महत्वपूर्ण लेख राजनीति ‘आप’, आप और बस ‘आप’ !!! December 19, 2013 / December 22, 2013 by नरेश भारतीय | 5 Comments on ‘आप’, आप और बस ‘आप’ !!! नरेश भारतीय “ व्यवस्थित संसदीय लोकतन्त्र की बजाए ‘आप’ यदि हर मामले पर ‘जनमतसंग्रह’ के लिए ही अड़ती चली जाएगी तो देश में मुद्दों के समाधान कम और नए मुद्दों को अधिक जन्म मिलेगा. व्यवस्था परिवर्तन के दावे के साथ मैदान में उतरी है ‘आप’ तो फिर वर्तमान व्यवस्था को पूरी तरह समझने और समझाने […] Read more »
महत्वपूर्ण लेख समाज क्या, हमारा नामो-निशां मिट जाएगा ? December 12, 2013 / December 12, 2013 by डॉ. मधुसूदन | 6 Comments on क्या, हमारा नामो-निशां मिट जाएगा ? डॉ. मधुसूदन कुटुम्ब संस्था की समाप्ति ही, यूनान और रोम की संस्कृतियाँ मिटाने का एक मूल (?) कारण माना जाता है। यदि हम भी उसी मार्ग पर चले तो फिर हमारा नामो-निशां भी अवश्य मिट जाएगा। आज-कल भारत में, बलात्कार के समाचार कुछ अधिक पढ रहा हूँ, इसलिए, विचारकों और हितैषियों के समक्ष अमरिका के इतिहास […] Read more »
महत्वपूर्ण लेख विविधा हमारा परमोच्च शब्द रचना शास्त्र, भाग–दो November 30, 2013 / November 30, 2013 by डॉ. मधुसूदन | 9 Comments on हमारा परमोच्च शब्द रचना शास्त्र, भाग–दो डॉ. मधुसूदन प्रवेश: आलेख में (१) व्युत्पत्ति, एटीमॉलॉजी से परिचय करेंगे। कुछ प्राकृतें और हिंदी/संस्कृत एवं अंग्रेज़ी के उदाहरण देखेंगे। हमारी शब्द रचना के भी उदाहरण ही दिए जाएंगे। रचना विधि इस आलेख में नहीं समझाई है। सीधे उदाहरण ही दिए हैं। (एक) शब्दमूल हैं संस्कृत के धातु यदि हम हमारे शब्दों के मूल […] Read more »
महत्वपूर्ण लेख मीडिया तोड़ने ही होंगे मठ और गढ़ सब November 29, 2013 / November 29, 2013 by राजीव रंजन प्रसाद | 1 Comment on तोड़ने ही होंगे मठ और गढ़ सब राजीव रंजन प्रसाद तहलका प्रकरण किसी एक व्यक्ति या एक संस्था पर प्रश्नचिन्ह नहीं है। यह गढ़ों और मठों के टूटने की कड़ी में एक और महत्वपूर्ण घटना है। वैचारिक असहिष्णुता और विचारधारात्मक अस्पृश्यता के वातावरण में जब यह घटना घटी तो अनायास ही इसके सम्बन्ध समाजशास्त्र, अर्थशास्त्र और राजनीतिशास्त्र से जुड़ने लगे। एक आम […] Read more »
महत्वपूर्ण लेख राजनीति कांग्रेस और कम्युनिस्टों का छलिया लोकतंत्र November 25, 2013 by राकेश कुमार आर्य | 4 Comments on कांग्रेस और कम्युनिस्टों का छलिया लोकतंत्र राकेश कुमार आर्य जब लार्ड मैकाले भारत आया था तो यहां की न्याय व्यवस्था, सामाजिक व्यवस्था और आर्थिक व्यवस्था को दखकर दंग रह गया था। उसके आने से पूर्व सदियों से भारत विदशी शासकों की दासता से लड़ रहा था, परंतु अपनी न्याय व्यवस्था, सामाजिक व्यवस्था और आर्थिक व्यवस्था को बचान में वह सफल रहा […] Read more »
महत्वपूर्ण लेख राजनीति अन्ना की जान को खतरा? November 25, 2013 / November 25, 2013 by आर. सिंह | 2 Comments on अन्ना की जान को खतरा? आर. सिंह वे सब लोग जो इस भ्रष्ट व्यवस्था से लाभान्वित हो रहे हैं, अथक प्रयत्न कर रहे हैं कि किसी प्रकार से आम आदमी पार्टी को आगे बढ़ने से रोका जाए. इसमें प्रथन स्थान आता है, उन राजनेताओं का जो भ्रष्टाचार में डूबे रहने के बावजूद अपने बाहुबल और काले धन के बल पर […] Read more »
