व्यंग्य मक्खी मरी नही, तो गई कहाँ? April 24, 2024 / April 24, 2024 by आत्माराम यादव पीव | Leave a Comment आत्माराम यादव पीव नन्हें-नन्हें पंखों वाली नन्ही सी सुंदर काया वाली मक्खी ओर मक्खा यत्र तत्र सर्वत्र निवास करते है। सबसे ज्यादा नटखट, फुर्तीली यह मक्खी सभी जगह घट-घट में मिल जाएगी, दुनिया का ऐसा कोई स्थान नहीं जो मक्खी से अछूता हो। दिन हो या रात मक्खी बिना आलस किए काम करती है। […] Read more »
व्यंग्य भ्रमजाल में खुद भी फंसिए और दूसरों को भी फंसाईये… April 20, 2024 / April 20, 2024 by सुशील कुमार नवीन | Leave a Comment चुनावी माहौल : सजने लगी चुनाव की मंडी, फ्रेंचाइजी लेने वालों को माननीय बनवाने की सौ फीसदी गारंटी सुशील कुमार ‘नवीन ‘आइए,आइए साहेबान! एक बार हमारी तरफ भी नजर फरमाऐं। सब कुछ आपके लिए ही तो सजा रखा है। भारी डिस्काउंट, गिफ्ट आइटम। सब कुछ तो है। एक बार हमारी तरफ आकर तो देखें। वादा […] Read more » चुनावी माहौल
व्यंग्य सबकी अपनी-अपनी खूंटी April 8, 2024 / April 8, 2024 by आत्माराम यादव पीव | Leave a Comment – आत्माराम यादव पीव हर मनुष्य का अपना-अपना व्यक्तित्व है और वही उसकी पहचान भी है। करोड़ों की भीड़ में हरेक मनुष्य अपने निराले व्यक्तित्व के कारण पहचान लिया जाता है, यही उसकी विशेषता भी है। जैसे प्रकृति का नियम है कि वह पूरे जगत में एक भी वृक्ष,पौधा,बेल आदि सभी प्रकार की वनस्पति हो […] Read more »
व्यंग्य दूध और पानी की मैत्री April 7, 2024 / April 7, 2024 by आत्माराम यादव पीव | Leave a Comment आत्माराम यादव पीव दूध और पानी आपस में गहरे मित्र है। ग्वालों के घर पैदा हुआ हॅू इसलिए गायों की प्रकृति को समझता हॅू, वहीं गाय जो हमें अमृत रूपी दूध देती है उस दूध और पानी की मित्रता तथा आपसी प्रेम को लेकर अनेक बार नानी जी उनकी प्रेम कहानी बताती रही […] Read more »
व्यंग्य “महिमा अमित न जाई बखानी” March 27, 2024 / March 27, 2024 by दिलीप कुमार सिंह | Leave a Comment चाय की दुकान पर सिगरेट का कश फूंकते हुये इतवार का अखबार मैंने इस उम्मीद में खोला कि अगर मेरा व्यंग्य छप गया होगा तो तीन सौ रुपये मिलेंगे। उम्मीद थी कि इससे चाय- सिगरेट की उधारी निबटाने में आसानी रहेगी। चाय की दुकान पर मैं मुफ्त का अखबार पढ़ने और उधारी की सिगरेट पीने […] Read more »
व्यंग्य क्या गोबर दोबारा मानव जाति का अन्न और प्राणदाता बन सकेगा ? March 11, 2024 / March 11, 2024 by आत्माराम यादव पीव | Leave a Comment आत्माराम यादव पीव मैं गोबर हॅू, आज अपनी आत्मकथा सुनाना चाहता हॅॅू। मुझ गोबर के पिता का नाम जठरानलानन्द है और श्रीमती सुरभी अर्थात गाय मेरी माता हैं। मेरे जन्मस्थान का नाम लेने से दिन-भर अन्न-जल के दर्शन न होंगे, इसलिए नहीं बताऊँगा। हाँ, मैं इस बात से पूर्णतः आश्वस्त हॅू कि मेरे जन्म स्थान […] Read more » Will cow dung be able to become the food and life giver of mankind again?
