पर्यावरण संरक्षण और भारत

pollutionपर्यावरण संरक्षण के प्रयासों के प्रति यह सरकार कितनी इमानदार और गंभीर है इसका एक सुन्दर दृश्य देश भर के पर्यावरण मंत्रियों के सम्मलेन में प्रधानमंत्री अपनी बात रखते हुये देखने को मिला .जहाँ हमारे प्रधानमंत्री ने दादी नानी की कहानियों के माध्यम से यह याद दिलाया की वर्तमान के गंभीर पर्यावरणीय संकटों के बीच हमारी परंपरागत जीवन शैली कितनी पर्यावरण मैत्री रही है .हमारे प्रधानमंत्री ने इस बात का भी विश्वास दिलाया की पर्यावरण संरक्षण के प्रयासों के लिए हमें विश्व की तरफ देखने की जरूरत नहीं है बल्कि हममे यह क्षमता है की हम विश्व का नेत्रित्व कर सकें .प्रधानमंत्री का यह बयान इस पहलु से भी अहम् है की कुछ ही महीनों बाद पर्यावरण संबंधी अहम् बैठक पेरिस में होने वाली है.पर्यावरण संरक्षण के सारे नियम विकाशशील देशों पर ही थोप देने वाले विकसित देशों के लिए यह बयान एक चेतावनी और करारा जवाब है . प्रधानमंत्री ने बड़े ही बेबाकपूर्ण ढंग से यह बात कही की विश्‍व एक गंभीर पर्यवार्नीय संकट से गुजर रहा है दुनिया को इस क्षेत्र में बचाने के लिए नेतृत्‍व भारत ने करना चाहिए। । यह ठीक नहीं है कि दुनिया जलवायु परिवर्तन के लिए हमें निर्देशित करे और हम दुनिया का अनुकरण करें, दुनिया मानक तय करे और हम दुनिया का अनुकरण करे ।

सचमुच में इस विषय में हमारी हजारों साल से वो विरासत है, हम विश्‍व का नेतृत्‍व कर सकते हैं, हम विश्‍व का मार्गदर्शन कर सकते हैं और विश्‍व को इस संकट से बचाने के लिए भारत रास्‍ता प्रशस्‍त कर सकता है। प्रधानमंत्री ने विश्‍व से आग्रह किया कि वे भारत में नाभिकीय ईंधन के आयात पर प्रतिबंध पर ढील दें जिससे कि भारत भी बड़े पैमाने पर स्‍वच्‍छ नाभिकीय ऊर्जा का उत्‍पादन कर सके।प्रधानमंत्री ने सौरउर्जा के प्रयोग को भारत में अधिकाधिक बढ़ावा दिए जाने के प्रयासों का भी जिक्र किया साथ ही पवन और जैव ईंधन ऊर्जा के सृजन पर ध्‍यान केंद्रित किया. यह सुनकर कितनि सुखद अनुभूति होती है की एक ऐसे दौर में जबकि दुनिया भर में टाइगर्स की संख्या घटती जा रही है हमारे देश में इनकी संख्या में करीब 40% की वृद्धि हुई है यह गर्व करने लायक बात है की टाइगर्स की दो-तिहाई संख्‍या हमारे पास ही है. परन्तु जब हम भारत में पर्यावरण की वर्तमान स्थिति पर नजर डालते हैं तो पाते हैं की एक सच और है जो की बहुत ही भयावह है दुनिया के सर्वाधिक 20 प्रदूषित शहरों में से 13 भारत में हैं। इनमें दिल्ली को सर्वाधिक प्रदूषित शहर बताया गया है। याद होगा गत वर्ष विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट में भी दुनिया के 91 देशों के 1600 शहरों में दिल्ली को सर्वाधिक प्रदूषित शहर बताया गया। वायु प्रदूषण भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक गंभीर चुनौती बनता जा रहा है .आखिर प्राणदायनी हवा ही जब प्रदूषित हो जाएगी तो हम एक स्वास्थ्य जीवन की कल्पना कैसे कर सकते हैं .

