भौजी आंगें न जाओ

भौजी आंगें न जाओ भौजी आंगें न जाओ|
गैल में लड़ईया बैठो बैटरी बताओ |

टिंगरन – टिंगरन भरो है पानी और मिंदरा टर्रा रए |
डरके मारें भौजी मोरे हाड़ कंपकंपा जा रए |
कीचड़ में री भौजी मोरे गोड़े गप- गप जा रए |
जरियों के काँटों में मोरे कपडा बिद- बिद जा रए |
इतनी न इतराओ इतनी न इतराओ |
गैल में लड़ईया बैठो बैटरी बताओ |

देखो भौजी मोरी तोसें नइयाँ कछु लड़ाई |
भैया सें तो करत हों तोरी रोजई बहुत बढाई |
हाथ जोड़कें करत हों बिनती बक दे मोरी माई |
का कारन सें है तें गुस्सा बतला देवी दाई |
हमखों यूं न सताओ ,हमखों यूं न सताओ |
गैल में लड़ईया बैठो बैटरी बताओ |

भौजी उवाच 

काम करत दिन भर खेतन में अंग -अंग मोरो थक गओ |
मोखों तो रोटी एकई दई पंदरा खुदई गुटक गओ |
मैं तो भूखन मरी जा रही ईसें आगे जा रई |
तें तो अफरो रोटी खाकेँ तोय सरम ने आ रई |
अब चाये रोओ या गाओ , अब चाये रोओ या गाओ |
गैल में लड़ईया बैठो बैटरी बताओ |
देवर उवाच
हाथ तुम्हारे जोड़त भौजी अब ने गलती कर हों |
भ्याने सें सब की सब रोटी तोरे आंगें धरहों |
तें सबरी खा लइये भौजी मैं चूँ तक ने करहों |
भुन्सारे सें रोजई भौजी पाँव तुम्हारे पर हों |
आकें हमखों बचाओ ,आकें हमखों बचाओ |
गैल में लड़ईया बैठो बैटरी बताओ |

सुन कें भौजी दौरि पाछें देख देउर की हालत |
देखि ने जा राइती ऊँसें लाला की जा दुर्गत |
जरियों के काँटों से कपड़ा अलग कर दये झटपट |
अब तो प्यारो लगन लगो तो नन्हों देवर नटखट |
ले गोदी में उठाओ ,ले गोदी में उठाओ |
गैल में लड़ईया बैठो बैटरी बताओ |

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प्रभुदयाल श्रीवास्तव
लेखन विगत दो दशकों से अधिक समय से कहानी,कवितायें व्यंग्य ,लघु कथाएं लेख, बुंदेली लोकगीत,बुंदेली लघु कथाए,बुंदेली गज़लों का लेखन प्रकाशन लोकमत समाचार नागपुर में तीन वर्षों तक व्यंग्य स्तंभ तीर तुक्का, रंग बेरंग में प्रकाशन,दैनिक भास्कर ,नवभारत,अमृत संदेश, जबलपुर एक्सप्रेस,पंजाब केसरी,एवं देश के लगभग सभी हिंदी समाचार पत्रों में व्यंग्योँ का प्रकाशन, कविताएं बालगीतों क्षणिकांओं का भी प्रकाशन हुआ|पत्रिकाओं हम सब साथ साथ दिल्ली,शुभ तारिका अंबाला,न्यामती फरीदाबाद ,कादंबिनी दिल्ली बाईसा उज्जैन मसी कागद इत्यादि में कई रचनाएं प्रकाशित|

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