विविधा ‘इस्लामी आतंकवाद’ के कलंक को मिटा सकती है शिया-सुन्नी एकता January 20, 2014 / January 20, 2014 by तनवीर जाफरी | 1 Comment on ‘इस्लामी आतंकवाद’ के कलंक को मिटा सकती है शिया-सुन्नी एकता -तनवीर जाफरी- जिस प्रकार 1947 में स्वतंत्र भारत के उदय के साथ ही भारतवर्ष को पाकिस्तान के रूप में एक विभाजित राष्ट्र की त्रासदी का सामना करना पड़ा था और उस समय से लेकर अब तक कभी एक ही देश के नागरिक कहे जाने वाले लोगों के मध्य चला आ रहा तनावपूर्ण वातावरण इस […] Read more » 'इस्लामी आतंकवाद' के कलंक को मिटा सकती है शिया-सुन्नी एकता muslims unity
विविधा हिन्दुत्व का पराक्रमी वीर सम्राट पृथ्वीराज चौहान January 17, 2014 / January 17, 2014 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment -राकेश कुमार आर्य- पृथ्वीराज चौहान भारतीय त्याग, तपस्या, साधना और पौरूष का प्रतीक है। वह अपने गुणा-अवगुणों से तत्कालीन हिंदू राजाओं में से कई के लिए ईष्र्या और द्वेष का कारण बन गया था। कई इतिहासकारों ने सम्राट पृथ्वीराज चौहान के एक से अधिक विवाहों के होने का उल्लेख किया है। अत: थोड़ी सी […] Read more » Prithviraj Chauhan हिन्दुत्व का पराक्रमी वीर सम्राट पृथ्वीराज चौहान
विविधा 42 वर्षों का बांग्लादेश January 15, 2014 / January 15, 2014 by प्रवक्ता.कॉम ब्यूरो | 1 Comment on 42 वर्षों का बांग्लादेश -फखरे आलम- 16 दिसम्बर 2013 को बांग्लादेश ने अपने स्थापना का 42वां वर्षगांठ मनाया। 16 दिसम्बर 1971 को पाकिस्तान टूटकर बांग्लादेश बना था। बांग्लादेश में लगातार स्थिति खराब होती जा रही है। वर्ष 71 में पाकिस्तानी सेना के साथ देने और बंगालियों के खिलाफ ऑपरेशन में शामिल लोगों को सजा दिलाने के लिए ध्ररना […] Read more » 42 वर्षों का बांग्लादेश America Bangladesh Iran
विविधा समानान्तर मीडिया खड़ा करने की बढ़ती जिम्मेदारी January 14, 2014 / January 14, 2014 by देवेन्द्र कुमार | 1 Comment on समानान्तर मीडिया खड़ा करने की बढ़ती जिम्मेदारी -देवेन्द्र कुमार- केके माधव के नेतृत्व में 1980 में पुनर्गठित द्वितीय प्रेस कमीशन ने 1982 में अपनी अनुशंसा प्रस्तुत करते हुए देश के तात्कालीन प्रजातांत्रिक-सामाजिक हालात के मद्देनजर प्रेस की भूमिका एवं कार्यप्रणाली को पुनर्परिभाषित करते हुए यह अनुशंसा की थी कि चूंकि प्रेस में शहरी पक्षधरता मौजूद है। यह सिर्फ राजनीतिक उठापटक में […] Read more » media समानान्तर मीडिया खड़ा करने की बढ़ती जिम्मेदारी
विविधा भारत के पराक्रम और पतन का अद्भुत संगम January 5, 2014 / January 5, 2014 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment विश्व के ऐसे कितने ही देश हैं जिन्होंने दिन के प्रकाश में अपनी स्वतंत्रता को खो दिया और ऐसा खोया कि फिर कभी उसे प्राप्त न कर सके। ऐसी स्थिति उन्हीं लोगों की या देशों की हुआ करती है, जो अपनी जिजीविषा और जिज्ञासा को या तो शांत कर लेते हैं या उसे […] Read more » Prithvi Raj Chauhan भारत के पराक्रम और पतन का अद्भुत संगम
विविधा टेलीफोन सस्ता हो सकता है तो रेलवे और बिजली क्यों नहीं! January 4, 2014 / January 11, 2014 by तारकेश कुमार ओझा | Leave a Comment -तारकेश कुमार ओझा- 90 के दशक के मध्य में एक नई चीज ईजाद हुई थी ‘पेजर’। बस नाम ही सुना था। जानकारी बस इतनी कि इसके माध्यम से संदेशों का आदान-प्रदान किया जा सकता था। दुनिया पेजर को जान-समझ पाती, इससे पहले ही मोबाइल फोन अस्तित्व में आ गया। हालांकि शुरू में इसे सेल्यूलर या […] Read more » Why not Railway and Electricity available at cheaper rate ! टेलीफोन सस्ता हो सकता है तो रेलवे और बिजली क्यों नहीं!
