आर्थिकी राजनीति विकसित देश भारत के आर्थिक दर्शन को लागू कर अपनी आर्थिक समस्याओं का हल निकाल सकते हैं April 20, 2024 / April 20, 2024 by प्रह्लाद सबनानी | Leave a Comment विश्व के कुछ विकसित देश, विशेष रूप से अमेरिका और ब्रिटेन, भारत को समय समय पर आर्थिक क्षेत्र में अपना ज्ञान प्रदान करते रहे हैं। परंतु, अब विश्व के आर्थिक धरातल पर परिस्थितियां तेजी से बदल रही हैं और भारत की स्थिति इस संदर्भ में बहुत सुदृढ़ होती जा रही है वहीं विकसित देशों की स्थिति लगातार बिगड़ती […] Read more » Developed countries can solve their economic problems by implementing India's economic philosophy.
राजनीति नेताओं के बिगड़े बोल पर सख्ती से नियंत्रण जरूरी April 18, 2024 / April 18, 2024 by ललित गर्ग | Leave a Comment ललित गर्ग लोकसभा चुनाव का प्रचार उग्र से उग्रतर होता जा रहा है। जैसे-जैसे चुनाव की तिथियां नजदीक आती जा रही है, प्रचार-अभियान में नफरती सोच एवं हेट स्पीच का बाजार बहुत गर्म है। राजनीति की सोच ही दूषित एवं घृणित हो गयी है। नियंत्रण और अनुशासन के बिना राजनीतिक शुचिता एवं आदर्श राजनीतिक मूल्यों […] Read more » नेताओं के बिगड़े बोल
आर्थिकी राजनीति भारत का विदेशी मुद्रा भंडार एक लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर के स्तर को छू सकता है April 18, 2024 / April 18, 2024 by प्रह्लाद सबनानी | Leave a Comment वर्ष 1991 में भारत के पास केवल 100 करोड़ अमेरिकी डॉलर का विदेशी मुद्रा भंडार बच गया था जो केवल 15 दिनों के आयात के लिए ही पर्याप्त था। वहीं, आज भारत का विदेशी मुद्रा भंडार लगभग 65,000 करोड़ अमेरिकी डॉलर के स्तर पर पहुंच गया है एवं यह पूरे एक वर्ष भर के आयात के लिए पर्याप्त है। आज भारत विदेशी मुद्रा भंडार […] Read more » भारत का विदेशी मुद्रा भंडार
आर्थिकी राजनीति वित्तीयवर्ष 2023-24 में भारत का व्यापार घाटा 36 प्रतिशत कम हुआ April 17, 2024 / April 17, 2024 by प्रह्लाद सबनानी | Leave a Comment विदेशी व्यापार के क्षेत्र में भारत के लिए एक बहुत अच्छी खबर आई है। वित्तीय वर्ष 2023-24 के दौरान भारत के व्यापार घाटे में 36 प्रतिशत की कमी दर्ज हुई है। यह विशेष रूप से भारत में आयात की जाने वाली वस्तुओं एवं सेवाओं में की गई कमी के चलते सम्भव हो सका है। केंद्र सरकार लगातार पिछले 10 वर्षों से यह प्रयास करती रही है कि भारत न केवल विनिर्माण के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बने बल्कि विदेशों से आयात की जाने वाली वस्तुओं का उत्पादन भी भारत में ही प्रारम्भ हो। अब यह सब होता दिखाई दे रहा है क्योंकि भारत के आयात तेजी से कम हो रहे हैं एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर, रूस-यूक्रेन युद्ध, इजराईल-हम्मास युद्ध, लाल सागर व्यवधान, पनामा रूट पर दिक्कत के साथ ही वैश्विक स्तर पर मंदी के बावजूद एवं विभिन्न देशों की अर्थव्यवस्थाओं के हिचकोले खाने के बावजूद भारत से वस्तुओं एवं सेवाओं के निर्यात में मामूली बढ़ौतरी दर्ज हुई है। जिसका स्पष्ट प्रभाव भारत के व्यापार घाटे में