व्यंग्य व्यंग्य/ जाओ! जमकर हुड़दंग पाओ!! February 7, 2011 / December 15, 2011 by अशोक गौतम | Leave a Comment अशोक गौतम ज्यों ही दूरदर्शन ने मौसम विभाग की ओर से जानकारी दी कि अबके वसंत सही समय पर आ रहा है जिससे जनता में निरंतर गिर रहे प्रेम की रेपोदर में धुआंधार वृद्धि होने की पूरी आशंका है तो सरकार की बांछें खिल गईं। वह खुश थी कि चलो उसके राज में कुछ तो […] Read more »
व्यंग्य व्यंग्य/पुलिस के डंडे का नागरिक-अभिनन्दन February 3, 2011 / December 15, 2011 by गिरीश पंकज | Leave a Comment गिरीश पंकज हे पुलिसजी के डंडे…. आपको दूर से नमन. आप जैसे तेलपीऊ-डंडे ने इस देश की जो सिरतोड़-फोड़ सेवा की है, उसके आगे हमसब नतमस्तक है.इस डंडे को धारण करने वाली वर्दी को देख कर उसका काफिया वर्दी… बेदर्दी. गुंडागर्दी से भी मिला दिया जाता है. वैसे यह गलत है, अन्याय है. डंडे का […] Read more » police torture पुलिस के डंडे का नागरिक-अभिनन्दन
व्यंग्य व्यंग्य/ हे गण, न उदास कर मन!! January 26, 2011 / December 16, 2011 by अशोक गौतम | 1 Comment on व्यंग्य/ हे गण, न उदास कर मन!! अशोक गौतम गण उठ, महंगाई का रोना छोड़। महंगाई का रोना बहुत रो लिया। पहले मां बच्चे को रोने से पहले खुद दूध देती थी। तब देश में लोकतंत्र नहीं था। अब समय बदल गया है। बच्चा रोता है तो भी मां उसे दूध देने के लिए सौ नखरे करती है। मां और तंत्र को […] Read more » vyangya व्यंग्य
व्यंग्य यात्रा-संस्मरण/ इजिप्त की सैर- पिरामिडों के देश में January 26, 2011 / December 16, 2011 by पंडित सुरेश नीरव | 2 Comments on यात्रा-संस्मरण/ इजिप्त की सैर- पिरामिडों के देश में पंडित सुरेश नीरव विश्वप्रसिद्ध पिरामिडों,ममियों और विश्व सुंदरी नेफरीतीती और क्लियोपेट्रा के देश इजिप्त के लिए 11जनवरी2011 को गल्फ एअर लाइंस की फ्लाइट से हम लोग बेहरीन के लिए दिल्ली से सुबह 5.30 बजे की फ्लाइट से रवाना हुए। इजिप्त की राजधानी केरों पहुंचने के लिए बेहरीन से दूसरी फ्लाइट लेनी होती है। जोकि पूरे […] Read more » Yatra sansmaran यात्रा-संस्मरण
राजनीति व्यंग्य वामपंथियों की उल्टी दुनिया January 17, 2011 / December 16, 2011 by विजय कुमार | 3 Comments on वामपंथियों की उल्टी दुनिया विजय कुमार अयोध्या प्रकरण पर सत्य के पक्ष में निर्णय आने पर कुछ दिन चुप रहकर अपनी आदत से मजबूर वामपंथी फिर वही उल्टा बाबरी राग गाने लगे। तब से मैं इनकी जन्मकुंडली का अध्ययन कर रहा हूं। बचपन में जब मेरा परिचय कम्यूनिस्ट शब्द से हुआ, तो मैं इन्हें पशु समझता था; पर फिर […] Read more » Left वामपंथ
व्यंग्य पैसे की भाषा December 25, 2010 / December 18, 2011 by विजय कुमार | Leave a Comment विजय कुमार इन दिनों शादी-विवाह का मौसम है। जिधर देखो उधर ‘आज मेरे यार की शादी है’ की धुन पर नाचते लोग मिल जाते हैं। कुछ लोगों को इस शोर या सड़क जाम होने से परेशानी होती है; पर वे यह सोच कर चुप रहते हैं कि अपनी जवानी में उन्होंने भी यही किया था। […] Read more » Money पैसे
