व्यंग्य लंगोटी का अर्थशास्त्र November 15, 2011 / November 28, 2011 by पंडित सुरेश नीरव | Leave a Comment पंडित सुरेश नीरव जिसमें कुछ हुनर होता है उसको कामयाबी शर्तिया मिलती है। चाहे कितनी भी मुश्किलें आएं। और जो पैदाइशी फिसड्डी होते हैं उन्हें कितनी भी कबड्डी खिलाई जाए वे फिसड्डी होतो हैं तो फिसड्डी ही होते हैं। भैयाजी पैदाइशी हुनरमंद हैं। होशियारी के मल्टीचैनल मॉडल।होनहार बिरवान के होत चीकने पात। इस फार्मूले के […] Read more » लंगोटी का अर्थशास्त्र
व्यंग्य हास्य-व्यंग्य/इंतजार चमत्कारी घोड़े के अवतार का.. November 12, 2011 / December 3, 2011 by पंडित सुरेश नीरव | 2 Comments on हास्य-व्यंग्य/इंतजार चमत्कारी घोड़े के अवतार का.. पंडित सुरेश नीरव मनुष्य आस्तिक भी हो सकता है और नास्तिक भी। पर दोनों ही नस्ल के आदमियों का घोड़ास्तिक होना उसकी अंतिम नियति है। वह ईश्वर को लेकर तो बहस कर सकता है मगर अकल के सारे घोड़े दौड़ाने के बावजूद चाहे वह कितने भी उच्च गोत्र का गधा क्यों न हो घोड़ों की […] Read more » Chamatkari Ghore ke Intezaar चमत्कारी घोड़े के अवतार
व्यंग्य दबिश दावतखोरों की November 8, 2011 / December 5, 2011 by पंडित सुरेश नीरव | 1 Comment on दबिश दावतखोरों की पंडित सुरेश नीरव यह देश एक दावतप्रधान देश है। विवाह-शादी,नामकरण-सालगिरह-मुंडन,रिटायरमेंट और तेरहवीं के ब्रह्मभोज पर हंसते-हंसते दावत का दंड भोगना भारत के हर शरीफ नागरिक की सर्वोच्च नियति है। अपनी हैसियत और औकात के मुताबिक इन अवसरों पर वह भोजन प्रतियोगिताओं का आयोजन करता है। और भयानक काच-छांट के बाद चुनिंदा लोगों को जीमने के […] Read more » दबिश दावतखोरों की
व्यंग्य सुदर्शन-सादिक़ की मुलाकात से क्यों डर रहे हैं वे? November 6, 2011 / December 5, 2011 by इक़बाल हिंदुस्तानी | 4 Comments on सुदर्शन-सादिक़ की मुलाकात से क्यों डर रहे हैं वे? इक़बाल हिंदुस्तानी आर एस एस के पूर्व सर संघचालक के सी सुदर्शन और शिया विद्वान एवं ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के उपाध्यक्ष मौलाना कल्बे सादिक की लखनऊ में हुयी मुलाक़ात में दोनों ने जो कुछ कहा वह देशहित और जनहितमें था लेकिन मात्र इतनी सी बात मे कौम और मज़हब के ठेकेदारों को […] Read more » जनहित देशहित सुदर्शन-सादिक़ की मुलाकात
व्यंग्य फेमस होने के लिए लोग क्या – क्या नहीं करते ? November 6, 2011 / December 5, 2011 by राजीव गुप्ता | 1 Comment on फेमस होने के लिए लोग क्या – क्या नहीं करते ? राजीव गुप्ता फेमस होने के लिए लोग क्या – क्या नहीं करते ? तथाकथित राजनेताओं पर वोट बटोरने का ऐसा बुखार चढ़ जाता है कि उन्हें सारी हदें पार करने से भी कोई गुरेज नहीं होता ! परिणामतः वो हल्की राजनीति करने पर उतर आते है ! जान बूझकर कश्मीर जैसे अत्यंत संवेदनशील मुद्दों पर […] Read more » being famous पाकिस्तान फेमस राजनेताओं संवेदनशील मुद्दों
