विविधा व्यंग्य जाम-स्तुति August 2, 2013 / August 2, 2013 by डा.राज सक्सेना | Leave a Comment डा.राज सक्सेना वह सुरा – पात्र दो दयानिधे,जब मूड बने तब भर जाए | है आठ लार्ज, कोटा अपना,बिन – मांगे पूरा कर जाए | प्रातः उठते ही हैम – चिकन, फ्राइड फिश से हो ब्रेकफास्ट | हो मट्न लंच में हे स्वामी, मैं बटरचिकन से करूं लास्ट | मिलजाय डिनर बिरयानी का,संग […] Read more » जाम-स्तुति
व्यंग्य अभिव्यक्ति और प्रतिबन्ध [व्यंग्य] August 1, 2013 by राजीव रंजन प्रसाद | 1 Comment on अभिव्यक्ति और प्रतिबन्ध [व्यंग्य] राजीव रंजन प्रसाद “सर जी सहारा प्रणाम” “काहे का सहारा वो तो डूब गया भाई, और कौन सा प्रणाम? आज कल हम लाल सलाम करते हैं” “कल तक तो वहीं की गा रहे थे” “भाई वो खिला रहे थे, हम खा रहे थे” “कल यह लाल कहीं हरा, नीला या पीला हो गया तो?” “देख […] Read more » अरुंधती नक्सलवाद राजेंद्र यादव वामपंथ
व्यंग्य राजमाता का राजभोज July 27, 2013 by एल. आर गान्धी | 2 Comments on राजमाता का राजभोज एल आर गाँधी स्वर्ग में विराजमान इंदिरा जी आज गद गद हो गई होंगी …जो काम वे अपने जीवन काल में पूरा नहीं कर पाई उनकी प्रिय पुत्रवधू ने पूरा कर डाला।।।इंदिरा जी तो महज़ गरीबी हटाओ का उद्दघोष मात्र करते करते इतिहास हो गई , पुत्र वधु ने एक ही झटके में गरीबों की […] Read more » राजमाता का राजभोज
व्यंग्य हास्य व्यंग्य कविताएं: संकट, योजना July 27, 2013 by मिलन सिन्हा | Leave a Comment मिलन सिन्हा संकट नेताजी से जब एक पत्रकार ने पूछा , महाशय, तेल संकट पर क्या हैं आपके विचार ? तो कहा नेताजी ने हँसते हुए , कहाँ तेल संकट जो करें सोच विचार . अरे , हमारे घर तो रोज हजारों लोग आते हैं और हमें लगाने के लिए भर-भर टीन तेल साथ […] Read more » योजना हास्य व्यंग्य कविताएं : संकट
व्यंग्य यहां सब ऐसे ही चला है प्यारे! July 26, 2013 / July 26, 2013 by अशोक गौतम | Leave a Comment अशोक गौतम खाने के सुरक्षा बिल को लेकर बेताल इतना उतावला हुआ कि पिछले हफते संसद के सामने सावन की बौछार में दिनरात भीगता रहा, मल्लहार गाता रहा। मैंने उसे रोकने की लाख कोशिश की, ‘पागल! ये खाने का सुरक्षा बिल तेरी सुरक्षा के लिए नहीं, उनकी अपनी सुरक्षा के लिए अधिक है। इससे तेरी […] Read more »
राजनीति व्यंग्य व्यंग्य बाण : मेरी छतरी के नीचे आ जा.. July 23, 2013 / July 23, 2013 by विजय कुमार | Leave a Comment इस सृष्टि में कई तरह के जीव विद्यमान हैं। सभी को स्नेह-प्रेम, हास-परिहास और मनोरंजन की आवश्यकता होती है। पशु-पक्षी भी मस्ती में खेलते, एक-दूसरे पर कूदते और लड़ते-झगड़ते हैं। यद्यपि कथा-सम्राट प्रेमचंद ने ‘दो बैलों की कथा’ में बैल के साथ ही एक अन्य प्राणी की चर्चा की है, जो कभी नहीं हंसता, और […] Read more » मेरी छतरी के नीचे आ जा