विश्व स्वास्थ्य संगठन की मानें तो साल 2012 में घर के बाहर वायु प्रदूषण के कारण दुनिया भर में 37 लाख लोगों की मौत हुई। एनवायरमेन्टल रिसर्च लेटर्स जर्नल के शोध से भी खुलासा हो चुका है कि दुनिया भर में वायु प्रदूषण से हर वर्ष तकरीबन 26 लाख लोगों की मौत हो रही है।केंद्रीय पर्यावरण मंत्री ने एक सवाल के जवाब में कहा कि सरकार 15 दिन के भीतर कंस्ट्रक्शन मलबे के संबंध में दिशानिर्देश जारी करेगी। इससे हवा में धूल के सूक्ष्म कणों की मात्रा पर अंकुश लग सकेगा। सोमवार को दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान के पर्यावरण मंत्रियों के साथ उनकी बातचीत हो चुकी है। ।खतरनाक तरीके से हवा में जहर घोलते इस वायु प्रदूषण से सतर्क होते हुए सरकार की तरफ से राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता सूचकांक जारी किया गया जो दिल्ली ,आगरा,लखनऊ ,वाराणसी ,फरीदाबाद ,अहमदाबाद ,चेन्नई ,बेंगलूरू और हैदराबाद की हवा का हाल बताएगा.- केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की एक रिपोर्ट के मुताबिक देश में 16 प्रमुख प्रदूषित शहर हैं। इनमें दिल्ली शहर का वायु प्रदूषण सर्वाधिक है। यहां की हवा में सर्वाधिक रासायनिक तत्व घुले हैं, जिनमें नाइट्रोजन डाईआक्साइड, सल्फर डाई आक्साइड और कार्बन मोनो आक्साइड प्रमुख है। । दिल्ली की हवा में प्रदूषण 163 माइक्रोग्राम प्रति मीटर क्यूबिक है, जबकि कोलकाता में यह 154, मुंबई और हैदराबाद में 137-137 और चेन्नई में 84 माइक्रोग्राम है। जबकि आदर्श स्थिति 60 माइक्रोग्राम है । राजधानी के गंभीर वायु प्रदूषण को देखते हुए संयुक्त राज्य अमेरिका, जर्मनी और जापान जैसे देशों ने अपने दूतावासों में नियुक्त राजनयिकों की अवधि घटाकर तीन साल से दो साल करनी शुरू कर दी है। कई दूतावासों व राजनयिकों के आवासों में एयर प्यूरीफायर लगने शुरू हो गए हैं। – पर्यावरण मंत्रालय ने कहा कि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी), दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) और मौसम विभाग तीनों मिलकर दिल्ली की हवा में प्रदूषण का स्तर कितना है, इस पर निगरानी रखेंगी।

वायु शुद्धता सूचकांक से निश्चित रूप से हर दिन बढ़ते वायु प्रदूषण पर समय रहते लगाम लगायी जा सकती है.इस सूचकांक में वायु की शुद्धता का मूल्यांकन 0 से 500 अंक के दायरे में किया जाता है.अगर वायु की गुणवत्ता 50 है तो वह शुद्ध है यह आंकड़े जितने ऊपर जाएँगे हवा की स्थिति उतनी ही बदतर होती जाएगी.इस सूचकांक में आप रंग देखकर यह पहचान सकते हैं की आपके शहर की हवा कितनी प्रदूषित है .अगर यह रंग हरा है तो हवा शुद्ध है लेकिन अगर इसका रंग लाल है तो यह निश्चित रूप से हमारे स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर डालेगी.इस सूचकांक की छह श्रेणियां तय की गयी है जिनमे अच्छी, संतोषजनक,आंशिक रूप से प्रदूषित ,ख़राब ,बेहद प्रदूषित और गंभीर शामिल हैं.सूचकांक में आठ प्रदूषकों पर विचार किया जाता है जिनमे पीएम 10 ,पीएम २.5 ,एनओ 2,एसओ 2,,सीओ ,ओ 3,एनएच 3 और पीबी शामिल हैं.इस कदम को उठाने के साथ ही भारत अमेरिका ,चीन,मेक्सिको,और फ़्रांस जैसे देशों की सूची में शामिल हो गया है जिन्होंने धुंध और कोहरे और धुंध से बचने की न सिर्फ चेतावनी जारी की बल्कि प्रदूषण के चरम स्तर से बचने के आपात उपायों को भी लागू किया. वायु प्रदूषण से निजात पाने के लिए यह प्रयास वरदान ही साबित होगा जिसकी तस्दीक कुछ आंकड़े भी करते हैं.

