विविधा बहुमुखी प्रतिभा के धनी – भैरोंसिंह शेखावत May 21, 2010 / December 23, 2011 by विनोद बंसल | 1 Comment on बहुमुखी प्रतिभा के धनी – भैरोंसिंह शेखावत – विनोद बंसल 23 अक्टूबर 1923 को राजस्थान के सीकर जिले के खाचारियावास गांव में अध्यापक श्री देवी सिंह शेखावत के घर जन्मे विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र के उपराष्ट्रपति श्री भैरों सिंह शेखावत बहुमुखी प्रतिभा व बहुआयामी व्यक्तित्व के घनी थे। श्री भैरो सिंह ने अपने व्यक्तित्व व कृतित्व से सिर्फ राजस्थान ही नहीं, […] Read more » Versatility बहुमुखी प्रतिभा
विविधा माथे की बिन्दी- हिन्दी (संविधान, संसद और हम) May 21, 2010 / December 23, 2011 by रत्नेश त्रिपाठी | 1 Comment on माथे की बिन्दी- हिन्दी (संविधान, संसद और हम) -रत्नेश त्रिपाठी एक प्रतिष्ठित पत्रिका में हिन्दी के ऊपर देश के कुछ बुद्धिजीवियों का विचार पढ़ा, आश्चर्य तब अधिक हुआ जब कुछ युवाओं के साथ अन्य तथाकथित बुद्धिजीवियों नें हिन्दी की अंग्रेजी की पैरवी की। हम इस स्थिति के लिए दोष किसे दें। संविधान को, संसद को, सरकार को, लोक प्रशासकों को या खुद को, […] Read more » hindi हिन्दी
विविधा हृदय प्रदेश के माथे पर कुपोषण का कलंक May 21, 2010 / December 23, 2011 by लिमटी खरे | 2 Comments on हृदय प्रदेश के माथे पर कुपोषण का कलंक -लिमटी खरे समूचे देश में कुपोषित बच्चों की खासी तादाद देखने को मिल रही है। यह आज की कहानी नहीं है, आजादी के पहले से ही देश में बच्चों को पर्याप्त और पोष्टिक भोजन न मिल पाने के चलते उनका विकास अवरूद्ध होता रहा है। देश में कुपोषित बच्चों की तादाद में तेजी से इजाफा […] Read more » Madhya Pradesh कुपोषण मध्यप्रदेश
विविधा सिर्फ नरमुंडों की गिनती नहीं लोकजीवन का आईना भी May 20, 2010 / December 23, 2011 by संजय द्विवेदी | Leave a Comment -संजय द्विवेदी देश में दुनिया की विशालतम जनगणना का कार्य प्रारंभ हो चुका है। सही अर्थों में जनगणना का आशय सिर्फ नरमुडों की गितनी की कवायद नहीं है वरन अपने समाज और लोकजीवन को, उसकी खुशहाली, बदहाली और विकास के मानकों का रेखांकन भी है। हर 10 साल पर की जाने वाली जनगणना के निष्कर्षों […] Read more » Census ओबीसी जनगणना जनगणना
विविधा फिर चोर निकला एक और ‘सिकंदर’ May 20, 2010 / December 23, 2011 by निर्मल रानी | 2 Comments on फिर चोर निकला एक और ‘सिकंदर’ -निर्मल रानी गत् दो दशकों से तकनीकी शिक्षा विशेषकर आयुर्विज्ञान अथवा चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में जैसा आर्थिक उछाल देखा जा रहा था उसकी कभी कल्पना भी नहीं की जा सकती थी। आमतौर पर यह बात प्रचलित हो चुकी थी कि मेडिकल शिक्षा ग्रहण करने वाले छात्रों को मेडिकल कॉलेज की प्रतिष्ठा तथा प्रसिध्दि के […] Read more » Ketan Desai केतन देसाई
विविधा सार्थक पहल जल सेवा : पानी ही अमृत है May 19, 2010 / December 23, 2011 by फ़िरदौस ख़ान | 2 Comments on जल सेवा : पानी ही अमृत है -फ़िरदौस ख़ान भारत में हमेशा से ही सेवा की परंपरा रही है। जल सेवा भी इसी संस्कृति से प्रेरित है। उपनिषद में कहा गया है कि ‘अमृत वै आप:’ यानि पानी ही अमृत है। इसके अलावा पानी को ‘शिवतम: रस:’ यानि पेय पदार्थों में सबसे ज्यादा कल्याणकारी बताया गया है। गरमी के मौसम में प्यासे […] Read more » Water Service जल सेवा
