राजनीति विश्ववार्ता मालदीव-भारत के बेहतर होते रिश्तों के सबब August 13, 2024 / August 13, 2024 by ललित गर्ग | Leave a Comment -ललित गर्ग- चीन की कटपुतली बने मालदीव को आखिर भारत की कीमत समझ में आ गयी। चीन एवं पाकिस्तान की कुचालों एवं षडयंत्रों से भारत के पडोसी देशों की हालात जर्जर होती जा रही है, जिसका ताजा उदाहरण बांग्लादेश है। लेकिन एक पडोसी देश के रूप में पिछले करीब एक साल की अवधि में मालदीव […] Read more » Reasons for the improving relations between Maldives and India मालदीव-भारत के बेहतर होते रिश्तों के सबब
राजनीति बांग्लादेश : समय संकल्प लेने का है … August 9, 2024 / August 9, 2024 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment बांग्लादेश में वही हुआ है जो एक इस्लामिक देश में हो जाना चाहिए था। वहां पर हिंदुओं के साथ भी वही हो रहा है जो कभी भी अकल्पनीय नहीं कहा जा सकता था। वहां पर हिंदू महिलाओं के साथ जो कुछ हो रहा है, उसे सुनकर रोंगटे खड़े हो रहे हैं, परंतु पूरा देश मौन […] Read more » Bangladesh बांग्लादेश
राजनीति जनजातियों का गौरवपूर्ण अतीत और उनके साथ हो रहे वैश्विक षड्यंत्र August 9, 2024 / August 9, 2024 by कृष्णमुरारी त्रिपाठी अटल | Leave a Comment ~ कृष्णमुरारी त्रिपाठी अटल भारत और भारतीयता की पताका फहराने वाला जनजातीय समाज अपनी वैविध्यपूर्ण विरासत के साथ राष्ट्र के ‘स्व’ की छटा बिखेर रहा है। किन्तु जनजातीय समाज का निवास स्थान वनांचलों और ग्राम्य क्षेत्रों में होने के चलते उनके समक्ष कई तरह के संकट आ रहे हैं। उनमें सबसे घातक संकट ईसाई […] Read more » जनजातियों का गौरवपूर्ण अतीत और उनके साथ हो रहे वैश्विक षड्यंत्र
राजनीति लेख विश्व आदिवासी दिवस: एक बड़े जनजातीय नर संहार के स्मरण का शोक दिवस August 8, 2024 / August 8, 2024 by प्रवीण गुगनानी | Leave a Comment प्रवीण गुगनानी विदेशी शक्तियां भारतीय समाज को विखंडित करने हेतु मूलनिवासी दिवस का उपयोग कर रहीं हैं। नौ अगस्त, वस्तुतः पश्चिमी साम्राज्यवादियों द्वारा किये गए बड़े, बर्बर नरसंहार का दिन है। इस शोक दिवस को उसी पीड़ित व दमित जनजातीय समाज द्वारा उत्सव व गौरवदिवस रूप में मनवा लेने का षड्यंत्र है यह! आश्चर्य यह […] Read more » विश्व आदिवासी दिवस
राजनीति विश्ववार्ता पडोसी देशों में भारत-विरोधी सरकारों के गठन की चिन्ता August 7, 2024 / August 7, 2024 by ललित गर्ग | Leave a Comment -ललित गर्ग- भारत के पडोसी देशों में अस्थिरता एवं अराजकता का माहौल चिन्ताजनक है। बांग्लादेश के साथ-साथ भारत के पड़ोसी मुल्कों में हुए हालिया अराजक, हिंसक एवं अस्थिरता के घटनाक्रमों से एक तस्वीर बनती है एवं एक सन्देश उभर कर आता है, वह है, चीनी के द्वारा भारत विरोधी सरकारों के गठन की साजिश। सिर्फ […] Read more » Concern about formation of anti-India governments in neighboring countries
