व्यंग्य बलम भरी मारो पिचकारी, लगाओ न गुलाल March 7, 2020 / March 7, 2020 by प्रभुनाथ शुक्ल | Leave a Comment प्रभुनाथ शुक्ल अबकी अपुन की होली का सेंसेक्स धड़ाम है। बेचारी पहले ही भंग पीकर औंधे पड़ी है। क्योंकि पूरी दुनिया में मंदी और बंदी छायी है। अपन के मुलुक में भी मंदी, बंदी और गोलबंदी जड़े जमा चुकी है। इस बार की […] Read more » गुलाल
व्यंग्य ट्रेन और टॉयलट…!! February 14, 2020 / February 14, 2020 by तारकेश कुमार ओझा | Leave a Comment तारकेश कुमार ओझाट्रेन के टॉयलट्स और यात्रियों में बिल्कुल सास – बहू सा संबंध हैं। पतानहीं लोग कौन सा फ्रस्ट्रेशन इन टॉयलट्स पर निकालते हैं। आजादी के इतनेसालों बाद भी देश में चुनाव शौचालय के मुद्दे पर लड़े जाते हैं। किसनेकितने शौचालय बनवाए और किसने नहीं बनवाए , इस पर सियासी रार छिड़ी रहतीहै। देश […] Read more » sattire on toilets in train ट्रेन और टॉयलट
व्यंग्य अंकल कम्यूनलिज्म February 13, 2020 / February 13, 2020 by दिलीप कुमार सिंह | Leave a Comment “वो सादगी कुछ भी ना करे तो अदा ही लगे वो भोलापन है कि बेबाकी भी हया ही लगे अजीब शख्स है नाराज हो के हँसता है मैं चाहता हूँ कि वो खफा हो तो खफा ही लगे” पोस्ट ट्रुथ के बाद ये फिलहॉल एक नया फैंसी शब्द है जो अपने को डिफेंड करते हुए […] Read more » communalism कम्यूनलिज्म
व्यंग्य बापू ! सत्याग्रह पर हैं February 4, 2020 / February 4, 2020 by प्रभुनाथ शुक्ल | Leave a Comment प्रभुनाथ शुक्ल हमारे मित्र ढोंगी लाल ने काफी हाउस में चुस्कियां लेते हुए चुटकी ली। “अरे भाई ! सुना है बापू यानी गाँधी जी ने पुनः सत्याग्रह करने का ऐलान किया है। उन्हें दुःख है कि कुछ लोग उनके सत्याग्रह और आजादी मार्च […] Read more » बापू ! सत्याग्रह पर हैं
व्यंग्य साहित्य खिचड़ी बनाम बिरयानी February 4, 2020 / February 4, 2020 by दिलीप कुमार सिंह | Leave a Comment “मालिन का है दोष नहीं ,ये दोष है सौदागर का, जो भाव पूछता गजरे का और देता दाम महावर का” ऐसा ही कुछ आजकल के धरना प्रदर्शनों का है जो किसी अन्य वजहों की वजह चर्चा में आ जाते हैं बजाय उसके जो वजह उन्होंने चुनी है ।धरना ,वैचारिक मतभेदों को लेकर है ,चर्चा में बिरयानी […] Read more » biryani serving to shahin bagh protester protest at shahin bagh बिरयानी
राजनीति व्यंग्य कागज़ नहीं दिखाएंगे January 21, 2020 / January 21, 2020 by दिलीप कुमार सिंह | Leave a Comment “युग के युवा,मत देख दाएंऔर बाएं और पीछे ,झाँक मत बगलेंन अपनी आँख कर नीचे,अगर कुछ देखना है देख अपने वे वृषभ कंधे,जिन्हें देता निमंत्रणसामने तेरे पड़ा, युग का जुआ “युग का जुआ युवाओं को अपने कंधों पर लेने की हुंकार देने वाले कविवर हरिवंश राय बच्चन अपने अध्यापन के दिनों में डिग्री लेकर पास आउट […] Read more » कागज़ नहीं दिखाएंगे
