व्यंग्य ये गया कि वो गया!! January 3, 2012 / January 3, 2012 by अशोक गौतम | Leave a Comment सारी रात रजाई में दुबक टमाटर की आरती गाते रहने के बाद ब्रह्म मुहूर्त में प्याज चालीसा पढ़ रहा था कि एकाएक दरवाजे पर ठक्- ठक् हुई। पड़ोसी ही होगा! आ गया होगा नए साल की मुबारकबाद देने के बहाने खाली कटोरी बजाता। इसे तो बस मांगने का कोई बहाना चाहिए। प्याज चालीसा पढ़ना बंद […] Read more » satire by Ashok Gautam व्यंग्य-ये गया कि वो गया
व्यंग्य व्यंग्य / लोकपाल विधेयक : पजामे से चड्डी तक December 28, 2011 / December 28, 2011 by विजय कुमार | 6 Comments on व्यंग्य / लोकपाल विधेयक : पजामे से चड्डी तक विजय कुमार पजामा एक वचन है या बहुवचन, स्त्रीलिंग है या पुल्लिंग, उर्दू का शब्द है या हिन्दी का, इसका प्रचलन भारत में कब, कहां, कैसे और किसने किया; इस विषय की चर्चा फिर कभी करेंगे। आज तो शर्मा जी के पजामे की चर्चा करना ही ठीक रहेगा। बात उस समय की है, जब शर्मा […] Read more » lokpal लोकपाल
व्यंग्य व्यंग : किसानों को आत्महत्योपरांत सम्मानित किया जाए December 28, 2011 / December 28, 2011 by अविनाश वाचस्पति | 1 Comment on व्यंग : किसानों को आत्महत्योपरांत सम्मानित किया जाए अविनाश वाचस्पति किसान परेशान होकर आत्महत्या कर रहा है। नेता बेईमान काले धन से लिपट रहा है। मेरा देश महान फिर भी महान है। किसान आत्महत्या कर रहे हैं, यह उनका दोष है। खेती करो, फिर खेती में नुकसान हो तो किसने कहा है कि आत्महत्या करो। जैसे खेती आपने किसी से पूछ कर नहीं […] Read more » faemer suicides आत्महत्या किसान
व्यंग्य महाअनादरणीयः माननीय December 23, 2011 / December 23, 2011 by पंडित सुरेश नीरव | Leave a Comment पंडित सुरेश नीरव सिर्फ आदमी का ही मुकद्दर नहीं होता। आदमी की मुकद्दर की इबारत लिखनेलाले लफ्जों का भी मुकद्दर होता है। कल तक जो शब्द हमारी जिंदगी के अभयारण्य में शेर की तरकह दहाड़ा करते थे आज वक्त के म्यूजियम में मसाला भरे शेरों की तरह वह खड़े और पड़े हुए हैं। बड़े-तो-बड़े जिन्हें […] Read more » Satire suresh neerav महाअनादरणीय माननीय
व्यंग्य गरीब दर्शन December 19, 2011 / December 19, 2011 by विजय कुमार | 1 Comment on गरीब दर्शन विजय कुमार युवराज पिछले काफी समय से बोर हो रहे थे। महारानी जी बीमारी में व्यस्त थीं, तो राजकुमारी अपनी घर-गृहस्थी में मस्त। युवराज की बचकानी हरकतों से दुखी होकर बड़े सरदारों ने भी उन्हें पूछना बंद कर दिया था। युवराज की यह बेचैनी उनके चमचों से नहीं देखी जाती थी। एक बार वे उन्हें […] Read more »
व्यंग्य स्वदेशी स्वाभिमानी का निर्मल बयान December 17, 2011 / December 17, 2011 by पंडित सुरेश नीरव | 1 Comment on स्वदेशी स्वाभिमानी का निर्मल बयान पंडित सुरेश नीरव पश्चिमी सभ्यता ने उजाड़कर रख दिया है हमारी संस्कृति को। कोई पार्टी,कोई जश्न बिना शराब के होता ही नहीं है। लगता है पहले तो कोई तीज-त्योहार मनते ही नहीं होंगे। सालों-साल ड्राई डे ही ड्राई डे रहा करते होंगे। गांधीजी ने अंग्रेजों से कहा कि भारत छोड़ो। उन्होंने भी बापू की रिसपेक्ट […] Read more » Satire स्वदेशी स्वाभिमानी