आर्थिकी राजनीति भारत की आर्थिक प्रगति को रोकने हेतु अशांति फैलाने के हो रहे हैं प्रयास August 6, 2024 / August 6, 2024 by प्रह्लाद सबनानी | Leave a Comment भारत की लगातार तेज हो रही आर्थिक प्रगति पर विश्व के कुछ देश अब ईर्ष्या करने लगे हैं एवं उन्हें यह आभास हो रहा है कि आगे आने वाले समय में इससे उनके अपने आर्थिक हितों पर विपरीत प्रभाव पड़ सकता है। इस सूची में सबसे ऊपर चीन का नाम उभर कर सामने आ रहा है। और फिर, चीन की अपनी आर्थिक प्रगति धीमी भी होती जा रही है। दूसरे, विश्व को भी आज यह आभास होने लगा है कि विभिन्न वस्तुओं के उत्पादन के मामले में केवल चीन पर निर्भर रहना बहुत जोखिम भरा कार्य है। इसका अनुभव विशेष रूप से विकसित देशों ने कोरोना महामारी के बाद से वितरण चैन में आई भारी परेशानी से किया है, जिसके चलते इन देशों में मुद्रा स्फीति की समस्या आज भी पूरे तौर पर नियंत्रण में नहीं आ पाई है। साथ ही, चीन की विस्तारवादी नीतियों के चलते उसके अपने किसी भी पड़ौसी देश से (पाकिस्तान को छोड़कर) अच्छे सम्बंध नहीं हैं। अतः कई देश अब यह सोचने पर मजबूर हुए हैं कि चीन+1 की नीति का अनुपालन ही उनके हित में होगा। अर्थात, यदि किसी उद्योगपति ने चीन में अपनी एक विनिर्माण इकाई स्थापित की है तो आवश्यकता पड़ने पर उसके द्वारा अब दूसरी विनिर्माण इकाई चीन में स्थापित न करते हुए इसे अब किसी अन्य देश में स्थापित किया जाना चाहिए। यह दूसरा देश भारत भी हो सकता क्योंकि भारत अब न केवल “ईज आफ डूइंग बिजनेस” के क्षेत्र में अतुलनीय सुधार करता हुआ दिखाई दे रहा है बल्कि भारत में बुनियादी ढांचा के विस्तार में भी अतुलनीय प्रगति दृष्टिगोचर है। केंद्र सरकार द्वारा आर्थिक क्षेत्र में लागू की गई कई नीतियों के चलते भारत आज विश्व की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था तो बन ही गया है और अब यह तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर तेजी से आगे बढ़ रहा है। अर्थ के कई क्षेत्रों में तो भारत विश्व में प्रथम पायदान पर आ भी चुका है। इससे अब चीन के साथ अमेरिका को भी आने वाले समय में वैश्विक स्तर पर अपने प्रभाव में कमी आने की चिंता सताने लगी है। अतः विश्व के कई देशों में अब भारत की आर्थिक प्रगति को लेकर ईर्ष्या की भावना विकसित होती दिखाई दे रही है। इस ईर्ष्या की भावना के कारण वे भारत के लिए कई प्रकार की समस्याएं खड़ी करने का प्रयास करते दिखाई देने लगे हैं। यह समस्याएं केवल आर्थिक क्षेत्र में खड़ी नहीं की जा रही हैं बल्कि सामाजिक, राजनैतिक एवं आध्यात्मिक