतिनिधि बनकर जाते हैं, वो लोग ही आज संसद को बंधक बनाये हुए हैं। जब भी संसद सत्र चालू होता है तो संसद सदस्यों द्वारा चर्चा करने की बजाय हंगामा किया जाता है। और देश की जनता के पैसों पर हर तरह की सुविधा पाने वाले संसद सदस्य देश के भले के लिए काम करने की जगह संसद को कुश्ती का मैदान बना देते हैं। जिसमें पहलवानी के दांव पेचों की जगह आरोप प्रत्यारोप और अभद्र भाषा के दांव पेंच खेले जाते हैं। जो कि दुर्भाग्यपूर्ण है। आज जरुरत है कि देश के लिए कानून बनाने वाले संसद सदस्यों के लिए एक कठोर कानून बनना चाहिए। जिसमे कड़े प्रावधान होने चाहिए। जिससे कि संसद सदस्य संसद में हंगामा खड़ा करने की जगह देश की भलाई के लिए अपना योगदान दें। भारत देश में कानून का राज स्थापित हुये बेशक कई दशक हो गए हों लेकिन आज भी देश के बहुत लोग अपने आप को कानून से बढ़कर समझते हैं। और तमाम तरह के अपराध करते हैं। आज जरूरत है भारत के प्रत्येक नागरिक को भारतीय संविधान द्वारा प्रदत्त कानूनों का पाठ पढ़ाया जाना चाहिए। और उनका पालन करने के लिए जागरूक करना चाहिए, जिससे की समाज और देश में फैले अपराधों पर रोक लग सके। इसके साथ-साथ भारतीय संविधान द्वारा भारतीय नागरिकों को दिए गए मौलिक अधिकारों को जन-जन तक सरकार को पहुँचाना चाहिए। इन मौलिक अधिकारों को देश के आखिरी आदमी तक पहुँचाने के लिए सरकार के साथ-साथ भारतीय समाज की भी अहम भूमिका होनी चाहिए। तभी भारत देश रूढ़िवादी सोच से मुक्ति पा सकता है। गणतंत्र दिवस प्रसन्नता का दिवस है इस दिन सभी भारतीय नागरिकों को मिलकर अपने लोकतंत्र की उपलब्धियों का उत्सव मनाना चाहिए और एक शांतिपूर्ण, सौहार्दपूर्ण एवं प्रगतिशील भारत के निर्माण में स्वयं को समर्पित करने का संकल्प लेना चाहिए। क्योंकि भारत देश सदियों से अपने त्याग, बलिदान, भक्ति, शिष्टता, शालीनता, उदारता, ईमानदारी, और श्रमशीलता के लिए जाना जाता है। तभी सारी दुनिया ये जानती और मानती है कि भारत भूमि जैसी और कोई भूमि नहीं, आज भारत एक विविध, बहुभाषी, और बहु-जातीय समाज है। जिसका विश्व में एक अहम स्थान है। आज का दिन अपने वीर जवानों को भी नमन करने का दिन है जो कि हर तरह के हालातों में सीमा पर रहकर सभी भारतीय नागरिकों को सुरक्षित महसूस कराते हैं। साथ-साथ उन स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को याद करने का भी दिन हैं, जिन्होंने हमारे देश को आजाद कराने में अहम भूमिका निभाई। आज 75वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर भारत के प्रत्येक नागरिक को भारतीय संविधान और गणतंत्र के प्रति अपनी वचनबद्धता दोहरानी चाहिए और देश के समक्ष आने वाली चुनौतियों का मिलकर सामूहिक रूप से सामना करने का प्रण लेना चाहिए। साथ-साथ देश में शिक्षा, समानता, सदभाव, पारदर्शिता को बढ़ावा देने का संकल्प लेना चाहिए। जिससे कि देश प्रगति के पथ पर और तेजी से आगे बढ़ सके। – ब्रह्मानंदराजपूत Read more » हमारा संविधान ही हमें अभिव्यक्ति की आजादी देता है
आर्थिकी लेख आवासीय निर्माण के क्षेत्र में आगे बढ़ता भारत January 25, 2024 / January 25, 2024 by प्रह्लाद सबनानी | Leave a Comment भारत में किसी परिवार के पास रहने के लिए यदि अपनी छत है तो इसे उस परिवार की समृद्धि से जोड़कर देखा जाता है। आर्थिक समृद्धि के शुरुआती दौर में केवल अपनी छत होने को ही उस परिवार विशेष के लिए आर्थिक सफलता का एक पैमाना माना जाता है। परंतु, धीरे धीरे वह परिवार आर्थिक तरक्की करते करते इस स्तर पर पहुंच जाता है कि उसे इस छोटे से मकान के