चुनाव राजनीति व्यंग्य थप्पड़ पर स्वतंत्र शोध April 20, 2014 by प्रवक्ता.कॉम ब्यूरो | Leave a Comment -विजय कुमार- भारत का चुनाव किसी महाभारत से कम नहीं है। यहां जिन्दाबाद, मुर्दाबाद, डंडे, झंडे और फूलमाला आदि सबका उपयोग होता है। इसमें क्रिया-प्रतिक्रिया, फिल्म-थिएटर, हास्य-प्रहसन, एकल अभिनय और नुक्कड़ नाटक तक के दृश्य बिना टिकट ही देखे जा सकते हैं। इसीलिए दुनिया भर के पर्यटक इसका मजा लेने यहां आते हैं। पर देश […] Read more » satire on Arvind Kejrival slapped थप्पड़ पर स्वतंत्र शोध
कविता चुनाव राजनीति व्यंग्य भूख की रोटी, बोल के घी में लिपटाई है April 14, 2014 by जावेद उस्मानी | Leave a Comment -जावेद उस्मानी- भूख की रोटी, बोल के घी में लिपटाई है खाली कटोरी पर, लिखी गई मलाई है बेवफा वादो की चटनी के साथ फिर सपनों वाली वही बासी मिठाई है सजाए हुए बैठे हैं सब एक सी थाली ऐ सियासत तेरी अदाएं निराली !! नकली आंसू और वादो की भरमार हैं कुछ अजब सा, […] Read more » poem on politics बोल के घी में लिपटाई है भूख की रोटी
चुनाव राजनीति व्यंग्य ‘महाभारत’ के युद्ध का आंखों देखा हाल April 12, 2014 / April 12, 2014 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment -राकेश कुमार आर्य- नई दिल्ली। भारत में लोकसभा चुनावों का ‘महाभारत’ अपने चरमोत्कर्ष पर है। धृतराष्ट्र बने डॉ. मनमोहन सिंह अपने राजभवन में आराम फरमा रहे हैं। उनके पास वक्त तो खूब है, पर उनकी अपनी ‘वक्त’ समाप्त हो चुकी है। फुरसत में बैठे मनमोहन चुनावी समर की सूचना लेने का प्रयास कर रहे हैं। […] Read more » 'महाभारत' के युद्ध का आंखों देखा हाल present political war
व्यंग्य बलात्कारियों द्वारा नेताजी का अभिनन्दन April 11, 2014 / April 11, 2014 by गिरीश पंकज | 1 Comment on बलात्कारियों द्वारा नेताजी का अभिनन्दन गिरीश पंकज कुछ भूतपपूर्व और कुछ अभूतपूर्व बलात्कारी एक जगह एकत्र हो कर एक नेता जी का अभिनन्दन कर रहे थे. नेता जी ने काम ही ऐसा कर दिया था की उनका अभिनन्दन किया जाये. नेता जी ने पिछले दिनों युवा बलात्कारियों की हौसलाआफ़ज़ाई के लिए अद्भुत बयान दिया था, उन्होंने राष्ट्र के नाम सम्बोधन […] Read more » बलात्कारियों द्वारा नेताजी का अभिनन्दन
चुनाव राजनीति व्यंग्य थप्पड़ है योग्यता का प्रदर्शन April 11, 2014 by मनोहर पुरी | 1 Comment on थप्पड़ है योग्यता का प्रदर्शन -मनोहर पुरी- ‘‘कनछेदी ऐसा क्या हो गया कि आपके नेता जहां जा रहे हैं उनको थप्पड़ पड़ रहे हैं।’’ मैंने सड़क पर गिरे हुए कनछेदी का उठाते हुए कहा। ‘‘ राजनीति में आप हार डालने और थप्पड़ मारने को एक जैसा मान कर ही आगे बढ़ सकते हैं।’’ कनछेदी ने अपनी पेंट पर लगी धूल […] Read more » satire on Arvind Kejrival थप्पड़ है योग्यता का प्रदर्शन
व्यंग्य केजरी का मुखरक्षक … मफलर April 9, 2014 / April 9, 2014 by एल. आर गान्धी | 3 Comments on केजरी का मुखरक्षक … मफलर एल आर गांधी हे राम …. अच्छा हुआ यह दिन देखने को आज बापू नहीं हैं ….गांधी टोपी धारी माडरन गांधी वादियों की ऐसी धुनाई … हे राम आज राजधानी के ‘अमन’ विहार के आम टैम्पो चालक ‘लाली ‘ ने केज़रीवाल जी का मुंह नीला कर दिया … आँख पर चोट आयी … टैम्पो चालक […] Read more » केजरी का मुखरक्षक … मफलर