व्यंग्य यूपीए सरकार और भ्रष्टाचार December 24, 2010 / December 18, 2011 by पंडित सुरेश नीरव | 3 Comments on यूपीए सरकार और भ्रष्टाचार पंडित सुरेश नीरव यूपीए सरकार और भ्रष्टाचार एक-दूसरे के अभिन्न पूरक त्तव हैं। जैसे हायड्रोजन और ऑक्सीजन के मिलने से पानी बनता है वैसे ही है इनका अटूट मिलन। और जैसे पानी की रासायनिक सरंचना में से हायड्रोजन और ऑक्सीजन में से किसी एक को अलग करने पर पानी पानी नहीं रहता बल्कि पानी शर्म […] Read more » UPA Government भ्रष्टाचार यूपीए सरकार
व्यंग्य व्यंग्य: वर्तमान परिदृश्य December 24, 2010 / December 18, 2011 by विजय कुमार | Leave a Comment विजय कुमार बहुत पुरानी बात है। एक रानी के दरबार में राजा नामक एक मुंहलगा दरबारी था। रानी साहिबा मायके संबंधी किसी मजबूरी के चलते गद्दी पर बैठ नहीं सकीं। बेटा छोटा और अनुभवहीन था, इसलिए उन्होंने अपने एक विश्वासपात्र सरदार को ही गद्दी पर बैठा दिया। वे उस राज्य को महारानी की कृपा समझ […] Read more » vyangya व्यंग्य
व्यंग्य व्यंग्य/ चातक वैष्णव प्याज पुकारे December 24, 2010 / December 18, 2011 by अशोक गौतम | Leave a Comment अशोक गौतम उनकी पार्टी के बीसियों समाज सेवकों के पास बीसियों धक्के खाने के बाद बड़ी मुश्किल से अपनी चिंता पर उनकी चिंता व्यक्त करा अपनी चिंता से मुक्त होने के लिए उनके दरबार में हाजिर हुआ तो देखता क्या हूं कि वे तो चिंताओं से मुझसे भी अधिक शोभायमान हैं। सिर से पांव तक […] Read more » vyangya व्यंग्य
व्यंग्य हास्य-व्यंग्य/ रेडियोएक्टिव साहित्यकार December 22, 2010 / December 18, 2011 by पंडित सुरेश नीरव | Leave a Comment पंडित सुरेश नीरव अपने लपकू चंपक जुगाड़ीजी आजकल रेडियो एक्टिव साहित्यकार हो गए हैं। यूरेनियम-जैसे रेडियो एक्टिव पदार्थ में और रेडियोएक्टिव साहित्यकार में सिर्फ इतना फ़र्क होता है कि रेडियोएक्टिव साहित्यकार हमेशा अपनी दम पर सक्रिय रहता है वहीं रेडियोएक्टिव साहित्यकार सिर्फ रेडियो में नोकरी लगने के बाद ही सक्रिय होता है। और जैसे ही […] Read more » vyangya
व्यंग्य हास्य-व्यंग्य/ निजी कारणों से हुई सरकारी मौत December 17, 2010 / December 18, 2011 by पंडित सुरेश नीरव | Leave a Comment पंडित सुरेश नीरव बांसुरी प्रसादजी ने कभी सोचा भी नहीं होगा कि ज़िंदगीभर चैन की बांसुरी बजानेवाले बांसुरी प्रसाद की मौत सरकार के जी का जंजाल बन जाएगी। संवेदनशील सरकार का एक कलाकार की मौत पर परेशान होना लाजिमी है। और फिर बांसुरी प्रसादजी तो सरकार के बुलाने पर ही लोक-कला-संगीत के जलसे में भाग […] Read more » vyangya व्यंग्य
व्यंग्य व्यंग्य/ किरकिटवा उर्फ किस्सा ए सत्र December 17, 2010 / December 18, 2011 by अशोक गौतम | Leave a Comment अशोक गौतम पहाड़ों से ऊंचे पेड़ों से सूरज पूरी तरह ढका होने के बाद भी जनता के हिस्से की चुराई गुनगुनी धूप का आंनद ले रहा था कि सामने अपने सरकारी प्राइमरी स्कूल में छुट्टियां होने के बाद अपने बेड़े के बच्चे तयशुदा कार्यक्रम के अनुसार गुड्डू मौसी के फटे कुरते की गेंद, छिंबा ताऊ […] Read more » vyangya