स्थान पर सर्वसुविधा युक्त एक बड़े मकान की आवश्यकता महसूस होने लगती है। इस प्रकार का आर्थिक विकास किसी भी देश के लिए शुभ माना जा सकता है। हाल ही के समय में भारत में भी यह सब होता हुआ दिखाई दे रहा है। अभी हाल ही में दिल्ली के पास गुरुग्राम में एक सर्वसुविधा युक्त आवासीय प्रोजेक्ट की घोषणा की गई थी। इस आवासीय प्रोजेक्ट में 7,200 करोड़ रुपए की लागत से बनने वाले 1113 फलैट्स मात्र 3 दिन में ही बिक गए थे। यह भारत की आर्थिक सम्पन्नता को दर्शाता है। वैसे भी भारत में मकान खरीदने को एक ड्रीम प्रोजेक्ट के रूप में देखा जाता है और इसे भावनात्मक अनुभव एवं वित्तीय सुरक्षा की गारंटी माना जाता है। इस दृष्टि से भारत में आवासीय निर्माण के लिए वर्ष 2023 एक अति सफल वर्ष साबित हुआ है और इसके आधार पर यह कहा जा रहा है कि वर्ष 2024 इससे भी अधिक बढ़िया वर्ष साबित होने जा रहा है। विदेशी आक्रांताओं एवं अंग्रेजों द्वारा भारत को पिछले 1000 से अधिक वर्षों के दौरान लूटा खसोटा गया है। अब जाकर भारत का पुनर्निर्माण काल प्रारम्भ हुआ है। अभी तक भारतीय नागरिकों का लक्ष्य अपने सर पर छत होना अधिक महत्वपूर्ण कार्य था परंतु अब इसे सर्वसुविधा युक्त आवास के रूप में भी विकसित किया जा रहा है। भारत को मिली राजनैतिक स्वतंत्रता के बाद के समय से विभिन्न सरकारों द्वारा देश में पब्लिक हाउसिंग प्रोजेक्ट प्रारम्भ किए गए थे। इन प्रोजेक्ट के माध्यम से विभिन्न सरकारों द्वारा नागरिकों के लिए घर बनाकर उपलब्ध कराए जाते रहे हैं। साथ ही, बाद के खंडकाल में सरकारों द्वारा देश में भूमि सुधार कार्यक्रम भी लागू किए गए ताकि खाली पड़ी जमीन को शहरों में रिहायशी इलाकों के तौर पर विकसित किया जा सके। इन भूमि सुधार कार्यक्रमों को लागू करने के बाद निजी क्षेत्र में भी रिहायशी मकानों को बनाने की अनुमति प्रदान की गई। इसके बाद से तो देश में सर्व सुविधा युक्त आवासीय प्रोजेक्ट की जैसे बाढ़ ही आ गई। इन विभिन्न प्रोजेक्ट के अंतर्गत निर्मित होने वाले सर्व सुविधा युक्त मकान हाथो हाथ बिकने भी लगे। अब तो देश में बड़े बड़े रिहायशी मकान के प्रोजेक्ट, सूचना प्रौद्योगिकी पार्क, शॉपिंग माल्स आदि भारी मात्रा में विकसित किए जा रहे हैं। अब तो अति महंगे एवं बड़े आकार के फलैट्स भी भारत में आसानी से हाथों हाथ बिकने लगे हैं। वर्ष 2024 आते आते भारत का रियल एस्टेट बाजार अब पूरे विश्व में सबसे तेज गति से आगे बढ़ता बाजार बन गया है। आज भारत के समस्त बड़े महानगरों में एक बात सामान्य सी नजर आती है कि यहां बहुमंजिला इमारतों का निर्माण कार्य बहुत तेजी से चल रहा है। वर्ष 2023 में भारत का रियल एस्टेट बाजार लगभग 26,500 करोड़ अमेरिकी डॉलर का था जो 2030 में बढ़कर एक लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर का हो जाने वाला है और 2047 तक 5.8 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर का। वर्तमान में रियल एस्टेट बाजार भारत के सकल घरेलू उत्पाद में 7 प्रतिशत का योगदान करता है एवं इस क्षेत्र में 5 करोड़ नागरिकों को रोजगार उपलब्ध हो रहा है। रियल एस्टेट क्षेत्र के आगे बढ़ने से विनिर्माण क्षेत्र से जुड़े अन्य कई उद्योगों को भी बढ़ावा मिलता है। जैसे सीमेंट उद्योग, स्टील उद्योग, ग्लास उद्योग, आदि। एक अनुमान के अनुसार वर्ष 2047 तक रियल एस्टेट बाजार का भारत के सकल घरेलू उत्पाद में योगदान 15 प्रतिशत तक पहुंच सकता है। भारत में वर्ष 2022 में 3.27 लाख करोड़ रुपए की कीमत के मकान बेचे गए थे एवं वर्ष 2023 में 4.5 लाख करोड़ रुपए की