फुर्सत नहीं इन्सान को,इन्सान से मिलने की

फुर्सत नहीं इन्सान को,इंसान से मिलने की |
ख्वाहिश रखता है वह,भगवान से मिलने की ||

कर्म कर रहा इन्सान,जो एक शैतान भी नहीं करता |
पर ख्वाहिश रखता है,मरने के बाद जन्नत जाने की ||

बस न सका इंसान ठीक से इस अपनी जमीन पर |
पर तैयारी कर रहा है इन्सान, चाँद पर बसने की ||

बन रहा है शैतान अब इंसान,गलत काम से न डरता |
कानून भी अँधा हो चूका है,नहीं बात उससे डरने की ||

इंसान अब निठल्ला हो चूका है,इस मशीनी दौर में |
सब काम इंटरनैट पर हो रहे है,जरूरत नहीं हिलने की ||

चिठ्ठी-पत्री बंद हो चुकी है,जरूरत नही लिखने की |
जरूरत नहीं समझता है,इंसान इंसान से मिलने की ||

अब क्या करे रस्तोगी,वह भी इस वख्त मजबूर है |
जुर्रत नहीं कर रहा है,वह गजल हाथ से लिखने की ||  

आर के रस्तोगी 
मो 9971006425  

2 COMMENTS

  1. श्री मोहन गुप्ता जी ,
    सादर नमस्कार ,
    आपने सही लिखा है | पर अक्सर गजलो में उर्दू के शब्दों का प्रयोग किया जाता रहा है |पर मेरे उर्दू के शब्द ऐसे नहीं है जो आम पाठक के समझ में नहीं आये | अगर मै हिन्दी भाषा के किलिष्ट शब्दों का प्रयोग करू तो हो सकता है कि वे भी पाठको के समझ में नहीं आये | मेरा प्रयास यह है कि मै बोल-चाल की भाषा के शब्दों का प्रयोग करू ,ताकि आम पाठक उस को पढ़ सके और समझ सके| फिर भी मै आपके सुझाव का सम्मान करता हूँ| मेरा ई मेल :ramkrishan.rastogi@gmail.com

  2. This article is in Urdu but written in nagri script. Please use pure Sanskritnist Hindii words.
    If you like I can send you a list of pure Hindii words of Urdu words. As this article is written by
    प्रवक्‍ता ब्यूरो, so you should be more careful for using pure Hindii words. Please give me your e-mail address I will send you the list of pure Hindii words.
    thanks

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