आदि क्षेत्रों में भी खड़ी करने के प्रयास हो रहे हैं। सबसे पहिले तो कुछ देश प्रयास कर रहे हैं कि भारत में किस प्रकार सामाजिक अशांति फैलायी जाए। इसके लिए भारत की कुटुंब प्रणाली को तोड़ने के प्रयास किए जा रहे हैं। देश में विभिन्न टी वी चैनल पर इस प्रकार के सीरियल दिखाए जा रहे हैं जिससे परिवार के विभिन्न सदस्यों के बीच आपस में छोटी छोटी बातों में लड़ने को बढ़ावा मिल रहा है। इन सीरियल में सास को बहू से, ननद को देवरानी से, छोटी बहिन को बड़ी बहिन से, एक पड़ौसी को दूसरे पड़ौसी से, संघर्ष करते हुए दिखाया जा रहा है। इन सीरियल के माध्यम से भारत में भी पूंजीवाद की तर्ज पर व्यक्तिवाद को हावी होते हुए दिखाया जा रहा है। जबकि भारतीय हिंदू सनातन संस्कृति हमें संयुक्त परिवार में आपस में मिलजुल कर रहना सिखाती है, त्याग एवं तपस्या की भावना जागृत करती है एवं परिवार के छोटे सदस्यों द्वारा अपने बड़े सदस्यों का आदर करना सिखाती है। इसके ठीक विपरीत पश्चिमी सभ्यता के अंतर्गत संयुक्त परिवार दिखाई ही नहीं देते हैं वे तो व्यक्तिगत स्तर पर केवल अपने आर्थिक हित साधते हुए नजर आते है। पश्चिमी देशों के इन प्रयासों से आज कुछ हद्द तक भारतीय समाज भी पश्चिमी सभ्यता की ओर आकर्षित होता हुआ दिखाई देने लगा है। आज विकसित देशों के परिवारों में बेटे के 18 वर्ष की आयु प्राप्त करने के पश्चात वह परिवार से अलग होकर अपना परिवार बसा लेता है। अपने बूढ़े माता पिता की देखभाल भी नहीं कर पाता है। इसके चलते इन देशों में सरकारों को अपने प्रौढ़ वर्ग के नागरिकों के देखरेख करनी होती है और इनके लिए सरकार के स्तर पर कई योजनाएं चलानी पड़ती है। आज इन देशों में प्रौढ़ नागरिकों की संख्या के लगातार बढ़ते जाने से सरकार के बजट पर अत्यधिक विपरीत प्रभाव पड़ता हुआ दिखाई दे रहा है। जबकि भारत में संयुक्त परिवार की प्रथा के कारण ही इस प्रकार की कोई समस्या दिखाई नहीं दे रही है। अतः पश्चिमी देशों द्वारा भारत की कुटुंब प्रणाली को अपनाए जाने के स्थान पर इसे भारत में भी नष्ट करने का प्रयास किया जा रहा है। दूसरे, कई देश अब भारत में सामाजिक समरसता के तानेबाने को भी विपरीत रूप से प्रभावित करने के प्रयास करते हुए दिखाई दे रहे हैं। विशेष रूप से हिंदू समाज में विभिन्न मत, पंथ मानने वाले नागरिकों को आपस में लड़ाने के प्रयास किए जा रहे हैं ताकि इन्हें आपस में बांटा जा सके और भारत में अशांति फैलायी जा सके तथा जिससे देश की आर्थिक प्रगति विपरीत रूप से प्रभावित हो सके। भारत के इतिहास पर नजर डालने पर ध्यान में आता है कि भारत में जब जब सामाजिक समरसता का अभाव दिखाई दिया है तब तब विदेशी आक्रांताओं एवं अंग्रेजों को भारत में अपना शासन स्थापित करने में आसानी हुई है। उन्होंने “बांटो एवं राज करो” की नीति के अनुपालन से ही भारत के कुछ भू भाग पर अपनी सत्ता स्थापित की थी। अब एक बार पुनः इसी आजमाए हुए नुस्खे को पुनः आजमाने का प्रयास किया जा रहा है। चाहे वह जातिगत जनगणना करने के नाम पर हो अथवा समाज के विभिन्न वर्गों को दी जाने वाली सुविधाओं को लेकर किये जाने वाले आंदोलनों की बात हो। तीसरे, कई देशों द्वारा भारतीय उपमहाद्वीप के अन्य देशों में भी अस्थिरता फैलाने के प्रयास किए जा रहे हैं। सबसे ताजा उदाहरण बांग्लादेश का लिया जा सकता है जहां हाल ही में सत्ता परिवर्तन हुआ है। अब बांग्लादेश में अतिवादी दलों के हाथों में सत्ता की कमान जाती हुई दिखाई दे रही है इससे अब बांग्लादेश में भी आर्थिक प्रगति विपरीत रूप से प्रभावित होगी। मालदीव में पूर्व में ही भारत विरोध के नाम पर अतिवादी दलों ने सत्ता हथिया ली है, जो वहां भारत “गो बैक” के नारे लगाते हुए दिखाई दे रहे हैं एवं चीन के साथ अपने राजनैतिक रिश्ते स्थापित कर रहे हैं। नेपाल में भी हाल ही में हुए सत्ता परिवर्तन के बाद वे चीन के करीब जाते हुए दिखाई दे रहे हैं। श्रीलंका पूर्व में ही राजनैतिक अस्थिरता के दौर से गुजर चुका है। पाकिस्तान तो घोषित रूप से अपने आप को भारत का दुश्मन देश कहलाता है। अफगानिस्तान में भी तालिबान की सत्ता स्थापित हो चुकी है, हालांकि अफगानिस्तान ने भारत की ओर दोस्ती का हाथ बढ़ाया है। कुल मिलाकर भारत की आर्थिक प्रगति को रोकने हेतु कुछ देशों द्वारा भरपूर प्रयास किए जा रहे हैं। भारत में अशांति फैलाकर ये देश प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को भारत में आने से रोकने के प्रयास कर रहे हैं ताकि विदेशी कम्पनियां भारत में विनिर्माण इकाईयों को स्थापित करने के प्रति हत्तोत्साहित हों और देश में बेरोजगारी की समस्या विकराल रूप धारण कर ले। इस प्रकार के माहौल में आज भारत के आम नागरिकों में देश प्रेम का भाव जगाने की सबसे अधिक आवश्यकता है एवं विभिन्न समाजों एवं मत पंथ को मानने वाले नागरिकों के बीच आपस में भाई चारा स्थापित करने की भी महती आवश्यकता है। अन्यथा, एक बार पुनः विदेशी ताकतें भारत की आम जनता को आपस में लड़ा कर इस देश पर अपना शासन स्थापित करने में सफल हो सकती हैं। परंतु, हर्ष का विषय है कि भारत में कई सांस्कृतिक संगठन अब कुछ देशों की इन कुटिल चालों से भारत की आम जनता को अवगत कराने के प्रयास करने लगे हैं एवं समाज की सज्जन शक्ति भी अब इन बातों को जनता के बीच ले जाकर उन्हें इस प्रकार के कुत्सित प्रयासों के परिणामों से अवगत कराने लगी हैं और कुछ हद्द तक इसका आभास अब आम जनता को होने भी लगा है। प्रहलाद सबनानी Read more » Efforts are being made to spread unrest to stop India's economic progress.