व्यंग्य महंगाई की चिता November 5, 2011 / December 5, 2011 by राजकुमार साहू | Leave a Comment राजकुमार साहू हम अधिकतर कहते-सुनते रहते हैं कि चिंता व चिता में महज एक बिंदु का फर्क है। देश की करोड़ों गरीब जनता, महंगाई की आग में जल रही है और उन्हें चिंता खाई जा रही है। वे इसी चिंता में दुबले हुए जा रहे हैं। महंगाई के कारण ही कुपोषण ने भी उन्हें घेर […] Read more » महंगाई महंगाई की चिता
व्यंग्य राहुल जी को भी आता है गुस्सा November 3, 2011 / November 3, 2011 by राजकुमार साहू | Leave a Comment राजकुमार साहू मुझे अभी-अभी पता चला कि हमारे भावी प्रधानमंत्री कहे जाने वाले युवराज को भी गुस्सा आता है। इससे पहले मैं तो इतना ही जानता था कि वे शांत व सौम्य व्यक्तित्व के धनी हैं। उनमें कई खूबियां हैं, वे गरीबों के घर भोजन करने से परहेज नहीं करते। गरीबों की दाल-रोटी उन्हें खूब […] Read more » राहुल गांधी
व्यंग्य किसे कराएं पीएचडी ? November 3, 2011 / December 5, 2011 by राजकुमार साहू | Leave a Comment राजकुमार साहू मुझे पता है कि देश में संभवतः कोई विषय ऐसा नहीं होगा, जिस पर अब तक पीएचडी ( डॉक्टर ऑफ फिलास्फी ) नहीं हुई होगी। कई विषय तो ऐसे हैं, जिसे रगडे पर रगड़े जा रहे हैं। कुछ समाज के काम आ रहे हैं तो कुछ कचरे की टोकरी की शोभा बढ़ा रहे […] Read more » phD किसे कराएं पीएचडी
व्यंग्य निंदा की प्रशंसा October 31, 2011 / December 5, 2011 by पंडित सुरेश नीरव पंडित सुरेश नीरव निंदा जिंदा मनुष्य की ऐसी आनंददायक क्रीड़ा है जिस का लुत्फ वो मरते दम तक पूरे उत्साह से उठाना चाहता है। अफसोस है कि मरे लोग इसका आनंद नहीं उठ Read more »
व्यंग्य वेलकम टु न्यू यमराज ऑफ इंडिया! October 31, 2011 / December 5, 2011 by अशोक गौतम | 1 Comment on वेलकम टु न्यू यमराज ऑफ इंडिया! अशोक गौतम जिन जिन ने सरकार को सरकार बनाने में मदद की थी सरकार ने जनता के प्रति ईमानदार रहने की शपथ खाने के बाद सबसे पहले उनको ठीक ठीक जगह फिट कर अपने वचन का पालन किया ताकि उनका तो कम से कम सरकार पर विश्वास बना रहे। इस प्रकार सरकार में कोई आठ […] Read more » yamraj यमराज
व्यंग्य गिफ्ट संस्कृति के छिपे रहस्य October 29, 2011 / December 5, 2011 by अविनाश वाचस्पति अविनाश वाचस्पति दीवाली के नाम पर दिवाला दिलवालों का निकलता है। सेल के नाम पर बचा खुचा सब माल गोदामों से निकल जाता है। सब छूट से खिंचे चले आते हैं और सेल में सारा माल ऐसे निपट जाता है, मानो फ्री में बंट रहा हो। यह तो नेताओं का असर है कि देकर छूट […] Read more » गिफ्ट संस्कृति रहस्य
व्यंग्य आओ पीएम बनने के लिए दौड़ लगायें October 28, 2011 / December 5, 2011 by अविनाश वाचस्पति | 1 Comment on आओ पीएम बनने के लिए दौड़ लगायें अविनाश वाचस्पति पी एम को बदल डालने की सुगबुगाहटें तेज हो गई हैं। पहले नेपथ्य में तो चल रही थीं परंतु अब सामने हैं। सुगबुगाहट से अधिक यह चिंगारी शोला बन भड़क चुकी है। प्रिंट मीडिया और चैनलों पर अफरा तफरी का माहौल है। लेने वाले तफरीह ले रहे हैं इसलिए हम भी तफरी को […] Read more » Prime Minister पीएम