लेख व्यंग्य गोबर दोबारा मानव जाति का अन्नदाता और प्राणदाता बन सकेगा ? March 4, 2024 / March 4, 2024 by आत्माराम यादव पीव | Leave a Comment गोबर की आत्मकथा- आत्माराम यादव पीव मैं गोबर हॅू, आज अपनी आत्मकथा सुनाना चाहता हॅॅू। मुझ गोबर के पिता का नाम जठरानलानन्द है और श्रीमती सुरभी अर्थात गाय मेरी माता हैं। मेरे जन्मस्थान का नाम लेने से दिन-भर अन्न-जल के दर्शन न होंगे, इसलिए नहीं बताऊँगा। हाँ, मैं इस बात से पूर्णतः आश्वस्त हॅू कि […] Read more » Will cow dung again become the provider of food and life to mankind? गोबर की आत्मकथा
व्यंग्य तुमको याद रखेंगे गुरु February 19, 2024 / February 19, 2024 by दिलीप कुमार सिंह | Leave a Comment “आइए महसूस कीजिये पब्लिसिटी के ताप को, मैं फिल्मवालों की गली में ले चलूंगा आपको” तो ख़्वातीनो हजरात मायानगरी की इस चमक-दमक से भरी दुनिया की सैर में आपका खैर मकदम है। इस रुपहली और मायावी दुनिया का एक बेफिक्र फलसफा है “बदनाम होंगे तो क्या नाम न होगा”। जी यकीनन होगा। हर हाल में नाम […] Read more »
व्यंग्य ‘इजहार-ए-इश्क’ में बाँकेलाल की लाइव बेलन पिटाई February 12, 2024 / February 12, 2024 by प्रभुनाथ शुक्ल | Leave a Comment प्रभुनाथ शुक्ल बसंत के मौसम में बांकेलाल के चेहरे की रौनक बौराई अमराई और गदराई सरसों की तरह दिख रहीं थी। आमतौर पर उनके चेहरे की रौनक बुझी सी दिखती थी। ‘वेलेंटाइन दिवस’ पर मसाज पार्लर से निकलते देख हमने उन्हें छेड़ ही दिया। […] Read more »
व्यंग्य जै श्री राम February 1, 2024 / February 1, 2024 by दिलीप कुमार सिंह | Leave a Comment नोयडा के इंजीनियरिंग कालेज और अहमदाबाद में पाकिस्तान के साथ हुए क्रिकेट वर्ल्ड कप में जय श्री राम के नारों ने ऐसा क्या असर डाला है कि ग़दर मचा हुआ है । अभिवादन से उपजी ये गुत्थी सुलझाने के लिये मैं जरा सी तफरीह के लिये निकला तो अचानक शेरजंग साहब मिल गए। वैसे तो […] Read more » जै श्री राम
राजनीति व्यंग्य पल्टूराम फिर मार गए पल्टी January 30, 2024 / January 30, 2024 by प्रभुनाथ शुक्ल | Leave a Comment प्रभुनाथ शुक्ल जीवन एक कला है और राजनीति एक बाजीगरी।अगर आपके पास कलाबाजी, जादूगारी, झूठगिरी, बेशर्मी, मक्कारी, धोखेबाजी, पल्टीबाजी का गुण नहीं है तो आप सफल राजनीतिज्ञ नहीं हैं। सच मानिए, सियासत में आप जीतनी बार धोखा देंगे उतने बड़े आप सच्चे पलटी मार कह लाएंगे। […] Read more » Palturam turned again पल्टूराम फिर मार गए पल्टी
व्यंग्य यमलोक में यमराज का चुनाव January 29, 2024 / January 29, 2024 by आत्माराम यादव पीव | Leave a Comment नर्मदा तट की अपनी महिमा है, भगवान कृष्ण शिशुपाल के 100 अपराध तक माफ करने की सहनशक्ति रखते थे, तभी हज जाने के लिये बिल्ली जैसे मांसाहारी जीव को भी सौ-सौ चूहे खाने अर्थात दो सौ अपराध करने की छूट मिल चुकी थी, यह अलग बात है कि वह पूरी जिंदगी में हजार से ज्यादा […] Read more » Yamraj's election in Yamalok