आ जाओ शरण धूनीश्वर की

ए दिल, तू पुकार धूनीधर को,
तेरी टेर सुनेंगे कभी न कभी।
वे दीनदयाल हरिहर है
दिन तेरे फिरेंगे कभी न कभी ।
हे मोहन मधुर प्रभाधारी,
जब देखें नजर परम प्यारी।
बस धन्यं बने तू उसी क्षण में,
तेरा दर्द हरेंगे कभी न कभी।
दर पर नित फेरी लगाता जा
अपना दुख दर्द सुनाता जा।
जब मौज में आयेंगे मेरे प्रभु,
तब पूछ ही लेंगे कभी न कभी।
जब मश्तह मुक्तभ इठलाते है
अरू प्रेम प्रसाद लुटाते है ।
जय दादाजी रटते रहना,
तेरी झोली भरेंगे कभी न कभी।
शठ बैरी नित दुख देते है
हम दासों से बदला लेते है।
पीव आ जाओ शरण धूनीश्वर की
स्वीकार करेंगे कभी न कभी ।
आत्‍माराम यादव पीव 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here