कीमत के मकान बेचे गए। इस प्रकार वर्ष 2023 में इस क्षेत्र में 38 प्रतिशत की वृद्धि दर हासिल की गई है। इस क्षेत्र में मांग बहुत अधिक तेज बनी हुई है। भारत में रिहायशी मकानों की दृष्टि से सबसे बड़े 7 बाजार हैं – मुंबई, दिल्ली एनसीआर, बंगलुरु, हैदराबाद, चेन्नई, कोलकाता, एवं पुणे। यह भारत के सबसे बड़े महानगर भी माने जाते हैं। भारत में रिहायशी मकानों के बिक्री में इतनी अधिक वृद्धि दर इसलिए दर्ज हो रही है क्योंकि भारत में आर्थिक विकास ने तेज गति पकड़ ली है। गरीब वर्ग, मध्यम वर्ग बन रहा है तो मध्यम वर्ग अमीर वर्ग। इसलिए महंगे महंगे फलैट्स की मांग अधिक तेजी से बढ़ रही है। दूसरे, भारतीय रिजर्व बैंक ने भी ब्याज दरों को पिछले लम्बे समय से स्थिर रखा हुआ है। साथ ही, भारत में मुद्रा स्फीति की दर भी अब घटने लगी है। भारत के मध्यम वर्ग की आय बढ़ी है और वे रियल एस्टेट में अपना निवेश बढ़ा रहे हैं। केंद्र सरकार भी नागरिकों को इस क्षेत्र में निवेश के लिए प्रोत्साहन दे रही है। आय कर की दरें कम की गई हैं। नए मकान खरीदने वालों को केंद्र सरकार की ओर से सब्सिडी दी जा रही है। “स्कीम फोर अफोर्डबल हाउस” लागू की गई है। परंतु, भारत में केवल अफोर्डबल मकान ही नहीं खरीदे जा रहे हैं बल्कि अब नागरिक सर्वसुविधा युक्त महंगे मकानों में भी निवेश कर रहे हैं। किसी मकान की कीमत 1.5 करोड़ रुपए से अधिक होने पर उसे सर्वसुविधा युक्त मकान की श्रेणी में गिना जाता है एवं मुंबई में 2.5 करोड़ रुपए से अधिक की कीमत वाले मकान को सर्व सुविधा युक्त श्रेणी के मकान में गिना जाता है। भारत में वर्ष 2023 में सर्वसुविधा युक्त मकानों की बिक्री 130 प्रतिशत बढ़ गई हैं। भारत में वर्ष 2022 में 3000 सर्वसुविधा युक्त मकानों की बिक्री हुई थी जबकि वर्ष 2023 में 6900 सर्वसुविधा युक्त मकानों की बिक्री हुई है। जिन रिहायशी मकानों की कीमत 40 करोड़ रुपए से अधिक होती है उन्हें अल्ट्रा सर्वसुविधा सम्पन्न रिहायशी मकान की श्रेणी में गिना जाता है। वर्ष 2023 में इन मकानों की बिक्री 200 प्रतिशत बढ़ गई है। देश के 7 महानगरों में लगभग 600 अल्ट्रा सर्वसुविधा सम्पन्न मकान भारत में बिके हैं। यह दर्शाता है कि भारत में अति समृद्ध नागरिकों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। भारत में करोड़पति (मिलिनायर) नागरिकों की जनसंख्या 69 प्रतिशत बढ़ गई है। अल्ट्रा हाई नेटवर्थ (3 करोड़ अमेरिकी डॉलर से अधिक की आय) नागरिकों की संख्या भी तेजी से बढ़ रही है। एक अनुमान के अनुसार भारत में अगले तीन वर्षों में अल्ट्रा हाई नेटवर्थ नागरिकों की संख्या 19000 होने जा रही है। इस श्रेणी के नागरिक अल्ट्रा सर्वसुविधा सम्पन्न मकान चाह रहे हैं। इसी प्रकार कार्यालय के लिए स्थान, मॉल के लिए स्थान, ई-कामर्स कम्पनियों को अपना स्टॉक रखने के लिए बहुत बड़े आकर के गोडाउन की आवश्यकता भी भारत में अब लगातार बढ़ रही है। इस तरह के निर्माण में विदेशी निवेशक भी अपना निवेश बढ़ा रहे हैं। वर्ष 2023 के प्रथम 6 माह में विदेशी निवेशकों ने 400 करोड़ अमेरिकी डॉलर का निजी निवेश भारत में किया है। इसमें से आधा यानी 200 करोड़ अमेरिकी डॉलर रियल एस्टेट के क्षेत्र में किया गया है। विदेशी निवेशक अब चीन में अपना निवेश घटाते हुए भारत में अपना निवेश बढ़ा रहे हैं। भारत में विदेशी निवेशकों को तेजी से विकास करती अर्थव्यवस्था मिल रही है, युवाओं की अधिक संख्या के चलते मांग अधिक मिलती है एवं स्थिर केंद्र सरकार के चलते आर्थिक सुधार कार्यक्रमों को लगातार आगे बढ़ाया जा रहा है। प्रहलाद सबनानी Read more »
