लेख महाराजा चंपतराय और रानी सारंधा May 25, 2025 / June 25, 2025 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment भारत की वीरांगनाओं में रानी सारंधा का नाम बड़े ही सम्मान से लिया जाता है। सारंधा बुंदेला राजा चंपतराय की सहधर्मिणी थी। उन्होंने मुगलों के विरुद्ध विद्रोह का झंडा उठाया और भारतीय स्वाधीनता के लिए संघर्ष कर अपना अप्रतिम बलिदान दिया। उनके भीतर स्वाभिमान की भावना कूट-कूट कर भरी थी। भारतीय धर्म और वीर परंपरा […] Read more » Maharaja Champatrai and Queen Sarandha महाराजा चंपतराय और रानी सारंधा
कविता घर के भेदी May 22, 2025 / May 22, 2025 by डॉ. सत्यवान सौरभ | Leave a Comment ये कौन लोग हैं जो मुल्क बेच आते हैं,चंद सिक्कों में ज़मीर सरेआम ले जाते हैं।न बम चले, न बारूद की ज़रूरत पड़ी,अब तो दुश्मन को बस एक चैट भा जाती है।जिसे पढ़ाया था कल देशभक्ति के पाठ,वो ही फाइलें अब व्हाट्सऐप पे दिखा जाती है।हमने ही अपने घर में दी थीं दीवारें,अब उन्हीं से […] Read more » home piercing घर के भेदी
पर्यावरण लेख विलुप्त होती प्रजातियां: जीवन के अस्तित्व पर संकट की दस्तक May 22, 2025 / May 22, 2025 by अतुल गोयल | Leave a Comment अंतर्राष्ट्रीय जैव विविधता दिवस (22 मई) पर विशेष Read more » A threat to the existence of life Extinct species:
लेख समाज भारत में अल्टरनेट एसओजीआई समुदाय और मानसिक स्वास्थ्य May 22, 2025 / May 22, 2025 by अमरपाल सिंह वर्मा | Leave a Comment अमरपाल सिंह वर्मा भारत में मानसिक स्वास्थ्य आज भी एक उपेक्षित और कलंकित विषय बना हुआ है। आम समाज में भी इसके बारे में खुलकर बात करना दुर्लभ है, लेकिन यह चुप्पी तब और भयावह रूप ले लेती है जब हम उन व्यक्तियों की बात करते हैं जो पारंपरिक यौन और लैंगिक पहचान से अलग हैं जैसे कि ट्रांसजेंडर, गे, लेस्बियन, बाइसेक्शुअल, क्वीर और नॉन-बाइनरी लोग। इन सभी को मिलाकर अल्टरनेट एसओजीआई (सेक्सुअल ओरिएंटेशन एंड जेंडर आइडेंटिटी) समुदाय कहा जाता है। यह समुदाय न केवल सामाजिक अस्वीकार्यता का शिकार है, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं से वंचित भी है। एसओजीआई समुदाय के सदस्य अक्सर बचपन से ही भेदभाव, तिरस्कार और हिंसा का सामना करते हैं. कभी स्कूलों में मजाक बनकर, कभी घर से निकाले जाने पर, तो कभी कार्यस्थलों पर अस्वीकार किए जाने के रूप में। यह बहिष्कार धीरे-धीरे मानसिक पीड़ा, अकेलेपन और आत्म-संदेह को जन्म देता है। कई अध्ययन बताते हैं कि एलजीबीटीआईक्यू+ समुदाय के लोग डिप्रेशन, एंग्जायटी और आत्महत्या की प्रवृत्ति के शिकार आम लोगों की तुलना में कई गुना अधिक होते हैं। ट्रांसजेंडर समुदाय के भीतर आत्महत्या का जोखिम बेहद चिंताजनक है। एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में लगभग 31 प्रतिशत ट्रांसजेंडर लोगों ने आत्महत्या का प्रयास किया है। इसके पीछे सामाजिक तिरस्कार, रोजगार का अभाव, हिंसा, और हेल्थकेयर सिस्टम द्वारा उपेक्षा प्रमुख कारण हैं। भारत का स्वास्थ्य ढांचा वैसे ही मानसिक स्वास्थ्य के लिए बेहद कमज़ोर है। 2024 की रिपोर्ट के अनुसार, देश में प्रति एक लाख की जनसंख्या पर औसतन 0.3 मनोचिकित्सक हैं। जब सामान्य नागरिकों तक ही सेवाएं नहीं पहुँच रही हैं, तो एसओजीआई समुदाय की स्थिति और भी बदतर हो जाती है। बहुत से डॉक्टर, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में एलजीबीटीआईक्यू+ पहचान को ‘बीमारी’ मानते हैं या इसे ‘सुधारने’ की कोशिश करते हैं। इससे व्यक्ति इलाज के बजाय और अधिक मानसिक उत्पीड़न का शिकार होता है। इसके अलावा, एसओजीआई समुदाय को स्वास्थ्य संस्थानों में भेदभाव, उपहास और असंवेदनशील व्यवहार का सामना करना पड़ता है। ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिए अलग टॉयलेट या वार्ड की व्यवस्था तक नहीं है, जिससे वे स्वास्थ्य सेवाओं से दूर भागने को मजबूर होते हैं। भारत के शहरी इलाकों जैसे दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु में जहां कुछ गैर सरकारी संगठन और काउंसलिंग सेवाएं एलजीबीटीआईक्यू+ फ्रेंडली बन रही हैं, वहीं बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, ओडिशा जैसे राज्यों में स्थिति काफी चिंताजनक है। यहाँ न तो संवेदनशील डॉक्टर हैं और न ही एलजीबीटीआईक्यू+ समुदाय के लिए कोई विशेष मानसिक स्वास्थ्य नीति या योजना। हाल के वर्षों में भारत में कुछ महत्वपूर्ण कानूनी धारा 377 की समाप्ति, ट्रांसजेंडर व्यक्ति (अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम आदि जैसे कदम उठाए हैं लेकिन एसओजीआई समुदाय के अधिकारों की पैरवी करने वाले संगठनों का कहना है कि ज़मीनी स्तर पर मानसिक स्वास्थ्य सुधारों का अभाव है। एसओजीआई समुदाय के अधिकारों की पैरवी करने वाले संगठनों का कहना है कि डॉक्टरों और मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों को एलजीबीटीआईक्यू+ समुदाय के प्रति संवेदनशील बनाने के लिए ट्रेनिंग अनिवार्य होनी चाहिए। क्षेत्रीय भाषाओं में काम करने वाले काउंसलिंग केंद्रों और टोल-फ्री हेल्पलाइनों की संख्या बढ़ाई जानी चाहिए।स्कूल स्तर से ही यौन विविधता और मानसिक स्वास्थ्य को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाना होगा ताकि अगली पीढ़ी में समावेशी दृष्टिकोण विकसित हो।एलजीबीटीआईक्यू+ संगठनों और राज्य सरकारों के बीच साझेदारी हो, जिससे स्थानीय स्तर पर सहायता और परामर्श सेवाएं उपलब्ध कराई जा सकें। सरकार को एलजीबीटीआईक्यू+ समुदाय की मानसिक स्वास्थ्य स्थिति पर राज्यवार आंकड़े एकत्र करने चाहिए ताकि नीतियाँ ज़मीनी जरूरतों पर आधारित बन सकें। भारत में एसओजीआई समुदाय का मानसिक स्वास्थ्य एक गंभीर, मगर अदृश्य संकट बना हुआ है। संगठनों का कहना है कि जब तक समाज इस चुप्पी को नहीं तोड़ेगा और सरकार अपने नीतिगत ढांचे में सुधार नहीं लाएगी, तब तक यह समुदाय अपनी पहचान और अस्तित्व की लड़ाई में अकेला पड़ता रहेगा। मानसिक स्वास्थ्य केवल इलाज की नहीं, बल्कि गरिमा, स्वीकृति और आत्मसम्मान की भी लड़ाई है। Read more » The Alternate SOGI Community and Mental Health in India अल्टरनेट एसओजीआई समुदाय
लेख आखिर क्यों घट रही है गंगा डॉल्फिन की आबादी ? May 22, 2025 / May 22, 2025 by सुनील कुमार महला | Leave a Comment पर्यावरण प्रदूषण की समस्या आज भारत ही नहीं बल्कि संपूर्ण विश्व की एक बड़ी समस्या बनकर उभरी है। मनुष्य तो मनुष्य पशु-पक्षियों और जलीय जीवों को पर्यावरण प्रदूषण से बहुत नुक्सान पहुंच रहा है, लेकिन इनका कोई धणी-धोरी नजर नहीं आता। यह बहुत ही दुखद है कि आज हमारे देश में पर्यावरण प्रदूषण से जीव-जंतुओं […] Read more » गंगा डॉल्फिन की आबादी
कविता भजन: ब्रज धाम की होली May 21, 2025 / May 21, 2025 by नन्द किशोर पौरुष | Leave a Comment तर्ज: ब्रज रसिया मु: रंग्यौ ब्रज धाम होली के रंग में।होली के रंग में, होली के रंग में। -२रंग्यौ ब्रज धाम होली के रंग में। अंत १:ब्रज में होली की धूम मची है।सब जनता खेलन में लगी है।अपने अपने -२ प्रियतम संग में।रंग्यौ ब्रज धाम होली के रंग में।। अंत २: गोकुल मथुरा दाऊजी वारे।सब […] Read more » भजन: ब्रज धाम की होली
