लेख क्या “इस्लामिक आतंकवाद” का अंत होगा November 1, 2019 / November 1, 2019 by विनोद कुमार सर्वोदय | 1 Comment on क्या “इस्लामिक आतंकवाद” का अंत होगा जघन्य हत्याकांडों के लिए कुख्यात विश्व का दुर्दान्त आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट का प्रमुख अबू बकर अल बगदादी का अंततः अंत हो गया। अमरीकी डेल्टा कमांडों ने अपने अद्भुत शौर्य व सूझबूझ का परिचय देते हुए बड़े रहस्यमयी ढंग से रविवार 27.10.2019 को सीरिया के इदलिब प्रांत के बारिशा गाँव में बगदादी को उसके सुरंग […] Read more »
महत्वपूर्ण लेख लेख साहित्य हिंदूराष्ट्र स्वप्नदृष्टा : बंदा वीर बैरागी November 1, 2019 / November 1, 2019 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment ——————————————-अध्याय – 9 सरहिंद फिर बन गया — ‘ सर – ए – हिंद ‘ पंजाब में अब गुरु गोविंदसिंह के शहीद सपूतों का प्रतिशोध लेने की हवा बड़ी तेजी से चल रही थी और पंजाब ही क्यों मां भारती के प्रति समर्पण का भाव रखने वाले हिंदुस्तान के प्रत्येक व्यक्ति का खून इस बात […] Read more » बंदा वीर बैरागी हिंदूराष्ट्र स्वप्नदृष्टा बंदा वीर बैरागी
कविता साहित्य जंगल की दीवाली November 1, 2019 / November 1, 2019 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | Leave a Comment जंगल में मन रही दीवाली, बिना पटाखों बिन बम वाली। शेर सिंह ने दिए जलाए। हाथी हार फूल ले आए। भालू लाई बताशे लाया। चीतल पंचा मृत ले आया। सेई लाई पूजा की थाली। हिरण ढेर फुलझडियां लाए। नेवलों ने लड्डू बंटवाए। गेंडा ढोल बड़ा ले आया। बांध गले में खूब बजाया। ना ची बंदर […] Read more »
कविता भूख लगे तो रोटी की जात नहीं पूछा करते November 1, 2019 / November 1, 2019 by सलिल सरोज | Leave a Comment भूख लगे तो रोटी की जात नहीं पूछा करतेपेट को लगेगी बुरी,ये बात नहीं पूछा करते 1 ये धरती बिछौना ,ये आसमाँ है शामिआनाबेघरों से बारहाँ दिन -रात नहीं पूछा करते 2 मालूम है कि एक भी पूरी नहीं हो पाएगीबेटियों से उनके जज्बात नहीं पूछा करते 3 क्यों बना है बेकसी का ये आलम […] Read more »
कविता साहित्य ये चाक जिगर के सीना भी जरूरी है November 1, 2019 / November 1, 2019 by सलिल सरोज | Leave a Comment ये चाक जिगर के सीना भी जरूरी हैकुछ रोज़ खुद को जीना भी जरूरी है ज़िंदगी रोज़ ही नए कायदे सिखाती हैबेकायदे होके कभी पीना भी जरूरी है सब यूँ ही दरिया पार कर जाएँगे क्यासबक को डूबता सफीना भी जरूरी है जिस्म सिमट के पूरा ठंडा न पड़ जाए साल में जून […] Read more »
कविता ऐसी दिवाली मनायें।। October 31, 2019 / October 31, 2019 by अजय एहसास | Leave a Comment तू दीया मै बाती ,दोनो इक दूजे के साथी दोनो दृढ़ अपनी बातो पे, दोहरा चरित्र न आता दीया सूना बाती बिन ,बाती सूनी कहलाये तू मुझमें मैं तुझमें देखूं, ऐसी दिवाली मनायें।। बाती को दीये का सहारा, दीया को बाती है प्यारा इक दूजे के साथ खड़े हों, प्यार हमेशा रहे हमारा ऐसी प्रीत […] Read more » ऐसी दिवाली मनायें।।
