राजनीति देश के लिए अति महत्वपूर्ण 21 सुझाव September 27, 2013 by विनोद बंसल | 1 Comment on देश के लिए अति महत्वपूर्ण 21 सुझाव विनोद बंसल भारत ने अभी हाल ही में अपनी स्वतंत्रता की 66वीं वर्षगांठ तो मना ली किन्तु देशवासियों के मन में अनेक अनुत्तरित् प्रश्न अब भी जैसे के तैसे खडे हैं। क्या सच्चे माइने में हम स्वतंत्र हैं? क्या वर्तमान शासन व्यवस्था वास्तव में जनता द्वारा जनता के लिए है? क्या भारत के प्रत्येक नागरिक […] Read more » देश के लिए अति महत्वपूर्ण 21 सुझाव
राजनीति कांग्रेस के लिए खतरे की घंटी September 27, 2013 / September 27, 2013 by प्रवीण दुबे | Leave a Comment प्रवीण दुवे कोई भी विश्व रिकार्ड यूं ही नहीं बन जाता, यदि विश्व रिकार्ड बना है तो यह न केवल भारतीय जनता पार्टी बल्कि संपूर्ण मध्यप्रदेश के लिए गौरव की बात है। हम चर्चा कर रहे हैं प्रदेश की राजधानी भोपाल के जम्बूरी मैदान में बुधवार को आयोजित भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता महाकुंभ की। […] Read more » कांग्रेस के लिए खतरे की घंटी
राजनीति शिन्दे के रामू शामू ही लोकतंत्र के प्राण हैं- September 27, 2013 by डॉ. कुलदीप चन्द अग्निहोत्री | Leave a Comment -डा० कुलदीप चन्द अग्निहोत्री जब से पूरे भारतवर्ष में नरेन्द्र मोदी के पक्ष में एक लहर से चल निकली है और भारतीय जनता पार्टी ने भी लोकमत का सम्मान करते हुये , लोकसभा के आगामी चुनावों में मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित कर दिया है , तब से सोनिया कांग्रेस के भीतर खलबली […] Read more »
राजनीति राजनीतिक चश्मे से तैयार की गई रिपोर्ट September 27, 2013 by सिद्धार्थ शंकर गौतम | Leave a Comment गुरूवार को पिछड़े राज्यों की नई परिभाषा तय करने के लिए गठित रघुराम राजन समिति की रिपोर्ट सामने आते ही इस पर सियासत शुरू हो गई है। कोई इस रिपोर्ट को इन राज्यों के विकास हेतु अवश्यंभावी बता रहा है तो किसी को रिपोर्ट अगले आम चुनाव से पहले केंद्र सरकार का एक बड़ा राजनीतिक […] Read more » राजनीतिक चश्मे से तैयार की गई रिपोर्ट
राजनीति क्या नैरोबी, पेशावर और मुज़फ़्फ़र नगर में नरेन्द्र मोदी की सरकार है September 26, 2013 by विपिन किशोर सिन्हा | 4 Comments on क्या नैरोबी, पेशावर और मुज़फ़्फ़र नगर में नरेन्द्र मोदी की सरकार है केन्या की राजधानी नैरोबी में एक शापिंग माल में दिनांक २१-९-१३ को दिल दहला देनेवाला आतंकी हमला हुआ। पहले गैरमुस्लिम जनता की पहचान की गई। उन्हें माल में रोक लिया गया। बाकी को सुरक्षित बाहर निकाला गया। फिर रोके गए गैर मुस्लिम समुदाय पर अन्धाधुन्ध फायरिंग की गई। सैकड़ों बेकसूर निहत्थे लोग मारे गए। […] Read more »
राजनीति लमहों ने खता की और…. September 26, 2013 / September 26, 2013 by विजय कुमार | 1 Comment on लमहों ने खता की और…. उर्दू कवि मुजफ्फर रजमी की निम्न पंक्तियां बहुत प्रसिद्ध हैं, जिन्हें लोग बातचीत में प्रायः उद्धृत करते हैं – ये जब्र भी देखा है तारीख की नजरों ने लम्हों ने खता की थी सदियों ने सजा पाई।। जब-जब जम्मू-कश्मीर की वर्तमान दुर्दशा की चर्चा होगी, तब-तब इन पंक्तियों की सार्थकता दिखाई देगी। लोग इन गलतियों […] Read more » लमहों ने खता की और..