चुनाव राजनीति व्यंग्य नई नाटक-मंडली की नित नई पटकथाएं April 5, 2014 by आलोक कुमार | Leave a Comment -आलोक कुमार- ‘टोपी – झाड़ू’ वाली नयी नाटक – मंडली के सारे ‘ड्रामे’ कैमरे के सामने ही क्यों होते हैं ? इसे समझना ‘रॉकेट साईन्स’ समझने जैसा कठिन नहीं हैl अपने शुरुआती दौर ‘नुक्कड़’ से लेकर आज तक इस मंडली के निर्देशक और अन्य ‘नाटककार’ आज के दौर में कैसे सुर्खियों में बना रहा जाता है, इसका‘फलसफा’ भली- भांति समझ व जान चुके हैंl रामलीला मैदान, जंतर-मंतर से लेकर ‘रंगशाला’ तक के इनके सफर में ‘कैमरे’ की […] Read more » satire on politics नई नाटक-मंडली की नित नई पटकथाएं
चुनाव व्यंग्य चुनावी फसल से खलिहान भरने की चाहत…! April 1, 2014 by तारकेश कुमार ओझा | Leave a Comment -तारकेश कुमार ओझा- गांव – देहात से थोड़ा भी संबंध रखने वाले भलीभांति जानते हैं कि खेतीबारी कितना झंझट भरा, श्रमसाध्य और जोखिम भरा कार्य है। यदा-कदा गांव जाने पर उन मुर्झाए चेहरों वाले रिश्तेदारों से मुलाकात होती है, जो अपना दुखड़ा सुनाते हुए बताते हैं कि बेटा .. खेतीबारी से गुजारा मुश्किल है। पुश्तैनी […] Read more » satire on current election चुनावी फसल से खलिहान भरने की चाहत...!
चुनाव राजनीति व्यंग्य राजनैतिक आत्महत्या: घूंघट नहीं खोलूंगी सैंया तोरे आगे April 1, 2014 by डा. अरविन्द कुमार सिंह | Leave a Comment -डॉ. अरविन्द कुमार सिंह- बहुत दिनों के बाद आज कुछ लिखने के लिये कलम उठाया हूं। देश चुनावी ताप से तप रहा है। राजनेताओं का कहा हर लफ्ज, कई अर्थों को जन्म दे रहा है। सब अपनी विश्वसनियता को साबित करने हेतु दूसरों पर जमकर आरोप प्रत्यारोप का सहारा ले रहे हैं। मैं समझ नही […] Read more » satire on Arvind Kejrival राजनैतिक आत्महत्या: घूंघट नहीं खोलूंगी सैंया तोरे आगे
कविता व्यंग्य मिक्सिंग और फिक्सिंग March 27, 2014 by मिलन सिन्हा | 1 Comment on मिक्सिंग और फिक्सिंग -मिलन सिन्हा- उसने पहले ढंग से जाना गेम का सब ट्रिक्स फिर मैच को अच्छे से किया फिक्स जब शोर हुआ तब राजनीति से किया उसे मिक्स पकड़ा गया फिर भी शर्म नहीं किसी बात का कोई गम नहीं क्योंकि उसे मालूम है यहां मैच को करके मिक्स और फिक्स कैसे मारा जाता है सिक्स […] Read more » satire poem on match fixing मिक्सिंग और फिक्सिंग
व्यंग्य व्यंग्य बाण : उफ, ये सादगी March 19, 2014 by विजय कुमार | Leave a Comment छात्र जीवन में मैंने ‘सादा जीवन उच्च विचार’ पर कई बार निबन्ध लिखा है। निबन्ध में यहां-वहां का मसाला, कई उद्धरण और उदाहरण डालकर चार पंक्ति की बात को चार पृष्ठ बनाने में मुझे महारथ प्राप्त थी। मेरे निबन्ध को इसीलिए सर्वाधिक अंक भी मिलते थे। वस्तुतः किसी भी बात के, बिना बात विस्तार को […] Read more » ये सादगी व्यंग्य बाण : उफ
व्यंग्य शिशुपाल और केजरीवाल March 19, 2014 by विपिन किशोर सिन्हा | 9 Comments on शिशुपाल और केजरीवाल दिल्ली का मुख्यमन्त्री बनने के पहले अरविन्द केजरीवाल ने कांग्रेस और भ्रष्टाचार-विरोध का एक मुखौटा लगा रखा था जो समय के साथ-साथ तार-तार हो रहा है। कहते हैं कि इश्क और मुश्क छिपाए नहीं छुपते। केजरीवाल की हरकतें इस कहावत की सत्यता सिद्ध करती हैं। शक तो तभी होने लगा था, जब […] Read more » शिशुपाल और केजरीवाल