व्यंग्य कंबल है कि पद्श्री अलंकरण ! January 18, 2020 / January 18, 2020 by प्रभुनाथ शुक्ल | Leave a Comment प्रभुनाथ शुक्ल गरीबी और ठंड का रिश्ता जन्म जन्मांतर का है। जिस तरह लैला का मजनू से स्वाती का पपीहे से है। ठंड और गरीबी एक दूजे के लिए बने हैं। कहते हैं कि जोड़ियां बनकर आती हैं। भगवान ने ठंड और […] Read more » पद्श्री अलंकरण
व्यंग्य मेरा वो मतलब नहीं था January 14, 2020 / January 15, 2020 by दिलीप कुमार सिंह | Leave a Comment “जामे जितनी बुद्धि है,तितनो देत बतायवाको बुरा ना मानिए,और कहाँ से लाय” देश में धरना -प्रदर्शन से विचलित ,और अपनी उदासीन टीआरपी से खिन्न फिल्म इंडस्ट्री के कुछ अति उत्साही लोगों ने सोचा कि तीन घण्टे की फिल्म में तो वे देश को आमूलचूल बदल ही देते हैं तो क्यों ना वास्तव में वो देश […] Read more » मेरा वो मतलब नहीं था
व्यंग्य हे भाय! तेरे से अच्छा मेरा वाद ? January 13, 2020 / January 13, 2020 by प्रभुनाथ शुक्ल | Leave a Comment प्रभुनाथ शुक्ल ? आजकल अपन के मुलुक में वादियों का जमाना है। साहब! वादी तो वादी ही हैं। वह चाहे विचारवादी हों या अलगाववादी। काफी हाउस से लेकर शहर के टी-स्टालों और अखबार की सुर्खियों में बस एक ही चर्चा है। वह है वादियों […] Read more » अंबेडकरवादी कबंलवादी गांधीवादी गुंडावादि गोलीवादी डंडावादी नकाबवादी नेहरुवादी पटेलवादी बमवादी लाठीवादी सावरकरवादी सुभाषवादी हाकीवादी
व्यंग्य ब्रज नही बचो कान्हा के समय जैसों January 2, 2020 / January 2, 2020 by आत्माराम यादव पीव | Leave a Comment (ब्रजदर्शन के बाद ) जे वृन्दावन धाम नहीं है वैसो, कान्हा के समय रहो थो जैसो समय बदलते सब बदले हाल वृन्दावन हुओ अब बेहाल। कान्हा ग्वालो संग गईया चराई, वो जंगल अब रहो नही भाई निधि वन सेवाकुंज बचो है, राधाकृष्ण ने जहाॅ रास रचो है। खो गयी गलियाॅ खो गये द्वारे, नन्दगाॅव की […] Read more » कान्हा
व्यंग्य डर दा मामला है December 30, 2019 / December 30, 2019 by दिलीप कुमार सिंह | Leave a Comment “सबसे विकट आत्मविश्वास मूर्खता का होता है ,हमें एक उम्र से मालूम है –हरिशंकर परसाई”। फिल्मों की “द फैक्ट्री “चलाने वाले निर्देशक राम गोपाल वर्मा महोदय ने डर के लेकर दिलचस्प प्रयोग किये।वो अपनी किसी फेम फिल्म में डर फेम शाहरुख़ खान को तो नहीं ला पाये ,लेकिन डर को लेकर उन्होंने विभिन्न प्रयोग किये […] Read more » डर दा मामला है
व्यंग्य खुदाई मेरा राष्ट्रीय दायित्व है ! December 29, 2019 by प्रभुनाथ शुक्ल | Leave a Comment प्रभुनाथ शुक्ल खुदाई हमारी संस्कार में रची बसी है। हमारे पुरखों की यह विरासत रही है। खुदाई की वजह से हमने ऐतिहासिक सभ्यताएं हासिल की हैं, जिनका महत्व हमारी इतिहास की मोटी-मोटी किताबों मंे दर्ज है। खुदाई से निकली ऐसी सभ्यताओं पर […] Read more » Digging is my national responsibility