विविधा मेघालय के विकास में अवैध खनन की बाधकता December 22, 2013 / December 22, 2013 by कन्हैया झा | Leave a Comment मेघालय 22 हज़ार वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ एक छोटा राज्य है. सन 72 में दक्षिण असम के तीन मुख्य प्रान्तों खासी, गारो एवं जनिता को मिलाकर मेघालय को एक अलग राज्य का दर्ज़ा दिया गया. दक्षिण में मेघालय की सीमा बंगलादेश से लगती है. यहाँ की आबादी लगभग 30 लाख है. इसकी राजधानी शिलांग […] Read more » मेघालय के विकास में अवैध खनन की बाधकता मेघालय में अवैध खनन
विविधा पूर्व जस्टिस गांगुली मामले में कानून का मजाक उड़ाया जा रहा है! December 18, 2013 by डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश' | Leave a Comment इस अत्यन्त अम्भीर और संवेदनशील मामले को सुप्रीम कोर्ट के साथ-साथ सभी दलों के राजनेताओं, महिला संगठनों और मीडिया द्वारा जितने हल्के से लिया जा रहा है, वह अपने आप में घोर आश्चर्य का विषय है! सच तो ये है कि हर ओर सुप्रीम कोर्ट की न्यायिक अवमानना का भय व्याप्त है, इस कारण […] Read more » पूर्व जस्टिस गांगुली मामले में कानून का मजाक उड़ाया जा रहा है!
विविधा “आत्मा की आवाज़” बनाम “लोग क्या कहेंगे?” December 17, 2013 by डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश' | 2 Comments on “आत्मा की आवाज़” बनाम “लोग क्या कहेंगे?” डॉ. पुरुषोत्तम मीणा ‘निरंकुश’ दुनिया के सामने दिखावा अधिक जरूरी है या अपनी आत्मा की आवाज़ सुनकर उसे मानना और उस पर अमल करना? यह एक ऐसा ज्वलंत सवाल है, जिसका उत्तर सौ में से निन्यानवें लोग यही देना चाहेंगे कि अपनी आत्मा की आवाज़ सुनकर उसे मानना और उस पर अमल करना ज्यादा जरूरी […] Read more »
विविधा जॉबलेस ग्रोथ कब तक ? December 14, 2013 / December 14, 2013 by कन्हैया झा | Leave a Comment पिछले दो दशकों के विकास को ‘बिना रोज़गार का विकास’ अथवा Jobless Growth कहा गया है. भारत जैसे युवा देश के लिए ऐसे विकास पथ पर आगे चलते रहना खतरे से खाली नहीं होगा. विकास या विलास सन 1970 में बैंकों के राष्ट्रीयकरण से छोटे किसानों एवं उद्योगधंधों को क़र्ज़ मिलना शुरू हो […] Read more » जॉबलेस ग्रोथ कब तक ?
प्रवक्ता न्यूज़ विविधा डॉ. कोएनराड एल्स्ट सम्मान गोष्ठी 13 जनवरी को December 12, 2013 / December 12, 2013 by प्रवक्ता.कॉम ब्यूरो | Leave a Comment बेल्जियन विद्वान डॉ. कोएनराड एल्स्ट (1959 – ) के सम्मान में उनके भारतीय पाठकों, प्रशंसकों ने 13 जनवरी 2014 की संध्या इंडिया इंटरनेशनल सेंटर, दिल्ली में एक छोटा सा स्नेह-आयोजन रखा है। आप जानते ही हैं, डॉ. एल्स्ट को दिवंगत मनीषी-द्वय रामस्वरूप और सीताराम गोयल की बौद्धिक-योद्धा परंपरा का प्रखर दीपक माना जाता है। उन […] Read more » koenraad elst
विविधा वंदे मातरम्: राष्ट्र की अस्मिता का गीत December 2, 2013 by डॉ. सौरभ मालवीय | 1 Comment on वंदे मातरम्: राष्ट्र की अस्मिता का गीत डॉ. सौरभ मालवीय ‘जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी’ अर्थात् जननी और जन्मभूमि स्वर्ग से भी बढ़कर है. फिर अपनी मातृभूमि से प्रेम क्यों नहीं ? अपनी मातृभूमि की अस्मिता से संबद्ध प्रतीक चिन्हों से घृणा क्यों? प्रश्न अनेक हैं, परंतु उत्तर कोई नहीं. प्रश्न है राष्ट्रगीत वंदे मातरम् का. क्यों कुछ लोग इसका इतना विरोध करते […] Read more » Vande Mataram वंदे मातरम्