आई 36 प्रतिशत की कमी के रूप में दृष्टिगोचर हो रहा है। भारत का कुल व्यापार घाटा वित्तीय वर्ष 2022-23 के 12,162 करोड़ अमेरिकी डॉलर की तुलना में कम होकर वित्तीय वर्ष 2023-24 में 7,812 करोड़ अमेरिकी डॉलर हो गया है। वित्तीय वर्ष 2023-24 के दौरान भारत में वस्तुओं का कुल आयात 67,724 करोड़ अमेरिकी डॉलर का रहा है जो वित्तीय वर्ष 2022-23 के 71,597 करोड़ अमेरिकी डॉलर की तुलना में 5.41 प्रतिशत कम है। जबकि वस्तुओं के कुल निर्यात वित्तीय वर्ष 2023-24 में पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में मामूली 3.11 प्रतिशत गिरकर 43,706 करोड़ अमेरिकी डॉलर के रहे हैं। देश के कुल निर्यात एवं आयात के बीच के अंतर को व्यापार घाटा कहा जाता है। वित्तीय वर्ष 2023-24 के दौरान देश में वस्तुओं के निर्यात एवं आयात के अंतर का व्यापार घाटा 24,017 करोड़ अमेरिकी डॉलर का रहा है। परंतु, यदि वस्तुओं के निर्यात एवं आयात के आंकड़ों में सेवाओं के निर्यात एवं आयात के आंकड़े भी जोड़ दिए जाएं तो स्थिति बहुत अधिक सुधर जाती है। भारत से वस्तुओं एवं सेवाओं का कुल निर्यात वित्तीय वर्ष 2023-24 में पिछले वर्ष के उच्चत्तम रिकार्ड स्तर से भी आगे बढ़कर 77,668 करोड़ अमेरिकी डॉलर का हो गया है, यह वित्तीय वर्ष 2022-23 में 77,640 करोड़ अमेरिकी डॉलर का रहा था। इसमें वित्तीय वर्ष 2023-24 के दौरान किया गया सेवाओं का निर्यात, जो 3.5 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज करते हुए 33,962 करोड़ अमेरिकी डॉलर का रहा है, भी शामिल है। वित्तीय वर्ष 2023-24 के दौरान भारत से निर्यात होने वाली वस्तुओं में विशेष रूप से इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों, औषधियों एवं इंजीनीयरिंग वस्तुओं का अच्छा प्रदर्शन रहा है। इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों का निर्यात वित्तीय वर्ष 2022-23 के 2,355 करोड़ अमेरिकी डॉलर की तुलना में वित्तीय वर्ष 2023-24 के दौरान 2,912 करोड़ अमेरिकी डॉलर का रहा है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 23.64 प्रतिशत अधिक है। इसी प्रकार, दवाओं एवं औषधियों का निर्यात भी 9.67 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज करते हुए वित्तीय वर्ष 2022-23 के 2,539 करोड़ अमेरिकी डॉलर की तुलना में बढ़कर वित्तीय वर्ष 2023-24 में 2,785 करोड़ अमेरिकी डॉलर का हो गया है। साथ ही, इंजीनीयरिंग वस्तुओं का निर्यात भी 2.13 प्रतिशत की वृद्धि के साथ वित्तीय वर्ष 2023-24 में 10,932 करोड़ अमेरिकी डॉलर के स्तर को पार कर गया है। कुल मिलाकर, भारत से वित्तीय वर्ष 2023-24 के दौरान निर्यात में वृद्धि इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद, दवाएं एवं चिकित्सा, इंजीनियरिंग उत्पादों, लौह अयस्क (वृद्धि दर 117.74 प्रतिशत), सूती धागा (यार्न एवं फैब्रिक में वृद्धि दर 6.71 प्रतिशत), फल एवं सब्जी (वृद्धि दर 13.86 प्रतिशत), तम्बाकू (19.46 प्रतिशत), मांस, डेयरी और पौलट्री उत्पाद (12.34 प्रतिशत), अनाज एवं विविध प्रसंस्कृत वस्तुएं (8.96 प्रतिशत), मसाला (12.30 प्रतिशत), तिलहन (7.43 प्रतिशत), आयल मील्स (7.01 प्रतिशत), हथकरघा उत्पाद एवं सेरेमिक उत्पाद तथा कांच के बर्तनों (14.44 प्रतिशत) के निर्यात के चलते सम्भव हो सकी है। साथ ही, यह वित्तीय वर्ष 2023-24 के दौरान भारत के प्रमुख निर्यात बाजार में अमेरिका, यूनाइटेड अरब अमीरात, यूरोपीयन यूनियन देशों, ब्रिटेन, सिंगापुर, मलेशिया, बांग्लादेश, नीदरलैंड, चीन व जर्मनी जैसे देशों के शामिल होने से भी सम्भव हो सका है। वैश्विक स्तर पर भू-राजनीतिक तनाव के चलते भी विशेष रूप से मार्च 2024 माह में तो भारत से वस्तुओं का निर्यात वित्तीय वर्ष 2023-24 में अपने उच्चत्तम स्तर 4,168 करोड़ अमेरिकी डॉलर का रहा है, जबकि वस्तुओं के आयात मार्च 2024 माह में 5.98 प्रतिशत की कमी दर्ज करते हुए हुए 5,728 करोड़ अमेरिकी डॉलर पर नीचे आ गए हैं। इस प्रकार मार्च 2024 माह में वस्तुओं का व्यापार घाटा लगातार कम होकर केवल 1,560 करोड़ अमेरिकी डॉलर का रह गया है। इसकी पूर्ति सेवाओं के क्षेत्र से निर्यात में हो रही लगातार बढ़ौतरी से सम्भव हो रही है। अब तो सम्भावना व्यक्त की जा रही है कि वित्तीय वर्ष 2024-25 में भारत कुल विदेश व्यापार में आधिक्य की स्थिति भी हासिल कर ले। वस्तुओं एवं सेवाओं के निर्यात में वृद्धि के साथ एवं वस्तुओं एवं सेवाओं के आयात में लगातार हो रही कमी के चलते यह सम्भव हो सकता है। वित्तीय वर्ष 2023-24 के दौरान भारत के कुल व्यापार घाटे (वस्तुओं एवं सेवाओं को मिलाकर) में आई भारी कमी के चलते अब यह विश्वास पूर्वक कहा जा सकता है कि आगे आने वाले समय में अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारतीय रुपए की मांग भी बढ़ सकती है और पिछले कई दशकों के दौरान भारतीय रुपए में आ रही लगातार गिरावट को रोककर अब भारतीय रुपया न केवल स्थिर हो जाएगा (वैसे पिछले लगभग एक वर्ष के दौरान भारतीय रुपया 83 रुपए प्रति डॉलर के आसपास लगभग स्थिर तो हो ही चुका है) बल्कि भारतीय रुपए की कीमत भी अंतरराष्ट्रीय बाजार में बढ़ सकती है। भारतीय रुपए की अंतरराष्ट्रीय बाजार में डॉलर के साथ विनिमय दर वर्ष 1982 में 9.46 रुपए प्रति अमेरिकी डॉलर से 31 मार्च 2023 में 82.17 रुपए प्रति अमेरिकी डॉलर हो गई थी। परंतु, पिछले एक वर्ष के दौरान यह विनिमय दर लगभग स्थिर ही रही है। दूसरे, अब कई देश भारत के साथ विदेशी व्यापार को रुपए एवं उन देशों की स्वयं की मुद्रा में करने को सहमत हो रहे हैं। जिसके कारण भारत एवं इन देशों के बीच होने वाले विदेशी व्यापार का भुगतान करने हेतु अमेरिकी डॉलर की आवश्यकता कम होगी, बल्कि भारतीय रुपए में ही भुगतान सम्भव हो सकेगा। इस प्रकार के व्यवहार यदि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न देशों के बीच बढ़ते हैं तो विश्व में विडालरीकरण की प्रक्रिया को भी गति मिल सकती है। भारतीय रुपए में व्यापार करने हेतु रूस, सिंगापुर, ब्रिटेन, मलेशिया, इंडोनेशिया, हांगकांग, संयुक्त अरब अमीरात, कुवैत, ओमान, कतर सहित लगभग 32 देशों ने भारत के साथ समझौता किया है एवं भारतीय रिजर्व बैंक के साथ अपना वोस्ट्रो खाता भी खोल लिया है ताकि इन देशों को भारत के साथ किए जाने वाले विदेशी व्यवहारों के निपटान को भारतीय रुपए में करने में आसानी हो सके। प्रहलाद सबनानी Read more »