विविधा हिंदी भारत की आत्मा है May 13, 2010 / December 23, 2011 by डॉ. सौरभ मालवीय | 22 Comments on हिंदी भारत की आत्मा है -सौरभ मालवीय भारतीय समाज में अंग्रेजी भाषा और हिन्दी भाषा को लेकर कुछ तथा कथित बुद्धिजीवियों द्वारा भम्र की स्थिति उत्पन्न की जा रही है। सच तो यह है कि हिन्दी भारत की आत्मा, श्रद्धा, आस्था, निष्ठा, संस्कृति और सभ्यता से जुड़ी हुई है। बोली की दृष्टि से संसार की सबसे दूसरी बड़ी बोली हिन्दी […] Read more » hindi राष्ट्रभाषा हिंदी
विविधा राष्ट्रमण्डल के निहितार्थ May 12, 2010 / December 23, 2011 by बालमुकुन्द पाण्डेय | 1 Comment on राष्ट्रमण्डल के निहितार्थ -बालमुकुन्द पाण्डेय चित्रकूट में भरत मिलाप का दृश्य जब सामने आता है तो देखने को मिलता है कि भरत के साथ आयी हुई सेना को देखकर लक्ष्मण का मन विकृत हो जाता है और वे भरत के सेना पर आक्रमण करने के लिए आक्रोशित होकर श्रीराम जी से अनुमति मांगते हैं। स्वभाव से शान्त व […] Read more » Commonwealth राष्ट्रमण्डल
विविधा रवीन्द्रनाथ टैगोर की 150वीं जयन्ती पर विशेष- सभ्यता और जीवन का महाकवि May 12, 2010 / December 23, 2011 by जगदीश्वर चतुर्वेदी | Leave a Comment -जगदीश्वर चतुर्वेदी रवीन्द्रनाथ की 150वीं जयन्ती के मौके पर उनके विचारों और नजरिए पर विचार करने का मन अचानक हुआ और पाया कि रवीन्द्रनाथ के यहां मृत्यु का जितना जिक्र है उससे ज्यादा जीवन का जिक्र है। रवीन्द्रनाथ ने अपने लेखन से विश्व मानव सभ्यता को आलोकित किया है, चारों ओर उनका यश इतने दिनों […] Read more » Rabindranath Tagore रवीन्द्रनाथ टैगोर
विविधा जहाँपनाह, अभी ही सोच लीजिए, चुनाव दोबारा आएँगे! May 11, 2010 / December 23, 2011 by मन ओज सोमक्रिया | 1 Comment on जहाँपनाह, अभी ही सोच लीजिए, चुनाव दोबारा आएँगे! राजधानीवासी बड़ी बेसब्री से दिल्ली मैट्रो ट्रेन (Delhi Metro) के बाकी बचे चरणों का इंतज़ार कर रहे हैं। लेकिन इस बेसब्री की वजह केवल मैट्रो का आसान और समय बचाने वाला सफर ही नहीं बल्कि उससे सड़कों पर पड़ने वाले वाहनों की भारी संख्या के दबाव का कम होना भी है जिससे मैट्रो के रूट […] Read more » चुनाव
विविधा कश्मीर की दहशत के आर-पार May 6, 2010 / December 23, 2011 by जगदीश्वर चतुर्वेदी | Leave a Comment -जगदीश्वर चतुर्वेदी कश्मीर में दहशत का राज्य है। राज्य और केन्द्र सरकार कितना ही दावा करें कि वहां पर स्थिति सामान्य है,लेकिन यथार्थ यही बताता है कि कश्मीर अशांत है। कश्मीर की अशांति की जड़ें जितनी भारत के अंदर फैली हैं उससे ज्यादा भारत के बाहर फैली हैं। कश्मीर की अशांति का सबसे घातक प्रभाव […] Read more » kashmir कश्मीर दहशत
विविधा सजा सुना तो दी, हश्र अफजल गुरु जैसा न हो May 6, 2010 / December 23, 2011 by नीरज कुमार दुबे | 1 Comment on सजा सुना तो दी, हश्र अफजल गुरु जैसा न हो -नीरज कुमार दुबे मुंबई में आतंकवादी हमलों के दोषी और मामले की सरकारी वकील उज्ज्वल निकम की ओर से ‘मौत की मशीन’ करार दिये गये अजमल आमिर कसाब को मौत की सजा सुनाया जाना भी कमतर प्रतीत होता है। दरअसल यह सजा हर उस शख्स को दी जानी चाहिए जोकि इस हमले की साजिश में […] Read more » Kasab अफजल गुरु कसाब