प्रवक्ता न्यूज़
ग़ज़ल
/ by डॉ राजपाल शर्मा 'राज'
जवानी के दिन हमने यूँ ही गँवाए,न मौजें उड़ाईं, न पैसे कमाए। न आँखों में डूबे, हँसे, खिलखिलाए,न वादी में घूमे, न बारिश नहाए। अगर चेहरे पढ़ते तो होते शहंशाह,किताबों को पढ़-पढ़ के नौकर कहाए। कहीं रख के भूले वो खुशबू भरे ख़त,वो साँसों की गर्मी, वो चिलमन के साए। चले घर से जब-तब तो […]
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