राजनीति निरंकुशता के कारण हसीना का ऩिष्कासन August 6, 2024 / August 6, 2024 by ललित गर्ग | Leave a Comment -ललित गर्ग- बांग्लादेश में जनभावना को दबाने एवं अनसूना करने से पनपे विद्रोह, आक्रोश एवं विरोध की निष्पत्ति है शेख हसीना सरकार का पतन। लम्बे समय से चला आ रहा आरक्षण विरोधी आंदोलन का आक्रोश उग्रतम होता गया, मगर इस आक्रोश की बुनियाद सात माह पूर्व हुए चुनाव में अनियमितताओं के बाद ही पड़ गई […] Read more » हसीना का ऩिष्कासन
राजनीति बांग्लादेश : साजिश का शिकार, अपदस्त लोकतंत्र ? August 6, 2024 / August 6, 2024 by प्रभुनाथ शुक्ल | Leave a Comment प्रभुनाथ शुक्ल बांग्लादेश हिंसा की आग में जल रहा है। प्रधानमंत्री शेख हसीना अपात स्थिति में त्यागपत्र देकर भारत में शरण लिया है। बांग्लादेश में जो कुछ हो रहा है यह बांग्लादेश और उसके भविष्य के लिए ठीक नहीं है। सरकार विरोधी हिंसक और अराजक लोगों ने […] Read more » Bangladesh: Victim of conspiracy overthrown democracy in bangladesh बांग्लादेश
राजनीति विधि-कानून न्याय से आशा एवं अहसास जगाते चन्द्रचूड़ August 5, 2024 / August 5, 2024 by ललित गर्ग | Leave a Comment -ललित गर्ग-50वें प्रधान न्यायाधीश (सीजेआइ) डी.वाई. चंद्रचूड़ की न्याय प्रणाली विसंगतियों एवं विषमताओं से जुड़ी इस स्वीकारोक्ति ने हर संवेदनशील भारतीय के मन को छुआ कि अदालतों में लंबे समय से लंबित मामलों से तंग आकर लोग बस समझौता करना चाहते हैं। ‘न्याय में देरी न्याय के सिद्धांत से विमुखता है’ वाली इस बात को […] Read more » Chandrachud awakens hope and feelings through justice डी.वाई. चंद्रचूड न्याय से आशा एवं अहसास
राजनीति गहलोत की पिक्चर अभी बाकी है मेरे दोस्त…! August 5, 2024 / August 5, 2024 by निरंजन परिहार | Leave a Comment –निरंजन परिहार राजनीति में वैसे तो चर्चाओं का कोई खास मोल नहीं होता। क्योंकि चालाक लोगों द्वारा चर्चाएं चलाई ही इसलिए जाती हैं कि चर्चित व्यक्ति को चकित करने के चौबारे तलाशे जा सकें। उसकी राह में कांटे बिछाए जा सके और फिर तकदीर के तिराहे से सीधे सियासत की संकरी अंधेरी गलियों में आसानी […] Read more » Gehlot's picture is still pending
टेक्नोलॉजी राजनीति क्या नासा से बेहतर है अपना ‘इसरो’ ? August 5, 2024 / August 5, 2024 by सुनील कुमार महला | Leave a Comment भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी ‘इसरो’ जहां एक ओर वर्ष 2028 में चंद्रयान-4 मिशन को लांच करने की तैयारी कर रहा है, वहीं दूसरी ओर अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी ‘ नासा’ ने अपने महत्वकांक्षी चंद्र मिशन को रद्द कर दिया है। इसके पीछे आखिर कारण क्या हैं ? भारत अपने चंद्र मिशन ‘चंद्रयान-4’ के तहत जहां चंद्रमा की […] Read more » Is our ISRO better than NASA ISRO NASA इसरो नासा
राजनीति भारतीय ज्ञान परंपरा – भारतीय शिक्षा प्रणाली – नई शिक्षा नीति August 2, 2024 / August 2, 2024 by प्रवीण गुगनानी | Leave a Comment प्रवीण गुगनानी इसे युगांतरकारी कदम कहा जाना चाहिये या अपनी भूमि, अपनी मिट्टी से जुड़ने का एक महत्वपूर्ण व महत्वाकांक्षी प्रयास। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को जिस प्रकार से भारतीय ज्ञान परंपरा के अध्ययन-अध्यापन, लेखन-पठन पर विशेष रूप से केंद्रित किया गया है वह अपने आप में “स्वयं को पहचानने का एक प्रयास है”। हम […] Read more » Indian Knowledge Tradition - Indian Education System - New Education Policy नई शिक्षा नीति भारतीय ज्ञान परंपरा भारतीय शिक्षा प्रणाली