महत्वपूर्ण लेख मीडिया तहलका युग के मुखौटे November 22, 2013 / November 23, 2013 by राजीव रंजन प्रसाद | 3 Comments on तहलका युग के मुखौटे राजीव रंजन प्रसाद यह तहलका युग है; यहाँ धमाकों पर चर्चा अवश्यम्भावी है। इस देश ने तालियाँ बजा कर उन खुफिया कैमरों की तारीफ की जिसने पैसे लेते हुए बंगारू लक्ष्मण को कैद किया और उनका राजनैतिक जीवन हमेशा के लिये समाप्त कर दिया, जिसने क्रिकेट के चेहरे से नकाब उतारी जिसके बाद जडेजा तथा […] Read more » तरुण तेजपाल
महत्वपूर्ण लेख राजनीति नमो का विरोध आखिर क्यों? November 21, 2013 / November 23, 2013 by विकास कुमार गुप्ता | 22 Comments on नमो का विरोध आखिर क्यों? विकास कुमार गुप्ता प्रजातंत्र में जब सबकुछ जनता को ही तय करना है तब आखिर देशभर के नेता, बुद्धिजीवी, विचारक, समाजसेवी एवं अनेकों प्रकार के लोग आखिर मोदी विरोधी बयान क्यों दे रहे हैं? और यह बयानबाजी जब सात समुन्दर पार अंतर्राष्ट्रीय मीडियाओं द्वारा आने लगे वह भी एक प्रजातांत्रिक देश के लिए तो स्थिति […] Read more » नरेंद्र मोदी
परिचर्चा महत्वपूर्ण लेख सांस्कृतिक राष्ट्रवाद क्या है ? November 21, 2013 / April 9, 2014 by संजीव कुमार सिन्हा | 11 Comments on सांस्कृतिक राष्ट्रवाद क्या है ? ‘फेसबुक’ पर विचारशील चर्चा के उद्देश्य से हमने एक शृंखला की शुरुआत की है। बुद्धिजीवी मित्र इस चर्चा में हिस्सा ले रहे हैं और अपने विचार से सबको लाभान्वित कर रहे हैं। आपसे भी निवेदन है कि इस परिचर्चा में भाग लें, जिससे हम सबके ज्ञानराशि में वृद्धि हो सके। (सं.) वैचारिक प्रबोधनमाला – 3. […] Read more » सांस्कृतिक राष्ट्रवाद
परिचर्चा महत्वपूर्ण लेख परिचर्चा : संस्कृति क्या है ? November 21, 2013 / April 9, 2014 by संजीव कुमार सिन्हा | 3 Comments on परिचर्चा : संस्कृति क्या है ? ‘फेसबुक’ पर विचारशील चर्चा के उद्देश्य से हमने एक शृंखला की शुरुआत की है। बुद्धिजीवी मित्र इस चर्चा में हिस्सा ले रहे हैं और अपने विचार से सबको लाभान्वित कर रहे हैं। आपसे भी निवेदन है कि इस परिचर्चा में भाग लें, जिससे हम सबके ज्ञानराशि में वृद्धि हो सके। (सं.) वैचारिक प्रबोधनमाला – 2. […] Read more »
परिचर्चा महत्वपूर्ण लेख परिचर्चा : राष्ट्र क्या है ? November 15, 2013 / April 9, 2014 by संजीव कुमार सिन्हा | 16 Comments on परिचर्चा : राष्ट्र क्या है ? ‘फेसबुक’ पर विचारशील चर्चा के उद्देश्य से हमने एक शृंखला की शुरुआत की है। इसी निमित्त गत 28 अक्टूबर को हमने एक अवधारणा को सुस्पष्ट करने के लिए मित्रों से निवेदन किया था। कई मित्रों ने इस चर्चा में भाग लिया और अपने विचार रखे। आपसे भी निवेदन है कि इस परिचर्चा में भाग लें, […] Read more »
महत्वपूर्ण लेख समाज आबादी के अनुपात में संतुलन की जरूरत November 13, 2013 / November 13, 2013 by प्रमोद भार्गव | 3 Comments on आबादी के अनुपात में संतुलन की जरूरत प्रमोद भार्गव राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ के सह सरकार्यवाहक दत्तात्रेय होसबले ने हिंदुओं की घटती आबादी पर चिंता जतार्इ है। साथ ही हिंदुओं को ज्यादा बच्चे पैदा करने की सलाह दी है। उनकी इस बात को हिंदु पक्षधरता के दायरे में समेटने की संर्कीण मानसिकता से बचने की जरूरत है। क्योंकि खासतौर से कश्मीर समेत […] Read more » आबादी के अनुपात में संतुलन की जरूरत