लेख प्रधानमंत्री जवाहर नेहरू को 1952 के चुनाव प्रचार में नहीं दिया सरकारी वाहन, निजी वाहन से किया प्रचार January 25, 2024 / January 25, 2024 by आत्माराम यादव पीव | Leave a Comment आत्माराम यादव पीव बात 1952 के दिसम्बर माह की है, तब मध्यप्रदेश विधानसभा के चुनाव प्रचार हेतु निजी वाहन से दौरा कर रहे थे उस समय चुनावों के लिए सरकारी वाहन उपलब्ध कराया जाना नियम विरुद्ध था। उनका निजी वाहन खराब हो गया था, लगातार सड़कों पर दौडते हुए वाहन चालक ने थकने से आगे […] Read more »
लेख समाज राजस्थान : शैक्षणिक बाधाओं से गुज़रती ग्रामीण किशोरियां January 24, 2024 / January 24, 2024 by चरखा फिचर्स | Leave a Comment सीता सिद्धलूणकरणसर, राजस्थान हमारे देश में आजादी के बाद जिन बुनियादी विषयों पर सबसे अधिक फोकस किया गया है, उनमें शिक्षा भी महत्वपूर्ण है। यह एक ऐसा विषय है, जिसे नजरअंदाज कर कोई भी सरकार विकास का लक्ष्य प्राप्त नहीं कर सकती है। यही कारण है कि केंद्र से लेकर सभी राज्य सरकारों ने शिक्षा […] Read more » Rajasthan: Rural girls facing educational obstacles
कला-संस्कृति लेख महर्षि वाल्मीकि रामकथा का अंतिम अध्याय- अयोध्या का पुनर्निर्माण और श्री राम की प्राण प्रतिष्ठा January 24, 2024 / January 24, 2024 by डॉ. कुलदीप चन्द अग्निहोत्री | Leave a Comment वक्त वक्त की बात है । त्रेता युग में जिस राम ने बनों जंगलों में रहने वाले सीधे सादे वनवासियों को संगठित और प्रशिक्षित कर रावण जैसे अत्याचारी से भिड़ा दिया था और इन्हीं भीलों , निषादों, नागों से ही असंभव को संभव कर दिखाया था , उसी राम के घर को बाबर की सेना […] Read more » Maharishi Valmiki's last chapter of Ramkatha अयोध्या का पुनर्निर्माण और श्री राम की प्राण प्रतिष्ठा
लेख राम में हमारी आस्था राम से हमें वास्ता January 24, 2024 / January 24, 2024 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment —विनय कुमार विनायक राम में हमारी आस्था राम से हमें वास्ता सोते जगते राम कहते मरते वक्त हे राम कहते मरने के बाद चिता तक राम नाम सत्य गुहारते राम हमारी मान्यता राम हमारा पिता हम राम को मरते दम तक मानते आस्था और मान्यता के लिए प्रमाण की जरूरत नहीं सिर्फ विश्वास चाहिए लोग […] Read more » राम में हमारी आस्था राम से हमें वास्ता
लेख विज्ञान विधि-कानून विविधा न्यू कोचिंग पालिसी से शिक्षा में आयेंगे सुधार ! January 24, 2024 / January 24, 2024 by सुनील कुमार महला | Leave a Comment हाल ही में केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने कोचिंग संस्थानों के लिए नए दिशानिर्देशों की घोषणा की है, जो बहुत ही स्वागत योग्य कदम है। वास्तव में शिक्षा मंत्रालय द्वारा ये कदम कोचिंग संस्थानों को विनियमित करने के लिए दिशा-निर्देश एक कानूनी ढांचे(लीगल फ्रेमवर्क ) की आवश्यकता को पूरा करने के साथ साथ ही बेतरतीब तरीके […] Read more » New coaching policy New coaching policy will bring improvements in education
लेख हम खुद को हर हाल में स्वीकार करें January 23, 2024 / January 23, 2024 by ललित गर्ग | Leave a Comment -ः ललित गर्ग:- जीवन का एक बड़ा सच है कि इंसान जिस दिन रोना बंद कर देगा, उसी दिन से वह जीना शुरू कर देगा। थके मन और शिथिल देह के साथ उलझन से घिरे जीवन में यकायक उत्साह का संगीत गंूजने लगे तो समझिए-जीवन की वास्तविक शुरुआत का अवसर आ गया। शुष्क जीवन-व्यवहार के […] Read more »