व्यंग्य खुशवंत जी ने पता लगाया सरदारों पर क्यों बनते हैं चुटकुले? December 16, 2011 / December 16, 2011 by इक़बाल हिंदुस्तानी | 1 Comment on खुशवंत जी ने पता लगाया सरदारों पर क्यों बनते हैं चुटकुले? इक़बाल हिंदुस्तानी मनमोहन सिंह को लेकर उनकी राय से पक्षपात सामने आया! सबसे पहले यह स्पश्ट करदूं कि मैं इस बात के व्यक्तिगत रूप से खिलाफ हूं कि चुटकुले सरदारों या किसी भी वर्ग या जाति पर बनाये जायें। मैं यह भी उतना ही गलत मानता हूं कि किसी की अच्छाई या बुराई हम उसके […] Read more » jokes on Manmohan Singh jokes on sikhs writer Khuswant Singh खुशवंत जी सरदारों पर क्यों बनते हैं चुटकुले
व्यंग्य हास्य-व्यंग्य/आज मौसम बड़ा बेईमान है December 14, 2011 / December 14, 2011 by पंडित सुरेश नीरव | Leave a Comment पंडित सुरेश नीरव हमें गर्व है कि हमारे देश की सरकारी घोषणाएं और सरकारी मौसमविभाग की गैरसरकारी भविष्यवाणियां आजतक कभी सही नहीं निकलीं। जिसने भी इनकी बातों को सीरियसली लिया वही अर्जेटली दुखी हुआ। कल एक माननीय सब्जीवाले को जब हमने बताया कि वित्तमंत्री ने संसद में बयान दिया है कि महंगाई पिछले वित्तवर्ष के […] Read more » भ्रष्टाचार महंगाई
व्यंग्य एफ डी आई यानि फेयर डील फार इण्डिया December 9, 2011 / December 9, 2011 by जगमोहन ठाकन | Leave a Comment जग मोहन ठाकन बुजुर्गों का मानना है कि सरकार माई-बाप होती है। मां-बाप कभी अपनी संतान का बुरा नहीं सोचते। और फिर कांग्रेस सरकार तो उस गांधी के नाम पर सत्ता सुख भोगती आ रही है ,जिसके बंदर तक बुरा बोलना, बुरा देखना,यहां तक कि बुरा सोचना भी निषेध मानते हैं । पर क्या करें […] Read more » FDI एफ डी आई फेयर डील फार इण्डिया
व्यंग्य अन्ना शादीशुदा होते तो सरकार अब तक उनको झुका लेती! December 8, 2011 / December 8, 2011 by इक़बाल हिंदुस्तानी | 1 Comment on अन्ना शादीशुदा होते तो सरकार अब तक उनको झुका लेती! इक़बाल हिंदुस्तानी कांग्रेस भ्रष्टाचार की बजाये अन्ना से क्यों लड़ रही है ? अन्ना के 11 दिसंबर के सांकेतिक आंदोलन से घबराई सरकार इस बार बताते हैं अपने चमचों से 10 दिसंबर से जंतर मंतर पर उनके खिलाफ जवाबी आंदोलन कराने की घटिया कवायद पर उतर आई है। कांग्रेस और यूपीए सरकार यह भूल रही […] Read more » anna married अन्ना शादीशुदा होते तो कांग्रेस भ्रष्टाचार
व्यंग्य गांधी परिवार दुनिया में सबसे अच्छा है । December 7, 2011 / December 7, 2011 by डब्बू मिश्रा | 7 Comments on गांधी परिवार दुनिया में सबसे अच्छा है । हां हां … हां भई हां. …. हमारे देश का गांधी परिवार जैसा बहतरीन परिवार पूरी दुनिया में नही मिलेगा । मैं कपिल सिब्बल की इस बात से पूरी तरह से सहमत हूँ की देश में किसी भी जगह … किसी भी तरह से गांधी परिवार के विरूद्ध कोई बात नही कहना चाहिये । हमारे […] Read more » gandhi family Sonia Gandhi is the best कपिल सिब्बल राहुल गांधी सोनिया गांधी
व्यंग्य डर्टी पिक्च्र ऊ ला ला ऊर्फ बावरी मस्जिद राम लला December 7, 2011 / December 7, 2011 by अविनाश वाचस्पति | Leave a Comment अविनाश वाचस्परति डर्टी की पॉवर बहुत ज्याऊदा है, गंदगी का ट्री बहुत घना है। मन पर विचारों का कोहरा जमा है। बावरी मस्जिद का मसला पुराना नहीं पड़ा है। कभी भी कहीं भी कुछ भी हो सकता है। प्रत्येरक मन पर इसकी ही छाया है। यह सब बुराईयों की ही माया है। डर्टी अलग नहीं […] Read more » dirty picture डर्टी पिक्च्र बावरी मस्जिद राम लला