राजनीति भारत की बेमिसाल विरासत से दुनिया स्तंभित April 17, 2024 / April 17, 2024 by ललित गर्ग | Leave a Comment विश्व विरासत दिवस- 18 अप्रैल, 2024– ललित गर्ग –मानव सभ्यता के इतिहास और विरासत को एक साथ सम्मान देने के लिए हर साल 18 अप्रैल को विश्व विरासत दिवस मनाया जाता है। यह दिन दुनिया भर की विभिन्न संस्कृतियों को प्रोत्साहित करने, सांस्कृतिक, धार्मिक, ऐतिहासिक स्मारकों और स्थलों के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने […] Read more » The world is shocked by the unmatched heritage of India विश्व विरासत दिवस- 18 अप्रैल
राजनीति पूरी दुनिया में तेजी से फैल रहा है सनातन हिंदू धर्म April 16, 2024 / April 16, 2024 by प्रह्लाद सबनानी | Leave a Comment पूरे विश्व में आज विभिन्न देशों के नागरिकों में शांति का अभाव दिखाई दे रहा है एवं परिवार के सदस्यों के बीच भी भाईचारे की कमी दिखाई दे रही है। शादी के तुरंत बाद तलाक लेना तो जैसे आम बात हो गई है, आज कई विकसित देशों में तलाक की दर 60 प्रतिशत से भी अधिक है। बुजुर्ग […] Read more » Sanatan Hindu religion is spreading rapidly all over the world पूरी दुनिया में तेजी से फैल रहा है सनातन हिंदू धर्म
राजनीति भीम मीम के अंतर्तत्व को समझें समाज बंधु April 15, 2024 / April 15, 2024 by प्रवीण गुगनानी | Leave a Comment प्रवीण गुगनानी डॉक्टर भीमराव रामजी अम्बेडकर यानि बाबा साहेब केवल किसी एक समुदाय या जाति विशेष में व्याप्त रूढ़ियों, कुरीतियों और बुराइयों हेतु ही चिंतित नहीं थे। बाबा साहेब। समूचे भारत के सभी वर्गों में व्याप्त सामाजिक कुरीतियों के उन्मूलन हेतु प्रयासरत रहते थे। इस नाते ही वे मुस्लिम समुदाय में व्याप्त कुरीतियों के प्रति […] Read more » Samaj brothers should understand the essence of Bhim Meem. भीम मीम के अंतर्तत्व
राजनीति मर्यादा लांघती राजनीतिक़ बयानबाजी April 15, 2024 / April 15, 2024 by सुरेश हिन्दुस्थानी | Leave a Comment सुरेश हिन्दुस्तानी देश में लोकसभा चुनाव की तैयारियों के बीच राजनीतिक दलों में बयानों की आंधी सी चल रही हैं। ऐसे में सभी राजनीतिक दल अपने आपको आम जनता का हितैषी सिद्ध करने का प्रचार कर रहे हैं। इन बयानों में कहीं कहीं राजनीति की मर्यादा का भी उल्लंघन भी होता दिख रहा है। चुनाव […] Read more » Political statements crossing limits
आर्थिकी राजनीति मोदी 3 की आर्थिक चुनौतियाँ April 15, 2024 / April 15, 2024 by शिवेश प्रताप सिंह | Leave a Comment – शिवेश प्रताप पिछले कुछ समय से तमाम अंतरराष्ट्रीय आर्थिक पंडितों को धता बताते हुए भारत, वैश्विक अपेक्षाओं से भी उत्कृष्ट प्रदर्शन कर रहा है। इसी के फलस्वरुप पूरी दुनिया अब भारत को निर्विवाद रूप से सबसे तेजी से प्रगति करने वाली अर्थव्यवस्था मान चुकी है। इसी क्रम में भारत विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने के बाद तेजी से चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है। परंतु इसी के साथ अपने प्रतिस्पर्धी एवं पड़ोसी देश चीन के साथ अपनी तुलना करने पर हमें कुछ कठोर यथार्थ का भी सामना करना पड़ता है। आज नहीं तो कल वैश्विक मंच पर चीन को पछाड़ने के लिए हमें ऐसे कठोर यथार्थ को स्वीकार करते हुए उन सभी मुद्दों पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है जहां हम चीन से पीछे रह गए हैं। एक और जहां चीन का प्रति कैपिटा इनकम 12000 अमेरिकी डॉलर से अधिक है वहीं दूसरी ओर भारत का प्रति कैपिटा इनकम मात्र 2200 अमेरिकी डॉलर है। एक तरफ चीन ने अपने देश से गरीबी का उन्मूलन कर दिया है तो वहीं दूसरी ओर भारत में गरीबी एक यक्ष प्रश्न है। देश की आजादी के समय भारत की स्थिति चीन से काफी बेहतर थी, परंतु भारत के अर्थव्यवस्था के विकास में हुई कुछ भारी गलतियों के कारण हम चीन से विकास की रफ्तार में बहुत पीछे छूट गए थे जिसे पिछले 10 वर्षों के कार्यकाल में सरकार के अथक प्रयासों के बलपर बदतर होने से रोकते हुए सुधारों की प्रक्रिया प्रारम्भ हो पाई है और दुनिया उसके प्रारंभिक रुझान कुछ समय से देख रही है। परन्तु मोदी-3 के लिए भी आर्थिक मोर्चे पर चुनौतियाँ कम नहीं […] Read more » Economic challenges of Modi 3 मोदी 3 की आर्थिक चुनौतियाँ
राजनीति राम मंदिर और संघ की राष्ट्रवादी चिंतनधारा April 15, 2024 / April 15, 2024 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment 17 मार्च 2024 को नागपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक संपन्न हुई। जिसमें एक प्रस्ताव राम मंदिर निर्माण के संदर्भ में पारित किया गया।इस प्रस्ताव में राम मंदिर निर्माण के बाद अयोध्या में संपन्न हुए प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम की सराहना करते हुए कहा गया कि श्री अयोध्या धाम में […] Read more » Ram Mandir and Sangh's nationalist ideology
राजनीति जनसाधारण को समर्पित है भाजपा का संकल्प पत्र April 15, 2024 / April 15, 2024 by डॉ. सौरभ मालवीय | Leave a Comment -डॉ. सौरभ मालवीयप्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने अपने व्यक्तित्व एवं कृत्तिव से भारतीय राजनीति में अपनी एक ऐसी पहचान स्थापित की है जिसका कोई अन्य उदाहरण दिखाई नहीं दे रहा है। उन्होंने भाजपा को निरंतर दस वर्ष केंद्र की सत्ता में बनाए रखा। भाजपा की प्राय: सभी पुरानी घोषणाओं विशेषकर अयोध्या में राम जन्मभूमि पर […] Read more » BJP's resolution letter is dedicated to the common people
राजनीति चुनाव में व्यक्ति नहीं, मूल्यों की स्थापना का दौर चले April 12, 2024 / April 12, 2024 by ललित गर्ग | Leave a Comment -ललित गर्ग-लोकसभा चुनावों की सरगर्मियां उग्र से उग्रतर होती जा रही है, पहली बार भ्रष्टाचार चुनावी मुद्दा बन रहा है, कुछ भ्रष्टाचार मिटाने की बात कर रहे हैं तो कुछ भ्रष्टाचारियों को बचाने की बात कर रहे हैं। मुसलमान वोटों की राजनीति करने वाले दल अपने घोषणा पत्रों में उनके कल्याण की कोई बात ही […] Read more » Elections should be about the establishment of values