एक आंकड़े के मुताबिक पिछले दस साल में वायु प्रदूषण की वजह से होने वाली मौतों में छह गुना इजाफा हो चूका है,2010 में इसकी वजह से कुल 6.2 लाख मौतें हुईं जबकि 2000 में यह आंकड़ा एक लाख था.श्वसन और ह्रदय रोग संबंधी तमाम बिमारियों का प्रमुख कारण वायु प्रदूषण ही है.सरकार की ययः योजना है की शुरू में यह सूचकांक 10 प्रमुख शहरों में हवा का हाल बताएगा फिर इसके अगले चरण में सरकार 46 अन्य बड़े शहरों व २० राज्यों की राजधानियों में भी वायु प्रदूषण पर नजर बनाए रखने के लिए ऐसे सूचकांक जारी करेगी.विदित हो की यह सूचकांक आई आई टी कानपुर के सहयोग से विक्सित किया गया है जिसकी मांग विज्ञान व पर्यावरण केंद्र बहुत ही लम्बे समय से करते रहे है.साथ ही सरकार की तरफ से भवन निर्माण को लेकर भी जल्द ही दिशा निर्देश जाने की बात की गयी है जिससे की इको फ्रैंडली भवनों का निर्माण किया जा सके.साथ ही साथ सरकार की तरफ से ऐसे प्रयास भी किए जाने चाहिए जिससे की धुंवा फेंक का पर्यावरण को जहरीला बनाते चिमनियों और कल कारखानों को कम से कम प्रदूषण फ़ैलाने के लिए विवश किया जा सके.

धुंवा फेंकती गाड़ियों द्वारा होने वाले वायु प्रदूषण पर रोक लगायी जा सके.सामान्य जन की तरफ से भी ऐसे प्रयास किये जाने की जरूरत है जो पर्यावरण को जहरीला होने से बचा सकें इसके लिए लिए हमें अपने दैनिक जीवन में ही कुछ प्रयास करने होंगे जिनकी बात प्रधानमंत्री ने अपने भाषण के दौरान की.क्यूँ न छोटी दूरियों के लिए साईकिल के प्रयोग को बढ़ावा दिया जाए आखिर 100 मीटर की दूरी के लिए भी कर का ही प्रयोग करके हम पर्यावरण को जहरीला ही तो बना रहे होते है. त्योहारों पर छोड़े जाने वाले पटाखे भी वायु प्रदूषण में अहम् भूमिका निभाते हैं आखिर हम ग्रीन फेस्टिवल्स का संकल्प क्यूँ नहीं ले सकते हैं.चाहे वह संसाधनों की रिसाईक्लिंग हो अथवा की उर्जा संरक्षित करने की बात हो यह हमारी जीवन शैली में निहित रहा है जरूरत है की एक बार फिर से हम इन आदतों को अपने व्यव्हार में उतर लें बात बात पर धौंस दिखने वाले पश्चिमी देशों के लिए भी यह एक सबक की तरह होगा .हम अपने आसपास की हवा को बचा लें तभी हमारा जीवन बचेगा नहीं तो प्रदूषित हवा में बिमारियों भरा जीवन किसी नरक से कम नहीं होगा .प्राणदायी ऑक्सीजन भला कहाँ से खरीद सकेंगे.हमारी सरकार ने प्रयास शुरू कर दिए हैं हमें भी अब ऐसे प्रयास शुरू कर देने होंगे अगर हम अब भी नहीं चेते तो बहुत देर हो जाएगी और प्राणवायु ,मृत्युवायु बन जाएगी.

 

-प्रभांशु ओझा

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here