कविता बिकती वफ़ादारी, लहूलुहान वतन May 20, 2025 / May 20, 2025 by डॉ. सत्यवान सौरभ | Leave a Comment किसने बेची थी, ये हवाओं की खुशबू,किसने कांपती जड़ों में, जहर घोला था,किसने गिरवी रखी थी, मिट्टी की सुगंध,किसने अपने ही आंगन को, लहूलुहान बोला था। तब तलवारें चुप रहीं,घोड़ों ने रासें छोड़ दीं,दरवाजों ने रोशनी सेनज़रें मोड़ लीं। जब जयचंदों ने रिश्तों की ज़मीन बेच दी,मीर जाफरों ने गंगा की लहरें गिरवी रख दीं,तब […] Read more » बिकती वफ़ादारी लहूलुहान वतन
लेख भीषण गर्मी में स्वयं के साथ बेजुबानों का भी रखें ध्यान ! May 20, 2025 / May 20, 2025 by सुनील कुमार महला | Leave a Comment हाल ही में मौसम विभाग ने 21 मई तक 24 मई तक पूर्वी और पश्चिमी राजस्थान में कुछ जगहों पर लू चलने की संभावना जताई है। उपलब्ध जानकारी के अनुसार 21 मई तक हरियाणा और राजस्थान में कुछ इलाकों में रात में भी लू चलने की संभावना है। इन दिनों राजस्थान और हरियाणा ही नहीं […] Read more » भीषण गर्मी में स्वयं के साथ बेजुबानों का भी रखें ध्यान
लेख जब ट्रेनें बन जाएँ डर की सवारी: राप्तीसागर एक्सप्रेस पर पथराव, व्यवस्था पर बड़ा तमाचा May 20, 2025 / May 20, 2025 by अशोक कुमार झा | Leave a Comment अशोक कुमार झा 18 मई 2025 की रात देश की प्रतिष्ठित लंबी दूरी की राप्तीसागर एक्सप्रेस पर जब सीवान-छपरा रेलखंड के बीच पत्थरों की बरसात हुई तो एक बार फिर देश की रेल सुरक्षा व्यवस्था, सामाजिक तंत्र और प्रशासनिक संवेदनशीलता कठघरे में खड़ी हो गई।मुजफ्फरपुर के युवा यात्री विशाल कुमार के सिर पर पत्थर लगने से बहता लहू केवल उनकी […] Read more » a big slap on the system When trains become rides of fear: Stone pelting on Rapti Sagar Express राप्तीसागर एक्सप्रेस पर पथराव
कविता भजन: गुरु का सहारा May 19, 2025 / May 19, 2025 by नन्द किशोर पौरुष | Leave a Comment ruguruतर्ज: एक तेरा साथ हमको दो जहाँ से _ दोहा: गुरु बिन भव निधि तरहिं न कोई,जो विरंच शंकर सम होई। मु: थाम लो गुरुवर हाथ, आसरा तुम्हारा है।एक साधक ने पुकारा है, तेरा ही सहारा है।।थाम लो गुरुवर हाथ __ अंत १: दे दिया है हाथ, अब तेरे हाथों में हमने अपना।तुमने ही बतलाया […] Read more » गुरु का सहारा
कविता भजन: बरसाने की लट्ठा होली May 19, 2025 / May 19, 2025 by नन्द किशोर पौरुष | Leave a Comment तर्ज: ब्रज लोक गीत मु: होली खेलन आयौ श्याम,आज बरसाने की गलियन में।।होली खेलन आयो श्याम -२ अंत १:ग्वाल बालों के टोला संग आयौ।पोटली भर के सब रंग है लायौ।।सीधी सुरति लगायी है सबने।मि: पहुंचे हैं बरसाने गाँव।होली खेलन आयौ श्याम, अंत २: बरसाने की सब सखियाँ आयींसंग में राधाजू को हैं लायींमि: ज्यों ही […] Read more » Barsana's Latha Holi बरसाने की लट्ठा होली
कविता देश की पीठ में खंजर May 18, 2025 / May 22, 2025 by डॉ. सत्यवान सौरभ | Leave a Comment गद्दारों की बिसात बिछी, देश की मिट्टी रोती है,सीमा के प्रहरी चीख उठे, जब अंदर से चोट होती है।ननकाना की राहों में छुपा, विश्वास का बेईमान,पैसों की खातिर बेच दिया, अपना पावन हिंदुस्तान।मंदिर-मस्जिद की आड़ में, देशद्रोह का बीज पनपता,सोने की चिड़िया का कंठ घुटा, जब अंदर से लहू बहता। ज्योति ने छल की ज्वाला […] Read more » देश की पीठ में खंजर