राजनीति यह देशद्रोह से कम नहीं September 26, 2013 / September 26, 2013 by डॉ. वेदप्रताप वैदिक | 3 Comments on यह देशद्रोह से कम नहीं वेदप्रताप वैदिक जनरल वी.के. सिंह को बदनाम करने के लिए सरकार ने जब एक गोपनीय रपट को अखबारों में उछलवाया था तो पिछले हफ्ते मैंने लिखा था कि यह सरकार का देशद्रोहपूर्ण कार्य है। उस समय सरकार के बारे में मेरी यह राय कुछ लोगों को काफी कठोर मालूम पड़ रही थी लेकिन अब जबकि […] Read more » यह देशद्रोह से कम नहीं
राजनीति विधि-कानून जम्मू कश्मीर में सेना शिविर हटाने की नई रणनीति September 25, 2013 / September 25, 2013 by डॉ. कुलदीप चन्द अग्निहोत्री | Leave a Comment डा० कुलदीप चन्द अग्निहोत्री जम्मू कश्मीर में पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद अपनी ढलान पर है । श्रीनगर के लाल चौक में किसी कश्मीरी से बात करें तो वह यही कहता है कि अब यहाँ से गन कल्चर जा रहा है और उसके कारण पर्यटक आने शुरु हो गये हैं । मोटे तौर पर राज्य के आतंकवादियों […] Read more » जम्मू कश्मीर में सेना शिविर
राजनीति अति पिछड़ी जातियों की राजनीतिक सहभागिता का उमड़ता सवाल September 24, 2013 by देवेन्द्र कुमार | 1 Comment on अति पिछड़ी जातियों की राजनीतिक सहभागिता का उमड़ता सवाल देवेन्द्र कुमार, बिहार की राजनीति में काफी सम्मान के साथ याद किये जाने वाले स्व. कर्पूरी ठाकुर ने पहली बार पिछड़ी जातियों को वर्गीकृत करते हुए अतिपिछड़ी जाति की अवधारणा को राजनीतिक स्वीकृति दी थी । यह वह सामाजिक समूह था जो अपनी राजनीतिक- सामाजिक -र्आर्थिक एवं शैक्षणिक वंचना से मुक्ति के लिए तत्कालीन सत्तासीन […] Read more »
राजनीति विधि-कानून चुनाव सुधार की बढ़ती जरूरत September 23, 2013 by प्रमोद भार्गव | Leave a Comment प्रमोद भार्गव राजनीति का बहुआयामी अपराधीकरण शायद हमारे लोकतंत्र की सबसे बड़ी बिडंबना है। हर चुनाव के बाद संसद और विधानसाभाओं में ऐसे लोगों की संख्या बढ़ी हुर्इ दिखार्इ देती है। राजनीतिक दलों के पदों और समितीयों में भी इनकी शकित बढ़ी है और प्रभाव का विस्तार हुआ है। तय है,यह स्थिति लोकतंत्रिक व्यवस्था पर […] Read more » चुनाव सुधार की बढ़ती जरूरत
राजनीति समाज सत्तालोलुप, चिंगारी को बना सकते हैं जंगल की आग September 23, 2013 / September 23, 2013 by तनवीर जाफरी | 1 Comment on सत्तालोलुप, चिंगारी को बना सकते हैं जंगल की आग होशियार ! सत्तालोलुप, चिंगारी को बना सकते हैं जंगल की आग तनवीर जाफ़री भारतीय लोकतंत्र कहने को तो विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। परंतु दरअसल हमारे देश का ‘लोक’ विभिन्न वर्गों में जितना अधिक विभाजित है उतना शायद किसी अन्य लोकतांत्रिक देश का नहीं होगा। मज़े की बात तो यह है कि इस व्यवस्था […] Read more » चिंगारी को बना सकते हैं जंगल की आग सत्तालोलुप
राजनीति उत्तराखंड में बदलेगा नेतृत्व ! September 23, 2013 by पंकज कुमार नैथानी | Leave a Comment पंकज कुमार नैथानी आपदा की मार झेल चुके उत्तराखंड की सियासत मे एक बार फिर से भूचाल आने वाला है…आपदा प्रबंधन मे नाकाम रहे मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा की कुर्सी पर आपदा की गाज गिरने वाली है… सूत्रों की मानें तो कांग्रेस हाईकमान सूबे में नेतृत्व परिवर्तन की तैयारी कर चुका है और कुछ दिनों में […] Read more » उत्तराखंड में बदलेगा नेतृत्व !