व्यंग्य …और अब वह सम्पादक हो गए July 17, 2013 / July 17, 2013 by प्रवक्ता.कॉम ब्यूरो | Leave a Comment डॉ. भूपेन्द्र सिंह गर्गवंशी आखिर वह सम्पादक बन ही गए। मुझसे एक शाम उनकी मुलाकात हो गई। वह बोले सर मैं आप को अपना आदर्श मानता हूँ। एक साप्ताहिक निकालना शुरू कर दिया है। मैं चौंका भला यह मुझे अपना आदर्श क्यों कर मानता है, यदि ऐसा होता तो सम्पादक बनकर अखबार नहीं निकालता। जी […] Read more »
व्यंग्य साहित्य खाद्य सुरक्षा के बसते July 4, 2013 / July 4, 2013 by एल. आर गान्धी | Leave a Comment बगल में तीन तीन बसते दबाये चोखी लामा फटे थैले सा मुंह लटकाए चले आ रहे थे। हमें मसखरी सूझी ..और पूछ बैठे ..अरे चोखी मियां ये बच्चों के बसते उठाये इस उम्र में कौन से स्कूल जा रहे हो। हमारी मसखरी चोखी मियां को नागवार गुजरी ! उत्तराखंड के बादल की भांति बिफर पड़े …मियां पैसे वाले हो […] Read more » खाद्य सुरक्षा के बसते
व्यंग्य साहित्य साला मैं तो साहेब (प्रेस फोटोग्राफर) बन गया June 28, 2013 by प्रमोद भार्गव | 1 Comment on साला मैं तो साहेब (प्रेस फोटोग्राफर) बन गया मैं सलाह देना चाहूँगा कि यदि आप थोड़ा बहुत साक्षर और बेरोजगार हों और समाज में एक शिक्षित एवं सम्मानित व्यक्ति की तरह जीवन जीना चाहते हों तो देर मत कीजिए जल्द ही किसी अखबार का प्रेस रिपोर्टर बन जाइए। बस आप की हर इच्छा पूरी होती रहेगी। क्योंकि मीडिया/प्रेस रिपोर्टर्स की समाज के हर […] Read more » साला मैं तो साहेब (प्रेस फोटोग्राफर) बन गया
व्यंग्य साहित्य वे देख रहे हैं June 26, 2013 by विजय कुमार | 2 Comments on वे देख रहे हैं कल शर्मा जी के घर गया, तो वहां असम के वन विभाग में कार्यरत उनके एक पुराने मित्र वर्मा जी भी मिले, जो अपने 12 वर्षीय बेटे के साथ आये हुए थे। बेटे का पूरा नाम तो मनमोहन था; पर वर्मा जी उसे मन्नू कहकर बुला रहे थे। उन्होंने बताया कि वे अपने बेटे को […] Read more » वे देख रहे हैं
व्यंग्य साहित्य रजनी कान्त बर्खास्त : रजनी कान्त का कार्यभार नरेंद्र को सौंपा गया June 25, 2013 / July 19, 2013 by अरुण कान्त शुक्ला | 37 Comments on रजनी कान्त बर्खास्त : रजनी कान्त का कार्यभार नरेंद्र को सौंपा गया ईश्वर ने रजनीकान्त को बर्खास्त कर दिया है| अब रजनीकांत वो सारे कार्य नहीं कर पायेगा, जो ईश्वर भी नहीं कर पाता था| केदार बाबा से जारी प्रेस विज्ञप्ति में बता गया है की ईश्वर से भी नहीं बन पाने वाले कार्यों को करने के लिए अब भगवान जपो आन्दोलन के प्रचारमंत्री और गुजरात में […] Read more » रजनी कान्त बर्खास्त : रजनी कान्त का कार्यभार नरेंद्र को सौंपा गया
व्यंग्य साहित्य वरिष्ठ जाड़ का दर्द June 21, 2013 by जगमोहन ठाकन | 4 Comments on वरिष्ठ जाड़ का दर्द पिछले कुछ दिनों से ‘‘वरिष्ठ जाड़ ’’ की सन्सटीविटी कुछ ज्यादा ही बढ़ गई थी । ठण्डा खाओ तो दर्द,गर्म खाओ तो दर्द । इतनी भारी भरकम गर्मी में शरीर कहता है कि कुछ ठण्डा पिया जाये वर्ना डिहाइडरेसन का खतरा बढ़ जाता है । जीभ कहती है कि कुछ कूल-कूल हो जाये । पर […] Read more » वरिष्ठ जाड़ का दर्द