व्यंग्य मन का रावण October 27, 2019 / October 27, 2019 by दिलीप कुमार सिंह | Leave a Comment हा, तुम्हारी मृदुल इच्छाहाय मेरी कटु अनिच्छा था बहुत माँगा ना तुमने ,किंतु वह भी दे ना पाया ।था मैंने तुम्हे रुलाया ,,ये एक तसल्ली भरा सन्देश है उन लोगों की तरफ से जिन्होंने इस बार मन के रावण को पुष्पित -पल्लवित नहीं होने दिया ।इस बार का दशहरा बहुत फीका फीका रहा।,फेसबुक के कॉलेज से […] Read more »
कविता मै भारत का रहने वाला हूँ,भारत की ही बात तुम्हे सुनाता हूँ | October 26, 2019 / October 26, 2019 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment मै भारत का रहने वाला हूँ,भारत की ही बात तुम्हे सुनाता हूँ |यहाँ बुद्ध राम रहीम नानक महावीर जन्मे,उनके उपदेश सुनाता हूँ ||करते थे वे सबका परोपकार, अहिंसा शांति के मार्ग पर चलते थे |दिया नहीं कभी किसी को कष्ट,सबका आदर सत्कार वे करते थे ||दिया सारे विश्व को एक नया सन्देश, वे आज भी […] Read more » भारत
लेख अच्छा है एक दीप जला लें… October 24, 2019 / October 24, 2019 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment राघवेंद्र प्रसाद मिश्रभारतीय संस्कृति का कोई भी पर्व हो वह कुछ न कुछ संदेश लेकर आता है। शरद ऋतु में पडऩे वाला रोशनी का पर्व दीपावली त्योहार एक बार भी नई उमंग व उत्साह को लेकर आया है। यूं तो देश का यह सबसे प्राचीन त्योहार माना जाता है पर समय के हिसाब से इस […] Read more »
लेख प्रकाश व खुशियों की दीपमाला का पावन पर्व दीपावली October 24, 2019 / October 24, 2019 by दीपक कुमार त्यागी | Leave a Comment दीपक कुमार त्यागीसनातन धर्म व हमारी भारतीय संस्कृति के अनुसार हम सभी के जीवन में त्यौहारों का विशेष महत्वपूर्ण स्थान है। यहाँ तक कि अगर हम भारत को त्यौहारों की अद्भुत संस्कृति के महाकुंभ की संपन्न विशाल नगरी कहें तो यह कहना भी गलत नहीं होगा। हमारे प्यारे देश में वर्ष भर आयेदिन कोई न […] Read more »
कविता मैं कैसे करूँ गर्व ! October 23, 2019 / October 23, 2019 by गोपाल बघेल 'मधु' | Leave a Comment मैं कैसे करूँ गर्व, सर्व उसका जब रहा; दर्पण में रूप लखके कहूँ, मेरा कब रहा ! है कथानक उसी का, चर्म उसका ही रहा; हर मर्म पीछे झाँका वही, कर्त्ता वो रहा ! भरता उमँग औ तरंग, वह-ही तो रहा; हर ताल लय में नृत्य देखे, चाहे वो रहा ! वर्चस्व जो भी बचा […] Read more »
व्यंग्य गोली नेकी वाली October 21, 2019 / October 21, 2019 by दिलीप कुमार सिंह | Leave a Comment “ये दौरे सियासत भी क्या दौरे सियासत है चुप हूँ तो नदामत है ,बोलूँ तो बगावत है” आम वोटर चुनाव के वक्त ऐसे ही सोचता है कि वो क्या बोले ,सब कुछ तो बोल दिया है नेताजी ने।नेताजी जवान हैं ,स्टाइलिश कपड़े पहनते हैं ,कभी मीडिया के लाडले हुआ करते थे ,सबको कान के नीचे बजाने की […] Read more »